बूटिंग किसे कहते है / कंप्यूटर में बूटिंग के प्रकार

आज का युग कम्प्यूटर का युग है। आज के जीवन मे सभी को कम्प्यूटर की बेसिक जानकारी होनी चाहिए। बहुत सी प्रतियोगी परीक्षाओं में भी कम्प्यूटर से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। इसीलिए हमारी साइट hindiamrit.com कम्प्यूटर से जुड़ी समस्त महत्वपूर्ण टॉपिक की श्रृंखला पेश करती है,जो आपके लिए अति महत्वपूर्ण साबित होगी,ऐसी हमारी आशा है। अतः आज का हमारा टॉपिक बूटिंग किसे कहते है / कंप्यूटर में बूटिंग के प्रकार की जानकारी प्रदान करना है।

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बूटिंग किसे कहते है / कंप्यूटर में बूटिंग के प्रकार

बूटिंग किसे कहते है / कंप्यूटर में बूटिंग के प्रकार
बूटिंग किसे कहते है / कंप्यूटर में बूटिंग के प्रकार

कंप्यूटर में बूटिंग के प्रकार / बूटिंग किसे कहते है

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बूटिंग (Booting)

कम्प्यूटर द्वारा परिचालन प्रणाली के सॉफ्टवेयर को स्थायी भण्डारण इकाई से पढ़कर उसके निर्देशों व प्रोग्रामों को कम्प्यूटर प्रणाली के प्रबन्धन प्रणाली के प्रबन्धन हेतु स्मृति में लाकर क्रियान्वित करने की सम्पूर्ण प्रक्रिया को बूटिंग (Booting) कहते हैं।

बूटिंग के प्रकार (Types of Booting)

कम्प्यूटर में बूटिंग दो प्रकार से होती है-
(1) हार्ड बूट (Hard Boot),
(2) सॉफ्ट बूट (Soft Boot)|

(1) हार्ड बूट (Hard Boot) –

हार्ड बूट प्रक्रिया कम्प्यूटर के स्विच ऑन होने से प्रारम्भ होती है जिसमें रोम (ROM) में संग्रहित निर्देशों को पढ़कर क्रियान्वित किया जाता है व अन्य युक्तियों की जाँच कर, कम्प्यूटर स्मृति (Memory) के आकार की जाँच की जाती है और तब परिचालन प्रणाली की मुख्य फाइलों को ढूँढकर स्मृति में संचित करके क्रियान्वित किया जाता है। अन्तत: प्रॉम्प्ट चिह्न अथवा लॉग प्रॉम्प्ट प्रदर्शित होता है।

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(2) सॉफ्ट बूट (Soft Boot)

सॉफ्ट बूट प्रक्रिया, हार्ड बूट प्रक्रिया के पश्चात् कभी भी प्रारम्भ की जा सकती है। सॉफ्ट बूट प्रक्रिया में रोम (ROM) में संचित निर्देशों को क्रियान्वित नहीं किया जाता है और न ही स्मृति (Memory) व अन्य युक्तियों (Devices) की जाँच होती है, किन्तु परिचालन प्रणाली की मुख्य फाइलों को डिस्क से खोजकर पुनः कम्प्यूटर की स्मृति में संग्रहित कर क्रियान्वित किया जाता है, तब प्रॉम्प्ट प्रदर्शित होता है। सॉफ्ट बूट प्रक्रिया रीसेट (Reset) बटन दबाने अथवा कण्ट्रोल (Ctrl) आल्ट (Alt) व डेल (Del) कुंजियों को एक साथ दबाने से प्रारम्भ होती है।

बूट डिस्क (Boot Disk)

जिस स्थायी भण्डारण डिस्क पर परिचालन प्रणाली की मुख्य फाइलें व प्रोग्राम संचित होते हैं उसे बूट डिस्क कहते हैं। बूटिंग प्रक्रिया में इसी बूट डिस्क से कम्प्यूटर द्वारा परिचालन प्रणाली के प्रोग्राम पढ़कर मुख्य स्मृति में संग्रहित कर क्रियान्वित किये जाते हैं।

परिचालन प्रणाली की संरचना (Structure of Operating System)

परिचालन प्रणाली की संरचना में निम्न अवयव समाहित होते हैं-
(1) कर्नेल (KERNEL),
(2) शैल (SHELL),
(3) टूल्स व यूटिलिटी (Tools and Utilities),
(4) अनुप्रयोग या एप्लीकेशन प्रोग्राम/टूल (Application Program)।

परिचालन प्रणाली की संरचना को निम्न चित्र द्वारा भी दर्शाया जा सकता है-

1. कर्नेल (KERNEL)

कर्नेल किसी परिचालन प्रणाली का हृदयस्थ भाग होता है तथा कुछ अर्थों में यही असली परिचालन प्रणाली का कार्य करता है।

कर्नेल की मुख्य क्रियाएँ (Main Function of KERNEL)
कर्नल की मुख्य क्रियाएँ निम्नलिखित हैं-

