व्यंजन की परिभाषा | व्यंजन के प्रकार | vyanjan in hindi

नमस्कार साथियों 🙏 आपका स्वागत है। आज हम आपको हिंदी विषय के अति महत्वपूर्ण पाठ व्यंजन की परिभाषा | व्यंजन के प्रकार | vyanjan in hindi से परिचित कराएंगे।

दोस्तों आप UPTET, CTET, HTET, BTC, DELED,
SUPERTET, या अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते होंगे। आप जानते है की परीक्षाओं में हिंदी विषय का उतना ही स्थान है जितना अन्य विषयो का है।

इसीलिए हिंदी की महत्ता को देखते हुए हम आपके लिए अपनी वेबसाइट hindiamrit.com पर हिंदी के व्यंजन की परिभाषा | व्यंजन के प्रकार | vyanjan in hindi पाठ का विस्तृत रूप से अध्ययन प्रदान कर रहे हैं। आप हमारी वेबसाइट पर हिंदी के समस्त पाठ का विस्तृत अधिगम प्राप्त कर सकेंगे।


Contents

व्यंजन की परिभाषा | व्यंजन के प्रकार | vyanjan in hindi

स्वर व्यंजन की परिभाषा,लुंठित व्यंजन क्या है,पार्श्विक ध्वनि,व्यंजन वर्ण कितने होते है,वत्सर्य व्यंजन,अर्ध स्वर कौन से है,अर्ध स्वर कितने होते हैं,हिन्दी वर्णमाला उच्चारण स्थान,vyanjan ke prakar,व्यंजन का अर्थ,श ध्वनि का उच्चारण स्थान क्या है,वर्ण का उच्चारण स्थान,अर्ध स्वर किसे कहते हैं,वर्णों का उच्चारण स्थान in Hindi,व्यंजन के प्रकार,vyanjan in hindi,hindi me vyanjan,व्यंजन की परिभाषा और प्रकार,स्पर्श व्यंजन कितने हैं,अंतस्थ व्यंजन किसे कहते हैं,ऊष्म व्यंजन कितने है,

ऊष्म व्यंजन किसे कहते हैं,vyanjan ke prakar,स्पर्श व्यंजन के प्रकार,व्यंजन वर्ण कितने होते है,स्पर्श व्यंजन किसे कहते हैं,व्यंजन का वर्गीकरण,स्पर्श व्यंजन कितने प्रकार के होते हैं,हिंदी वर्णमाला में कितने व्यंजन होते हैं,vyanjan ke prakar,व्यंजन कितने होते हैं हिंदी में,ऊष्म व्यंजन की परिभाषा,हिंदी वर्णमाला में कितने व्यंजन होते हैं,व्यंजन कितने होते हैं हिंदी में,अन्तस्थ व्यंजन की परिभाषा,व्यंजन का अर्थ,ऊष्म व्यंजन की परिभाषा,व्यंजन वर्ण कितने होते है,व्यंजन वर्ण की परिभाषा,व्यंजन के प्रकार,

vyanjan in hindi,hindi me vyanjan,व्यंजन की परिभाषा और प्रकार,व्यंजन वर्ण in English,व्यंजन का वर्गीकरण,स्वर और व्यंजन में अंतर स्पष्ट कीजिए,संयुक्त व्यंजन की परिभाषा,स्पर्श व्यंजन किसे कहते हैं,वर्ण की परिभाषा,वर्ण किसे कहते हैं,व्यंजन के प्रकार,vyanjan in hindi,hindi me vyanjan,व्यंजन की परिभाषा और प्रकार,व्यंजन की परिभाषा,व्यंजन किसे कहते हैं,व्यंजन के प्रकार,व्यंजन के भेद,

प्राण वायु के आधार पर व्यंजन के प्रकार,स्वर तंत्रियों के कंपन के आधार पर व्यंजन के प्रकार,vyanjan ke prakar,उच्चारण स्थान के आधार पर व्यंजन के प्रकार,अर्ध स्वर किसे कहते है,उक्षिप्त व्यंजन किसे कहते है,लुंठित ध्वनि  और पार्श्विक व्यंजन क्या है,व्यंजन की परिभाषा, यह विभाजन सर्वप्रथम एवं सबसे प्राचीन है। vyanjan in hindi,hindi me vyanjan,व्यंजन की परिभाषा और प्रकार,





व्यंजन की परिभाषा | व्यंजन के प्रकार | vyanjan in hindi

इस टॉपिक में क्या क्या सम्मिलित किया गया है?

