आज का युग कम्प्यूटर का युग है। आज के जीवन मे सभी को कम्प्यूटर की बेसिक जानकारी होनी चाहिए। बहुत सी प्रतियोगी परीक्षाओं में भी कम्प्यूटर से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। इसीलिए हमारी साइट hindiamrit.com कम्प्यूटर से जुड़ी समस्त महत्वपूर्ण टॉपिक की श्रृंखला पेश करती है,जो आपके लिए अति महत्वपूर्ण साबित होगी,ऐसी हमारी आशा है। अतः आज का हमारा टॉपिक कम्प्यूटर की पीढ़ियां / generation of computer in hindi की जानकारी प्रदान करना है।
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कम्प्यूटर की पीढ़ियां / generation of computer in hindi
generation of computer in hindi / कम्प्यूटर की पीढ़ियां
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तकनीकी विकास के आधार पर कम्प्यूटर प्रणाली के विकास को निम्नलिखित भागों में विभाजित किया गया है-
(1) हार्डवेयर, (2) सॉफ्टवेयर।
(1) कम्प्यूटर हार्डवेयर अर्थात् कम्प्यूटर के यन्त्र व युक्तियाँ
कम्प्यूटर हार्डवेयर कम्प्यूटर प्रणाली का वह भाग है जिसे हम स्पर्श कर सकते हैं व देख सकते हैं। कम्प्यूटर हॉर्डवेयर में तकनीकी विकास का सीधा सम्बन्ध इलेक्ट्रॉनिक तकनीकी में विकास से है। जैसे-जैसे इलेक्ट्रॉनिक तकनीकी व विज्ञान में उत्थान हुआ वैसे-वैसे कम्प्यूटर हार्डवेयर की क्रियाशीलता व आकार में भी सुधार होता गया।
(2) कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर
( computer software ) कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर कम्प्यूटर को नियन्त्रित करने के लिए कम्प्यूटर को दिये जाने वाले निर्देशों व आंकड़ों को कम्प्यूटर में प्रस्तुत करने की विधि व तकनीक को कहा गया। कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर वह तकनीक है जिसके द्वारा कम्प्यूटर का निर्देश व आँकड़े प्रदान किये जाते हैं व इस तकनीक द्वारा ही कम्प्यूटर निर्देशों व आँकड़ों को समझ पाता है। कम्प्यूटर में सॉफ्टवेयर के विकास का सम्बन्ध कम्प्यूटर की परिचालन प्रणाली व उसकी प्रोग्रामिंग (निर्देश समूह) प्रस्तुत करने वाली भाषाओं में विकास से है। किसी तकनीकी वर्ग से सम्बद्ध कम्प्यूटर प्रणाली को एक विशिष्ट कम्प्यूटर पीढ़ी से सम्बद्ध माना जाता है।
कम्प्यूटर की पीढ़ियाँ (Generation of Computer)
Computer की निम्नलिखित पांच पीढ़ियाँ हैं –
प्रथम पीढ़ी (First Generation)
कम्प्यूटर की प्रथम पीढ़ी सन् 1942 से 1955 तक रही। प्रारम्भ के कुछ कम्प्यूटर जैसे-ENIAC,EDVAC, EDSAC हैं। इस पीढ़ी के कम्प्यूटरों में वैक्यूम ट्यूब (Vaccum Tube) का प्रयोग किया गया। वैक्यूम ट्यूब शीशे के बने यंत्र होते थे जिनके द्वारा विद्युतीय संकेतों को नियन्त्रित किया जा सकता है। इस पीढ़ी में मशीनी भाषा 0 से 1 के समूहों का प्रयोग किया जाता था। इनकी स्मृति सीमित थी। इस पीढ़ी का पहला कम्प्यूटर स्टैटिस्टिकल इन्स्टीट्यूट कोलकाता तथा टाटा इन्स्टीट्यूट ऑफ फण्डामेन्टल रिसर्च मुम्बई में स्थापित किया गया।
प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटर के गुण (Merits of First Generation computer)
(1) इस पीढ़ी में वैक्यूम ट्यूब ही एक मात्र इलेक्ट्रॉनिक यन्त्र थे।
(2) वैक्यूम ट्यूब तकनीकी ने इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कम्प्यूटर में सहायता की।
