नमस्कार साथियों 🙏 आपका स्वागत है। आज हम आपको हिंदी विषय के अति महत्वपूर्ण पाठ हिंदी में संधि – परिभाषा,प्रकार,नियम,उदाहरण | sandhi in hindi संधि की परिभाषा और प्रकार । संधि के प्रकार और नियम । संधि के नियम । संधि के प्रकार से परिचित कराएंगे।
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Contents
हिंदी में संधि – परिभाषा,प्रकार,नियम,उदाहरण | sandhi in hindi
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हमने इस टॉपिक में क्या क्या पढ़ाया है?
(1) संधि किसे कहते हैं
(2) संधि के प्रकार
(3) स्वर संधि किसे कहते हैं
(4) स्वर संधि के प्रकार
(5) व्यंजन संधि किसे कहते हैं
(6) व्यंजन संधि के नियम
(7) विसर्ग संधि किसे कहते हैं
(8) विसर्ग संधि के नियम
(9) संधि और समास में अंतर
(10) महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
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संधि की परिभाषा || संधि किसे कहते हैं
सन्धि शब्द का अर्थ है- मेल, जोड़ या संयोग।
दो शब्दों में मेल होने पर पहले शब्द का अंतिम वर्ण तथा दूसरे शब्द का पहला वर्ण जब आपस में मिलते हैं तो उसमें होने वाले परिवर्तन को ‘संधि’ कहते हैं।
संधि के उदाहरण –
विद्यालय = विद्या + आलय [ आ + आ = आ ]
यहाँ विद्या का ‘आ’ और आलय का ‘आ’ में संधि हुई है।
गणेश = गण + ईश [अ + ई = ए]
यहाँ गण का ‘अ’ और ईश का ‘ई’ में संधि हुई है।
उपर्युक्त उदाहरणों से स्पष्ट हो जाता है कि ध्वनियों के मेल से होने वाला परिवर्तन ‘संधि’ कहलाता है।
अत: संधि को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है-
“दो वर्णों के परस्पर मेल से उनके मूल रूप में होने वाले परिवर्तन को संधि कहते है।”
इसीप्रकार कुछ जानते हैं –
परिणाम में संधि – अनुस्वार संधि ( व्यंजन संधि)
सुखार्त में कौन सी संधि है – सुखार्त का संधि विच्छेद सुखा + ऋत होता है इसमें गुण संधि होना चहिये पर ये एक अपवाद है। यहाँ पर वृद्धि संधि होती है।
संधि शब्द में कौन सी संधि है? – अनुस्वार संधि (व्यंजन संधि)
विद्यार्थी में कौन सी संधि है? – दीर्घ स्वर संधि
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संधि विच्छेद क्या है || संधि विच्छेद किसे कहते हैं
दोस्तों संधि युक्त शब्दों को अलग-अलग करके लिखने की प्रक्रिया को संधि विच्छेद कहते हैं।
उदाहरण-
विद्यार्थी = विद्या + अर्थी
न्यायालय = न्याय + आलय
महेश = महा + ईश
अत्यधिक = अति + अधिक
संधि के प्रकार | संधि के भेद | संधि के कितने प्रकार होते हैं
वर्णों का मेल स्वरों में हो सकता है। स्वर और व्यंजन में हो सकता है। स्वर या विसर्ग में हो सकता है या विसर्ग और व्यंजन में हो सकता है। इसी आधार पर संधि तीन प्रकार की होती है।
