बालक में भाषा विकास या अभिव्यक्ति क्षमता का विकास language development or development of manifestation ability in child

भाषा विकास,विभिन्न अवस्थाओं में भाषा विकास,बालक में भाषा विकास या अभिव्यक्ति क्षमता का विकास– दोस्तों आज hindiamrit आपको बाल विकास का सबसे महत्वपूर्ण टॉपिक की सारी जानकारी प्रदान करेंगे।

यह टॉपिक uptet,ctet,btc,kvs,उत्तर प्रदेश सहायकअध्यापक भर्ती परीक्षा की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है।

Contents

बालकों में भाषा विकास या अभिव्यक्ति क्षमता का विकास language development or development of manifestation ability in child

भाषा विकास, language development,विभिन्न अवस्थाओं में भाषा विकास दोस्तों आइये जानते है बालक में मुख्य रूप से कितने विकास होते हैं।

बालक में कुल 6 प्रकार के विकास होते हैं। हम शिक्षा मनोविज्ञान में शारीरिक विकास,मानसिक विकास,सामाजिक विकास,भाषा विकास या अभिव्यक्ति क्षमता का विकास,नैतिक विकास,संवेगात्मक विकास आदि को मुख्य रूप से पढ़ते है।

तो आइये आज जानते है की भाषा विकास क्या है,शैशवावस्था में भाषा विकास,बाल्यावस्था में भाषा विकास,किशोरावस्था में भाषा विकास कैसे होता है।

भाषा विकास या अभिव्यक्ति क्षमता का विकास क्या है?

भाषा विकास वौद्धिक विकास की सर्वाधिक उत्तम कसौटी मानी जाती है।

बालक को सर्वप्रथम भाषा ज्ञान परिवार से होता है। तत्पश्चात् विद्यालय एवं समाज के सम्पर्क में उनका भाषायी ज्ञान समृद्ध होता है।

कार्ल सी. गैरिसन के अनुसार “स्कूल जाने से पहले बालकों में भाषा ज्ञान का विकास उनके बौद्धिक विकास की सबसे अच्छी कसौटी है।

विभिन्न अवस्थाओं में भाषा या अभिव्यक्ति क्षमता का विकास

अलग अलग अवस्थाओं में भाषा या अभिव्यक्ति का विकास निम्न प्रकार से समझा जा सकता है।

भाषा विकास का सिद्धांत किसने दिया,भाषा विकास के सिद्धांत pdf,भाषा विकास की अवस्थाएं,भाषा विकास का अर्थ,भाषा विकास के चरण,भाषा विकास अभिव्यक्ति क्षमता का विकास,भाषा की उत्पत्ति विकास,भाषा एवं विकास,विकास और भाषा,बालक का भाषा विकास,bhasha vikas in hindi,bhasha vikas ka siddhant kisne diya,भाषा विकास के मनोवैज्ञानिक,भाषा विकास से संबंधित मनोवैज्ञानिक,मौखिक भाषा विकास,शैशवावस्था में भाषा विकास,शैशवावस्था में भाषा का विकास,बालकों में भाषा विकास के चरण,भाषा विकास को प्रभावित करने वाले कारक,शैशवास्था में भाषा विकास, बाल्यावस्था मेंं भाषा विकास, किशोरावस्था में भाषा विकास,भाषा विकास के चरण,भाषा विकास के प्रभावी कारक या भाषा विकास को प्रभावित करने वाले कारक ,भाषा विकास , language development in hindi,बालको मेंं भाषा विकास केे मुुख्य चरण का वर्णन कीजिये,भाषा विकास, language development,विभिन्न अवस्थाओं में भाषा विकास,

