सम्पूर्ण साक्षरता अभियान कार्यक्रम / प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम के उद्देश्य

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सम्पूर्ण साक्षरता अभियान कार्यक्रम / प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम के उद्देश्य

सम्पूर्ण साक्षरता अभियान कार्यक्रम / प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम के उद्देश्य
सम्पूर्ण साक्षरता अभियान कार्यक्रम / प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम के उद्देश्य

प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम के उद्देश्य / सम्पूर्ण साक्षरता अभियान कार्यक्रम

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सम्पूर्ण साक्षरता अभियान (प्रौढ़ शिक्षा) / Complete Literacy Mission or Adult Education

5 मई सन् 1988 ई. में राष्ट्रीय साक्षरता मिशन की स्थापना एक सामाजिक तथा प्रौद्योगिकी अभियान के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर की गयी थी। जिसका उद्देश्य सन् 2007 तक साक्षरता का बना रहने वाला 75 प्रतिशत का न्यूनतम स्तर प्राप्त करना है। मिशन में वर्ष 1995 तक 8 करोड़ निरक्षर प्रौढ़ों को कार्यात्मक साक्षरता प्रदान करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया।

अन्तत: 3 करोड़ निरक्षरों को वर्ष 1990 तथा 5 करोड़ निरक्षरों को वर्ष 1995 तक साक्षर करना सुनिश्चित किया गया। राज्य स्तर पर भी उसी के अनुरूप राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण का गठन किया गया है। देश में राष्ट्रीय साक्षरता मिशन के अन्तर्गत संचालित सम्पूर्ण साक्षरता अभियान (प्रौढ़ शिक्षा) की सफलता से यह तथ्य सामने आया कि सम्पूर्ण साक्षरता की प्राप्ति कठिन है, किन्तु असम्भव नहीं।

16 जनवरी सन् 1989 में राष्ट्रीय साक्षरता मिशन की स्थापना के बाद सर्वप्रथम केरल राज्य में सम्पूर्ण साक्षरता अभियान की घोषणा की गयी। इस अभियान के तहत शिक्षा के क्षेत्र में केरल के एर्नाकुलम जिले में आशानुरूप सफलता प्राप्त की गयी और यह अभियान सम्पूर्ण
प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रमों के लिये एक नीति का निर्धारण करने वाला अभियान बन गया। इसके पश्चात् इस कार्यक्रम को सम्पूर्ण केरल राज्य में लागू कर दिया गया। इस कार्यक्रम का अनुसरण अन्य राज्यों जैसे-पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, महाराष्ट्र तथा गुजरात में भी किया
गया।

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इसके अतिरिक्त केन्द्रशासित प्रदेश पांडिचेरी तथा गोवा में भी इस अभियान को संचालित किया गया। इस अभियान के फलस्वरूप वर्ष 1993-95 तक हमारे देश में 216 सम्पूर्ण साक्षरता अभियान परियोजनाएं संचालित थीं। इस अभियान के तहत उत्तर प्रदेश के अनेक जिलों को भी सम्मिलित किया गया और इस अभियान के माध्यम से लगभग 31 लाख विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान करने का प्रावधान रखा गया।

सम्पूर्ण साक्षरता अभियान की विशेषताएँ (Characteristics of Complete Lit-eracy Expedition)

सम्पूर्ण साक्षरता अभियान की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-

(1) सम्पूर्ण साक्षरता अभियान लक्ष्योन्मुखी है, केवल नामांकन वृद्धि से नहीं । (2) इस कार्यक्रम के तहत सभी प्रशिक्षकों को सघन प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। (3) यह परियोजना विशिष्ट क्षेत्रों में समयबद्ध एवं स्वैच्छिक संस्थाओं/व्यक्तियों के आपसी सहयोग से परिणामोन्मुखी है।
(4) सम्पूर्ण साक्षरता अभियान को संचालित करने के लिये जिला स्तर पर पंजीकृत समितियों को अनुमति प्रदान की गयी है जिससे इस समिति के सभी व्यक्ति एकजुट होकर शिक्षा से सम्बन्धित कार्यों में अपना योगदान दें। (5) इस कार्यक्रम में बाह्य लक्ष्यों को सम्मिलित नहीं
किया जाता है। अपितु लक्ष्यों की पूर्ति स्थानीय स्तर पर सर्वे कराकर सम्पन्न की जाती है। (6) यह कार्यक्रम त्रुटि निवारण एवं जन सहभागिता के पक्षों को अपने में सम्मिलित करता है।

सम्पूर्ण साक्षरता अभियान कार्यक्रम के क्रियान्वयन हेतु सम्मिलित समितियां

सम्पूर्ण साक्षरता अभियान कार्यक्रम को सम्पन्न करने के लिये निम्नलिखित समितियाँ, संगठन एवं अभिकरण उत्तरदायी होते हैं-