(1) स्वर संधि
(2) व्यंजन संधि
(3) विसर्ग संधि
स्वर संधि किसे कहते हैं || स्वर संधि की परिभाषा
इस स्वर संधि का अर्थ है स्वरों का मेल। जब दो स्वरों के मेल से परिवर्तन होता है तो स्वर संधि कहलाती है।
स्वर संधि के उदाहरण :–
देव + आलय = देवालय [ अ + आ = आ ]
महा + आत्मा = महात्मा [ आ + आ = आ ]
सदा + एवं। = सदैव [ आ + ए = ऐ ]
सु + उक्ति। = सूक्ति [ उ + उ = ऊ ]
Swar sandhi ke prakar | स्वर संधि के प्रकार | स्वर संधि के भेद
(1) दीर्घ संधि
(2) वृद्धि संधि
(3) गुण संधि
(4) यण संधि
(5) अयादि संधि
(6) पूर्वरूप संधि
(7) पररूप संधि
व्यंजन संधि की परिभाषा | व्यंजन संधि किसे कहते हैं
स्वर तथा व्यंजन के, स्वर तथा व्यंजन के या व्यंजन तथा व्यंजन के मेल से जो परिवर्तन होता है उसे व्यंजन संधि कहते हैं।
व्यंजन संधि के उदाहरण :–
दिक् + गज। = दिग्गज [ क् + ग = ग ]
जगत + नाथ = जगन्नाथ [ त + न = न ]
Vyanjan sandhi ke prakar | व्यंजन संधि के प्रकार || व्यंजन संधि के भेद
दोस्तों व्यंजन के भेद हम संस्कृत में पढ़ते हैं। हिंदी में हम व्यंजन संधि को सीधे नियमों के रूप में जान लेते हैं क्योंकि हिंदी में व्यंजन संधि के भेद नही पूछे जाते हैं। व्यंजन संधि के भेद हम संस्कृत में पढ़ेगे।
विसर्ग संधि किसे कहते हैं || विसर्ग संधि की परिभाषा
विसर्ग (:) के बाद स्वर अथवा व्यंजन आने पर जो परिवर्तन होता है, उसे विसर्ग संधि कहते हैं।
उदाहरण :–
Visarg sandhi ke prakar | विसर्ग संधि के प्रकार || विसर्ग संधि के भेद
दोस्तों विसर्ग के भेद हम संस्कृत में पढ़ते हैं। हिंदी में हम व्यंजन संधि को सीधे नियमों के रूप में जान लेते हैं क्योंकि हिंदी में विसर्ग संधि के भेद नही पूछे जाते हैं। विसर्ग संधि के भेद हम संस्कृत में पढ़ेगे।
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संधि कितने प्रकार की होती है | संधि के प्रकारों का वर्णन कीजिये
स्वर संधि के कितने भेद होते हैं | स्वर संधि कितने प्रकार की होती है
(1) दीर्घ संधि
(2) वृद्धि संधि
(3) गुण संधि
(4) यण संधि
(5) अयादि संधि
(6) पूर्वरूप संधि
(7) पररूप संधि
(1) दीर्घ संधि
सूत्र – अक: सवर्णे दीर्घ:
जब ह्रस्व या दीर्घ स्वर के बाद ह्रस्व या दीर्घ स्वर आएं,तो दोनों के मेल से दीर्घ स्वर हो जाता है। इसे दीर्घ संधि कहते हैं।
दीर्घ संधि के उदाहरण :–
(i) अ + अ = आ
क्रम + अनुसार = क्रमानुसार
वेद + अंत = वेदांत
सह + अनुभूति = सहानुभूति
चर + अचर = चराचर
(ii) अ + आ = आ
शरण + आगन = शरणागन
दश + आनन = दशानन
हिम + आलय = हिमालय
सत्य + आग्रह = सत्याग्रह
(iii) आ + अ = आ
रेखा + अंकित = रेखांकित
शिक्षा + अर्थी = शिक्षार्थी
परीक्षा + अर्थी = परीक्षार्थी
करुणा + अमृत = करुणामृत
(iv) आ + आ = आ