(1) वर्ण की परिभाषा,वर्ण किसे कहते हैं
(2) व्यंजन की परिभाषा,व्यंजन किसे कहते हैं
(3) व्यंजन के प्रकार,व्यंजन के भेद
(4) अभ्यांतर प्रयत्न के आधार पर व्यंजन के प्रकार
(5) प्राण वायु के आधार पर व्यंजन के प्रकार
(6) स्वर तंत्रियों के कंपन के आधार पर व्यंजन के प्रकार
(7) उच्चारण स्थान के आधार पर व्यंजन के प्रकार
(8) अर्ध स्वर किसे कहते है
(9) उक्षिप्त व्यंजन किसे कहते हैं
(10) लुंठित ध्वनि  और पार्श्विक व्यंजन क्या है
(11) महत्त्वपूर्ण परीक्षा उपयोगी प्रश्न

vyanjan in hindi,hindi me vyanjan,व्यंजन की परिभाषा और प्रकार,व्यंजन वर्ण in English,व्यंजन का वर्गीकरण,स्वर और व्यंजन में अंतर स्पष्ट कीजिए,संयुक्त व्यंजन की परिभाषा,स्पर्श व्यंजन किसे कहते हैं,वर्ण की परिभाषा,वर्ण किसे कहते हैं,व्यंजन के प्रकार,vyanjan in hindi,hindi me vyanjan,व्यंजन की परिभाषा और प्रकार,व्यंजन की परिभाषा,व्यंजन किसे कहते हैं,व्यंजन के प्रकार,व्यंजन के भेद,


वर्ण की परिभाषा

यह भाषा की वह छोटी इकाई है, जिसके खंड नहीं किए जा सकते हैं। वर्ण को अक्षर भी कहा जाता है। और अक्षर का अर्थ होता है – अनाशवान । अतः वर्ण को खंड खंड नहीं किया जा सकता है।

ये भी पढ़ें-  गणितीय अक्षमता या अयोग्यता (डिसकैल्कुलिया) / गणितीय अक्षमता या डिसकैल्कुलिया के कारण एवं उपचार

वर्ण के प्रकार

(1) स्वर
(2) व्यंजन
(3) अयोगवाह

हमने पिछले पोस्ट में वर्णों और स्वरों के बारे में पढ़ा था। आज हम व्यंजन और अयोगवाह के बारे में विस्तार से पढ़ेगे।


ऊष्म व्यंजन किसे कहते हैं,vyanjan ke prakar,स्पर्श व्यंजन के प्रकार,व्यंजन वर्ण कितने होते है,स्पर्श व्यंजन किसे कहते हैं,व्यंजन का वर्गीकरण,स्पर्श व्यंजन कितने प्रकार के होते हैं,हिंदी वर्णमाला में कितने व्यंजन होते हैं,vyanjan ke prakar,व्यंजन कितने होते हैं हिंदी में,ऊष्म व्यंजन की परिभाषा,हिंदी वर्णमाला में कितने व्यंजन होते हैं,अन्तस्थ व्यंजन की परिभाषा,व्यंजन का अर्थ,ऊष्म व्यंजन की परिभाषा,व्यंजन वर्ण कितने होते है,व्यंजन वर्ण की परिभाषा,

व्यंजन किसे कहते हैं || व्यंजन की परिभाषा | vyanjan in hindi

वे वर्ण जिनका उच्चारण बिना स्वर की सहायता के बिना सम्भव नही है अर्थात इनको स्वर की सहायता से बोला जाता है,व्यंजन कहलाते हैं।

हिंदी वर्णमाला में व्यंजनों की संख्या 33 है।



व्यंजन के प्रकार || व्यंजनों का वर्गीकरण | vyanjan ke prakar

दोस्तों व्यंजनों का वर्गीकरण, व्यंजन के प्रकार अलग अलग प्रकार के आधार पर विभाजित किये गए है। व्यंजनों के विभाजन,व्यंजनों के वर्गीकरण के कुल 6 आधार हैं,जो निम्नलिखित हैं।

हम सबसे पहले व्यंजन के प्रकार एकसाथ जान लेते हैं। उसके बाद हम उनका अलग अलग वर्णन करके पढ़ेगे।