भाषा विकास का सिद्धांत किसने दिया,भाषा विकास के सिद्धांत pdf,भाषा विकास की अवस्थाएं,भाषा विकास का अर्थ,भाषा विकास के चरण,भाषा विकास अभिव्यक्ति क्षमता का विकास,भाषा की उत्पत्ति विकास,भाषा एवं विकास,विकास और भाषा,बालक का भाषा विकास,bhasha vikas in hindi,bhasha vikas ka siddhant kisne diya,भाषा विकास के मनोवैज्ञानिक,भाषा विकास से संबंधित मनोवैज्ञानिक,मौखिक भाषा विकास,शैशवावस्था में भाषा विकास,शैशवावस्था में भाषा का विकास,बालकों में भाषा विकास के चरण,भाषा विकास को प्रभावित करने वाले कारक,शैशवास्था में भाषा विकास, बाल्यावस्था मेंं भाषा विकास, किशोरावस्था में भाषा विकास,भाषा विकास के चरण,भाषा विकास के प्रभावी कारक या भाषा विकास को प्रभावित करने वाले कारक ,भाषा विकास , language development in hindi,बालको मेंं भाषा विकास केे मुुख्य चरण का वर्णन कीजिये,भाषा विकास, language development,विभिन्न अवस्थाओं में भाषा विकास
Balak ka bhasha vikas,balak me bhasha vikas

शैशवावस्था में भाषा का विकास (Language Development in Infancy )

जन्म के समय शिशु क्रन्दन करता है। यही उसकी पहली भाषा होती है।

इस समय उसे न तो स्वरों का ज्ञान होता है और न व्यंजनों का होता है।

25 सप्ताह तक शिशु जिस प्रकार की ध्वनियाँ निकालता है, उनमें स्वरों की संख्या अधिक होती है।

10 मास की अवस्था में शिशु पहला शब्द बोलता है, जिसे बार-बार दोहराता है।

एक वर्ष तक शिशु की भाषा समझना कठिन होता है। केवल अनुमान से ही उसकी भाषा समझी जा सकती है। आरम्भ में बालक एक शब्द से वाक्यों का बोध कराते हैं।

ये भी पढ़ें-  हिंदी में संज्ञा - परिभाषा,उदाहरण | संज्ञा के प्रकार | sangya in hindi

स्किनर के अनुसार-“आयु-स्तरों पर बालकों के शब्द ज्ञान के गुणात्मक पक्षों के अध्ययन से पता चलता है कि शब्दों की परिभाषा के स्वरूप में वृद्धि होती है।”

शैशवावस्था मैं भाषा विकास जिस ढंग से होता है, उस पर परिवार की संस्कृति तथा सभ्यता का प्रभाव पड़ता है।

स्मिथ के अनुसार शैशवावस्था में भाषा के विकास का क्रम

आयुशब्द
जन्म से 8 माह0
10 माह1
1 वर्ष3
1 वर्ष 3 माह19
1 वर्ष 6 माह22
1 वर्ष 9 माह118
2 वर्ष 212
4 वर्ष1550
5 वर्ष2072
6 वर्ष2562

शिशु की भाषा पर उसकी बुद्धि तथा विद्यालय का वातावरण अपनी भूमिका प्रस्तुत करते हैं।

एनास्टासी ने कहा है कि लड़कों के अपेक्षा लड़कियों का भाषा-विकास शैशवकाल में अधिक होता है। जिन बच्चों में गूँगापन, हकलाना, तुतलाना आदि दोष होते हैं, उनका भाषा विकास धीमी गति से होता है।

भाषा विकास का सिद्धांत किसने दिया,भाषा विकास के सिद्धांत pdf,भाषा विकास की अवस्थाएं,भाषा विकास का अर्थ,भाषा विकास के चरण,भाषा विकास अभिव्यक्ति क्षमता का विकास,भाषा की उत्पत्ति विकास,भाषा एवं विकास,विकास और भाषा,बालक का भाषा विकास,bhasha vikas in hindi,bhasha vikas ka siddhant kisne diya,भाषा विकास के मनोवैज्ञानिक,भाषा विकास से संबंधित मनोवैज्ञानिक,मौखिक भाषा विकास,शैशवावस्था में भाषा विकास,शैशवावस्था में भाषा का विकास,बालकों में भाषा विकास के चरण,भाषा विकास को प्रभावित करने वाले कारक,शैशवास्था में भाषा विकास, बाल्यावस्था मेंं भाषा विकास, किशोरावस्था में भाषा विकास,भाषा विकास के चरण,भाषा विकास के प्रभावी कारक या भाषा विकास को प्रभावित करने वाले कारक ,भाषा विकास , language development in hindi,बालको मेंं भाषा विकास केे मुुख्य चरण का वर्णन कीजिये,भाषा विकास, language development,विभिन्न अवस्थाओं में भाषा विकास,अभिव्यक्ति को प्रभावित करने वाले कारक
अलग अलग अवस्थाओं में बालक का भाषा विकास या अभिव्यक्ति का विकास

