इंटरनेट पर निबंध हिंदी में | essay on internet in hindi

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इंटरनेट पर निबंध हिंदी में |  इंटरनेट की भूमिका एवं योगदान पर निबंध | इंटरनेट से लाभ पर निबंध | तकनीकी विकास में इंटरनेट का योगदान पर निबंध | essay on internet in hindi

इस निबंध के अन्य शीर्षक / नाम

(1) इंटरनेट का योगदान पर निबंध
(2) इंटरनेट की भूमिका पर निबंध
(3) internet essay in hindi
(4) इंटरनेट से लाभ और हानि पर निबंध

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पहले जान लेते है इंटरनेट पर निबंध हिंदी में |  इंटरनेट की भूमिका एवं योगदान पर निबंध | इंटरनेट से लाभ पर निबंध | तकनीकी विकास में इंटरनेट का योगदान पर निबंध | essay on internet in hindi की रूपरेखा ।

निबंध की रूपरेखा

(1) प्रस्तावना
(2) इंटरनेट की भूमिका
(3) इंटरनेट का इतिहास और विकास
(4) इंटरनेट संपर्क
(5) इंटरनेट सेवाएं
(क) ईमेल  (ख) टेलनेट  (ग)  इंटरनेट चर्चा 
(घ) वर्ल्ड वाइड वेब   (ङ) ई-कॉमर्स
(6) भारत में इंटरनेट
(7) भविष्य की दिशाएं
(8) उपसंहार

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प्रस्तावना

वर्तमान जीवन में हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा इंटरनेट बन चुका है। आज के समय में प्रत्येक क्षेत्र डिजिटल हो रहा है जिसमें इंटरनेट की भूमिका सर्वोपरि है।



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भूमिका

इण्टरनेट ने विश्व में जैसा क्रान्तिकारी परिवर्तन किया वैसा किसी भी दूसरी टेक्नोलॉजी ने नहीं किया।

नेट के नाम से लोकप्रिय इण्टरनेट अपने उपभोक्ताओं के लिए बहुआयामी साधन प्रणाली है।

यह दूर बैठे उपभोक्ताओं के मध्य अन्तर-सवाद का माध्यम है, सूचना या जानकारी में भागीदारी और सामूहिक रूप से काम करने का तरीका है; सूचना को विश्व स्तर पर प्रकाशित करने का जरिया है और सूचनाओं का अपार सागर है।

इसके माध्यम से इधर-उधर फैली तमाम सूचनाएं प्रसंस्करण के बाद ज्ञान में परिवर्तित हो रही हैं। इसने विश्व-नागरिकों के बहुत ही सुघड़ और घनिष्ठ समुदाय का विकास किया है।

इण्टरनेट विभिन्न टेक्नोलॉजियों के संयुक्त रूप से कार्य का उपयुक्त उदाहरण है। कम्प्यूटरों के बड़े पैमाने पर उत्पादन, कम्प्यूटर सम्पर्क-जाल का विकास, दूर-संचार सेवाओं की बढ़ती उपलब्धता और घटता खर्च तथा ऑकड़ों के भण्डारण और सम्प्रेषण में आयी नवीनता ने नेट के कल्पनातीत विकास और उपयोगिता को बहुमुखी प्रगति प्रदान की है।

आज किसी समाज के लिए इण्टरनेट वैसी ही ढाँचागत आवश्यकता है जैसे कि सड़कें, टेलीफोन या विद्युत् ऊर्जा।



इतिहास और विकास और विकास

इण्टरनेट का इतिहास पेचीदा है। इसका पहला दृष्टान्त सन् 1962 में मैसाचुसेट्स टेक्नोलॉजी संस्थान के जे० सी० आर० लिकप्लाइडर द्वारा लिखे गये कई ज्ञापनों के रूप में सामने आया था।

उन्होंने कम्प्यूटर की ऐसी विश्वव्यापी अन्तर्सम्बन्धित श्रृंखला की कल्पना की थी जिसके जरिये वर्तमान इण्टरनेट की तरह ही ऑकड़ों और कार्यक्रमों को तत्काल प्राप्त किया जा सकता था।

इस प्रकार के नेटवर्क में सहायक बनी तकनीकी सफलता पहली बार इसी संस्थान के लियोनार्ड क्लिनरोक ने सुझायी थी।

