दोस्तों आज hindiamrit आपके लिए प्रमुख अंतरों की श्रृंखला में AC और DC में अंतर || difference between alternative current and direct current लेकर आया है।
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Contents
AC और DC में अंतर || difference between alternative current and direct current
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AC करंट क्या है || what is alternative current
ऐसी धारा जो समय के साथ परिमाण व दिशा दोनों में बदले और निश्चित समय के बाद पुनः उसी दिशा में उसी परिमाण के साथ प्रारंभ हो जाए, प्रत्यावर्ती धारा (alternative current ) कहलाती है।
एसी के स्त्रोत || प्रत्यावर्ती धारा के स्त्रोत || source of AC
(1) AC डायनमो
प्रत्यावर्ती धारा की मुख्य विशेषताएँ:
उपयोग: घरेलू विद्युत आपूर्ति, उद्योग, और बिजली ग्रिड में व्यापक रूप से उपयोग होती है।
दिशा परिवर्तन: इसमें धारा की दिशा नियमित अंतराल पर बदलती रहती है (आम तौर पर साइन वेव के रूप में)।
आवृत्ति: इसका एक निर्धारित मान होता है, जैसे भारत में 50 Hz या कुछ अन्य देशों में 60 Hz।
ट्रांसफॉर्मर उपयोग: AC धारा को ट्रांसफॉर्मर की सहायता से आसानी से उच्च या निम्न वोल्टेज में बदला जा सकता है, जिससे लंबी दूरी तक बिजली का संचरण संभव होता है।
डीसी करंट किसे कहते हैं || DC करंट क्या है || What is direct current
ऐसी धारा है जिसका परिमाण एवं दिशा समय के साथ नियत रहता है,दिष्ट धारा (direct current) कहलाती है।

दिष्ट धारा के स्त्रोत || डीसी के स्त्रोत || source of DC
(1) प्राथमिक सेल। (2) सीसा संचायक सेल (3) DC डायनमो
डीसी के उपयोग || दिष्ट धारा के उपयोग || uses of DC
(1) विद्युत अपघटन में
(2) संचायक सेलों को आवेशित करने में
(3) विद्युत चुम्बक बनाने में
(4) इलेक्ट्रोप्लेटिंग
दिष्ट धारा की मुख्य विशेषताएँ:
- स्थिर प्रवाह: विद्युत आवेश एक ही दिशा में प्रवाहित होते हैं।
- स्थिर वोल्टेज: समय के साथ वोल्टेज में परिवर्तन नहीं होता।
- उत्पत्ति के स्रोत: बैटरी, सौर पैनल, रेक्टिफायर आदि से DC धारा प्राप्त की जाती है।
- उपयोग: इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, कंप्यूटर, मोबाइल डिवाइस, और अन्य संचार प्रणालियों में व्यापक रूप से उपयोग होती है।
DC की तुलना में AC के लाभ || दिष्ट धारा की तुलना में प्रत्यावर्ती धारा के लाभ
(1) प्रत्यावर्ती धारा को ट्रांसफार्मर द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान को भेजने में ऊर्जा का ह्रास बहुत कम होता है तथा लागत भी कम आती है।
जबकि दिष्ट धारा को एक स्थान से दूसरे स्थान को भेजने में उर्जा का ह्रास बहुत अधिक होता है तथा लागत बहुत अधिक आती है।
(2) प्रत्यावर्ती धारा वाले यंत्र दिष्ट धारा वाले यंत्रों की तुलना में मजबूत व सुविधाजनक होते है।
(3) प्रत्यावर्ती धारा को दिष्ट धारा की तुलना में ऊंची बोल्टता पर उत्पन्न किया जा सकता है। तथा ट्रांसफार्मर की सहायता से उसकी वोल्टता को घटाया बढ़ाया जा सकता है।
DC की तुलना में AC की हानियाँ || दिष्ट धारा की तुलना में प्रत्यावर्ती धारा की हानियाँ
(1) प्रत्यावर्ती धारा दिष्ट धारा की तुलना में अधिक खतरनाक है।
(2) वैद्युत विश्लेषण, इलेक्ट्रोप्लेटिंग, विद्युत चुंबक आदि बनाने में दिष्ट धारा प्रयुक्त की जाती है, न कि प्रत्यावर्ती धारा।
