उदाहरण प्रविधि / विधि | illustration devices / method in hindi – दोस्तों सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा में शिक्षण कौशल 10 अंक का पूछा जाता है। शिक्षण कौशल के अंतर्गत ही एक विषय शामिल है जिसका नाम शिक्षण अधिगम के सिद्धांत है। यह विषय बीटीसी बीएड में भी शामिल है। आज हम इसी विषय के समस्त टॉपिक को पढ़ेगे। बीटीसी, बीएड,यूपीटेट, सुपरटेट की परीक्षाओं में इस टॉपिक से जरूर प्रश्न आता है।
अतः इसकी महत्ता को देखते हुए hindiamrit.com आपके लिए उदाहरण प्रविधि / विधि | illustration devices / method in hindi लेकर आया है।
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उदाहरण प्रविधि / विधि | illustration devices / method in hindi
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उदाहरण प्रविधि (illustration Technique)
शिक्षण प्रक्रिया में उदाहरण प्रविधि बहुत महत्त्वपूर्ण है चूँकि यह शिक्षण को प्रभावशाली व रोचक बनाने में मदद देती है । विद्वानों का मत है कि “उदाहरणों में केवल प्रकाश डालने की ही शक्ति नहीं होती, वरन् उनमें स्थिरता लाने (या स्थायी प्रभाव डालने) की क्षमता भी होती है।”
पिन्सेण्ट का विचार है कि “अच्छे उदाहरण बौद्धिक रूप से मृत प्रस्तुतीकरण को जीवन प्रदान करते हैं।”
शिक्षण के अन्तर्गत हम प्रायः दो प्रकार के उदाहरणों का प्रयोग करते हैं जिनकी हम चर्चा अब हम करेंगे।
उदाहरणों के प्रकार (Types of illustration)
मौखिक या शाब्दिक उदाहरण
दृश्य या अशाब्दिक उदाहरण
(1) मौखिक उदाहरण (Oral illustration)
मौखिक उदाहरण से अभिप्राय है जिन्हें शिक्षक मौखिक अभिव्यक्ति के माध्यम से छात्रों के सम्मुख प्रस्तुत करता है । इनकी सफलता छात्रों की अवबोध क्षमता व श्रवण शक्ति पर निर्भर करती है।
मौखिक या शाब्दिक उदाहरण का प्रयोग कैसे करें ? (How to Use Oral illustration)
1. उदाहरण छात्रों के स्तर के अनुकूल होने चाहिए।
2. यह पाठ्य-वस्तु से सम्बन्धित हो।
3. छात्रों की रुचि के अनुकूल होने चाहिए।
4. भाषा सरल, सुबोध व स्पष्ट हो।
5. शिक्षण सूत्रों को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किये जायें तथा सरल से कठिन की ओर, मूर्त से अमूर्त की ओर।
6. उदाहरण यथार्थ पर आधारित हों, कल्पना पर नहीं।
7. उच्च कक्षाओं की अपेक्षा निम्न कक्षा में इनका प्रयोग अधिक हो
8. उदाहरण प्रेरणास्पद होना चाहिए।
मौखिक या शाब्दिक उदाहरणों के प्रकार (Types of Oral illustration)
(1) मौखिक उदाहरण में पहला है उदाहरण या Example | यदि हम बालक को माता-पिता भक्ति के बारे में पढ़ाये व हम श्रवण कुमार या रामचन्द्र जी का उदाहरण दें तो यह उदाहरण होगा।
(2) शब्द-चित्र वह माध्यम है जिसमें हम भाषा की सहायता से किसी वस्तु या स्थान का चित्रण छात्रों के समक्ष प्रस्तुत करते हैं । यह बहुत ही कुशल अध्यापक द्वारा प्रयोग की जानी चाहिए जिससे किसी भी व्यक्ति, वस्तु या स्थान का वास्तविक रूप चित्रित किया जा सके।