1.जिला शिक्षा समितियाँ

सम्पूर्ण साक्षरता अभियान का संचालन सामान्यतया जिला साक्षरता समितियों द्वारा किया जाता है। इस समिति की साधारण सभा की अध्यक्षता माननीय प्रभारी मण्डलीय मंत्री द्वारा की जाती है तथा समिति की कार्यकारिणी के सभापति जिलाधिकारी होते हैं।
यह समिति जिले में सम्पूर्ण साक्षरता अभियान का नियोजन, क्रियान्वयन, पर्यवेक्षण तथा अनुश्रवण करती है। जिला साक्षरता समिति द्वारा संचालित अभियान की लागत का दो तिहाई भाग भारत
सरकार द्वारा तथा एक तिहाई भाग राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाता है।

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2. स्वैच्छिक संगठन

सक्षम स्वैच्छिक संगठनों को क्षेत्र आधारित समयबद्ध परिणामोन्मुखी लागत सापेक्ष तथा स्वयंसेवक आधारित कार्य योजना स्वीकृत होने पर भी क्षेत्रीय जनता का शत-प्रतिशत तथा प्रशासनिक लागत का 75 प्रतिशत भारत सरकार द्वारा
अनुदान के रूप में दिया जाता है। स्वैच्छिक संगठन भी अभियान के लिये जिला साक्षरता समिति के प्रति उत्तरदायी होंगे।

3. अन्य अभिकरण

प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम का संचालन करने के इच्छुक अन्य अभिकरण विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, श्रमिक विद्यापीठ एवं नेहरू युवा केन्द्र संगठन आदि भी सम्पूर्ण साक्षरता अभियान उपागम को ही अपनायेंगे।
उत्तम साक्षरता तथा सतत् शिक्षा के कार्यक्रम-सम्पूर्ण साक्षरता अभियान के अन्तर्गत नव साक्षर हुए व्यक्तियों को सीखे गये साक्षरता कौशल को सुदृढ़ करने, शिक्षा की धारा से जुड़ने, साक्षरता कौशल के निरन्तर प्रयोग और विकास की मुख्य धारा से जुड़ने के अवसर
प्रदान करने हेतु उत्तम साक्षरता और सतत् शिक्षा के कार्यक्रम संचालित किये जाते हैं।

सम्पूर्ण साक्षरता अभियान कार्यक्रम की वर्तमान स्थिति एवं उपलब्धियां

सतत् शिक्षा कार्यक्रम की वर्तमान तथा भावी स्थिति निम्नलिखित प्रकार है-

(अ) वर्तमान कार्यक्रम

प्रत्येक 5000 आबादी वाले क्षेत्र में एक जन शिक्षण निलयम संचालित है। जन शिक्षण निलयम 4 या 5 गाँवों में उत्तम साक्षरता और सतत् शिक्षा की सुविधाओं हेतु पुस्तकालय, वाचनालय, सायंकालीन कक्षा, खेलकूद, मनोरंजन, सूचना खिड़की, चर्चा मण्डल तथा लघु व्यावसायिक प्रशिक्षण सत्रों के आयोजन तथा संचार केन्द्र की भूमिका का निर्वाह करते हैं।


(ब) भावी कार्यक्रम

सम्पूर्ण साक्षरता का लक्ष्य प्राप्त कर लेने वाले जनपदों, क्षेत्रों में सुदृढ़ उत्तम साक्षरता और सतत् शिक्षा की व्यवस्था सुनिश्चित की जायेगी। जिसके अन्तर्गत नव साक्षर को कम से कम 20-50 घण्टे का निर्देशित शिक्षण प्राप्त हो सकेगा। जो स्वावलम्बी शिक्षा/दूर शिक्षण की ओर प्रेरित करेगा और प्रत्येक ग्राम में पुस्तकालय, वाचनालय तथा सतत् शिक्षा के केन्द्र भी स्थापित करने के प्रस्ताव हैं।

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सम्पूर्ण साक्षरता अभियान कार्यक्रम की उपलब्धियां


साक्षरता कार्यक्रम की उपलब्धियाँ निम्नलिखित हैं-

(1) वर्ष 2011 में साक्षरता दर 74.04 प्रतिशत दर्ज की गयी, जबकि 1991 में यह 52.21 प्रतिशत थी। (2) 31 मार्च, वर्ष 2017 तक लगभग 78 करोड़ व्यक्तियों को साक्षर बनाया गया। (3) शहरों के मुकाबले साक्षरता वृद्धि की दर गांवों में अधिक है। (4) पुरुष-स्त्री साक्षरता का अन्तर वर्ष 1991 के 24.84 प्रतिशत से घटकर 16.68 प्रतिशत रह गया। (5) स्त्री साक्षरता दर सन् 1991 में यह 39.29 से बढ़कर 65.46 प्रतिशत हो गयी, जबकि पुरुष साक्षरता 1991 में 64.13 प्रतिशत से बढ़कर 82.14 प्रतिशत हो गयी। (6) देश के कुल 600 जिलों में से 587 जिलों में साक्षरता कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय साक्षरता मिशन चलाया गया।


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