दया + आनंद = दयानंद
महा + आशय = महाशय
वार्ता + आलाप = वार्तालाप
महा + आनंद = महानंद
(v) इ + इ = ई
अति + इव = अतीव
रवि + इंद्र = रवींद्र
कवि + इंद्र = कवींद्र
अभि + इष्ट = अभीष्ट
(vi) इ + ई = ई
गिरि + ईश = गिरीश
परि + इक्षा = परीक्षा
मुनि + ईश्वर = मुनीश्वर
हरि + ईश = हरीश
(vii) ई + इ = ई
रजनी + इंदु = रजनींदु
नारी + इंदु = नारींदु
मही + इंद्र = महींद्र
(viii) ई + ई = ई
सती + ईश = सतीश
नदी + ईश = नदीश
रजनी + ईश = रजनीश
(ix) उ + उ = ऊ
लघु + उत्तर = लघूत्तर
सु + उक्ति = सूक्ति
भानु + उदय = भानूदय
गुरु + उपदेश = गुरूपदेश
(x) उ + ऊ = ऊ
लघु + ऊर्मि = लघूमि
सिंधु + ऊर्मि = सिंधूर्मी
लघु + ऊर्मि = लघूर्मि
(xi) ऊ + उ = ऊ
वधू + उत्सव = वधूत्सव
भू + उत्सर्ग = भूत्सर्ग
(xii) ऊ + ऊ = ऊ
भू + ऊर्जा = भूर्जा
वधु + ऊर्मि = वधूर्मि
(2) वृद्धि संधि
सूत्र – वृद्धिरेचि
जब अ और आ के बाद ए या ऐ हो तो दोनों के मेल से ऐ हो जाता है और जब ओ या ओ हो तो औ हो जाता है। इस मेल को वृद्धि संधि कहते हैं।
वृद्धि संधि के उदाहरण :–
(i) अ + ए = ऐ
लोक + एषणा = लोकैषणा
एक + एक = एकैक
(ii) अ + ऐ = ऐ
धन + ऐश्वर्य = धनैश्वर्य
मत + ऐक्य = मतैक्य
(iii) आ + ए = ऐ
तथा + एवं = तथैव
सदा एव = सदैव
(iv) आ + ऐ = ऐ
महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य
राजा + ऐश्वर्य = राजैश्वर्य
(v) अ + ओ = औ
दंत + ओष्ठ = दंतौष्ठ
जल ओध = जलौध
(vi) अ + औ = औ
परम + औषध = परमौषध
वन + औषध = वनौषध
(vii) आ + ओ = औ
महा ओज = महौज
महा + ओजस्वी = महौजस्वी
(viii) आ + औ = औ
महा + औषध = महौषध
महा + औदार्य = महौदार्य
(3) गुण संधि
सूत्र – आद् गुण:
अ/आ का मेल इ/ई से होने पर ए , उ/ऊ से होने पर ओ तथा ऋ से होने पर अर् हो जाता है। इसे गुण संधि कहते हैं।
गुण संधि के उदाहरण :–
(i) अ + इ = ए
सुर + इंद्र = सुरेंद्र
धर्म + इंद्र = धर्मेंद्र
स्व + इच्छा = स्वेच्छा
(ii) अ + ई = ए
गण + ईश = गणेश
दिन + ईश = दिनेश
(iii) आ + इ = ए
यथा + इष्ट = यथेष्ट
महा + इंद्र = महेंद्र
(iv) आ + ई = ए
महा + ईश्वर = महेश्वर
लंका + ईश = लंकेश
(v) अ + उ = ओ
सूर्य + उदय = सूर्योदय
लोक + उक्ति = लोकोक्ति
भाग्य + उदय = भाग्योदय
(vi) अ + ऊ = ओ
जल + ऊर्मि = जलोर्मि
सागर + ऊर्मि = सागरोर्मि
समुद्र + ऊर्मि = समुद्रोर्मि
(vii) आ + उ = ओ
महा + उत्तर = महोत्तर
महा + उत्सव = महोत्सव
(viii) आ + ऊ = ओ
महा + ऊर्जा = महोर्जा
गंगा + ऊर्मि = गंगोर्मि
(ix) अ + ऋ = अर्
राज + ऋषि = राजर्षि
ब्रह्म + ऋषि = ब्रह्मर्षि
(x) आ + ऋ = अर्
महा + ऋषि = महर्षि
राजा + ऋषि = राजर्षि
(4) यण संधि
सूत्र – इकोयणचि
यदि पहले शब्द के अंत में इ/ई, उ/ऊ , ऋ हो और दूसरे शब्द के आरंभ में कोई अन्य स्वर हो, तो दोनों के मेल से क्रमश: य,व,र हो जाता है। इसे यण संधि कहते हैं।