(1) मूल विभाजन या अभ्यांतर प्रयत्न के आधार पर व्यंजनों के प्रकार

(i) स्पर्श व्यंजन / उदित व्यंजन / वर्गीय व्यंजन
(ii) अन्तस्थ व्यंजन
(iii) ऊष्म व्यंजन
(iv) संयुक्त व्यंजन

(2) प्राण वायु के आधार पर व्यंजनों के प्रकार

(i) अल्पप्राण
(ii)  महाप्राण

(3) स्वर तंत्रियों के कंपन / घोष के आधार पर व्यंजनों के प्रकार

(i) घोष या सघोष
(ii) अघोष

(4) उच्चारण स्थान के आधार पर व्यंजनों के प्रकार

नीचे विस्तृत रूप से पढ़ेगे।

प्राण वायु के आधार पर व्यंजन के प्रकार,स्वर तंत्रियों के कंपन के आधार पर व्यंजन के प्रकार,vyanjan ke prakar,उच्चारण स्थान के आधार पर व्यंजन के प्रकार,अर्ध स्वर किसे कहते है,उक्षिप्त व्यंजन किसे कहते है,लुंठित ध्वनि  और पार्श्विक व्यंजन क्या है,व्यंजन की परिभाषा, व्यंजन के प्रकार,vyanjan in hindi,hindi me vyanjan,व्यंजन की परिभाषा और प्रकार,

व्यंजन कितने प्रकार के होते हैं || व्यंजनों के प्रकार | hindi me vyanjan ke prakar


(1) मूल विभाजन या अभ्यांतर प्रयत्न के आधार पर व्यंजनों के प्रकार

यह विभाजन सर्वप्रथम एवं सबसे प्राचीन है। मूल विभाजन के आधार पर व्यंजनों को 4 भागों में बांटा गया है।

इस प्रकार व्यंजन मूलतः 4 प्रकार के होते हैं।

(i) स्पर्श व्यंजन / उदित व्यंजन / वर्गीय व्यंजन

वे व्यंजन जिनका उच्चारण करने पर जीभ मूल उच्चारण स्थानों ( कंठ,तालु,मूर्धा,दंत,ओष्ठ) को स्पर्श करती है इसीलिए ये स्पर्श व्यंजन कहलाते हैं।

यह व्यंजनों के शुरू के 5 वर्ग होते है इसीलिए इन्हें वर्गीय व्यंजन भी कहा जाता है।

ये व्यंजन जीभ के अलग अलग उच्चारण स्थानों के टकराने से उत्पन्न हुए हैं,इसीलिए इन्हें उदित व्यंजन भी कहा गया है।

इनकी संख्या 25 है

वर्गव्यंजन
क वर्गक,ख, ग, घ, ङ ।
च वर्गच,छ, ज,झ,ञ ।
ट वर्गट,ठ, ड, ढ, ण ।
त वर्गत,थ,द, ध, न ।
प वर्गप,फ, ब,भ,म ।


(ii) अन्त:स्थ व्यंजन

अंत: का अर्थ होता है – भीतर या अंदर । 

जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय  जीभ,मुँह के किसी भी भाग को पूरी तरह स्पर्श नही करती अर्थात इनका उच्चारण मुह के भीतर से होता है,अंत:स्थ व्यंजन कहलाते हैं।

इनकी संख्या 4 है – य,र,ल,व ।



(iii) ऊष्म व्यंजन

ऊष्मा का अर्थ है – गर्मी या गर्माहट।

जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय गर्मी उत्पन्न हो अर्थात इनके उच्चारण में मुख से हवा के रगड़ खाने के कारण ऊष्मा पैदा हो,ऊष्म व्यंजन कहलाते है।

इनकी संख्या 4 है – श,ष,स,ह ।


(iv) संयुक्त व्यंजन

जो व्यंजन दो व्यंजनों के मेल से बनते हैं,संयुक्त व्यंजन कहलाते हैं।

इनकी संख्या 4 है – क्ष,त्र,ज्ञ,श्र ।

क्ष = क् + ष  = क्षमा,रक्षा,कक्षा

त्र = त् + र    = पत्र,त्रिशूल,त्रिनेत्र

ये भी पढ़ें-  शिक्षण अधिगम सामग्री के प्रकार | श्रव्य सामग्री, दृश्य सामग्री,श्रव्य-दृश्य सामग्री | types of TLM in hindi

