थार्नडाइक का सीखने का सिद्धांत, थार्नडाइक का प्रयोग, प्रयास एवं त्रुटि का सिद्धांत, प्रयत्न एवं भूल का सिद्धांत – आज के इस आर्टिकल में थार्नडाइक का सीखने का सिद्धांत के बारे में ,थार्नडाइक का प्रयोग भी बताएंगे। थार्नडाइक के सिद्धांतों में ज़िक्र होगा प्रयास एवं त्रुटि के सिद्धांत का या फिर प्रयत्न एवं भूल के सिद्धांत का।
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सीखने के सिद्धांत–

यदि हम सीखने के सिद्धांत के बारे में बात करें तो सीखने के सिद्धांत का विभाजन 2 तरीके से किया गया है जिसमें अधिगम के साहचर्य सिद्धांत तथा अधिगम के क्षेत्रीय सिद्धांत में बांटा गया है ।अधिगम के क्षेत्रीय सिद्धांत में केवल कोहलर के सूझ का सिद्धांत शामिल किया गया है जबकि अधिगम के साहचर्य सिद्धांत का पुनः दो तरीके से विभाजन किया गया है जिसमें पुनर्बलन युक्त उद्दीपन अनुक्रिया सिद्धांत जिसमें थार्नडाइक व स्किनर का शामिल है जबकि दूसरा प्रकार पुनर्बलन रहित उद्दीपन अनुक्रिया सिद्धांत जिसमें पावलव का सिद्धांत शामिल है।

Contents
थार्नडाइक का सीखने का सिद्धांत।।thorndike ka siddhant
ई.एल. थार्नडाइक (अमेरिकी) द्वारा प्रतिपादित सीखने के सिद्धांत को अति महत्वपूर्ण सिद्धांत माना है जिसमें हमें साहचर्य वाद तथा विज्ञान की विधियों का अनोखा संगम दिखाई देता है।थार्नडाइक ने 1898 ई. में अपने पीएचडी शोध प्रबंध जिसका शीर्षक एनिमल इंटेलिजेंस था इसमें पशु व्यवहारों के अध्ययन के फल स्वरूप ही इन्होंने सिद्धांत दिया।
थार्नडाइक के सीखने के सिद्धांत के अन्य नाम-
(1)उद्दीपन अनुक्रिया सिद्धांत
(2) प्रयास एवं त्रुटि का सिद्धांत
(3) संयोजन वाद का सिद्धांत
(4) अधिगम का बंध सिद्धांत
(5) प्रयत्न एवं भूल का सिद्धांत
(6) S R थ्योरी
(7) stimulate response theory
(8) संबंध वाद का सिद्धांत
थार्नडाइक का प्रयोग
इन्होंने अपना प्रयोग भूखी बिल्ली पर किया। बिल्ली को कुछ समय तक भूखा रखने पर पिंजरे में बंद कर दिया जिसे पजल बॉक्स कहते हैं। पिंजड़े के बाहर भोजन के रूप में मछली का टुकड़ा रख दिया , पिंजरे के अंदर एक लीवर लगा था जिसके दबने से पिंजरे का दरवाजा खुल जाता था।
भूखी बिल्ली ने भोजन प्राप्त करने तथा पिंजड़े से निकलने के लिए अनेक त्रुटिपूर्ण कार्य किए , बिल्ली के लिए भोजन उद्दीपक का कार्य कर रहा था और उद्दीपक के कारण बिल्ली अनुक्रिया कर रही थी। बिल्ली ने अनेक प्रकार से बाहर निकलने का प्रयत्न किया एक बार सहसा उसके पंजे से लीवर दब गया और दरवाजा खुल गया।
भूखी बिल्ली ने पिंजड़े से निकालकर मछली खाकर अपनी भूख शांत की। थार्नडाइक ने इस प्रयोग को कई बार दोहराया और देखा कि हर बार बिल्ली को पहले से कुछ कम समय लगा और कुछ समय बाद बिल्ली बिना किसी त्रुटि के एक ही प्रयास में पिंजड़े का दरवाजा खोलना सीख लिया इस प्रकार उद्दीपक और अनुक्रिया में संबंध स्थापित हो गया।
उपर्युक्त प्रयोग में बिल्ली द्वारा अपनाए गए चरण-
(1) चालक— भूख
(2) लक्ष्य— मछली को प्राप्त करना
(3) बाधा— पिंजरे का दरवाजा बंद होना
(4) उल्टे सीधे प्रयत्न— पिंजड़े को काटना व बाहर निकलने का प्रयास करना
(5) संयोग व सफलता— लीवर का दबना व दरवाजे का खोलना
(6) सही प्रयत्न का चुनाव— दरवाजा खोलने का तरीका
(7) स्थिरता— दरवाजा खोलना
थार्नडाइक का सीखने का सिद्धांत का मूल्यांकन-
थार्नडाइक ने अपने प्रयोग के माध्यम से यह बताया है की साहचर्य ही सीखने का आधार है। इन्होंने बताया है की सीखने वाला उद्दीपन अनुक्रिया के माध्यम से जितनी जल्दी संबंध स्थापित कर लेता है उतनी ही जल्दी सीख जाता है। इन्होंने ने अधिगम के महत्वपूर्ण नियम भी दिए है। इनके द्वारा प्रतिपादित प्रयास और त्रुटि का सिद्धांत (trail & error) जो उद्दीपन अनुक्रिया (stimulus response) के सिद्धांत पर आधारित है, साहचर्यवादी सिद्धांत (associate theory) ही है।
सिद्धांत की आलोचना