बाल्यावस्था में भाषा विकास (language Devekopment in Childhood)

आयु के साथ-साथ बालको के सौखने की गति में भी वृद्धि होती है। बाल्यकाल में बालक शब्द से लेकर वाक्य विन्यास तक की सभी क्रियाएँ सीख लेता है।

मनोवैज्ञानिक हाइडर के अनुसार

(1) लड़कियों की भाषा का विकास लड़कों की अपेक्षा अधिक शीघ्र से होता है।
(2) लड़कों की अपेक्षा लड़कियों के वाक्यों में शब्द संख्या अधिक होती है।
( 3) अपनी बात को ढंग से प्रस्तुत करने में लड़कियाँ अधिक कुशल होती हैं ।

सीशोर ने बाल्यावस्था में भाषा विकास का अध्ययन किया, 4 से 10 वर्ष तक के 117 बालकों पर चित्रों की सहायता से उसने प्रयोग किये।

सीशोर के अनुसार भाषा विकास

आयु (वर्ष में)शब्द
45600
59600
614700
721200
826309
1034300

किशोरावस्था में भाषा विकास (Language Development in Adolescence)

किशोरावस्था में अनेक शारीरिक परिवर्तनों से जो संवेग उत्पन्न होते हैं। भाषा का विकास भी उनसे प्रभावित होता है। किशोरों मे साहित्य पढ़ने की रुचि उत्पन्न हो जाती है।

उनमें कल्पना शक्ति का विकास होने से वे कवि, कहानीकार, चित्रकार बनकर कविता, कहानी तथा चित्र के माध्यम से अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति करते हैं।

किशोरावस्था में लिखे गये प्रेम-पत्रों की भाषा में भावुकता का मिश्रण होने से भाषा-सौन्दर्य प्रस्फुटित होता है। एक-एक शब्द अपने स्थान पर सार्थक होता है।

किशोरों का शब्दकोष (Vocabulary) भी विस्तृत होता है।

किशोर अनेक बार गुप्त (Code) भाषा को भी विकसित करते हैं। यह भाषा कुछ प्रतीकों के माध्यम से लिखी जाती है, जिसका अर्थ वे ही जानते हैं, जिन्हें ‘कोड’ मालूम है।

इसी प्रकार वह बोलने में प्रतीकात्मकता का निर्माण कर लेते हैं। भाषा के माध्यम से किशोर की संकल्पनाओं (Concepts) का विकास होता है।

ये भी पढ़ें-  [ NCF 2009 ] राष्ट्रीय पाठ्यक्रम संरचना 2009 का स्वरूप / NCF 2009 का स्वरूप / form of NCF 2009 in hindi

ये संकल्पनाएँ उसके भावी जीवन की तैयारी का प्रतीक होती हैं। भाषा के विकास का किशोर के चिन्तन पर भी प्रभाव पड़ता है।

वाटसन ने इसे व्यवहार का एक अंग माना है। भाषा के माध्यम से किशोर अनुपस्थित परिस्थिति का वर्णन करता है और साथ ही साथ विचार-विमर्श के माध्यम के रूप में प्रयोग करता है।

भाषा विकास का सिद्धांत किसने दिया,भाषा विकास के सिद्धांत pdf,भाषा विकास की अवस्थाएं,भाषा विकास का अर्थ,भाषा विकास के चरण,भाषा विकास अभिव्यक्ति क्षमता का विकास,भाषा की उत्पत्ति विकास,भाषा एवं विकास,विकास और भाषा,बालक का भाषा विकास,bhasha vikas in hindi,bhasha vikas ka siddhant kisne diya,भाषा विकास के मनोवैज्ञानिक,भाषा विकास से संबंधित मनोवैज्ञानिक,मौखिक भाषा विकास,शैशवावस्था में भाषा विकास,शैशवावस्था में भाषा का विकास,बालकों में भाषा विकास के चरण,भाषा विकास को प्रभावित करने वाले कारक,शैशवास्था में भाषा विकास, बाल्यावस्था मेंं भाषा विकास, किशोरावस्था में भाषा विकास,भाषा विकास के चरण,भाषा विकास के प्रभावी कारक या भाषा विकास को प्रभावित करने वाले कारक ,भाषा विकास , language development in hindi,बालको मेंं भाषा विकास केे मुुख्य चरण का वर्णन कीजिये,भाषा विकास, language development,विभिन्न अवस्थाओं में भाषा विकास
Bhasha vikas ko prabhavit krne vale kark,abhivykti ko prabhavit krne vale kark,