(3) किसी तार में प्रत्यावर्ती धारा का अधिकांश भाग तार की सतह पर बहता है। अतः इसके संचरण के लिए कई पतले पतले तारों को मिलाकर एक मोटा तार बनाना पड़ता है।

AC और DC में अंतर || difference between alternative current and direct current
अंतर का आधार | AC (Alternating Current) | DC (Direct Current) |
---|---|---|
परिभाषा | वह करंट जो समय के साथ दिशा बदलता रहता है। | वह करंट जो एक ही दिशा में प्रवाहित होता है। |
दिशा | संदर्भित दिशा बदलती रहती है। | स्थिर और एक समान दिशा में प्रवाहित। |
वोल्टेज परिवर्तन | ट्रांसफॉर्मर से आसानी से वोल्टेज बढ़ाया या घटाया जा सकता है। | वोल्टेज परिवर्तित करना अधिक जटिल होता है, विशेष कन्वर्टर की आवश्यकता होती है। |
उत्पत्ति | जनरेटर द्वारा उत्पन्न होता है। | बैटरी, सौर पैनल या रेक्टिफायर द्वारा उत्पन्न होता है। |
आवृत्ति | आवृत्ति होती है (उदा. 50 या 60 Hz)। | आवृत्ति शून्य होती है। |
उपयोग | घरेलू, औद्योगिक और लंबी दूरी के विद्युत संचरण में प्रयोग। | इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, कंप्यूटर, मोबाइल डिवाइस और बैटरी संचालित प्रणालियों में प्रयोग। |
ट्रांसफॉर्मेशन | ट्रांसफॉर्मर द्वारा सरलता से वोल्टेज परिवर्तन संभव। | वोल्टेज परिवर्तन के लिए विशेष इन्वर्टर या कन्वर्टर की आवश्यकता होती है। |
संचरण | लंबी दूरी में विद्युत संचरण के लिए उपयुक्त। | कम दूरी और छोटे अनुप्रयोगों में उपयुक्त। |
सांकेतिक रूप | साइन वेव या अन्य आवृत्ति युक्त तरंग रूप में। | सीधा और स्थिर वोल्टेज प्रदाय करता है। |
नियंत्रण | सरल नियंत्रण और वितरण प्रणाली। | विशेष नियंत्रण तकनीकों की आवश्यकता होती है। |
ऊर्जा वितरण | ऊर्जा वितरण में अधिक कुशल और व्यापक रूप से उपयोग में। | विशेष अनुप्रयोगों में प्राथमिकता, जैसे कि इलेक्ट्रॉनिक सर्किट। |
लाभ | लंबी दूरी के संचरण, परिवर्तनीय वोल्टेज, व्यापक उपयोग। | इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में स्थिरता और विश्वसनीयता। |
एसी और डीसी करंट में अंतर | दिष्ट धारा और प्रत्यावर्ती धारा में अंतर (टेबल 2)
AC (प्रत्यावर्ती धारा) | DC (दिष्ट धारा) |
इसमें धारा का परिमाण और दिशा दोनों समय के साथ बदलते रहते हैं। | बदलते नहीं है अर्थात परिमाण और दिशा स्थिर रहते हैं। |
इसके मापन के उपकरण धारा के उष्मीय प्रभाव पर आधारित है। | इसको मापन के उपकरण धारा के चुम्बकीय प्रभाव पर आधारित हैं। |
यह धारा केवल उष्मीय प्रभाव प्रदर्शित करती है। चुम्बकीय और रासायनिक प्रभाव प्रदर्शित नहीं करती है। | ये धारा उष्मीय, चुम्बकीय और रसायनिक तीनो प्रभाव प्रदर्शित करती है। |
इस धारा में ट्रांसफार्मर का उपयोग किया जाता है। | नहीं किया जाता है। |
यह अधिक खतरनाक है। | AC की तुलना में कम खतरनाक है। |
इसको एक स्थान से दूसरे स्थान भेजने में ऊर्जा की हानि बहुत कम होती है। | ऊर्जा की हानि बहुत अधिक होती है। |
यह उच्च वोल्टता की उत्पन्न की जा सकती है तथा इसकी वोल्टता कम या ज्यादा की जा सकती है। | यह उच्च वोल्टता की उत्पन्न नहीं की जा सकती है। |
इसके यंत्र सुविधाजनक तथा मजबूत होते है। | AC की तुलना में कम मजबूत तथा सुविधाजनक होते है। |
यह भी पढ़ लीजिये
AC और DC के बीच अंतर से जुड़े 20 FAQS
- AC क्या है?
