दोस्तों विज्ञान की श्रृंखला में आज हमारी वेबसाइट hindiamrit.com का टॉपिक तरंगों के प्रकार , यांत्रिक तरंगों के प्रकार / types of waves in hindi है। हम आशा करते हैं कि इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपकी इस टॉपिक से जुड़ी सभी समस्याएं खत्म हो जाएगी ।
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तरंगों के प्रकार , यांत्रिक तरंगों के प्रकार / types of waves in hindi
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कम्पन या दोलनी गति की परिभाषा
Vibratory or Oscillatory Motion
किसी पिण्ड या कण की साम्यावस्था के इधर-उधर होने वाली गति को कम्पन या दोलनी गति कहते हैं। आयाम कम होने पर यह कम्पन गति तथा आयाम अधिक होने पर यह दोलनी गति कहलाती है। जैसे—सरल लोलक की माध्य स्थिति के दोनों ओर दोलनी गति, स्प्रिंग से लटके पिण्ड की दोलनी गति आदि।
दोलनी गति में पिण्ड का अपनी साम्य स्थिति से एक ओर जाना फिर उसी स्थिति में लौटकर आना, फिर दूसरी ओर जाना तथा पुनः प्रारम्भिक स्थिति में लौटकर आना एक दोलन कहलाता है।
आवर्ती गति Periodic Motion
जब कोई पिण्ड एक निश्चित समयान्तराल में एक ही निश्चित पथ पर बार-बार अपनी गति को दोहराता है, तो उसकी गति आवर्ती गति कहलाती है तथा वह निश्चित समयान्तराल उस पिण्ड का आवर्तकाल कहलाता है। जैसे पृथ्वी, सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है, तो पृथ्वी की यह गति आवर्ती गति है तथा पृथ्वी का सूर्य के परितः आवर्तकाल 1 वर्ष है। घड़ी की घण्टे, मिनट व सेकण्ड की सुई की नोकों की गतियाँ आवर्त गतियाँ हैं तथा मिनट वाली सुई का आवर्तकाल 1 घण्टा, घण्टे वाली सुई का आवर्तकाल 12 घण्टे तथा सेकण्ड वाली सुई का आवर्तकाल 1 मिनट है।
तरंग की परिभाषा / what is Wave
यह स्पष्ट है कि ध्वनि किसी भी माध्यम में तरंग के रूप में चलती है। अतः ध्वनि को सम्पूर्ण रूप से समझने के लिए सर्वप्रथम तरंग का अध्ययन करना होगा। तरंग, माध्यम में होने वाली वह हलचल या विक्षोभ है जो बिना रूप बदले माध्यम के कणों के द्वारा एक निश्चित वेग से आगे बढ़ती है। तरंग का यह वेग माध्यम की प्रकृति पर निर्भर करता है। माध्यम में तरंग अथवा विक्षोभ (हलचल) के आगे बढ़ने की प्रक्रिया को तरंग गति कहते हैं।
तरंग गति की विशेषताएँ
Characteristics of Wave Motion
तरंग गति की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं
(i) तरंग गति में माध्यम के कण अपनी साम्य स्थिति के दोनों ओर कम्पन करते हैं।
(ii) तरंग गति में कुछ समय पश्चात् माध्यम के आगे वाले कणों में, माध्यम के पिछले वाले कणों जैसी ही गति पायी जाती है।
(iii) तरंग गति में माध्यम के कणों का स्थानान्तरण नहीं होता, केवल ऊर्जा का स्थानान्तरण होता है।
तरंगों के प्रकार Types of Waves
तरंगें निम्नलिखित दो प्रकार की होती हैं
1. यान्त्रिक तरंगें Mechanical Waves
वह तरंगे जिनके संचरण के लिए भौतिक माध्यम की आवश्यकता होती है, यान्त्रिक तरंगें कहलाती हैं। इस प्रकार की तरंगें ठोस, द्रव अथवा गैसीय माध्यम में, माध्यम के कणों के कम्पनों अथवा दोलनों के कारण संचरित होती हैं। उदाहरण- वाद्य यन्त्रों में लगे तार में उत्पन्न तरंगें, पानी के पृष्ठ पर उत्पन्न तरंगें इत्यादि। इन तरंगों का संचरण माध्यम के पदार्थ के गुणों (प्रत्यास्थता, घनत्व, जड़त्व इत्यादि) पर निर्भर करता है। ध्वनि तरंगें भी यान्त्रिक तरंगें ही हैं, क्योंकि इनके संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है।