सिद्धांत की आलोचना में यह है कि इन्होंने कुछ बेकार प्रयत्नों पर बल दिया है जिनकी कोई आवश्यकता नहीं है तथा इनका सिद्धांत बार-बार अभ्यास की ओर संकेत करता है बार-बार अभ्यास करना रटने जैसा ही है अर्थात पुनः पुनः अभ्यास रटने की ओर संकेत करता है।
FAQS
उत्तर – एडवर्ड एल. थार्नडाइक एक अमेरिकी मनोवैज्ञानिक थे, जिन्होंने शिक्षण और अधिगम (learning) के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने कनेक्शनिज़्म (Connectionism) सिद्धांत विकसित किया और व्यवहारवाद (Behaviorism) की नींव रखी।
उत्तर – थार्नडाइक ने “प्रयास और त्रुटि” (Trial and Error) अधिगम सिद्धांत प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने बताया कि सीखना धीरे-धीरे सुधारों के माध्यम से होता है।
उत्तर – थार्नडाइक ने अपने प्रयोग मुख्य रूप से बिल्लियों पर किए थे। उन्होंने “पज़ल बॉक्स” (Puzzle Box) नामक उपकरण का उपयोग किया, जिससे यह समझने की कोशिश की कि जानवर कैसे सीखते हैं।
उत्तर – यह सिद्धांत कहता है कि सीखना कई प्रयासों और गलतियों के माध्यम से होता है, और सही उत्तर मिलने पर प्रतिक्रिया को मजबूत किया जाता है।
उत्तर – थार्नडाइक ने तीन मुख्य नियम दिए:प्रभाव का नियम (Law of Effect)अभ्यास का नियम (Law of Exercise)तत्परता का नियम (Law of Readiness)
उत्तर – यह नियम बताता है कि यदि किसी क्रिया का परिणाम सुखद होता है, तो उस क्रिया को दोहराने की संभावना बढ़ जाती है, और यदि परिणाम अप्रिय होता है, तो क्रिया को छोड़ दिया जाता है।
उत्तर – यह नियम कहता है कि किसी भी कौशल या ज्ञान को जितना अधिक दोहराया जाएगा, वह उतना अधिक मजबूत होगा।
उत्तर – यह नियम बताता है कि यदि व्यक्ति मानसिक और शारीरिक रूप से सीखने के लिए तैयार है, तो अधिगम अधिक प्रभावी होगा।
उत्तर – उनके सिद्धांत कक्षा शिक्षण, व्यवहार प्रबंधन और स्किल डेवेलपमेंट में मददगार हैं। वे शिक्षकों को प्रभावी शिक्षण तकनीकें अपनाने में सहायता करते हैं।
उत्तर – नहीं, हालांकि उनके प्रयोग जानवरों पर आधारित थे, लेकिन उनके सिद्धांत इंसानों के सीखने की प्रक्रिया को समझने में भी सहायक हैं।
उत्तर – उनके सिद्धांत ने व्यवहारवाद को मजबूत आधार दिया, जिससे आगे चलकर बी.एफ. स्किनर जैसे मनोवैज्ञानिकों ने ऑपेरेंट कंडीशनिंग (Operant Conditioning) का विकास किया।
उत्तर – उनके सिद्धांतों का उपयोग आधुनिक शिक्षण विधियों, जैसे कि ऑनलाइन लर्निंग, गेमिफिकेशन, और स्किल-बेस्ड ट्रेनिंग में किया जाता है।
उत्तर – हां, आलोचक कहते हैं कि उनका सिद्धांत केवल व्यवहारवादी दृष्टिकोण पर आधारित है और इसमें संज्ञानात्मक पहलुओं की कमी है।
उत्तर – हां, बी.एफ. स्किनर, पावलव और वाटसन जैसे व्यवहारवादी मनोवैज्ञानिकों ने उनके सिद्धांतों से प्रेरणा ली और अपने शोध कार्यों में इनका उपयोग किया।
उत्तर – यह एक बंद बॉक्स था, जिसमें जानवर को एक विशेष क्रिया (जैसे लीवर दबाना) करने पर ही बाहर निकलने का रास्ता मिलता था।
उत्तर – उनके सिद्धांतों का उपयोग कर्मचारियों को कौशल सिखाने, उत्पादकता बढ़ाने और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रभावी बनाने में किया जाता है।
उत्तर – बाद में थार्नडाइक ने प्रभाव के नियम (Law of Effect) को संशोधित किया और कहा कि नकारात्मक प्रभावों की तुलना में सकारात्मक प्रभाव सीखने को अधिक प्रभावित करते हैं।
उत्तर – हां, उनके सिद्धांत अभ्यास और पुनरावृत्ति (Repetition) के महत्व को दर्शाते हैं, जो खेलों में कौशल सुधार के लिए आवश्यक हैं।
उत्तर – उनके सिद्धांतों का उपयोग व्यवहार को सुधारने और वांछित प्रतिक्रियाओं को मजबूत करने के लिए किया जाता है, जैसे कि आदत सुधारने की तकनीकें।
उत्तर – शिक्षकों और प्रशिक्षकों द्वारा उनके सिद्धांतों का उपयोग सीखने की प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाने के लिए किया जाता है, जैसे कि चरणबद्ध अधिगम (Step-by-Step Learning) और प्रत्यक्ष प्रतिक्रिया (Immediate Feedback) तकनीकों में।
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