क्रिया प्रसूत अनुबंधन सिद्धांत,अनुक्रिया उद्दीपन सिद्धान्त,स्किनर का प्रयोग-आज के इस आर्टिकल में आज हम स्किनर के सिद्धान्त,स्किनर के प्रयोग,स्किनर का पुनर्बलन पर जोर एवं कक्षा शिक्षण में क्या उपयोगिता है इसको जानेंगे। तो चलिए आज हमारी वेबसाइट hindiamrit.com के माध्यम से इसको विस्तार से समझते है।

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स्किनर का क्रिया प्रसूत अनुबंधन सिद्धांत–Operant conditioning theory of skinner in hindi
बी एफ स्किनर का पूरा नाम बुहरम फ्रेडरिक स्किनर है। अमेरिका के लेखक, वैज्ञानिक , व्यवहारवादी ,आविष्कारक और सामाजिक दार्शनिक थे। स्किनर को कट्टर व्यवहारवादी के रूप में जाना जाता है। इनके द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत को क्रिया प्रसूत अनुबंधन सिद्धांत कहते हैं। इस सिद्धांत के लिए इन्होंने सफेद चूहा और कबूतर पर प्रयोग किया था।
क्रिया प्रसूत अनुबंधन सिद्धांत के उपनाम। क्रिया प्रसूत अनुबंधन सिद्धांत का दूसरा नाम
(1) क्रिया प्रसूत का सिद्धांत
(2) अनुक्रिया उद्दीपन सिद्धांत
(3) सक्रिय अनुबंधन सिद्धांत
(4) साधानात्मक अनुबंधन प्रयोग
(5) सक्रिय अनुकूलित अनुक्रिया का सिद्धांत
(6) नैमित्तिक अनुक्रिया का सिद्धांत
(7) अधिगम के पुनर्बलन का सिद्धांत
(8) कार्यात्मक अनुबंधन का सिद्धांत
(9) R S थ्योरी
(10) स्किनर का बॉक्स प्रयोग

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स्किनर का चूहे पर प्रयोग (1938 ई.)-
इन्होंने भूखे चूहे को स्किनर बॉक्स में छोड़ दिया जो पूर्णता ध्वनि रोधी बॉक्स था, बॉक्स की दीवार से निकलता हुआ एक लीवर था। जिसका संबंध एक स्वचालित मशीन से होता था,जिससे लीवर दबने की अनुक्रिया की रिकॉर्डिंग अपने आप हो जाती थी। लीवर दबने से अपने आप भोजन गोली के रूप में चूहे के सामने आ जाता था। ऐसा देखा गया कि प्रयोग में चूहा पहले काफी समय तक इधर-उधर घूमता रहा तथा दीवार और फर्श को सूँघता रहा और दीवार को दांत से काटने की कोशिश करता रहा। फिर लीवर के पास आया और लीवर उससे अचानक उसके पैर से दब गया।
और उसे खाने के लिए गोलियां मिल गई ।बाद के प्रयासों में वह बॉक्स में इधर-उधर घूमने या सूंघने में समय व्यतीत नहीं करता था। अंत में एक ऐसा समय आया जिसमें उसको बाक्स में छोड़े जाने पर उसने सीधे लीवर दबाकर भोजन की गोलियां प्राप्त कर ली । और उसे खा लिया इस तरह उसने लीवर दबाने की अनुक्रिया सीख ली।
स्किनर का कबूतर पर पहला प्रयोग(1943 ई.)–
स्किनर ने चूहे के जैसे ही प्रयोग कबूतर के साथ भी किया उन्होंने कबूतर को अपने बॉक्स अर्थात स्किनर बॉक्स में बंद कर दिया। जिसमें एक विशेष स्थान पर चोच मारने पर उसे एक उद्दीपन के रूप में भोजन प्राप्त होता था। पहले कुछ समय तक कबूतर ने इस कार्य को करने में अधिक समय लिया परंतु कुछ समय बाद इस कार्य में निपुण हो गया। और जैसे ही उसे बॉक्स में बंद किया जाता वैसे ही वह उस विशेष स्थान पर चोट मार कर भोजन प्राप्त कर लेता था। इस प्रकार उसने बॉक्स में चोंच मारने की अनुक्रिया सीख ली।
उपयोगी लिंक-
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स्किनर का कबूतर पर दूसरा प्रयोग (1943 ई.)–
इस प्रयोग में स्किनर ने कबूतर को एक गोल रिंग में बंद कर दिया।और उसे भोजन प्राप्त करने के लिए उस रिंग का चक्कर लगाने रूपी अनुक्रिया करनी पड़ती थी। जब वह उस रिंग का एक चक्कर लगा लेता तो उसे भोजन (पुनर्बलन) की प्राप्ति होती। पुनः पुनः अनुक्रिया द्वारा चक्कर लगाकर कबूतर भोजन प्राप्त करना सीख गया। इस प्रयोग के अनुसार भी उसने अपनी अनुक्रिया द्वारा भोजन के प्राप्ति कर ली।
क्रिया प्रसूत अनुबंधन सिद्धांत का अर्थ-