2. विद्युत चुम्बकीय तरंगें Electromagnetic Waves
वे तरंगें जिनके संचरण के लिए भौतिक माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है। तथा ये तरंगें निर्वात में भी संचरित हो सकती हैं, विद्युत चुम्बकीय तरंगें कहलाती हैं।
उदाहरण- प्रकाश तरंगें, रेडियो तरंगें, X-किरणें, Y-किरणें इत्यादि। सभी विद्युत चुम्बकीय तरंगें प्रकाश के वेग (3×108 मी/से) से निर्वात अथवा वायु में संचरित होती हैं।
यान्त्रिक तरंगों के प्रकार
Types of Mechanical Waves
जब किसी भौतिक माध्यम में तरंग का संचरण होता है तब माध्यम के कण तरंग संचरण की दिशा में स्वयं आगे नहीं बढ़ते, बल्कि अपनी माध्य स्थिति के सापेक्ष कम्पन करते हैं। माध्यम के कणों के कम्पन की दिशा के आधार पर तरंगों को दो श्रेणियों में विभक्त किया गया है
1. अनुप्रस्थ तरंग Transverse Waves
ये तरंगें जिनमें माध्यम के कण अपनी माध्य स्थितियों पर तरंग संचरण के लम्बवत् कम्पन करते हैं, अनुप्रस्थ तरंगें कहलाती हैं। माध्यम के कणों अपनी साम्यावस्था के दोनों ओर अधिकतम विस्थापन को श्रृंग व गर्त कहते हैं। अनुप्रस्थ तरंगें माध्यम में श्रृंगों व गर्तों के रूप में बढ़ती हैं।
उदाहरण- (i) यदि किसी डोरी के एक सिरे को किसी दीवार पर लगी
कील अथवा हुक में बाँध दिया जाए तथा डोरी को खींचकर तनी हुई।
अवस्था में उसकी लम्बाई के लम्बवत् दिशा में कम्पन कराया जाए, तो डोरी में उत्पन्न विक्षोभ दीवार की ओर श्रृंग अथवा गर्त के रूप में संचरित हो जाते हैं, जबकि डोरी के कण आगे नहीं बढ़ते, वे केवल तरंग गति के लम्बवत् कम्पन करते हैं।
(ii) किसी तालाब के शान्त जल में पत्थर का टुकड़ा फेंका जाता है, तो पानी की सतह पर तरंग श्रृंग अथवा गर्त के रूप में तालाब के किनारों की ओर संचरित होती है। पानी के कण अपने ही स्थान पर ऊपर-नीचे कम्पन करते रहते हैं। उस क्षण तालाब के कुछ भागों में जल ऊपर उठा हुआ होता है तथा कुछ भागों में नीचे दबा रहता है। उठा हुआ भाग शृंग तथा दबा हुआ भाग गर्त को प्रदर्शित करता है। पानी की सतह पर उत्पन्न प्रारूप में शृंग न्यूनतम विक्षोभ की रेखा के ऊपर स्थित होता है तथा गर्त न्यूनतम विक्षोभ रेखा के नीचे की ओर स्थित होता है।
अनुप्रस्थ तरंगों के गुण Properties of Transverse Waves
(i) यह तरंगें केवल उन्हीं ठोस अथवा द्रवों की सतह पर उत्पन्न की जा सकती हैं, जिनमें दृढ़ता होती है।
(ii) ये तरंगें गैसों में उत्पन्न नहीं की जा सकती हैं, क्योकि गैसों में दृढ़ता नहीं होती है।
2. अनुदैर्ध्य तरंगें Longitudinal Waves
वे तरंगें जिनमें माध्यम के कणों का कम्पन तरंग संचरण की दिशा के समान्तर होता है, अनुदैर्ध्य तरंगें कहलाती हैं। इन तरंगों में माध्यम के कण अपनी माध्य स्थिति के आगे-पीछे दोलन करते रहते हैं तथा ध्वनि सम्पीडन व विरलन के रूप में संचरित होती जाती हैं।
अनुदैर्ध्य तरंग के संचरण के दौरान, वे स्थितियाँ जहाँ कम्पन करते हुए माध्यम के कण पास-पास होते हैं, सम्पीडन कहलाती है तथा जहाँ माध्यम के कण दूर-दूर होते हैं,विरलन कहलाती है। सम्पीडन वाले स्थानों पर माध्यम का घनत्व व दाब अधिक होता है, जबकि विरलन वाले स्थानों पर कम होता है। अनुदैर्ध्य तरंग, सम्पीडन व विरलन के रूप में आगे बढ़ती है।