यण संधि के उदाहरण :–
(i) इ / ई + भिन्न स्वर = य
अति + अधिक = अत्यधिक
अति + आनंद = अत्यानंद
इति + आदि = इत्यादि
अभि + उदय = अभ्युदय
उपरि + उक्त = उपर्युक्त
यदि + अपि = यद्यपि
(ii) उ / ऊ + भिन्न स्वर = व
अनु + अय = अन्वय
अनु + इति = अन्विति
सु + अच्छ = स्वच्छ
अनु + एषण = अन्वेषण
(iii) ऋ + भिन्न स्वर = र
मातृ + आनंद = मात्रानंद
पितृ + आदेश = पित्रादेश
मातृ + इच्छा = मात्रिच्छा
पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा
(5) अयादि संधि
सूत्र – एचोअयवायाव:
ए/ऐ या ओ/औ के बाद यदि कोई स्वर आए तो ए का अय, ऐ का आय तथा ओ का अव और ओ का आव हो जाता है। इसे अयादि संधि कहते हैं।
अयादि संधि के उदाहरण :–
(i) ए + भिन्न स्वर = अय
ने + अन = नयन
शे + अन = शयन
(ii) ऐ + भिन्न स्वर = आय
नै + अक = नायक
गै + अक = गायक
(iii) ओ + भिन्न स्वर = अव
पो + अन = पवन
भो + अन = भवन
(iv) औ + भिन्न स्वर = आव
पौ + इक = पावक
पौ + अन = पावन
(6) पूर्वरूप संधि
सूत्र – एङपदांतादति
जब ए और ओ के बाद अ आता है तो दोनों के स्थान पर पूर्वरूप (उल्टा एस ) हो जाता है।
उदाहरण :–
हरे + अव = हरेSव
देवो + अपि = देवोSपि
(7) पररूप संधि
सूत्र – एडि.परहपम
जब प्र और उप उपसर्ग के बाद ए या ओ आते हैं तो दोनों में मेल हो जाता है।
उदाहरण :–
प्र + एजते = प्रेजते
उप + ओषति = उपोषति
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व्यंजन संधि के नियम || व्यंजन संधि से संबंधित नियम
(1) वर्ग के प्रथम वर्ण का तृतीय वर्ण में परिवर्तन
यदि वर्ग के पहले वर्ण (क, च, ट, त, प) के पश्चात किसी वर्ग का
तीसरा या चौथा वर्ण (ग, घ, ज, झ, ड, ढ, द, ब, भ) य, र, ल, व, ह या कोई स्वर आए तो पहला वर्ण उसी वर्ग के तीसरे वर्ण में परिवर्तित हो जाता है।
जैसे-क का ‘ग’, च का ‘ज’ हो जाता है।
व्यंजन संधि के उदाहरण
दिक् + गज = दिग्गज
संत् + गति = सद्गति
दिक् + अंबर = दिगंबर
(2) वर्ग के पहले वर्ण का पाँचवें वर्ण में परिवर्तन
यदि किसी वर्ग के पहले वर्ण (क, च, ट, त, प) के पश्चात न् या म् वर्ण आता है उनके स्थान पर उसी वर्ग का पॉँचवाँ वर्ण (ड्, ञ्, ण्, न्, म्) हो जाता है।
उदाहरण :–
जगत + नाथ = जगन्नाथ
वाक + मय = वाङ्मय
दिक + नाग = दिङनाग
सत + मार्ग = सन्मार्ग
चित + मय = चिन्मय
उत् + मत्त = उन्मत
(3) त’ संबंधी व्यंजन संधि | व्यंजन संधि में त से सम्बंधित नियम
(क) यदि ‘त्’ के बाद ल् हो तो ‘त्’ ध्वनि ‘ल्’ में बदल जाती है।
उदाहरण-
उत् + लेख = उल्लेख
उत् + लास = उल्लास
तत् + लीन = तल्लीन
उत् + लंघन = उल्लंघन
(ख) यदि त् के बाद च् या छ् हो तो त् का च् हो जाता है।
उदाहरण-
उत् + चारण = उच्चारण