(3) यह अपने समय के सर्वाधिक तीव्र कम्प्यूटर थे तथा ये गणनाएँ मिली सेकण्ड में कर सकते थे।
प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटर के दोष (Demerits of First Generation computer)
(1) ये आकार में अति विशाल थे।
(2) इनकी क्रियाशीलता पूर्णतया विश्वसनीय नहीं थी।
(3) हजारों वैक्यूम ट्यूब प्रयुक्त होने के कारण अत्यधिक ऊष्मा उत्पन्न होती थी , जिसके कारण अनेक ट्यूब जल्दी ही फुक जाते थे।
(4) वातानुकूलन की आवश्यकता पड़ती थी।
(5) बार-बार उत्पन्न होने वाली हार्डवेयर समस्याएँ थीं।
(6) लगातार रख-रखाव की आवश्यकता पड़ती थी।
(7) इन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं ले जाया जा सकता था।
(8) इनका व्यवसायिक उत्पादन महँगा था।
(9) इनका व्यवसायिक उपयोग सीमित था।
द्वितीय पीढ़ी (Second Generation)
यह पीढ़ी 1955 से 1964 तक रही। 1947 में बैल लैब्स (Bell Labs) में ट्रान्जिस्टर का आविष्कार हुआ तथा इनकी बनावट में निरन्तर सुधार होता रहा जिसके परिणामस्वरूप प्रथम पीढ़ी में प्रयुक्त वैक्यूम ट्यूब के स्थान पर छोटे-छोटे ट्रांजिस्टर व डायोड प्रयोग किये गये जिससे पीढ़ी के कम्प्यूटर का आकार घटा व इसकी स्मृति कई गुना बढ़ गयी। इस पीढ़ी में कोबोल (COBAL), असेम्बली (ASSEMBLY), फोरट्रोन (FORTRAN), अल्गोल (ALGOL) आदि भाषाएँ प्रयुक्त होती थीं।
द्वितीय पीढ़ी के कम्प्यूटर के गुण (Merits of second Generation computer)
(1) ये आकार में कुछ छोटे थे।
(2) ये अधिक विश्वसनीय थे।
(3) ऊष्मा का कम उत्सर्जन करते थे।
(4) इनकी गति अधिक तीव्र थी।
(5) इनमें मैग्नेटिक कोर मैमोरी का प्रयोग होता था।
(6) संग्रह माध्यम के रूप में पंचकार्ड, चुम्बकीय टेप (Magnetic Tape) व डिस्क (Disc) का प्रयोग किया गया।
(7) हार्डवेयर विफलताओं में कमी आयी।
(8) इनका व्यवसायिक उपयोग अधिक था।
(9) एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जा सकता था।
द्वितीय पीढ़ी के कम्प्यूटर के दोष (Demerits of second Generation computer)
(1) वातानुकूलन की आवश्यकता पड़ती थी।
(2) इनका रखरखाव महँगा था।
(3) प्रत्येक यंत्र का संयोजन मानवीय रूप में किया जाता था।
(4) इसका व्यावसायिक उत्पादन कठिन व महँगा था।
तृतीय पीढ़ी (Third Generation)
यह पीढ़ी 1964 से 1975 तक रही है। इलेक्ट्रॉनिक तकनीकी के विकास से माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक तकनीक का उदय हुआ जिसके अन्तर्गत अनेकों सर्किट एक सूक्ष्म (लगभग 5mm) वर्गाकार सिलिकॉन सतह पर संजोये गये जिसे चिप (chip) कहा गया इस तकनीकी को इण्टिग्रेटेड सर्किट (Integrated Circuit) कहा गया है। ऐसे कम्प्यूटर जिन्हें इण्टिग्रेटेड सर्किट आई. सी. (IC) का प्रयोग करके बनाया गया, उन्हें तृतीय पीढ़ी के कम्प्यूटर कहा गया। मिनी कम्पयूटर इस पीढ़ी की उपलब्धि है। इसी पीढ़ी में वेसिक भाषा का विकास हुआ।
तृतीय पीढ़ी के कम्प्यूटर के गुण (Merits of third Generation computer)
(1) पिछली पीढ़ियों के कम्प्यूटर की तुलना में इनका आकार अत्यधिक छोटा हो गया।
(2) इनकी विश्वसनीयता बढ़ी।
(3) दूसरी पीढ़ी के कम्प्यूटर की तुलना में कम ऊष्मा का उत्सर्जन।
(4) कम्प्यूटर की गणना की गति माइक्रो सेकण्ड से नैनो सेकण्ड हो गयी।
(5) हार्डवेयर खराबियों में कमी हुई।
(6) रख-रखाव के खर्चों में कमी हुई।
(7) एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना आसान हुआ।