अनुदैर्ध्य तरंगों के गुण Properties of Longitudinal Waves
(i) ये तरंगें ठोस, द्रव, गैस तीनों माध्यमों में संचरित हो सकती हैं।
(ii) द्रवों के अन्दर ध्वनि केवल अनुदैर्ध्य तरंगों के रूप में ही संचरित होती हैं।
तरंग से सम्बन्धित कुछ परिभाषाएँ
Some Definitions Related to Wave
किसी माध्यम में तरंग की संचरण को सम्पूर्ण रूप से समझने के लिए नीचे दिए गए पदों (Terms) को जानना आवश्यक है।
1. साम्य स्थिति (Equilibrium Position) – दोलन करने वाली वस्तु जिस बिन्दु के इधर-उधर गति करती है, उस बिन्दु को वस्तु की साम्य स्थिति अथवा माध्य स्थिति कहते हैं।
2. विस्थापन (Displacement) – दोलन करने वाली किसी वस्तु की किसी क्षण साम्यावस्था से दूरी वस्तु का विस्थापन कहलाती है।
3. आयाम Amplitude – किसी माध्यम में तरंग संचरित होने पर, माध्यम का कम्पन करता हुआ कोई भी कण अपनी साम्यावस्था के दोनों ओर जितना अधिक-से-अधिक विस्थापित होता है, उस दूरी को तरंग का आयाम कहते हैं। इसे चित्र में a द्वारा प्रदर्शित किया गया है।
4. तरंगदैर्ध्य (Wavelength) – किन्हीं दो निकटवर्ती (क्रमागत) शृंगों अथवा दो निकटवर्ती गर्तों के बीच की दूरी तरंगदैर्ध्य कहलाती है अथवा दो क्रमागत सम्पीडनों अथवा दो क्रमागत विरलनों के बीच की दूरी तरंगदैर्ध्य कहलाती है अर्थात् तरंगदैर्ध्य, तरंग द्वारा तय की गई न्यूनतम दूरी होती है, जिसमें ध्वनि तरंग की पुनरावृत्ति होती है। तरंगदैर्ध्य को ग्रीक अक्षर (लैम्डा) से प्रदर्शित करते हैं तथा इसका SI मात्रक मीटर होता है।
5. आवृत्ति (Frequency) – कम्पन करने वाले किसी कण द्वारा 1 सेकण्ड में किए गए कम्पनों की संख्या को उस कण की आवृत्ति (n या f) कहते हैं। तरंग की आवृत्ति स्थिर होती है तथा तरंग के विभिन्न पदार्थों से गुजरने पर भी आवृत्ति नहीं बदलती है। इसे ग्रीक शब्द v न्यू (nu) से भी प्रदर्शित करते हैं। इसका SI मात्रक हर्ट्ज होता है। जिसका नाम हैनरिच रूडोल्फ हर्ट्ज के नाम पर रखा गया। इन्होंने प्रकाश विद्युत प्रभाव (Photoelectric effect) की खोज की थी।
अतः 1 हर्ट्ज = 1 कम्पन प्रति सेकण्ड
1 किलो हर्ट्ज = 1000 हर्ट्ज
6. आवर्तकाल (Time Period) – किन्हीं दो निकटवर्ती सम्पीडन या विरलन का एक स्थिर बिन्दु से गुजरने में लगा समय तरंग का आवर्तकाल कहलाता है। दूसरे शब्दों में, कम्पन करने वाले किसी कण द्वारा 1 कम्पन पूरा करने में लिए गए समय को उस तरंग का आवर्तकाल (T) कहते हैं। इसका SI मात्रक सेकण्ड होता है। एक तरंग का आवर्तकाल, आवृत्ति का व्युत्क्रम होता है।
आवर्तकाल = 1 / आवृत्ति
या आवृत्ति = 1 / आवर्तकाल
7. चाल (Speed) – एक सेकण्ड में तरंग द्वारा चली गई दूरी को तरंग की चाल कहते हैं। परिस्थितियों के अन्तर्गत ध्वनियों की चालों की सभी आवृत्तियाँ बराबर होती हैं। इसे v से प्रदर्शित करते हैं। इसका SI मात्रक मीटर प्रति सेकण्ड होता है।
8. कला (Phase) – तरंग संचरण में किसी क्षण माध्यम के कणों की स्थिति तथा गति को उस क्षण पर कण की कला द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
आवृत्ति, चाल तथा तरंगदैर्ध्य में सम्बन्ध
Relation between Frequency, Velocity and
Wavelength
तरंग चाल = आवृत्ति x तरंगदैर्ध्य
◆◆◆ निवेदन ◆◆◆
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