दोस्तों हम आज आपको जीव विज्ञान का सबसे महत्वपूर्ण टॉपिक परागण और निषेचन में अंतर बताएंगे। साथ ही साथ Hindiamrit पौधे एवं उनकी क्रियाये के अन्तर्गत आपको परागण किसे कहते हैं,परागण के प्रकार,स्वपरागण किन पौधों में होता है,परपरागण किन पौधों में होता है,निषेचन किसे कहते है,द्विनिषेचन किसे कहते है, आदि सारी बातों की जानकारी उपलब्ध कराएंगे।
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परागण और निषेचन में अंतर

परागण किसे कहते हैं || what is pollination
पुष्प के परागकोष से परागकणों के उसी पुष्प अथवा दूसरे पौधे के किसी पुष्प के वर्तिकाग्र पर पहुंचने की क्रिया को परागण कहते हैं।
परागण के प्रकार || types of pollination
इसके दो प्रकार होते हैं- (1) स्वपरागण (self pollination) (2) परपरागण (cross pollination)
स्वपरागण (self pollination) – जिसमें एक पुष्प के परागकण उसी पुष्प के या उसी पौधे के अन्य पुष्प के वर्तिकाग्र पर पहुंचते हैं,स्वपरागण कहलाता है। जैसे-सदाबहार,पैंजी,गुलमेंहदी, मूंगफल, खट्टी बूटी आदि में स्वपरागण होता है।
परपरागण किसे कहते है || what is cross pollination – इसमें एक पुष्प के परागकण उसी जाति के किसी दूसरे पौधे पर लगे पुष्प के वर्तिकाग्र पर पहुंचते हैं,परपरागण कहलाता है। यह कीट,वायु, जल, पक्षी अथवा जंतु द्वारा होता है। जैसे– सूरजमुखी,गेंदा,साल्विया में कीट द्वारा,मक्का,गेहूँ,धान,घास में वायु द्वारा,आम,बबूल,सेमल में गिलहरी व चिड़ियों द्वारा होता है।
परागण के माध्यम:
- हवा (Wind Pollination) – जैसे मक्का, गेहूं
- कीट-पतंगे (Insect Pollination) – जैसे सूरजमुखी, गुलाब
- पानी (Water Pollination) – जैसे हाइड्रिला, वैलेसनरिया
- पक्षी (Bird Pollination) – जैसे केले का पौधा
परागण के बिना निषेचन संभव नहीं होता, इसलिए यह पौधों की प्रजनन प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण चरण है।
निषेचन किसे कहते हैं || what is fertilisation
बीजांड के भ्रूणकोष(embryo sac) में प्रवेश करने के बाद पराग नलिका का शीर्ष गल जाता है। इसमें उपस्थित नलिका केंद्रक भी लुप्त हो जाता है। दोनों नर युग्मक अब भ्रूणकोष के जीवद्रव्य में मुक्त हो जाते हैं। और इनमें से एक अंड कोशिका में घुसकर उसके केंद्रक के साथ संलयित (fuse) हो जाता है। यह क्रिया निषेचन(fertilisation) कहलाती है। इससे युग्मनज (zygote) का निर्माण होता है। यह युग्मनज आगे चलकर भ्रूण बनाता है।
पौधों में निषेचन की प्रक्रिया:
- परागण के बाद, परागकण वर्तिकाग्र (Stigma) पर गिरते हैं और परागनली (Pollen Tube) बनाते हैं।
- यह परागनली अंडाशय (Ovary) तक पहुंचती है, जहां नर युग्मक मादा युग्मक (Egg Cell) से मिलता है।
- इनके संलयन से निषेचित डिंब (Zygote) बनता है, जो बाद में बीज (Seed) और भ्रूण (Embryo) में विकसित होता है।
निषेचन के प्रकार:
- आंतरिक निषेचन (Internal Fertilization):
- जब निषेचन शरीर के अंदर होता है।
- उदाहरण: मनुष्य, स्तनधारी, पक्षी।
- बाह्य निषेचन (External Fertilization):
- जब निषेचन शरीर के बाहर (जैसे पानी में) होता है।
- उदाहरण: मेंढक, मछली।
निषेचन का महत्व:
- पौधों में – बीज और फल बनने के लिए अनिवार्य।
- जीवों में – नए जीवों के जन्म के लिए आवश्यक।
संक्षेप में: निषेचन जीवन की उत्पत्ति की एक प्रमुख प्रक्रिया है, जिससे नए जीव या पौधे विकसित होते हैं।
द्विनिषेचन क्रिया क्या है || double fertilisation
आवृत्तबीजी पौधों में निषेचन की क्रिया दो बार होती है। अतः दोहरा निषेचन होने के कारण ही आवृत्तबीजियों में यह क्रिया द्विनिषेचन कहलाती है।

परागण और निषेचन में अंतर || difference between pollination and fertilisation
