विज्ञान शिक्षक के गुण एवं गतिविधियां | विज्ञान शिक्षण में ICT का महत्व | CTET SCIENCE PEDAGOGY

दोस्तों अगर आप CTET परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो CTET में 50% प्रश्न तो सम्मिलित विषय के शिक्षणशास्त्र से ही पूछे जाते हैं। आज हमारी वेबसाइट hindiamrit.com आपके लिए विज्ञान विषय के शिक्षणशास्त्र से सम्बंधित प्रमुख टॉपिक की श्रृंखला लेकर आई है। हमारा आज का टॉपिक विज्ञान शिक्षक के गुण एवं गतिविधियां | विज्ञान शिक्षण में ICT का महत्व | CTET SCIENCE PEDAGOGY है।

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CTET SCIENCE PEDAGOGY | विज्ञान शिक्षक के गुण एवं गतिविधियां | विज्ञान शिक्षण में ICT का महत्व

विज्ञान शिक्षक के गुण एवं गतिविधियां | विज्ञान शिक्षण में ICT का महत्व | CTET SCIENCE PEDAGOGY
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विज्ञान शिक्षक के गुण एवं गतिविधियां | विज्ञान शिक्षण में ICT का महत्व | CTET SCIENCE PEDAGOGY

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विज्ञान शिक्षक के गुण

विज्ञान शिक्षक में निम्नलिखित गुण होने चाहिए :

(1) विज्ञान अध्यापक को विज्ञान शिक्षण में निहित कला और विज्ञान की समझ होनी चाहिए।
(2) अपने विषय में विशेषज्ञता हासिल होनी चाहिए।
(3) अपने विषय पर समुचित पकड़ होनी चाहिए।
(4) विद्यार्थियों को समझाने की समुचित योग्यता एवं कुशलता होनी चाहिए।
(5) शिक्षक को विज्ञान विषय के नवीनतम ज्ञान व स्वरूप से परीचित होना चाहिए।
(6) विज्ञान के क्षेत्र में होने वाले अनुसंधान तथा नवाचारों से अवगत होना चाहिए।
(7) शिक्षक का दृष्टिकोण सकारात्मक होना चाहिए।
(8) विज्ञान की प्रयोगशाला, कम्प्यूटर तथा शैक्षिक तकनीकी लैब का ज्ञान होना चाहिए।
(9) विज्ञान विषय का सह संबंध छात्रों के दैनिक जीवन एवं अन्य विषयों से स्थापित करने का ज्ञान होना चाहिए।
(10) विज्ञान के पाठ्यक्रम के उत्तरोत्तर विकास, विज्ञान की पुस्तकों की समीक्षा एवं विकास, अधिगम में सूचना एंव सम्प्रेषण तकनीकी के उपयोग में सहायक होना चाहिए।

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विज्ञान शिक्षक द्वारा करायी जाने वाली शैक्षिक गतिविधियाँ

(1) शिक्षक को ऐसी गतिविधियाँ करानी चाहिए जो छात्रों के वास्तविक जीवन को वैज्ञानिक अवधारणाओं के साथ जोड़े।
(2) गतिविधियाँ ऐसी हो जो छात्रों को अधिक अभिव्यक्तशील एवं विचारशील बनाये।
(3) गतिविधि ऐसी हो जो सम्प्रेषण करने वाला और खाली समय के दौरान कक्षा-कक्ष में वैज्ञानिक चर्चा को प्रोत्साहित करे।
(4) गतिविधियाँ ऐसी हों जो सामाजिक मूल्यों को विकसित करें।

विज्ञान शिक्षण में सूचना एवं संचार तकनीक (आई.सी.टी.) का महत्व

पिछले कुछ वर्षों से कंप्यूटर के बढ़ते प्रयोग, दूर संचार में हुए विकास और इंटरनेट ने शिक्षा के क्षेत्र में नए अवसर खोले हैं और नयी चुनौतियों को जन्म दिया है। विज्ञान शिक्षण में आई.सी.टी. के उपयोग की महत्ता को भली-भांति स्वीकार किया जा चुका है। इंटरनेट व्यापक संभावनाओं के द्वार खोलता है। यह पाठ्यचर्या व सह पाठ्यचर्या के संगत विषयों पर छात्रों के लिए इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफार्म का कार्य कर सकता है।

एडूसैट, एक संवादपरक उपग्रह आधारित दूरस्थ गुणवतापूर्ण शिक्षा तंत्र है, जिसके माध्यम से विद्यार्थी, विशेषज्ञों से आवश्यक प्रश्न पूछ सकते हैं,उनके भाषण सुन सकते हैं और बहस, प्रश्न-उतर सत्र आदि आयोजित कर सकते हैं। सामुदायिक रेडियो (एफ.एम.) के माध्यम से स्थानीय जरूरतों के मुताबिक विद्यार्थियों को विज्ञान-कार्यक्रम बनाने व प्रसारित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है। आई.सी.टी. का उपकरण के रूप में उपयोग सावधानी से करना जरूरी है ताकि सामाजिक विषमता और अवसर की असमानता को कम किया जा सके। अगर इसका उपयोग बिना सोचे समझे किया गया तो विषमता और असमानता को बढ़ावा मिलेगा।


                             ◆◆◆ निवेदन ◆◆◆

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