ज्ञ = ज् + ञ   = ज्ञान,विज्ञान,यज्ञ

श्र = श् + र    = श्रवण,श्रम,परिश्रम





(2) प्राण वायु के आधार पर व्यंजनों के प्रकार

व्यंजनों को प्राण वायु के आधार पर भी बांटा गया है। इसके अनुसार व्यंजन दो प्रकार के होते हैं :–

(i) महाप्राण

जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय प्राण वायु अधिक निकले या अधिक प्रयोग हो,महाप्राण कहलाते हैं।

इनकी संख्या 14 है।

5 वर्गों के सम स्थान वाले वर्ण (10) + उष्म व्यंजन (4)

अर्थात ख,घ,छ,झ,ठ,ढ,थ,ध,फ,भ,श,ष,स,ह ।

NOTE– सभी उष्म व्यंजन और वर्ग के दूसरे चौथे स्थान के वर्ण ही महाप्राण वर्ण है।


(ii)  अल्पप्राण

जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय प्राण वायु महाप्राण की तुलना में कम  निकले या कम प्रयोग हो,अल्पप्राण कहलाते हैं।

इनकी संख्या 19  है।

5 वर्गों के विषम स्थान वाले वर्ण (15) + अंत:स्थ व्यंजन (4)

अर्थात क,ग,ङ,च,ज,ञ,ट,ड,ण,त,द,न,प,ब,म,य,र,ल,व ।

NOTE– सभी अंत:स्थ व्यंजन और वर्ग के पहले,तीसरे,पांचवे स्थान के वर्ण ही अल्पप्राण वर्ण है।



(3) स्वर तंत्रियों के कंपन / घोष के आधार पर व्यंजनों के प्रकार

घोष के आधार पर व्यंजनों के प्रकार,स्वर तंत्रियों के कंपन के आधार पर व्यंजनों को दो भागो में बाँटा गया है :–

(i) घोष या सघोष व्यंजन

इन व्यंजनों का उच्चारण करते समय स्वर तंत्रियों में अधिक कंपन हो,घोष या सघोष वर्ण कहलाते हैं।

इनकी संख्या 20 है।

वर्गों के 3,4,5 वर्ण (15) + अंत:स्थ व्यंजन(4) + ह

ख,ग,ङ,ज,झ,ञ,ड,ढ,ण,द,ध,न,ब,भ,म,य,र,ल,व,ह

NOTE – सभी अंत:स्थ व्यंजन, ह वर्ण  और वर्गों के तीसरे,चौथे,पांचवे वर्ण घोष वर्ण के अंतर्गत आते हैं।

(ii) अघोष व्यंजन

इन व्यंजनों का उच्चारण करते समय स्वर तंत्रियों में घोष वर्णों की तुलना में कम कंपन होता है,अघोष वर्ण कहलाते हैं।

इनकी संख्या 14 है।

वर्गों के 1,2 वर्ण (10) + श,ष,स

क,ख,च,छ,ट,ठ,त,थ,प,फ,ष,श,स

NOTE – श,ष,स वर्ण  और वर्गों के पहले,दूसरे वर्ण अघोष वर्ण के अंतर्गत आते हैं।





कुछ व्यंजन एवं उनके अन्य नाम || परीक्षा दृष्टि से उपयोगी

(1) स्पर्श संघर्षी व्यंजन – च,छ,ज,झ ।

(2) संघर्षी व्यंजन – फ़,व,स,श,ह ।

(3) नासिक्य व्यंजन – ङ,न,ण,म,ञ ।

(4) निरानुनासिक व्यंजन – च,क,ट,थ ।

(5) लुंठित या प्रकम्पित व्यंजन – र

(6) पार्श्विक व्यंजन – ल

(7) स्वर यंत्र मुखी या काकल्य व्यंजन – र

(8) अर्ध स्वर – य,व ।

(9) द्विगुण व्यंजन / उक्षिप्त व्यंजन – ढ़,ड़ ।

अर्ध स्वर क्या है || अर्ध स्वर किसे कहते हैं || अर्ध स्वर कौन से होते हैं || अर्ध स्वर कितने होते हैं

ऐसे व्यंजन जिनके स्थान पर स्वर प्रयोग करने से उच्चारण में अंतर नहीं आता है अर्थात इनका स्थान स्वर ने ले लिया या यह कह सकते है की इनके जगह स्वर प्रयोग कर सकते है इसीलिए इनको अर्ध स्वर कहते हैं।

