दोस्तों आज का हमारा सबसे महत्वपूर्ण टॉपिक वाइगोत्सकी का सामाजिक विकास का सिद्धांत है। यदि आप UPTET / SUPERTET / CTET / KVS / DSSB / HTET आदि एग्जाम देते हैं। तो उनमें अधिगम के सिद्धांत से बहुत प्रश्न पूछे जाते हैं। तो अधिगम के सिद्धांत की श्रंखला में आज hindiamrit.com आपसे वाइगोत्सकी के सामाजिक विकास सिद्धांत,वाइगोत्सकी का संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत ,वाइगोत्सकी की जेडपीडी अवधारणा के बारे में बात करेगा।
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वाइगोत्सकी का सामाजिक विकास का सिद्धांत || वाइगोत्सकी का संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत
वाइगोत्सकी रूसी मनोवैज्ञानिक थे। जिनके प्रमुख सिद्धांत एवं शोध मानवीय चेतना के विकास एवं उसकी संरचना से संबंधित थे। इनको मुख्य रूप से संज्ञानात्मक मनोविज्ञानकीय उपागम के संदर्भ में याद किया जाता है। इन्होंने संज्ञानात्मक विकास के संदर्भ में समाज के सूचना एवं व्यापक प्रभावों का अध्ययन करके सामाजिक विकास का सिद्धांत प्रस्तुत किया।
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वाइगोत्सकी का सामाजिक विकास का सिद्धांत || वाइगोत्सकी का संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत || vygotski theory in hindi

लेव वाइगोत्सकी ने सीखने के संदर्भ में अन्य विद्वानों से पृथक रूप में अपने विचार प्रस्तुत किए हैं। लेव वाइगोत्सकी ने सीखने की व्याख्या विकास के संदर्भ में की है। उन्होंने सीखने की व्याख्या को संस्कृति एवं ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में स्पष्ट किया है।
उन्होंने सीखने को परिभाषित करते हुए लिखा है कि― “सीखना एक आवश्यक और सार्वभौमिक तथ्य है, जो सांस्कृतिक संगठनों के विकास के प्रयास, विशेषतः मानव के मनोवैज्ञानिक कार्यों के प्रति उत्तरदायी होता है।” अतः विकास का प्रयास सीखने के प्रयास को पीछे की ओर ले जाने को प्रेरित करता है।
वाइगोत्सकी का सामाजिक विकास का सिद्धांत के प्रमुख बिंदु
वाइगोत्सकी के अधिगम सिद्धांत को समझने के लिए प्रमुख बिंदुओं पर विचार किया जाना आवश्यक है। जिन पर वाइगोत्सकी ने प्रमुख रूप से बल दिया है।तो चलिए हम लोग वाइगोत्सकी के सामाजिक विकास का सिद्धांत कुछ समझने के लिए निम्नलिखित बिंदुओं को समझते हैं
(1) संज्ञानात्मक विकास (cognitive development)
(2) अंतः क्रिया (interaction)
(3) जेडपीडी की अवधारणा || ZPD की अवधारणा (concept of zone of proximal development)
(4) संस्कृति का अधिगम पक्ष (learning aspect of culture)
(5) अधिगम स्तर में भिन्नता (difference in learning level)
(1) संज्ञानात्मक विकास (cognitive development)
संज्ञानात्मक विकास में वाइगोत्सकी ने सामाजिक प्रभावों की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार किया है। तथा इसके अधिगम प्रभावों के संदर्भ में सूचना प्रभाव एवं व्यापक प्रभाव का विश्लेषण किया है।