→ ऐसी धारा जिसमें दिशा समय के साथ बदलती रहती है। - DC क्या है?
→ ऐसी धारा जिसमें विद्युत प्रवाह हमेशा एक ही दिशा में रहता है। - AC में दिशा परिवर्तन होता है?
→ हाँ, AC में दिशा नियमित अंतराल पर बदलती है। - DC में दिशा परिवर्तन होता है?
→ नहीं, DC में प्रवाह एक ही दिशा में स्थिर रहता है। - AC का मुख्य उपयोग कहाँ होता है?
→ घरेलू, औद्योगिक और लंबी दूरी के विद्युत संचरण में। - DC का मुख्य उपयोग कहाँ होता है?
→ बैटरी, कंप्यूटर, मोबाइल और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में। - AC की आवृत्ति क्या होती है?
→ आमतौर पर 50 Hz या 60 Hz। - DC में आवृत्ति होती है?
→ नहीं, DC में आवृत्ति शून्य होती है। - AC का वोल्टेज कैसे परिवर्तित किया जा सकता है?
→ ट्रांसफॉर्मर द्वारा आसानी से बढ़ाया या घटाया जा सकता है। - DC का वोल्टेज परिवर्तित करने के लिए क्या चाहिए?
→ विशेष कन्वर्टर या इन्वर्टर की आवश्यकता होती है। - AC की उत्पत्ति किससे होती है?
→ जनरेटरों द्वारा विद्युत उत्पादन से। - DC की उत्पत्ति किससे होती है?
→ बैटरी, सौर पैनल या रेक्टिफायर से। - AC में ट्रांसफॉर्मर का उपयोग क्यों किया जाता है?
→ वोल्टेज को सरलता से परिवर्तित करने के लिए। - DC में ट्रांसफॉर्मर का उपयोग क्यों नहीं किया जाता?
→ क्योंकि DC में वोल्टेज स्थिर रहता है और परिवर्तित करने के लिए कन्वर्टर चाहिए। - AC विद्युत संचरण का प्रमुख लाभ क्या है?
→ लंबी दूरी में कम ऊर्जा हानि। - DC विद्युत संचरण का प्रमुख लाभ क्या है?
→ छोटे अनुप्रयोगों में उच्च स्थिरता। - AC वितरण प्रणाली में वोल्टेज परिवर्तन कैसा होता है?
→ ट्रांसफॉर्मरों से सरलता से किया जाता है। - DC वितरण प्रणाली में वोल्टेज परिवर्तन कैसा होता है?
→ विशेष कन्वर्टर/इन्वर्टर द्वारा किया जाता है। - ऊर्जा रूपांतरण में AC और DC में क्या अंतर है?
→ AC ऊर्जा को ट्रांसफॉर्मर से आसानी से परिवर्तित किया जा सकता है, जबकि DC में विशेष उपकरणों की आवश्यकता होती है। - सुरक्षा उपायों में AC और DC में अंतर क्या है?
→ AC में अधिशेष करंट सुरक्षा उपकरण आम हैं; DC में उच्च वोल्टेज के कारण विशेष सावधानियाँ बरतनी पड़ती हैं।
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Nice
गौतम कुमार जी शुक्रिया
धन्यवाद 12th physics के बारे में भी पढ़ाओ।