रुधिर की संरचना एवं कार्य / structure and function of blood in hindi

दोस्तों विज्ञान की श्रृंखला में आज हमारी वेबसाइट hindiamrit.com का टॉपिक रुधिर की संरचना एवं कार्य / structure and function of blood in hindi है। हम आशा करते हैं कि इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपकी इस टॉपिक से जुड़ी सभी समस्याएं खत्म हो जाएगी ।

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रुधिर की संरचना एवं कार्य / structure and function of blood in hindi

रुधिर की संरचना एवं कार्य / structure and function of blood in hindi

रुधिर की संरचना एवं कार्य / structure and function of blood in hindi

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रुधिर क्या है / what is Blood

रुधिर लाल रंग का अपारदर्शी चिपचिपा द्रव है। इसकी श्यानता (Viscosity) 4.7 होती है तथा यह हल्का क्षारीय प्रकृति का होता है, जिसकी pH 7.36-7.54 तक होती है (औसत pH = 7.4)। रुधिर सम्पूर्ण शरीर का लगभग 6-8% भाग बनाता है। रुधिर का तरल भाग प्लाज्मा (Plasma) कहलाता है, जिसमें रुधिर कणिकाएँ (Blood corpuscles) तैरती रहती हैं।

(i) प्लाज्मा (Plasma)

यह हल्के पीले रंग का चिपचिपा और थोड़ा क्षारीय द्रव होता है, जो रुधिर का लगभग 55% भाग बनाता है। शेष 45% भाग में रुधिर कणिकाएँ होती हैं। प्लाज्मा में 90% जल और 10% प्रोटीन, कार्बनिक तथा अकार्बनिक पदार्थ होते हैं।


(ii) रुधिर कणिकाएँ (Blood Corpuscles)

ये निम्नलिखित तीन प्रकार की होती हैं–

(a) लाल रुधिर कणिकाएँ (Red Blood Corpuscles or RBCs or Erythrocytes)

मनुष्य सहित सभी स्तनियों में (ऊँट और लामा को छोड़कर) लाल रुधिराणु गोलाकार उभयावतल (Biconcave) होता है, इसमें केन्द्रक अनुपस्थित होता है। ये लाल अस्थि मज्जा में बनती हैं। लाल रुधिराणु में एक प्रोटीन रंजक ( श्वसन रंगा) हीमोग्लोबिन (Haemoglobin) होता है, जिसके कारण इन रुधिराणुओं का रंग लाल होता है। यह शरीर में ऑक्सीजन वाहक का कार्य करता है।

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(b) श्वेत रुधिर कणिकाएँ (White Blood Corpuscles or
full WBCs Leucocytes)

ये रुधिर कणिकाएँ अनियमित आकार.की, हीमोग्लोबिन रहित और केन्द्रकयुक्त होती हैं। इनकी संख्या लाल रुधिराणुओं की अपेक्षा बहुत कम होती हैं। कुछ सूक्ष्मकणों की उपस्थिति के आधार पर, ये निम्नलिखित दो प्रकार की होती हैं
• कणिकामय श्वेत रुधिर कणिकाएँ (Granulocytes) इनके कोशिकाद्रव्य में विशेष कणिकाएँ (Granules) उपस्थित होती हैं, इन्हें ग्रैन्यूलोसाइट भी कहते हैं। इनका केन्द्रक पालियुक्त होता है तथा जिस रंगा से ये अभिक्रिया करती हैं उस आधार पर इन्हें तीन प्रकार में वर्गीकृत किया जा सकता है, जैसे-न्यूट्रोफिल, इओसिनोफिल और बेसोफिल।
• कणिकारहित श्वेत रुधिर कणिकाएँ (Agranulocytes) इनके कोशिकाद्रव्य में विशेष कण नहीं पाए जाते हैं। इन्हें अग्रैन्यूलोसाइट्स भी कहते हैं। ये दो प्रकार की होती हैं; जैसे-लिम्फोसाइट और मोनोसाइट।


(c) रुधिर प्लेटलेट्स (Blood Platelets or Thrombocytes)

स्तनियों में रुधिर प्लेटलेट्स सूक्ष्म, रंगहीन, केन्द्रकंहीन, कुछ गोलाकार होती हैं। इनका जीवनकाल लगभग एक सप्ताह का होता है। इनका पाया जाना स्तनियों की प्रमुख विशेषता है। दूसरे कशेरुकियों में इनके स्थान पर शंकु कोशिकाएँ (Spindle cells) पाई जाती हैं। ये रुधिर के जमने में सहायक हैं।

रुधिर के कार्य Functions of Blood

(i) रुधिर द्वारा पची हुई भोजन सामग्री (ग्लूकोस, अमीनो अम्ल, आदि) उत्सर्जी पदार्थों, गैसों (O2 और CO2), आदि का परिवहन विभिन्न अंगों में होता है।
(ii) यकृत और पेशियों द्वारा उत्पन्न ताप, रुधिर द्वारा शरीर के विभिन्न भागों में पहुँचाया जाता है, जिससे शरीर का तापमान नियन्त्रित होता है।
(iii) रुधिर शरीर के आन्तरिक वातावरण को समस्थिति में बनाए रखता है।
(iv) प्लेटलेट्स रुधिर का थक्का बनने में सहायता करती है।

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लसीका Lymph

लसीका अर्द्धपारदर्शी क्षारीय तरल है, जो रुधिर वाहिनियों तथा ऊतकों के बीच उपस्थित होता है। इनमें RBC अनुपस्थित व प्लाज्मा प्रोटीन की मात्रा कम होती है। इनमें कैल्शियम व फॉस्फोरस की मात्रा भी कम होती है। इनमें श्वेत रुधिर कणिकाएँ पाई जाती हैं।



                             ◆◆◆ निवेदन ◆◆◆

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