इण्टरनेट के इतिहास में 1973 का वर्ष ऐसा था जिसने अनेक मील के पत्थर जोड़े और इस प्रकार अधिक विश्वसनीय और स्वतन्त्र नेटवर्क की शुरुआत हुई।

इसी वर्ष में इण्टरनेट ऐक्टिविटीज बोर्ड की स्थापना की गयी। इस वर्ष के नवम्बर महीने में डोमेन नेमिंग सर्विस (डीएनएस) का पहला विवरण जारी किया गया और वर्ष की आखिरी महत्त्वपूर्ण घटना इण्टरनेट का सेना और आम लोगों के लिए उपयोग के वर्गीकरण द्वारा सार्वजनिक नेटवर्क के उदय के रूप में सामने आया तथा इसी के साथ आज प्रचलित इण्टरनेट ने जन्म लिया।

इण्टरनेट का बाद का इतिहास मुख्यत: बहुविध उपयोग का है, जो नेटवर्क की आधारभूत संरचना से ही सम्भव हो सका। बहुविध
उपयोग की दिशा में पहला कदम फाइल ट्रांसफर प्रणाली का विकास था।

इससे दूर-दराज के कम्प्यूटरों के बीच फाइलों का आदान-प्रदान सम्भव हो सका। सन् 1984 में इण्टरनेट से जुड़े कम्प्यूटरों की संख्या 1000 थी जो सन् ऊपर पहुँच चुकी थी।

सन् 1990 में ही टिम बर्नर-ली ने वर्ल्ड वाइड वेब (www) का आविष्कार करके सूचना प्रस्तुति का एक 1989 में एक लाख के नया तरीका सामने रखा,जो सरलता से इस्तेमाल योग्य सिद्ध हुआ।

सन् 1993 में ग्रैफिकल वेब ब्राउजर का आविष्कार इण्टरनेट के क्षेत्र में एक बड़ी घटना थी। इससे न केवल विवरण वरन् चित्रा का भी दिग्दर्शन सम्भव हो गया।

इस वेब ब्राउजर को मोजाइक कहा गया। इस समय तक इण्टरनेट उपभोक्ताओं की संख्या 20 लाख से अधिक हो गयी थी और आज प्रचलित इण्टरनेट आकार ले चुका था।





इण्टरनेट सम्पर्क

इण्टरनेट का आधार राष्ट्रीय या क्षेत्रीय सूचना इन्फ्रास्ट्रक्चर होता है जो सामान्यत: हाइबेंण्ड विड्थ ट्रंक लाइनों से बना होता है और जहाँ से विभिन्न सम्पर्क लाइनें कम्प्यूटरों को जोड़ती हैं जिन्हें आश्रयदाता (होस्ट) कम्प्यूटर कहते हैं।

ये आश्रयदाता कम्प्यूटर प्रायः बड़े संस्थानों; जैसे-विश्वविद्यालयों, बड़े उद्यमों और इण्टरनेट कम्पनियों से जुड़े होते हैं और इन्हें इण्टरनेट सर्विस प्रोवाइडर (आईएसपी) कहा जाता है ।

आश्रयदाता कम्प्यूटर चौबीसों घण्टे काम करते हैं और अपने उपभोक्ताओं को सेवा प्रदान करते हैं। ये कम्प्यूटर विशेष संचार लाइनों के जरिये इण्टरनेट से जुड़े रहते हैं ।

इनके उपभोक्ताओं/व्यक्तियों के पीसी (पर्सनल कम्प्यूटर) साधारण टेलीफोन लाइन और मोडेम के जरिए इण्टरनेट से जुड़े रहते हैं।

एक सामान्य उपभोक्ता एक निश्चित राशि का भुगतान करके आईएसपी से अपना इण्टरनेट खाता प्राप्त कर लेता है।

आईएसपी लॉगइन नेम, पासवर्ड (जिसे उपभोक्ता बदल भी सकता है) और नेट से जुड़ने के लिए कुछ एक जानकारियाँ उपलब्ध करा देता है।

एक बार इण्टरनेट से जुड़ जाने पर उपभोक्ता इण्टरनेट की तमाम सेवाओं तक अपनी पहुँच बना सकता है। इसके लिए उसे सही कार्यक्रम का चयन करना होता है।

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ज्यादातर इण्टरनेट सेवाएँ उपभोक्ता-सर्वर रूपाकार पर काम करती हैं । इनमें सर्वर वे कम्प्यूटर हैं जो नेट से जुड़े हुए व्यक्तिगत कम्प्यूटर उपभोक्ताओं को एक या अधिक सेवाएँ उपलब्ध कराते हैं।

