गणितीय अक्षमता या अयोग्यता (डिसकैल्कुलिया) / गणितीय अक्षमता या डिसकैल्कुलिया के कारण एवं उपचार

बीटीसी एवं सुपरटेट की परीक्षा में शामिल शिक्षण कौशल के विषय समावेशी शिक्षा में सम्मिलित चैप्टर गणितीय अक्षमता या अयोग्यता (डिसकैल्कुलिया) / गणितीय अक्षमता या डिसकैल्कुलिया के कारण एवं उपचार आज हमारी वेबसाइट hindiamrit.com का टॉपिक हैं।

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गणितीय अक्षमता या अयोग्यता (डिसकैल्कुलिया) / गणितीय अक्षमता या डिसकैल्कुलिया के कारण एवं उपचार

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गणितीय विकलांगता या गणितीय समझ में दोष क्या है / डिसकैल्कुलिया क्या है / mean of Dyscalculia

सामान्य रूप से डिसकैलकुलिया दो शब्दों से मिलकर बना है। Dys (डिस) तथा Calculia (कैलकुलिया)। Dys शब्द ग्रीक भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ बुरी तरह या बुरे प्रकार से होता है तथा Calculia लैटिन भाषा से उत्पन्न हुआ शब्द है जिसका आशय गणना से होता है। इस प्रकार डिसकैलकुलिया बुरी तरह से किये जाने वाले गणना सम्बन्धी कार्य की ओर संकेत करता है। इस अवधारणा को गणितीय अयोग्यता या गणितीय विकलांगता के रूप में जाना जाता है। गणितीय विकलांगता में उन सभी गणितीय अयोग्यताओं को समाहित किया जाता है जो कि छात्रों को सामान्य छात्रों से पृथक करती है।

गणितीय विकलांगता को स्पष्ट करते हुए प्रो० एस०के० दुबे के अनुसार,“ गणितीय विकलांगता छात्रों की उन अकुशलताओं एवं अयोग्यताओं की ओर संकेत करती है जो कि सामान्य छात्र से उन छात्रों को पृथक् करती है तथा उनमें सुधार की अपेक्षा एवं सम्भावनाओं को प्रकट करती है तथा इसका सम्बन्ध वातावरणीय एवं वंशानुगत कारणों से होता है।” इस प्रकार गणितीय विकलांगता जन्मजात एवं वातावरणीय कारणों से उत्पन्न होती है।

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गणितीय विकलांगता के कारण / Causes of Dyscalculia in hindi

डिसकैल्कुलिया या गणितीय विकलांगता अनेक छात्रों में पायी जाती है जिसके प्रमुख कारण तन्त्रिका तंत्र उत्पन्न हो जाता है तो अनेक अवसरों पर तन्त्रिका तन्त्र सम्बन्धी खराबी के कारण यह दोष उत्पन्न हो जाता है। गणितीय विकलांगता के प्रमुख कारणों को निम्नलिखित रूप में स्पष्ट किया एवं वातावरण से सम्बन्धित होते हैं। अनेक अवसरों पर वातावरणीय कारणों भी से यह दोष आ सकता है-

1. तन्त्रिका तन्त्र में चोट (Injury in nervous system)-गणितीय विकलांगता का प्रमुख कारण बालकों के तन्त्रिका तन्त्र या बचपन में लगनेवाली चोट होती है। इसके परिणामस्वरूप छात्रों में अंकगणितीय अयोग्यता उत्पन्न हो जाती है। अनेक अवसरों पर घर में छोटे बालकों को खिलाते समय वे गिर जाते हैं या स्वयं पलंग से गिर जाते हैं। ऐसी स्थिति में उनके सिर में चोट लगने के कारण उनका तन्त्रिका तन्त्र प्रभावित हो जाता है तथा उनमें गणितीय विकलांगता के लक्षण दृष्टिगोचर होने लगते हैं।

2. वंशानुक्रम (Heredity)-अनेक अनुसन्धानों एवं प्रयोगों के आधार पर भी यह पाया गया है कि बालक में अंकगणितीय विकलांगता वंशानुक्रम के आधार पर पायी जाती है। अत: गणितीय अयोग्यता जन्मजात भी हो सकती है।

3. स्मृति का अभाव (Lack of memory)-कुछ छात्रों की स्मृति क्षमता सामान्य से कम होती है। इस कमजोर स्मृति क्षमता के कारण बालक पूर्णरूप से गणितीय तथ्यों को याद नहीं कर पाता तथा बीच में ही भूल जाता है। कम स्मृति के कारण ही वह गणित विषय में सामान्य छात्रों की भाँति योग्यता प्राप्त नहीं कर पाता।