स्किनर क्रियाओं पर जोर देते हैं इसलिए इस सिद्धांत को क्रिया प्रसूत अनुबंधन का सिद्धांत कहते हैं। स्किनर ने इन प्रयोगों के आधार पर बताया कि व्यवहार की पुनरावृत्ति व परिमार्जन उसके परिणामों द्वारा निर्देशित होता है। व्यक्ति व्यवहार को संचालित करते हुए तथा उसे हमेसा बनाये रखने के लिए परिणाम को सहारा लेता है, अर्थात परिणाम द्वारा ही उसके व्यवहार का संचालन होता है। स्किनर ने इस व्यवहार को क्रिया प्रसूत व्यवहार नाम दिया है। इस प्रकार स्किनर ने दो प्रकार के व्यवहार बताये है:-
(1) प्रतिवादित व्यवहार (Respondent behavior) – इसमे अनैच्छिक क्रियाएं आती है। जैसे-प्रकाश पड़ने पर आंखों का झपकना।
(2) क्रिया प्रसूत व्यवहार (operant behavior) – इसमे ऐच्छिक क्रियाये आती है। जैसे-चलना,दौड़ना आदि।
स्किनर द्वारा पुनर्बलन पर जोर-
प्रयोगों के आधार पर स्किनर ने एक बात और भी बताई है उन्होंने बताया की जैसे लिवर में चूहे का पैर पड़ता है तो उसे भोजन की प्राप्ति होती है, तो भोजन उसके लिए एक पुनर्बलन का काम करता है। इस प्रकार वह जान जाता है कि लीवर में पैर पड़ने पर उसे भोजन मिलेगा तो इस पुनर्बलन के माध्यम से वह हर बार दीवार में पैर रखता है। इस प्रकार प्रयोगों के आधार पर स्किनर ने शिक्षा जगत में पुनर्बलन को जन्म दिया। इनके अनुसार पुनर्बलन चार प्रकार का होता है-
(1) सतत पुनर्बलन
(2) निश्चित अंतराल पुनर्बलन
(3) निश्चित अनुपात पुनर्बलन
(4) परिवर्तनशील पुनर्बलन
स्किनर का मानना है कि क्रिया करते रहना चाहिए तथा क्रिया के तुरंत बाद बालक को पुनर्बलन देना चाहिए।क्योंकि पुनर्बलन करने से क्रिया करने की गति में तीव्रता जाती । क्रिया के अनुसार सकारात्मक या नकारात्मक पुनर्बलन देना चाहिए क्योंकि देर करने से इसका प्रभाव कम हो जाता है।
क्रिया प्रसूत अनुबंधन सिद्धांत की आलोचना-
यद्यपि अधिकांश मनोवैज्ञानिकों ने इस सिद्धांत की प्रशंसा की परंतु कुछ मनोवैज्ञानिकों ने सिद्धांत की आलोचना भी की उनका मानना है कि यह सिद्धांत नियंत्रित परिस्थिति में किया गया है। तो इसे प्राकृतिक रूप कैसे दिया जाए। सिद्धांत में अनेक पशु व जीव थे तो उन पर किए गए प्रयोग व निकले हुए सिद्धांतों व नियमों को सामाजिक परिस्थितियों में कैसे लागू किया जाए।
स्किनर के क्रिया प्रसूत अनुबंधन सिद्धांत का कक्षा शिक्षण में प्रयोग–
(1) इस सिद्धांत के द्वारा शिक्षक कक्षा शिक्षण के दौरान बालकों में विभिन्न कौशलों को जागृत करता है। और किसी खास लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है।
(2) किसी भी अच्छे कार्य के लिए सकारात्मक पुनर्बलन देकर उसे प्रोत्साहित करना चाहिए एवं गलत कार्य के लिए ऋणात्मक पुनर्बलन देकर घटाना चाहिए।
(3) स्किनर ने अपने इस सिद्धांत के द्वारा पशुओं तथा मनुष्यों को काफी जटिल कार्यों को पुनर्बलन देकर आसानी से करने के लिए प्रेरित किया।
(4) यह सिद्धांत और व्यवहार चिकित्सा में भी उपयोगी माना जाता है।
FAQS
उत्तर – बी.एफ. स्किनर (B.F. Skinner) एक प्रसिद्ध अमेरिकी मनोवैज्ञानिक थे, जिन्होंने “ऑपेरेंट कंडीशनिंग” (Operant Conditioning) का सिद्धांत प्रस्तुत किया। उन्होंने सीखने और व्यवहार को नियंत्रित करने में पुरस्कार (Rewards) और दंड (Punishments) की भूमिका को समझाया।
उत्तर – स्किनर का सिद्धांत ऑपेरेंट कंडीशनिंग पर आधारित है, जिसमें यह बताया गया है कि किसी भी व्यवहार को सकारात्मक या नकारात्मक परिणामों के आधार पर बदला और नियंत्रित किया जा सकता है।
उत्तर – स्किनर ने अपने प्रयोग मुख्य रूप से चूहों और कबूतरों पर किए थे। उन्होंने “स्किनर बॉक्स” (Skinner Box) का उपयोग किया, जिसमें जानवरों को उत्तेजनाओं के आधार पर प्रतिक्रिया देना सिखाया गया।