संज्ञानात्मक विकास के प्रमुख साधन के रूप में भाषा का वर्णन करते हुए वाइगोत्सकी ने कहा है, कि भाषा संज्ञानात्मक विकास के उपागम के रूप में प्रयुक्त नहीं होती है। वरन यह ऐसा उपाय है जो सांस्कृतिक विवरण को आकार प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त संस्थाएं,साधन और प्रतीक व्यवस्थाएं मानव निर्मित वह उपाय हैं। जो ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक व्यवस्थाओं की ओर संकेत करती हैं।
(2) अंतः क्रिया (interaction)
वाइगोत्सकी अंतः क्रिया को सीखने में महत्वपूर्ण योगदान मानते हैं। अतः क्रिया के माध्यम से छात्र में स्वतः प्रेरणा उत्पन्न होती है,जो कि उसको सीखने में सहायता प्रदान करती है।अतः क्रिया इन संबंधों के माध्यम से स्वयं छात्र अपने ज्ञान के भंडार में वृद्धि करता है। जब छात्र किसी समस्या पर विचार करता है तो उससे संबंधित कुछ तथ्य उसके संज्ञान में होते हैं। जो से आगे बढ़ने की ओर प्रेरित करते हैं।
जैसे एक छात्र साइकिल चलाते हुए व्यक्ति को देखता है। तो उसकी प्रक्रिया से संबंधित कुछ तथ्य जैसे साइकिल पकड़ना,साइकिल का स्वरूप, एवं साइकिल को खड़ी करना आदि उसके संज्ञान में होते हैं। जो उसको साइकिल चलाने को सीखने में सहायता प्रदान करते हैं इस प्रकार छात्र अंतः क्रिया के माध्यम से सीखता है।

(3) जेडपीडी की अवधारणा || ZPD की अवधारणा(concept of zone of proximal development)
वाइगोत्सकी के अधिगम सिद्धांत को समझने के लिए जेडपीडी की अवधारणा को समझना आवश्यक है। जो कुछ हम जानते हैं और जो कुछ हम नहीं जानते हैं उसके बीच में एक रिक्त स्थान होता है। यह रिक्त स्थान ही विकास एवं ज्ञान का आधार होता है।
ZPD (zone of proximal development) की व्याख्या करते हुए वाइगोत्सकी ने लिखा है कि ― “वास्तविक विकासात्मक स्तर जो की समस्या समाधान पर आधारित होता है और संभावित विकास स्तर जोकि मार्गदर्शन पर आधारित होता है इनके बीच की दूरी सक्षम सामान पदीय मार्गदर्शन पर आधारित होती है।” जेपीडी छात्र को कार्य सीखने के प्रति आकर्षित करती हैं। तथा छात्र नवीन तथ्यों को सीखने का प्रयास करता है। जो तक एक दूसरे से संबंधित होते हैं। उन्हें अंतः क्रिया के माध्यम से सीखता है।
(4) संस्कृति का अधिगम पक्ष(learning aspect of culture)
वाइगोत्सकी अधिगम की प्रक्रिया में संस्कृति का महत्वपूर्ण योगदान मानते हैं। संस्कृति को परिभाषित करते हुए वाइगोत्सकी ने लिखा है कि ― “संस्कृति विशिष्ट व्यवहार परिवर्तन एवं मानसिक कार्य में परिवर्तन को प्रदर्शित करती है। तथा इसके अतिरिक्त मानव व्यवहार के विकास का नवीन स्थान निर्धारित करती है।”
इससे स्पष्ट होता है कि संस्कृति के द्वारा बालक सीखने का प्रयत्न करता है। क्योंकि अनुकरण के माध्यम से सीखने को वाइगोत्सकी अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान देते हैं।
जैसे बालक अपने पिता को ईश्वर का भजन करते हुए देखता है। तो स्वयं भी ईश्वर के ध्यान एवं भजन में एकाग्रचित्त हो जाता है। इस प्रकार अनेक प्रकार की सामाजिक एवं सांस्कृतिक परंपराओं का अधिगम करता है।
(5) अधिगम स्तर में भिन्नता (difference in learning level)
प्रायः छात्रों को समान परिस्थितियों में स्वतंत्र रूप से रखने पर उनके अधिगम स्तर में भिन्नता पाई जाती है। कुछ छात्र सामान्य से अधिक अधिगम करते हैं। तथा कुछ कार्य सामान्य से कम अधिगम करते हैं।