(3) उपमा में हम किसी भी विषय-वस्तु को स्पष्ट करने हेतु उसकी तुलना उसी के समान किसी तत्व से करते हैं जिससे वह रूप छात्र समझ सकें जैसे हम किसी के अस्थिर स्वभाव की तुलना करें कि वह तो बिल्कुल समुद्र समान है । जितनी जल्दी उद्वेलित होता है, उतनी ही जल्दी शान्त।
(4) तुलना में हम किन्हीं दो बातों के मध्य समानता व असमानता प्रस्तुत करते हैं जैसे भूगोल पढ़ाते समय चावल की खेती व गेहूँ की खेती हेतु सामान्य जलवायु आदि की तुलना करना।
(5) असमानता के अन्तर्गत हम किन्हीं दो तत्वों में विभिन्नता को ही प्रस्तुत करते हैं।
शाब्दिक या मौखिक उदाहरणों के प्रयोग में सावधानियाँ (Precaution in the use of Verbal illustration)
(1) उदाहरण सरल, स्पष्ट, शुद्ध तथा सुगम होने चाहिए।
(2) उदाहरण कक्षा के स्तर के अनुकूल होने चाहिए जिन्हें छात्र आसानी से समझ सकें।
(3) उदाहरणों का प्रयोग शिक्षण को रोचक एवं सजीव बनाने के लिए करना चाहिए।
(4) उदाहरणों का प्रयोग आवश्यकतानुसार ही करना चाहिए।
(5) उदाहरण प्रस्तुत करते समय लोकोक्तियों या जनुश्रुतियों की भाषा में यथासम्भव कोई बदलाव नहीं करना चाहिए।
(6) उदाहरणों का प्रयोग उचित स्थान व उचित समय पर ही करना चाहिए।
(7) शिक्षक को छात्रों के समक्ष उदाहरण उचित मुद्रा में, उचित स्वर व उचित गति से प्रस्तुत करना चाहिए।
(8) उदाहरण एक ही प्रकार के न होकर विविधता लिए हुए होने चाहिए।
(9) उदाहरणों का सम्बन्ध मूल पाठ से अवश्य होना चाहिए।
(10) उदाहरणों को शिक्षण सूत्रों के अनुसार प्रयोग करना चाहिए।
(11) उदाहरणों का सम्बन्ध घरेलू एवं विद्यालयी वातावरण से होना चाहिए।
(12) यह विधि छोटी कक्षा के छामें के लिए अधिक उपयोगी है।
(2) दृश्यात्मक या अशाब्दिक उदहारण (Visual illustration)
यह उदाहरण कक्षा में छात्रों के समक्ष प्रस्तुत किये जाते हैं व पाठ को रोचक व आकर्षक बनाने का प्रयास तो किया ही जाता है। साथ ही ज्ञान को स्थिरता भी प्रदान की जाती है।
जोसेफ लेण्डन के अनुसार, “दृश्य उदाहरण ज्ञानेद्रियों के द्वारा सीधा प्रभाव डालते हैं।
एक कहावत भी है, “एक बार देखना हजारों बार सुनने की अपेक्षा अच्छा है।”
दृश्यात्मक या अशाब्दिक उदाहरण का प्रयोग कैसे करें (How to Use Visual illustration)
1. प्रदर्शनात्मक उदाहरण स्पष्ट व आकर्षक होने चाहिए ।
2. उन्हें इस प्रकार दिखाया जाये कि अधिक समय न लगे।
3. इनका आकार इतना बड़ा हो कि कक्षा के सभी स्थलों पर बैठे छात्र इसे देख सकें।
4. इन उदाहरणों के सम्बन्ध में अध्यापक को आवश्यक कथन प्रस्तुत करते जाना चाहिए।
5. इनका प्रयोग उद्देश्य व आवश्यकताओं के अनुरूप हो ।
6. यह बहुत अधिक खर्चीले न हों।
7. यदि एक पाठ में इन्हें प्रदर्शित कर दिया गया है तो दूसरे पाठ में प्रदर्शन आवश्यक नहीं है।
8. यह यथार्थ के अनुरूप होने चाहिए।
9. प्रयोग के पश्चात् इन्हें आवश्यक स्थल पर रख देना चाहिए।