4. मानसिक मन्दता (Mental retiredness)-मानसिक मन्द बालकों में गणितीय अयोग्यता की सम्भावना सामान्य बालकों की अपेक्षा अधिक होती है। इन छात्रों में बुद्धिलब्धि कम होती है। इस कारण से यह छात्र गणितीय व्यवस्थाओं एवं गणना सम्बन्धी कार्यों को उचित रूप में न तो समझ पाते हैं और न ही गणितीय समस्याओं का समाधान कर पाते हैं।

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5. गणित से भय (Fear with mathematics)-सामान्य रूप से बालक को अपने अभिभावक, साथियों एवं शिक्षकों से गणित के बारे में विभिन्न प्रकार की नकारात्मक सूचनाएँ मिलती हैं जोकि छात्रों में गणित विषय के प्रति भय उत्पन्न कर देती हैं। इस स्थिति में छात्र गणना सम्बन्धी कार्यों को सीखने में भय का अनुभव करता है तथा उनमें रुचि भी नहीं लेता। इस प्रकार धीरे-धीरे छात्रों में गणितीय विकलांगता उत्पन्न होने लगती है क्योंकि वे जो कुछ भी सीखते हैं उसका पूर्ण प्रयोग नहीं कर पाते।

गणितीय विकलांगता का उपचार / Remedy of Dyscalculia in hindi

वर्तमान समय में गणितीय विकलांगता का उपचार भी सम्भव है। इसके लिये शिक्षक को चाहिये कि वह अपनी कक्षा के छात्रों में लक्षणों के आधार पर गणितीय विकलांगता को पहचानने तथा इस प्रकार के छात्रों को वर्गीकृत करके उनके उचित उपचार की व्यवस्था करे। गणितीय विकलांगता से युक्त बालकों के उपचार हेतु शिक्षकों कोअग्रलिखित उपाय करने चाहिये-

(1) यदि बालक में तन्त्रिका तन्त्र सम्बन्धी दोष के कारण गणितीय विकलांगता है तो इसमें मात्र शिक्षक द्वारा अपेक्षित सुधार नहीं किया जा सकता। इसके लिये शिक्षक को चाहिये कि वह छात्र एवं अभिभावकों को बालक की चिकित्सकीय जाँच की सलाह दे क्योंकि चिकित्सकीय जाँच के आधार पर तन्त्रिका तन्त्र सम्बन्धी चिकित्सा करके गणितीय विकलांगता को दूर या कम किया जा सकता है।

(2) वंशानुक्रम सम्बन्धी गणितीय विकलांगता को उपयुक्त बातावरण प्रदान करके दूर किया जा सकता है क्योंकि अनेक प्रकार के गणितीय प्रयोग एवं गणितीय वातावरण को उत्पन्न करके गणितीय अयोग्यता को कम किया जा सकता है।

(3) स्मृति की मन्दता को पूर्ण रूप से ठीक नहीं किया जा सकता इसमें मात्र सुधार किया जा सकता है। इसके लिये शिक्षक एवं विद्यार्थी दोनों के द्वारा ही सम्मिलित रूप से प्रयास करने चाहिये। इसके लिये स्थायी रूप से अधिगम कराने से सम्बन्धित गतिविधियों को शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में अधिक स्थान देना चाहिये।

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(4) गणितीय अयोग्यता को दूर करने के लिये छात्रों को उनके स्तर के अनुसार गतिविधि आधारित शिक्षण अधिगम व्यवस्था करनी चाहिये; जैसे- प्राथमिक स्तर पर गणितीय पहेली एवं गणितीय कविताओं का सहारा लेना चाहिये। इससे अधिगम स्थायी रूप में होता है तथा गणितीय विकलांगता को दूर किया जा सकता है।

(5) मानसिक मन्दता को पूर्ण रूप से तो समाप्त नहीं किया जा सकता परन्तु इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। इस प्रकार के छात्रों को शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में करके सीखने के अवसर प्रदान करने चाहिये जिससे इनका गणितीय अधिगम स्थायी रूप में हो तथा अंकगणितीय अयोग्यता की सम्भावनाएँ भी कम हों।

(6) छात्रों में गणित के प्रति भय को समाप्त करने के लिये शिक्षकों को शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में कविता, कहानी एवं पहेलियों का भी प्रयोग करना चाहिये जिससे छात्रों को गणित विषय में अन्य विषयों की तरह ही रुचि उत्पन्न हो जाये। इससे गणित के प्रति उनका भय समाप्त हो जायेगा तथा अधिगम स्थायी रूप में सम्पन्न होगा। इससे गणितीय विकलांगता के उत्पन्न होने की सम्भावना भी स्वाभाविक रूप से कम हो जायेगी।


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