इस सेवा के वास्तविक प्रयोग के लिए उपभोक्ता को उस विशेष सेवा के लिए आश्रित (क्लाइण्ट) सॉफ्टवेयर की जरूरत होती है।






इण्टरनेट सेवाएँ

इण्टरनेट की उपयोगिता उपभोक्ता को उपलब्ध सेवाओं से निर्धारित होती है । इसके उपभोक्ता को निम्नलिखित सेवाएँ उपलब्ध हैं-


(1) ई-मेल

ई-मेल या इलेक्ट्रॉनिक मेल इण्टरनेट का सबसे लोकप्रिय उपयोग है। संवाद के अन्य माध्यमों की तुलना में सस्ता, तेज और अधिक सुविधाजनक होने के कारण इसने दुनिया भर के घरों और कार्यालयों में अपनी जगह बना ली है।

इसके द्वारा पहले भाषायी पाठ ही प्रेषित किया जा सकता था, लेकिन अब सन्देश, चित्र, अनुकृति, ध्वनि, आँकड़े आदि भी प्रेषित किये जा सकते हैं।


(2) टेलनेट

टेलनेट एक ऐसी व्यवस्था है, जिसके माध्यम से उपभोक्ता को किसी दूर स्थित कम्प्यूटर से स्वयं को जोड़ने की सुविधा प्राप्त हो जाती है।



(3) इण्टरनेट चर्चा (चैट)

नयी पीढ़ी में इण्टरनेट रिले चैट या चर्चा व्यापक रूप से लोकप्रिय है।

यह ऐसी गतिविधि है, जिसमें भौगोलिक रूप से दूर स्थित व्यक्ति एक ही चैट सर्वर पर लॉग करके की-बोर्ड के जरिये एक-दूसरे से चर्चा कर सकते हैं।


इसके लिए एक वांछित व्यक्ति की आवश्यकता होती है, जो निश्चित समय पर उस लाइन पर सुविधापूर्वक उपलब्ध हो ।


(4) वल्ल्ड वाइड वेब

यह सुविधा इण्टरनेट के सर्वाधिक लोकप्रिय और प्रचलित उपयोगों में से एक है। यह इतनी आसान है कि इसके प्रयोग में बच्चों को भी कठिनाई नहीं होती।

यह मनचाही संख्या वाले अन्तर्सम्बन्धित डॉक्युमेण्ट का समूह है, जिसमें से प्रत्येक डॉक्युमेण्ट की पहचान उसके विशेष पते से की जा सकती है।

इस पर उपलब्ध सबसे महत्त्वपूर्ण सेवाओं में से एक सरचिंग है। इण्टरनेट में शताधिक सर्च-इंजन कार्यरत हैं जिनमें गूगल सर्वाधिक लोकप्रिय है।



(5) ई-कॉमर्स

इण्टरनेट की प्रगति की ही एक परिणति ई कॉमर्स है। किसी भी प्रकार के व्यवसाय को संचालित करने के लिए इण्टरनेट पर की जाने वाली कार्यवाही को ई-कॉमर्स कहते हैं।

इसके अन्तर्गत वस्तुओं का क्रय-विक्रय, विभिन्न व्यक्तियों या कम्पनियों के मध्य सेवा या सूचना आते हैं।

इन मुख्य सेवाओं के अतिरिक्त इण्टरनेट द्वारा और भी अनेक सेवाएं प्रदान की जाती हैं, जिनके असीमित उपयोग हैं।






भारत में इण्टरनेट

भारत में इण्टरनेट का आरम्भ आठवें दशक के अन्तिम वर्षों में अर्नेट (शिक्षा और अनुसन्धान नेटवर्क) के रूप में हुआ था।

इसके लिए भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक विभाग और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने आर्थिक सहायता उपलब्ध करायी थी। इस परियोजना में पाँच प्रमुख संस्थान, पाँचों भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान और इलेक्ट्रॉनिक निदेशालय सम्मिलित थे।

अनंट का आज व्यापक प्रसार हो चुका है और वह शिक्षा और शोध समुदाय को देशव्यापी सेवा दे रहा है। एक अन्य प्रमुख नेटवर्क नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेण्टर (एनआईसी) के रूप में सामने आया, जिसने प्राय: सभी जनपद मुख्यालयों को राष्ट्रीय
नेटवर्क से जोड़ दिया।