भाषा विकास को प्रभावित करने वाले कारक || Effecting Factors of Language Development

भाषा विकास अपने-आप में स्वतन्त्र रूप से नहीं होता। इस पर अनेक प्रकार के प्रभाव पड़ते हैं। शब्द भण्डार, वाक्य-विन्यास तथा अभिव्यक्ति के प्रसार आदि पर विभिन्न कारकों का प्रभाव पड़ता है।
अतः भाषा विकास या अभिव्यक्ति क्षमता के विकास को प्रभावित करने वाले निम्न कारक हैं।

(1) स्वास्थ्य
(2) बुद्धि
(3) हकलाना
(4) सामाजिक आर्थिक स्तर
(5) यौन
(6) पारिवारिक संबंध
(7) एकाधिकार भाषा

स्वास्थ्य (Health)

सम्पर्क से भाषा सीखी जाती है और बौमारी के समय बालक समाज के सम्पर्क में कम रहता है, अत: इस स्थिति का प्रभाव बालक के भाषा विकास पर पड़ना स्वाभाविक है। ऐसे बालकों का शब्द भण्डार भी कम होता है।

बुद्धि (Intelligence)

टर्मन के अनुसार- “बुद्धि तथा भाषा का घनिष्ठ सम्बन्ध होता है। भाषा के स्तर से हीं बुद्धि का पता चलता है। यह बात बालक के शब्द भण्डार में वृद्धि के कारण प्रकट होती रहती है।”

अध्ययनों से पता चलता है कि पहले दो वर्ष में भाषा तथा बुद्धि का सह-सम्बन्ध अधिक होता है।

हकलाना (Stammering)

हकलाना वाणी दोष है। मनोवैज्ञानिकों का विचार है कि हकलाना मानसिक अव्यवस्था के कारण होता है। बालक जब स्वाभाविक रूप से शब्दोच्चारण पर बल नहीं देता, तब उच्चारण सम्बन्धी तन्त्र को अधिक शक्ति लगानी पड़ती है। इसका परिणाम यह होता है कि श्वसन शक्ति की गति तीव्र हो जाती है, फेफड़ों में हवा नहीं रहती, ऐसी स्थिति में उच्चारण में दोष उत्पन्न होता है, जो हकलाने के रूप में प्रकट होता है।

सामाजिक आर्थिक स्तर (social economic status)

जिन परिवारों का सामाजिक आर्थिक स्तर नीचा होता है। उनमें बालकों में भाषा का विकास तेज गति से नहीं होता इसका कारण है उनकी सीखने की गति का धीमा होना। व्यापारी वर्ग, श्रमिक वर्ग तथा बुद्धिजीवी वर्ग के वालकों की भाषा का अध्ययन करने से यह परिणाम निकाला गया है कि वर्गों के बालकों की शब्दावली और वाक्य विन्यास आदि में भिन्नता पायी जाती है। उच्च वर्ग के बालकों के आपसी सम्बन्ध भी उसी प्रकार के लोगों में रहते हैं और वे सुसंस्कृत शब्दावली युक्त लोक-व्यवहार की भाषा बोलते हैं।

यौन (Sex)

बच्चों की भाषा में प्रथम वर्ष में कोई अन्तर नहीं होता। लड़कियों की भाषा में यौन भिन्नता दो वर्ष की आयु के बाद आरम्भ हो जाती है

ये भी पढ़ें-  बाल विकास के सिद्धान्त Principles of child development

इरविन के अनुसार – “लड़कियाँ, लड़कों की अपेक्षा शीघ्र ही ध्वनि संकेत ग्रहण करती हैं।”