इसके पीछे अनेक कारण हो सकते हैं जिनमें जेडपीडी का प्रमुख स्थान है। (ZPD) जेडपीडी के कारण ही छात्रों के अधिगम स्तर में भिन्नता है।क्योंकि जो छात्र जानने वाले ज्ञान तथा नहीं जाने वाले ज्ञान के मध्य संबंध स्थापित करने में सक्षम होते हैं। उनका अधिगम स्तर सामान्य से कम होता है। अतः ZPD से संबंधित रिक्त स्थान ही विकास एवं सीखने के मार्ग को प्रशस्त करता है। यह कार्य अंतः क्रिया के माध्यम से ही संपन्न होता है।
वाइगोत्सकी का सामाजिक विकास सिद्धांत की विशेषताएं
(1) सीखना एक सार्वभौमिक क्रिया है जो निरंतरता की स्थिति में पाई जाती है। अर्थात यह प्रक्रिया निरंतर रूप से चलती रहती है।
(2) सीखने में प्रमुख रूप से सांस्कृतिक संगठन, सामाजिक संस्थाएं, विद्यालय एवं संस्कृति का महत्वपूर्ण योगदान होता है।
(3) अन्तः क्रिया के द्वारा विद्यालय छात्रों को अधिगम प्रक्रिया का एक निर्देशित स्वरूप प्रदान करता है।
(4) सीखने की प्रक्रिया में एक दूसरे व्यक्तियों का अनुकरण प्रमुख भूमिका का निर्वाह करता है।
जैसे – छात्र द्वारा शिक्षक का अनुकरण एवं बालक द्वारा माता-पिता का अनुकरण।
(5) अधिगम प्रक्रिया में ZPD का प्रमुख स्थान होता है।
(6) यह सिद्धांत सांस्कृतिक,सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक तथ्यों के समन्वय से अधिगम प्रक्रिया का संपन्न होना मानता है।
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FAQS
उत्तर – वाइगोत्सकी का सामाजिक विकास सिद्धांत यह मानता है कि बच्चे का संज्ञानात्मक विकास समाज और संस्कृति के प्रभाव से होता है। इस सिद्धांत के अनुसार, बच्चे अपने माता-पिता, शिक्षक और साथियों के साथ बातचीत करके सीखते हैं।
उत्तर – इस सिद्धांत की प्रमुख विशेषताएँ हैं:A.सामाजिक अंतःक्रिया (Social Interaction)B.सांस्कृतिक प्रभाव (Cultural Influence)C.मध्यस्थन (Mediation)D.निकटस्थ विकास क्षेत्र (Zone of Proximal Development – ZPD)E.स्कैफोल्डिंग (Scaffolding)
उत्तर – वाइगोत्सकी के अनुसार, बच्चा अकेले नहीं सीखता, बल्कि वह सामाजिक अंतःक्रिया के माध्यम से ज्ञान अर्जित करता है। वयस्क और अधिक जानकार व्यक्ति बच्चे की मदद करते हैं, जिससे सीखने की प्रक्रिया आसान हो जाती है।
उत्तर – निकटस्थ विकास क्षेत्र (ZPD) वह अंतराल होता है जहाँ बच्चा अकेले कार्य नहीं कर सकता लेकिन मार्गदर्शन से सीख सकता है। यह सिद्धांत शिक्षक और माता-पिता के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह दिखाता है कि बच्चे को कहाँ सहायता की आवश्यकता है।
उत्तर – स्कैफोल्डिंग एक शिक्षण तकनीक है, जिसमें शिक्षक या कोई अधिक अनुभवी व्यक्ति बच्चे को धीरे-धीरे कठिन कार्य करने में मदद करता है और आवश्यकतानुसार सहायता कम करता जाता है, जिससे बच्चा आत्मनिर्भर हो जाता है।
उत्तर – वाइगोत्सकी और पियाजे के सिद्धांतों में अंतर है:पियाजे ने कहा कि संज्ञानात्मक विकास व्यक्तिगत अनुभवों से होता है।वाइगोत्सकी ने कहा कि संज्ञानात्मक विकास सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव से होता है।