आज देश के विभिन्न भागों में यह 1400 से भी अधिक स्थलों को अपने नेटवर्क के जरिये जोड़े हुए है।
आम आदमी के लिए भारत में इण्टरनेट का आगमन 15 अगस्त, 1995 को हो गया था, जब विदेश संचार निगम लिमिटेड ने देश
में अपनी सेवाओं का आरम्भ किया।

प्रारम्भ के कुछ वर्षों तक इण्टरनेट की पहुँच काफी धीमी रही, लेकिन हाल के वर्षों में इसके उपभोक्ता की संख्या में जबरदस्त वृद्धि हुई है ।

सन् 1999 में टेलीकॉम क्षेत्र निजी कम्पनियों के लिए खोल दिये जाने के परिणामस्वरूप अनेक नये सेवा प्रदाता बेहद प्रतिस्पर्धी विकल्पों के साथ सामने आए।

भारत में इण्टरनेट का उपयोग करने वाले विश्व की तुलना में चौथे स्थान पर हैं। सरकारी एजेंसियाँ इस बात के लिए प्रयासरत हैं कि आईटी का लाभ सामान्य जन तक पहुंचाया जा सके।

भारतीय रेल द्वारा कम्प्यूटरीकृत आरक्षण, आन्ध्र प्रदेश सरकार द्वारा शहरों के मध्य सूचना प्रणाली की स्थापना तथा केरल सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा फास्ट रिलायबिल इन्स्टेण्ट एफीशिएण्ट नेटवर्क फॉर डिस्बर्समेण्ट ऑफ सर्विसेज (फ्रेण्ड्स) जैसी पेशकशों ने इस दिशा में देश के आम नागरिकों की अपेक्षाओं को बहुत बढ़ा दिया है।





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भविष्य की दिशाएँ

भविष्य के प्रति इण्टरनेट बहुत ही आश्वस्तकारी दिखाई दे रहा है और आज के आधार पर कहीं अधिक प्रगतिशाली सेवाएँ प्रदान करने वाला होगा।

भविष्य के नेटवर्क जिन उपकरणों और साधनों को जोड़ेंगे, वे मात्र कम्प्यूटर नहीं होंगे, वरन् माइक्रोचिप से संचालित होने के कारण तकनीकी अर्थों में कम्प्यूटर जैसे होंगे।

आने वाले समय में केवल कार्यालय ही नहीं निवास, स्कूल, अस्पताल और हवाई अड्डे एक-दूसरे से जुड़े हुए होंगे।

इण्टरनेट व्यक्तियों और समुदायों को परस्पर घनिष्ठ रूप से काम करने के लिए सक्षम बना देगा और भौगोलिक दूरी के कारण आने वाली बाधाओं को समाप्त कर देगा।

कम्प्यूटर रचित समुदायों का उदय हो जाएगा और तब दमनकारी शासकों के लिए विश्व में अपनी लोकप्रयता को सुरक्षित रख पाना सम्भव नहीं रह जाएगा।

भविष्य में टेक्नोलॉजी का उपयोग संस्कृति, भाषा और विरासत की विविधता की रक्षा के लिए किया जाएगा तथा भविष्य की राजनीतिक व्यवस्था भी इस सबसे अछूती नहीं रहेगी।




उपसंहार

टेक्नोलॉजियों के लोकप्रिय होते ही सामान्य शिक्षित नागरिकों के लिए भी यह पूरी तरह आसान हो जाएगा कि वह कानून-निर्माण की प्रक्रिया में गक्रिय गगीदारी कर सकें।

इसके फलस्वरूप कहीं अधिक समर्थ लोकतन्त्र सम्भव हो सकेगा जिसमें निर्वाचित प्रतिनिधियों के उत्तरदायित्व कुछ अलग प्रकार के होंगे।

भविष्य की सबसे बड़ी चुनौती इण्टरनेट टेक्नोलॉजी के दोहन की है जिससे समाज के हर वर्ग तक उसके फायदों की पहुँच सम्भव बनायी जा सके।

किसी भी टेक्नोलॉजी का उपयोग हमेशा समूचे समाज के लिए होना चाहिए न कि उसको समाज के कुछ वर्गों को वंचित करने के लिए एक औजार के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

एक बार यह उपलब्धि हासिल की जा सके तो वास्तव में सम्भावनाओं की कोई सीमा ही नहीं है। संक्षेप में, क्रान्ति तो अभी आरम्भ ही हुई है।





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