10. छात्रों को इसके प्रयोग में प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
दृश्यात्मक या अशाब्दिक उदाहरण के प्रकार (Types of Visual illustration)
1. इनमें सर्वप्रथम आता है वास्तविक पदार्थ का छात्रों को अवलोकन करना । जैसे इतिहास में ताजमहल पढ़ायें तो छात्रों को वहाँ ले जाना । नागरिकशास्त्र में संसद पढ़ायें तो छात्रों को वहाँ ले जाना । विज्ञान में फल-फूल पढ़ायें तो छात्रों को फल-फूल दिखाना ।
2. मॉडल या नमूने के अन्तर्गत वह वस्तुएँ आती हैं जिन्हें कक्षा में दिखाना सम्भव नहीं होता तो उनके सम्बन्ध में मॉडल दिखा दिया जाता है । छात्रों को इग्लू पढ़ाना है तो उसका मॉडल दिखाना, उच्च न्यायालय पढ़ाना है तो उसका मॉडल दिखाना ।
3. रेखाचित्र तथा डायग्राम्स वस्तु या मॉडल के अभाव में अध्यापक श्यामपट पर चॉक से कुछ खींच देता है । इसके अन्तर्गत गाँधी जी का रेखाचित्र बनाना, भारत का मानचित्र बनाना आदि सम्मिलित होते हैं।
4. मानचित्र का प्रयोग सामाजिक अध्ययन के विषयों में बहुत अधिक होता है। इतिहास, भूगोल, राजनीतिशास्त्र व अर्थशास्त्र सभी में मानचित्र का प्रयोग किया जाता है। इस नागरिकशास्त्र में भारत का राजनैतिक मानचित्र व विश्व का राजनैतिक मानचित्र दिखाते हैं।
5. ग्राफ का प्रयोग अनेकों प्रसंगों को रोचक व स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करने हेतु किया जाता है । भारत में चुनाव यदि हम पढ़ायें तो प्रत्येक राज्य में चुनाव में वोट प्रतिशत प्रस्तुत करने हेतु, पुरुष या स्त्री वर्ग के चुनाव प्रतिशत दर को प्रस्तुत करने हेतु इसका प्रयोग किया जाता है।
6. चार्ट द्वारा हम किसी भी घटना, क्रान्ति या आन्दोलन का क्रमिक विकास प्रस्तुत करते हैं । स्वतन्त्रता के बाद भारत में शिक्षा की बढ़ती हुई दर को प्रदर्शित करना है तो हम इसी प्रणाली का सहारा लेते हैं।
दृश्यात्मक या अशाब्दिक उदाहरणों के प्रयोग में सावधानियाँ (Precautions in the use Visual illustration)
(1) इन उदाहरणों का प्रयोग पाठ के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए करना चाहिए।
(2) यह उदाहरण सरल, सजीव, आकर्षक एवं सटीक होने
(3) प्रयुक्त सामग्री का आकार इतना बड़ा होना चाहि आसानी से देख सके।
(4) दृश्यात्मक उदाहरणों का प्रयोग तभी करना चाहिए जब हो।
(5) इन उदाहरणों का बार-बार प्रयोग नहीं करना चाहिए।
(6) दृश्यात्मक उदाहरणों को देखने, निरीक्षण करने तथा समा
शंका समाधान के अवसर अवश्य दिए जाने चाहिए।
(7) दृश्यात्मक उदाहरणों को शाब्दिक उदाहरणों के साथ एक के बाद एक प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
(8) इन उदाहरणों में विधिवता होनी चाहिए।
(9) दृश्यात्मक उदाहरणों में मनोरंजनात्मक मूल्य की अपेक्षा शाक्षक मूल्य पर विशेष बल देना चाहिए।
(10) यह प्रविधि छोटी कक्षाओं के लिए अधिक उपयोगी है।
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