संत् + चरित्र = सच्चरित्र
शरत् + चंद्र = शरच्चंद्र
सत् + चित् = सच्चित्
(ग) यदि त् के बाद श आए तो तू का च् तथा श का छ हो जाता है।
उदाहरण-
तत् + शिव = तच्छिव
उत् + श्वास = उच्छवास
(घ) यदि त् के बाद ज या झ हो तो त् का ज् हो जाता है।
उदाहरण-
सत् + जन = सज्जन
उत् + ज्वल = उज्ज्वल
विपत् + जाल = विपज्जाल
(ङ) यदि त् के बाद ट् या ठ् हो तो त् का ट् हो जाता है।
उदाहरण-
तत् + टीका = टट्टीका
वृहत् + टीका = वृहट्टीका
(च) यदि त के बाद ड् या ढ् हो तो त का ड् हो जाता है।
उदाहरण-
उत् + डयन = उड्डयन
(छ) त के बाद ह हो तो त का द और ह का ध हो जाता है।
उदाहरण :–
उत् + हार = उद्धार
उत् + हत = उद्धत
(4) स्वर के बाद यदि छ वर्ण आ जाए तो छ से पहले च् वर्ण जोड़ दिया जाता है।
उदाहरण :–
स्व + छंद = स्वच्छंद
वि+ छेद = विच्छेद
(5) स् से पहले यदि अ, आ के अतिरिक्त कोई अन्य स्वर आए तो स का ष हो जाता है।
उदाहरण-
अभि + सेक = अभिषेक
वि + सम = विषम
सु + समा = सुषमा
(6) ‘न’ का ‘ण’ में परिवर्तन
यदि ऋ, र और ष के बाद न हो तो न का ण हो जाता है। बीच में यदि कोई स्वर या व्यंजन हो तो भी न, ण में बदल जाता है; जैसे-
उदाहरण-
राम + अयन = रामायण
परि + मान = परिमाण
प्र + मान = प्रमाण
(7) म संबंधी व्यंजन संधि | व्यंजन संधि में म से सम्बंधित नियम
(क) म के बाद यदि क् से म् तक कोई भी व्यंजन आए तो म उसी वर्ग के अंतिम वर्ण या अनुस्वार में बदल जाता है। म का वर्ण पंचम वर्ण या अनुस्वार बन जाता है।
सम् + कल्प = संकल्प
सम + पूर्ण = संपूर्ण, सम्पूर्ण
सम् + तोष = संतोष, सन्तोष
सम + जय = संजय, सञ्जय
(ख) म से पहले म् हो तो द्वित्व हो जाता है।
उदाहरण-
सम् + मति = सम्मति
सम् + मुख = सम्मुख
(ग) म् के बाद य्, र्, ल्, व्, श्, ष्, स्, ह् में से कोई भी वर्ण हो तो अनुस्वार हो होता है।
उदाहरण-
सम् + स्मरण = संस्मरण
सम + सार = संसार
सम् + वाद = संवाद
सम + हार = संहार
सम् + योग = संयोग
सम + रक्षक = संरक्षक
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विसर्ग संधि के नियम || विसर्ग संधि से संबंधित नियम
(i) विसर्ग का ओ
यदि विसर्ग से पहले अ हो तो विसर्ग के बाद किसी वर्ग का तीसरा, चौथा, पाँचवाँ वर्ण हो या य, र, ल, व, ह हो तो विसर्ग का ‘ओ’ हो जाता है।
उदाहरण-
मनः + ज = मनोज
पथः + धर = पाथोधर
मनः + हर = मनोहर
यश: + दा = यशोदा
(ii) विसर्ग का ‘र’
यदि विसर्ग के पूर्व ‘अ’, ‘आ’ के अतिरिक्त अन्य स्वर हो तथा विसर्ग के बाद कोई स्वर, किसी भी वर्ग का तीसरा, चौथा, पाँचवाँ वर्ण या य, र, ल, व, ह हो तो विसर्ग का ‘र’ हो जाता है।
उदाहरण-
निः + धन = निर्धन
निः + जन = निर्जन
दुः + आत्मा = दुरात्मा
(iii) विसर्ग को श, स होना
यदि विसर्ग के बाद च/छ/श हो तो विसर्ग का श् तथा त या स हो तो विसर्ग का स हो जाता है।