लड़कियों का सम्बन्ध तथा समाजीकरण माता से अधिक होता है।
अत: उसी सम्पर्क से लड़कियों की भाषा में अन्तर आने लगता है। यह भी देखा गया है कि वाणी दोष लड़कियों की अपेक्षा लड़कों में अधिक पाये जाते हैं।

पारिवारिक सम्बन्ध (Family relationship )

अनाथालयों, छत्रावासों तथा परिवारों में पले बच्चों के अध्ययन से पता चला कि भाषा सीखने तथा प्रभावित करने में पारिवारिक सम्बन्धों का विशेष महत्त्व है। संस्थानों के बच्चों का संवेगात्मक सम्पर्क परिवार के सदस्यों से नहीं हो पाता, इसलिये वे भाषा सीखने में देरी लगाते हैं। भाषा के सीखने में परिवार के आकार का भी महत्त्वपूर्ण स्थान है। बालक वड़े बालकों के सम्पर्क से भी अपनी भाषा का विकास करते हैं।

एकाधिकार भाषा (Bilingulism)

जब कभी बालक को मातृभाषा के अतिरिक्त भाषा सीखनी पड़ती है, तो वह उसे सरलता से नहीं सीख पाता। विदेशी भाषा सीखने में प्रत्यक्ष विधि का महत्त्व है। इसलिये कहा गया है कि विभाषा को मातृ-भाषा की भाँति प्रयोग करो।विभाषा सीखने के समय उसका सामान्य भाषा विकास विलम्बित (Late) हो जाता है।
उसका चिन्तन भ्रमित हो जाता है। अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में पढ़ने वाले बालकों की भाषा मे अस्पष्टता, चिन्तन में अवरोध और प्रत्ययों (Concepts), में असमानता पायी जाती है।

हमारे चैनल को सब्सक्राइब करके हमसे जुड़िये और पढ़िये नीचे दी गयी लिंक को टच करके विजिट कीजिये ।

https://www.youtube.com/channel/UCybBX_v6s9-o8-3CItfA7Vg

आपको यह भी पढ़ना चाहिए

विभिन्न अवस्थाओं में बालक का शारीरिक विकास

विभिन्न अवस्थाओं में बालक का मानसिक विकास

विभिन्न अवस्थाओं में बालक का सामाजिक विकास

विभिन्न अवस्थाओं में बालक का नैतिक विकास

विभिन्न अवस्थाओं में बालक का संवेगात्मक विकास

★★ me, father, cycle प्रेरणादायक कहानी पढ़िये

दोस्तों आपको यह आर्टिकल बालक में भाषा विकास या अभिव्यक्ति क्षमता का विकास पढ़कर पसन्द आया होगा। हमे कमेंट करके बताये तथा इसे शेयर जरूर करे।

Tags-भाषा विकास का सिद्धांत किसने दिया,भाषा विकास के सिद्धांत pdf,भाषा विकास की अवस्थाएं,भाषा विकास का अर्थ,भाषा विकास के चरण,भाषा विकास अभिव्यक्ति क्षमता का विकास,भाषा की उत्पत्ति विकास,भाषा एवं विकास,विकास और भाषा,बालक का भाषा विकास,bhasha vikas in hindi,bhasha vikas ka siddhant kisne diya,भाषा विकास के मनोवैज्ञानिक,भाषा विकास से संबंधित मनोवैज्ञानिक,मौखिक भाषा विकास,शैशवावस्था में भाषा विकास,शैशवावस्था में भाषा का विकास,बालकों में भाषा विकास के चरण,भाषा विकास को प्रभावित करने वाले कारक,शैशवास्था में भाषा विकास, बाल्यावस्था मेंं भाषा विकास, किशोरावस्था में भाषा विकास,भाषा विकास के चरण,भाषा विकास के प्रभावी कारक या भाषा विकास को प्रभावित करने वाले कारक ,भाषा विकास , language development in hindi,बालको मेंं भाषा विकास केे मुुख्य चरण का वर्णन कीजिये,भाषा विकास, language development,विभिन्न अवस्थाओं में भाषा विकास,अभिव्यक्ति को प्रभावित करने वाले कारक,

Leave a Comment