उत्तर – ऑपेरेंट कंडीशनिंग में किसी व्यवहार के बाद मिलने वाले परिणाम से उस व्यवहार की पुनरावृत्ति की संभावना बढ़ती या घटती है। यदि परिणाम सुखद हो तो व्यवहार मजबूत होता है, और यदि परिणाम नकारात्मक हो तो व्यवहार कमजोर हो जाता है।
उत्तर – स्किनर के सिद्धांत में तीन प्रमुख घटक हैं:सकारात्मक सुदृढ़ीकरण (Positive Reinforcement) – जब किसी अच्छे व्यवहार को पुरस्कृत किया जाता है, तो वह व्यवहार मजबूत होता है।नकारात्मक सुदृढ़ीकरण (Negative Reinforcement) – जब किसी अप्रिय चीज़ को हटाकर व्यवहार को मजबूत किया जाता है।दंड (Punishment) – जब किसी अवांछित व्यवहार को कम करने के लिए दंड दिया जाता है।
उत्तर – यह एक विशेष प्रकार का बॉक्स था, जिसमें चूहों और कबूतरों को रखा जाता था। इसमें लीवर दबाने पर भोजन दिया जाता था, जिससे जानवरों को सीखने का अनुभव मिलता था।
उत्तर – अगर कोई बच्चा अच्छा प्रदर्शन करता है और उसे इनाम मिलता है, तो उसकी अच्छा करने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है।
अगर कोई छात्र होमवर्क करने के बाद सजा से बच जाता है, तो भविष्य में वह होमवर्क समय पर करने की प्रवृत्ति विकसित करेगा।
उत्तर – उत्तर – सकारात्मक दंड (Positive Punishment) – जब कोई अप्रिय चीज़ जोड़कर बुरा व्यवहार रोका जाता है (जैसे डांटना)।नकारात्मक दंड (Negative Punishment) – जब कोई सुखद चीज़ हटाकर बुरा व्यवहार रोका जाता है (जैसे खेलने का समय कम करना)।
उत्तर – शिक्षक इस सिद्धांत का उपयोग छात्रों के व्यवहार को सकारात्मक रूप से प्रभावित करने के लिए करते हैं, जैसे कि अच्छे प्रदर्शन पर पुरस्कार देना और अनुशासनहीनता पर दंड लगाना।
उत्तर – हाँ, स्किनर का सिद्धांत व्यवहारवाद का ही एक विस्तार है, जिसमें सीखने को केवल पर्यावरणीय प्रभावों से जोड़ा गया है।
उत्तर – पावलव का सिद्धांत प्रतिक्रियात्मक (Reflexive) व्यवहार पर केंद्रित था, जबकि स्किनर का सिद्धांत स्वैच्छिक (Voluntary) व्यवहार पर केंद्रित है, जो पुरस्कार और दंड के माध्यम से बदला जा सकता है।
उत्तर – प्रबंधक कर्मचारियों को अच्छे प्रदर्शन के लिए बोनस और प्रोत्साहन देकर उनकी उत्पादकता बढ़ाने के लिए इस सिद्धांत का उपयोग करते हैं।
उत्तर – हाँ, खिलाड़ियों को अच्छे प्रदर्शन के लिए पुरस्कृत करने से उनकी दक्षता और प्रेरणा बढ़ती है, जो ऑपेरेंट कंडीशनिंग का एक उदाहरण है।
उत्तर – इस सिद्धांत का उपयोग आदत सुधारने, नशा छुड़ाने और अन्य व्यवहार परिवर्तन प्रक्रियाओं में किया जाता है।
उत्तर – हाँ, माता-पिता अपने बच्चों को अच्छे व्यवहार के लिए पुरस्कार देकर और अनुचित व्यवहार को हतोत्साहित करके इस सिद्धांत का उपयोग कर सकते हैं।
उत्तर – यह केवल बाहरी व्यवहार (Observable Behavior) पर केंद्रित है और आंतरिक संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं (Cognitive Processes) को अनदेखा करता है।हर व्यवहार को केवल पुरस्कार और दंड के माध्यम से नियंत्रित नहीं किया जा सकता।
उत्तर – हाँ, इस सिद्धांत का उपयोग ऑटिज्म और अन्य व्यवहार संबंधी विकारों में सकारात्मक सुदृढ़ीकरण तकनीकों के रूप में किया जाता है।
उत्तर – हाँ, कंपनियाँ ग्राहकों को डिस्काउंट और लॉयल्टी प्रोग्राम के माध्यम से प्रेरित करने के लिए इस सिद्धांत का उपयोग करती हैं।
उत्तर – आधुनिक शिक्षा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित अनुकूलनशील शिक्षण (Adaptive Learning), और व्यवहार चिकित्सा में स्किनर के सिद्धांतों का उपयोग बढ़ता जा रहा है, जिससे यह भविष्य में भी महत्वपूर्ण रहेगा।
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