उदाहरण-
नि: + चल = निश्चल
नमः + शासन = दुश्शासन
नि: + संतान = निस्संतान
नि: + छल = निश्छल
दुः + साहस = दुस्साहस
नमः + ते = नमस्ते
(iv) विसर्ग का लुप्त होना
यदि विसर्ग से पूर्व अ/आ हो और बाद में कोई भिन्न स्वर हो, तो विसर्ग का लोप हो जाता है।
उदाहरण-
अतः + एव = अतएव
वक्षः + स्थल = वक्षस्थल
तप:+ स्वी = तपस्वी
यश:+ स्वी = यशस्वी
(v) विसर्ग पूर्व स्वर का दीर्घ हो जाना
यदि विसर्ग के बाद में र हो तो विसर्ग लप्त हो जाता है तथा पूर्व स्वर दीर्घ हो जाता है।
उदाहरण-
(1) नि: + रोग = नीरोग
(2) निः + रस = नीरस
(3) निः + रव = नीरव
(4) निः + रज = नीरज
(vi) विसर्ग में परिवर्तन न होना
यदि विसर्ग से पहले अ हो और विसर्ग के बाद क या प हो तो विसर्ग में परिवर्तन नहीं होता।
उदाहरण-
प्रात: + काल = प्रातः काल
पयः + पान = पय:पान
अंतः + करण = अंतः करण
अथः + पतन = अध:पतन
हिंदी की विशेष संधियां
(1) स्वर का ह्रस्व हो जाना
बच्चा + पन = बचपन
आधा + पका = अधपका
लड़का + पन = लड़कपन
(2) प्रत्यय के योग से बनी संधियाँ
सोना + आर = सुनार
गाँव + आर = गँवार
(3) ह्रस्व स्वर का दीर्घ हो जाना
मूसल + धार = मूसलाधार
उत्तर + खंड = उत्तराखंड
(4) स्वर का लोप हो जाना
लेना + देना = लेनदेन
पानी + घाट = पनघट
घोड़ा + दौड़ = घुड़दौड़
(5) व्यंजन का लोप
सब + ही = सभी
जब + ही = जभी
यहाँ + ही = यहीं
इस + ही = इसी
कब + ही = कभी
तब + ही = तभी
वहाँ + ही = वहीं
(6) नए वर्ण का आ जाना
रो + आ = रोया
ला + आ = लाया
आ + ए = आइए
ले + आ = लिया
पी + ए = पीजिए
खा + ए = खाइए
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संधि और समास में अंतर | समास और संधि में क्या अंतर है
(1) संधि और समास में मुख्य रूप से यह अंतर है कि संधि दो वर्णों के बीच होती है, जबकि समास दो या दो से अधिक शब्दों में होता है।
(2) संधि वाले शब्दों को तोड़ने की क्रिया को विच्छेद कहते हैं, और समस्त पदों को तोड़ने की क्रिया को भी विग्रह कहते हैं।
(3) संधि में विभक्ति या पद का लोप नहीं होता, जबकि समास में विभक्ति और पद का लोप होता है।
हिंदी में संधि – परिभाषा,प्रकार,नियम,उदाहरण | sandhi in hindi से जुड़े परीक्षा उपयोगी प्रश्न
प्रश्न-1- सुखार्त में कौन सी संधि है ?
उत्तर- यह एक अपवाद है यहां गुण न होकर वृद्धि
प्रश्न-2- परिणाम में संधि बताइये ?
उत्तर- अनुस्वार संधि
प्रश्न-3- संधि शब्द में कौन सी संधि है?
उत्तर- अनुस्वार संधि
प्रश्न-4- जहाँ स्वर और व्यंजन में मेल होता है उसे कौन सी संधि कहते हैं?
उत्तर- व्यंजन संधि
प्रश्न-5- विद्यार्थी में कौन सी संधि है?
उत्तर- दीर्घ स्वर संधि
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