य और व अर्ध स्वर होते है। य के स्थान पर ई का प्रयोग,व के स्थान पर आ का प्रयोग करते हैं।

इनको निम्न उदाहरण से समझ सकते हैं।

गयी = गई
मिठायी = मिठाई
कौवा = कौआ
कुँवा = कुँआ

द्विगुण व्यंजन / उक्षिप्त व्यंजन / नव विकसित व्यंजन

ऐसे व्यंजन जिनके उच्चारण में जीभ कही और टकराये और फिर कही और टकरा जाए,द्विगुण या उक्षिप्त व्यंजन कहलाते हैं।

इन्हें नव विकसित इसीलिए कहा जाता है क्योंकि ये वर्ण संस्कृत में नही है ये केवल हिंदी में नए आये है इसीलिये इन्हें नव विकसित कहा जाता है।

ड़ और ढ़ द्विगुण व्यंजन होते हैं।

ये व्यंजन शब्दों के बीच या अंत में प्रयोग होते हैं। इन व्यंजनों से कभी कोई शब्द शुरू नहीं होता है।

जैसे – कूड़ा,सड़ना,पढ़ना,बूढ़ा आदि।

द्वित्व व्यंजन क्या हैं || द्वित्व व्यंजन की परिभाषा

जो व्यंजन दो समान व्यंजनों के संयोग से बनते हैं,वे द्वित्व व्यंजन कहलाते हैं।

ये भी पढ़ें-  द्वंद्व समास – परिभाषा,प्रकार,उदाहरण,विग्रह | dwandwa samas in hindi

जैसे – शक्कर,चक्कर,बिल्ला,दिल्ली,दद्दार आदि।

आगत व्यंजन  क्या हैं

कुछ व्यंजन बाहर से आये हैं जो हिंदी भाषा में स्वीकार कर लिए गए हैं परन्तु यह हिंदी भाषा के नहीं है।

आगत व्यंजन हैं – ज़,फ़ आदि।



(4) उच्चारण स्थान के आधार पर व्यंजनों के प्रकार

उच्चारण स्थान व्यंजन
कंठक वर्ग,ह ।
तालुच वर्ग ,य,श ।
मूर्धाट वर्ग ,र,ष ।
दंतत वर्ग ,ल,स ।
ओष्ठप वर्ग,
दंत + ओष्ठ

ऊष्म व्यंजन किसे कहते हैं,vyanjan ke prakar,व्यंजन वर्ण कितने होते है,स्पर्श व्यंजन किसे कहते हैं,व्यंजन का वर्गीकरण,स्पर्श व्यंजन कितने प्रकार के होते हैं,हिंदी वर्णमाला में कितने व्यंजन होते हैं,vyanjan ke prakar,व्यंजन कितने होते हैं हिंदी में,ऊष्म व्यंजन की परिभाषा,हिंदी वर्णमाला में कितने व्यंजन होते हैं,व्यंजन कितने होते हैं हिंदी में,अन्तस्थ व्यंजन की परिभाषा,स्वर की परिभाषा,व्यंजन का अर्थ,ऊष्म व्यंजन की परिभाषा,व्यंजन वर्ण कितने होते है,व्यंजन वर्ण की परिभाषा,

अयोगवाह किसे कहते हैं || अयोगवाह के प्रकार

ऐसे वर्ण जिनका मेल न तो स्वर न ही व्यंजन से हो पाया है,अयोगवाह कहलाते हैं। 

ये स्वर नहीं है परंतु इनकी भी स्वरों की तरह मात्राएं होती हैं। अतः इन्हें स्वरों के साथ लिखा जाता है। ये स्वतंत्र रूप से प्रयोग नहीं किये जाते हैं।

इनकी संख्या 2 है। ये वर्णमाला से बाहर है। अयोगवाह के दो प्रकार होते हैं –

(A) अनुस्वार

इसका उच्चारण नाक की सहायता से होता है। जैसे – अंकित,अंक,जंग आदि। इसका उच्चारण म के जैसे होता है।

(B) विसर्ग

इसका उच्चारण कंठ से होता है। जैसे – दुःख,प्रायः,प्रातःकाल,दुःशासन आदि। इसका उच्चारण ह के जैसे होता है।