(i) फाइल व डिवाइस प्रबन्धन।
(ii) आगत-निर्गत या इनपुट/आउटपुट सेवाएँ।
(iii) प्रक्रिया सारणीकरण या प्रोसेस शिड्यूलिंग।
(iv) स्मृति प्रबन्धन।
(v) सिस्टम एकाउन्टिंग।
(vi) त्रुटियों का सम्भालना।
(vii) दिनांक व समय सेवाएँ।
(viii) विभिन्न युक्तियों के मध्य सूचना का आदान-प्रदान।
(ix) उपयोगकर्ता का सत्रारम्भ।
(x) प्रोग्रामों को समय आबंटित करना।
(xi) शैल प्रोग्राम प्रारम्भ करना।
(xii) आवश्यकतानुसार सिस्टम कॉल को क्रियान्वित करना।
नोट सिस्टम कॉल कर्नेल का एक महत्वपूर्ण भाग होती है।

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2. शैल (Shell)

शैल परिचालन प्रणाली का एक ऐसा प्रोग्राम होता है जो कमाण्ड रेखा (Command Line) पर अंकित निर्देशों या कमाण्ड को मशीन भाषा में अनुवादित कर क्रियान्वयन हेतु कर्नेल को प्रदान करता है। इसी कारण शैल को कमाण्ड लाइन इण्टरप्रेटर भी कहते हैं।
अनेक परिचालन प्रणालियाँ ; जैसे—यूनिक्स व लाइनेक्स में एक से अधिक प्रकार के शैल प्रोग्राम होते हैं।

कर्नेल द्वारा दिये गये संदेशों को भी शैल प्रयोक्ता की भाषा में अनुवादित कर स्क्रीन पर दर्शाता है। शैल प्रयोक्ता व कम्प्यूटर प्रणाली के मध्य संवाद के लिए एक सतह का निर्माण करता है,जिसके बिना प्रयोक्ता व कम्प्यूटर प्रणाली के मध्य इण्टरफेस (Interface) उपलब्ध नहीं हो सकता है। प्रत्येक शैल की मुख्य विशेषताएँ निम्न हैं-

(i) आगत/निर्गत अनुप्रेषण (Input/Output Redirection)।

(ii) पाइप (Pipe)-किसी एक प्रोसेस/कमाण्ड के परिणाम को दूसरे प्रोसेस/ कमाण्ड में इनपुट रूप में पहुँचाना व इसके लिए पाइप (Pipe) की सुविधा प्रदान करना।

(iii) टी (Tee)-किसी प्रोसेस/कमाण्ड के परिणाम का स्क्रीन के साथ-साथ किसी अन्य फाइल या डिवाइस की ओर भेजना।

(iv) फिल्टर (Filter)–किसी प्रोसेस/कमाण्ड परिणाम के चुने हुए भाग को प्रदर्शित करना।

(v) प्रयोक्ता हेतु कार्य वातावरण तैयार करना।

(vi) फाइल नामों को सामूहिक रूप से चुनने हेतु वाइल्ड कार्ड (Wild Card) का प्रावधान रखना।

3. टूल्स व यूटिलिटी (Tools & Utilitie)

परिचालन प्रणाली में विभिन्न सामान्य व प्रशासनिक (Administrative) क्रियाओं हेतु अनेक टूल व यूटिलिटी प्रोग्राम समाहित होते हैं जिनकी सहायता से प्रयोक्ता अपना कार्य सरलता से कर सकते हैं। इनमें से परिचालन प्रणाली के कुछ टूल व यूटिलिटी प्रोग्राम निम्नलिखित हैं-
(i) शब्द संसाधक (Word Processor),
(ii) कैलकुलेटर,
(iii) सामान्य प्रयोग हेतु कमाण्ड/निर्देश,
(iv) प्रणाली प्रशासन हेतु कमाण्ड/निर्देश,
(v) फाइल प्रबन्धन हेतु प्रोग्राम,
(vi) संचार हेतु प्रोग्राम/कमाण्ड,
(vii) ग्राफिक्स डिजाइन हेतु प्रोग्राम/कमाण्ड,
(viii) सॉफ्टवेयर विकसित करने हेतु प्रोग्राम,
(ix) नये प्रयोक्ता व समूह (Group) बनाने हेतु प्रोगाम इत्यादि।

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4. एप्लीकेशन टूल्स (Application Tools)

अनेक परिचालन प्रणाली के साथ कुछ अनुप्रयोग अर्थात् एप्लीकेशन टूल भी प्रदान किये जाते हैं, ताकि प्रयोक्ता अपने अनुप्रयोगों (एप्लीकेशन) के कार्य सरलता से पूर्ण कर सकें। अनेक एप्लीकेशन टूल परिचालन प्रणाली के भाग नहीं होते हैं, किन्तु क्रियान्वयन हेतु परिचालन प्रणाली पर निर्भर होते हैं। कुछ एप्लीकेशन टूल निम्नलिखित हैं- औरैकल (ORACLE), इन्ग्रेस (Ingress), यूनिफाई (UNIFY), डब्ल्यू. जी. एस (WGS) इत्यादि।

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