उत्तर – वाइगोत्सकी के अनुसार, बच्चे का संज्ञानात्मक विकास सामाजिक अंतःक्रिया से होता है। बच्चे माता-पिता, शिक्षक और मित्रों के साथ बातचीत करके भाषा, व्यवहार और सोचने की शैली सीखते हैं।
उत्तर – हाँ, वाइगोत्सकी का मानना था कि बच्चा जिस समाज और संस्कृति में रहता है, वही उसकी सोचने, सीखने और समस्याओं को हल करने की क्षमता को प्रभावित करता है।
उत्तर – वाइगोत्सकी ने कहा कि भाषा और सोच आपस में गहराई से जुड़े हैं। भाषा सामाजिक अंतःक्रिया का माध्यम है और यह बच्चे के संज्ञानात्मक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
उत्तर – हाँ, निजी भाषण (Private Speech) तब होता है जब बच्चे खुद से बातें करते हैं। यह उनके सोचने और समस्या हल करने की क्षमता को विकसित करता है। वाइगोत्सकी ने इसे सीखने की प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना है।
उत्तर – हाँ, वाइगोत्सकी के सिद्धांत का उपयोग शिक्षण विधियों में किया जाता है। शिक्षक ZPD और स्कैफोल्डिंग का उपयोग करके बच्चों को अधिक प्रभावी ढंग से सिखा सकते हैं।
उत्तर – वाइगोत्सकी ने कहा कि खेल बच्चों के लिए एक महत्वपूर्ण शिक्षण उपकरण है। खेल के माध्यम से वे नई भूमिकाएँ सीखते हैं और अपनी कल्पनाशक्ति और समस्या समाधान कौशल को विकसित करते हैं।
उत्तर – हाँ, यह सिद्धांत आज भी शिक्षण और अधिगम में प्रभावी माना जाता है। आधुनिक शिक्षा प्रणाली में व्यक्तिगत मार्गदर्शन, समूह कार्य, और सहयोगात्मक अधिगम (Collaborative Learning) को प्राथमिकता दी जाती है, जो वाइगोत्सकी के विचारों से प्रेरित है।
उत्तर – मुख्य रूप से यह सिद्धांत बच्चों के संज्ञानात्मक विकास पर केंद्रित है, लेकिन सामाजिक अंतःक्रिया और सीखने की प्रक्रिया हर उम्र में प्रभावी होती है।
उत्तर – वाइगोत्सकी ने IQ परीक्षण की आलोचना की थी क्योंकि यह केवल व्यक्ति की वर्तमान क्षमताओं को मापता है, लेकिन सीखने की संभावनाओं को नहीं दर्शाता। उन्होंने ZPD को अधिक महत्वपूर्ण माना।
उत्तर – हाँ, शिक्षक ZPD की मदद से प्रत्येक छात्र की व्यक्तिगत सीखने की जरूरतों को समझ सकते हैं और उनकी सहायता के लिए उपयुक्त शिक्षण रणनीतियाँ विकसित कर सकते हैं।
उत्तर – हाँ, माता-पिता अपने बच्चों की सीखने की प्रक्रिया को समझकर उन्हें धीरे-धीरे स्वतंत्रता देते हुए मार्गदर्शन कर सकते हैं, जिससे उनका आत्मविश्वास और ज्ञान बढ़ता है।
उत्तर – हालाँकि वाइगोत्सकी का मुख्य फोकस संज्ञानात्मक विकास पर था, लेकिन उनका सिद्धांत नैतिक विकास पर भी लागू हो सकता है क्योंकि समाज और संस्कृति नैतिक मूल्यों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
उत्तर – हाँ, ऑनलाइन शिक्षा में भी सामाजिक अंतःक्रिया संभव है। समूह चर्चा, सह-पाठन (Peer Learning) और शिक्षक मार्गदर्शन डिजिटल माध्यमों से किया जा सकता है।
उत्तर – यह सिद्धांत शिक्षा, मनोविज्ञान और विकास संबंधी अनुसंधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि यह सीखने की सामाजिक प्रक्रिया और सांस्कृतिक प्रभाव को समझने में मदद करता है।
Final word – दोस्तों आपको यह आर्टिकल वाइगोत्सकी का सामाजिक विकास का सिद्धांत आपको कैसा लगा हमें कमेंट करके बताये।
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