परागण (Pollination) | निषेचन (Fertilization) |
---|---|
परागकण का वर्तिकाग्र (Stigma) पर स्थानांतरण होता है। | नर युग्मक (Male Gamete) और मादा युग्मक (Female Gamete) का संलयन होता है। |
यह एक बाहरी प्रक्रिया है। | यह एक आंतरिक प्रक्रिया है। |
यह फूलों के प्रजनन चक्र की प्रारंभिक अवस्था है। | यह फूलों के प्रजनन चक्र की अंतिम अवस्था है। |
परागण के लिए हवा, कीट-पतंगे, पक्षी और पानी सहायक होते हैं। | निषेचन केवल तब होता है जब नर और मादा युग्मक मिलते हैं। |
यह वर्तिकाग्र तक परागकण पहुंचाने की प्रक्रिया है। | यह अंडाशय में नर और मादा युग्मकों के मेल की प्रक्रिया है। |
परागण के बिना निषेचन संभव नहीं है। | निषेचन के बिना बीज और फल नहीं बनते। |
यह बाह्य परागणकर्ता (Wind, Insects, Birds) पर निर्भर करता है। | यह केवल पुष्प के भीतर होने वाली प्रक्रिया पर निर्भर करता है। |
यह नर प्रजनन भाग (Pollen) से संबंधित प्रक्रिया है। | यह नर और मादा दोनों प्रजनन भागों से संबंधित प्रक्रिया है। |
परागण दो प्रकार का होता है: स्वपरागण (Self-Pollination) और परपरागण (Cross-Pollination)। | निषेचन दो प्रकार का होता है: बाह्य निषेचन (External Fertilization) और आंतरिक निषेचन (Internal Fertilization)। |
परागण फूल के अंदर या बाहर हो सकता है। | निषेचन केवल फूल के अंदर होता है। |
परागण और निषेचन में अंतर ( टेबल 2)
परागण(pollination) | निषेचन(fertilisation) |
परागकोषों से बने परागकण उसी जाति के वर्तिकाग्र पर पहुँचते है। | नर तथा मादा युग्मको का संयुग्मन होता है। |
परपरागण के लिए अनेक प्रकार के माध्यमों की आवश्यकता होती है जैसे-वायु,जल,कीट आदि | यह क्रिया पराग नलिका के अंडाशय तथा अंत में बीजांड के अंदर प्रवेश करने के बाद होती है। आतः किसी साधन की आवश्यकता नहीं होती। |
यह क्रिया पहले होनी आवश्यक है। | ये क्रिया परागण के बिना नहीं हो सकती है। |
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परागण और निषेचन में अंतर से जुड़े 20 FAQS
- परागण क्या है?
उत्तर: परागकण का वर्तिकाग्र (Stigma) पर स्थानांतरण। - निषेचन क्या है?
उत्तर: नर और मादा युग्मकों का संलयन। - परागण किस अंग में होता है?
उत्तर: वर्तिकाग्र (Stigma) में। - निषेचन किस अंग में होता है?
उत्तर: अंडाशय (Ovary) में। - परागण एक बाहरी या आंतरिक प्रक्रिया है?
उत्तर: बाहरी प्रक्रिया। - निषेचन एक बाहरी या आंतरिक प्रक्रिया है?
उत्तर: आंतरिक प्रक्रिया। - परागण कितने प्रकार का होता है?
उत्तर: दो प्रकार – स्वपरागण और परपरागण। - निषेचन कितने प्रकार का होता है?
उत्तर: दो प्रकार – बाह्य निषेचन और आंतरिक निषेचन। - परागण के लिए कौन-कौन से कारक जिम्मेदार होते हैं?
उत्तर: हवा, कीड़े, पानी, पक्षी आदि। - निषेचन के लिए क्या आवश्यक है?
उत्तर: नर और मादा युग्मकों का मिलन। - परागण के बिना क्या निषेचन हो सकता है?
उत्तर: नहीं। - निषेचन के बिना क्या बीज और फल बन सकते हैं?
उत्तर: नहीं। - परागण किसके द्वारा किया जाता है?
उत्तर: बाह्य परागणकर्ता जैसे हवा, कीट, पक्षी। - निषेचन किसके द्वारा किया जाता है?
उत्तर: नर और मादा युग्मकों का मिलन। - परागण किस प्रक्रिया की शुरुआत करता है?
उत्तर: प्रजनन प्रक्रिया। - निषेचन का परिणाम क्या होता है?
उत्तर: बीज और फल का निर्माण। - परागण फूल के किस भाग से संबंधित होता है?
उत्तर: नर प्रजनन भाग (पुंकेसर और परागकण)। - निषेचन फूल के किस भाग से संबंधित होता है?
उत्तर: नर और मादा प्रजनन भाग (पुंकेसर और अंडाशय)। - परागण फूल के अंदर या बाहर हो सकता है?
उत्तर: दोनों। - निषेचन फूल के अंदर या बाहर होता है?
उत्तर: केवल फूल के अंदर।
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