स्वर व्यंजन की परिभाषा,लुंठित व्यंजन क्या है,पार्श्विक ध्वनि,व्यंजन वर्ण कितने होते है,वत्सर्य व्यंजन,अर्ध स्वर कौन से है,अर्ध स्वर कितने होते हैं,हिन्दी वर्णमाला उच्चारण स्थान,व्यंजन का अर्थ,श ध्वनि का उच्चारण स्थान क्या है,वर्ण का उच्चारण स्थान,अर्ध स्वर किसे कहते हैं,वर्णों का उच्चारण स्थान in Hindi,vyanjan in hindi,hindi me vyanjan,व्यंजन की परिभाषा और प्रकार,स्पर्श व्यंजन कितने हैं,अंतस्थ व्यंजन किसे कहते हैं,ऊष्म व्यंजन कितने है,

व्यंजन की परिभाषा | व्यंजन के प्रकार | vyanjan in hindi से जुड़े परीक्षा उपयोगी प्रश्न

प्रश्न-1- लुंठित ध्वनि कौन सी है?
उत्तर-  र

प्रश्न-2- पार्श्विक व्यंजन कौन से है?
उत्तर-  ल

प्रश्न-3- अर्ध स्वर कौन से होते है?
उत्तर-  य,व।

प्रश्न-4- उक्षिप्त व्यंजन कौन कौन होते हैं?
उत्तर-  ढ़ ,ड़ ।

प्रश्न-5- कौन से व्यंजन स्पर्श संघर्षी होते हैं?
उत्तर- च,छ,ज,झ ।



👉 सम्पूर्ण हिंदी व्याकरण पढ़िये टच करके

» भाषा » बोली » लिपि » वर्ण » स्वर » व्यंजन » शब्द  » वाक्य »वाक्य परिवर्तन » वाक्य शुद्धि » संज्ञा » लिंग » वचन » कारक » सर्वनाम » विशेषण » क्रिया » काल » वाच्य » क्रिया विशेषण » सम्बंधबोधक अव्यय » समुच्चयबोधक अव्यय » विस्मयादिबोधक अव्यय » निपात » विराम चिन्ह » उपसर्ग » प्रत्यय » संधि » समास » रस » अलंकार » छंद » विलोम शब्द » तत्सम तत्भव शब्द » पर्यायवाची शब्द » शुद्ध अशुद्ध शब्द » विदेशी शब्द » वाक्यांश के लिए एक शब्द » समानोच्चरित शब्द » मुहावरे » लोकोक्ति » पत्र » निबंध


👉यूपीटेट बाल मनोविज्ञान चैप्टर वाइज पढ़िये टच करके

यूपीटेट हिंदी का विस्तार से सिलेबस

हमारा चैनल सब्सक्राइब करके हमसे जुड़िये नीचे दी गयी लिंक को टच कीजिये

https://www.youtube.com/channel/UCybBX_v6s9-o8-3CItfA7Vg

आशा है दोस्तों आपको यह टॉपिक व्यंजन की परिभाषा | व्यंजन के प्रकार | vyanjan in hindi पढ़कर पसन्द आया होगा। इस टॉपिक से जुड़ी सारी समस्याएं आपकी खत्म हो गयी होगी। और जरूर अपने इस टॉपिक से बहुत कुछ नया प्राप्त किया होगा।

हमें कमेंट करके जरूर बताये की आपको पढ़कर कैसा लगा।हम आपके लिए हिंदी के समस्त टॉपिक लाएंगे।

दोस्तों व्यंजन की परिभाषा | व्यंजन के प्रकार | vyanjan in hindi को अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर कीजिए।

Tags- स्वर व्यंजन की परिभाषा,लुंठित व्यंजन क्या है,पार्श्विक ध्वनि,व्यंजन वर्ण कितने होते है,वत्सर्य व्यंजन,अर्ध स्वर कौन से है,अर्ध स्वर कितने होते हैं,हिन्दी वर्णमाला उच्चारण स्थान,vyanjan ke prakar,व्यंजन का अर्थ,श ध्वनि का उच्चारण स्थान क्या है,वर्ण का उच्चारण स्थान,अर्ध स्वर किसे कहते हैं,वर्णों का उच्चारण स्थान in Hindi,व्यंजन के प्रकार,vyanjan in hindi,hindi me vyanjan,व्यंजन की परिभाषा और प्रकार,स्पर्श व्यंजन कितने हैं,अंतस्थ व्यंजन किसे कहते हैं,ऊष्म व्यंजन कितने है,

Leave a Comment