(8) व्यावसायिक कार्यों में कम्प्यूटर का विश्वव्यापी उपयोग होने लगा।
(9) इनमें कम ऊर्जा व विद्युत ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती थी।
(10) कम्प्यूटर के भागों के संयोजन में होने वाले व्यय में कमी आई।
(I) व्यावसायिक उत्पादन सरल व सस्ता हुआ।
(12) हार्ड लैवेल लैंग्वेज (High Level Languages) का अत्यधिक प्रयोग हुआ।
(13) टाइम शेयरिंग तकनीक का विकास हुआ।
तृतीय पीढ़ी के कम्प्यूटर के दोष (Demerits of third Generation computer)
(1) वातानुकूलन की आवश्यकता।
(2) आई. सी. (IC) के उत्पादन हेतु अत्यधिक संवेदनशील तकनीक की आवश्यकता।
चतुर्थ पीढ़ी (Fourth Ceneration)
इस पीढ़ी का समय सन् 1975 से 1995 तक था। इस पीढ़ी के कम्प्यूटर के लिए लार्ज स्केल इन्टीग्रेटेड (Large Scale Intigrarated-LSI) सर्किट बनाये गये। लगभग 1/4″ में 3,00,000 ट्रांजिस्टर के बराबर कार्य करने की क्षमता वाले परिपथ बनाये गये। अब सम्पूर्ण सेण्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (C.P.U.) एक छोटे से चिप में समाहित कर ली गयी। लाखों सर्किट एक छोटी जगह पर आने से कम्प्यूटर का आकार अत्यधिक छोटा हो गया, उसकी स्मृति (Memory) व गति भी अत्यधिक बढ़ गयी।
इण्टेल कम्पनी द्वारा माइक्रो प्रोसेसर का विकास हुआ जिसके कारण माइक्रो कम्प्यूटर बन सका। इसी पीढ़ी में पर्सनल कम्प्यूटर का निर्माण हुआ। इसमें माइक्रोसॉफ्ट कम्पनी का डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम (DOS) यूनिक्स (UNIX) जैसी परिचालन प्रणाली का अत्यधिक उपयोग रहा। इस पीढ़ी में फुजित्सु, वी. पी.-2000, आई, बी. एम. 3080, बी. 7800 आदि सुपर कम्प्यूटर तथा LAN, WAN, Cscw आदि का भी निर्माण हुआ। इस पीढ़ी में अर्द्ध-चालक स्मृति (Semi-conducter Memory) का विकास हुआ व भण्डारण युक्तियों की भण्डारण क्षमता कई गुना बढ़ गयी। आई बी. एम. पी. सी. (IBM-PC) भी इसी पीढ़ी की देन है।
चतुर्थ पीढ़ी के कम्प्यूटर के गुण (Merits of fourth Generation computer)
(1) अत्यधिक छोटे आकार के कम्प्यूटर बनने लगे।
(2) ये अत्यधिक विश्वसनीय थे।
(3) अति अल्प ऊष्मा का उत्सर्जन।
(4) वातानुकूलन की आवश्यकता नहीं।
(5) पिछली पीढ़ी के कम्प्यूटरों से कई गुना अधिक तीव्र।
(6) हार्डवेयर विफलताएँ न्यूनतम।
(7) सरलता से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकता है।
(8) अब तक के कम्प्यूटरों की तुलना में सबसे सस्ता।
(9) गणना करने की गति पिको समूह (10-12 सेकण्ड) से भी कम।
(10) आन्तरिक मैमोरी व भण्डारण क्षमता में अत्यधिक वृद्धि हुई।
(11) 4GL (Fourth Generation Language), डी बेस, फोरट्रॉन-77,पास्कल, ए डी ए इत्यादि भाषाओं का प्रयोग किया गया।
(12) एप्लिकेशन व डिसीजन सपोर्ट (Application & Decision Support) प्रणालियों का विकास हुआ।
चतुर्थ पीढ़ी के कम्प्यूटर के दोष (Demerits of fourth Generation computer)
एल. एस. आई. चिप बनाने में अत्यधिक संवेदनशील तकनीक की आवश्यकता रही।
पंचम पीढ़ी (Fifth Generation)
इस पीढ़ी का समय सन् 1990 से अब तक का है। इस पीढ़ी में वेरी लार्ज स्केल इण्टीग्रेटेड सर्किट (VLSIC) का निर्माण किया गया। इससे कम्प्यूटर की गति में अत्यधिक विकास हुआ व आकार छोटा होता चला गया। कम्प्यूटर की प्रधान स्मृति (Main Memory) को भी अत्यधिक बढ़ाया जा सका। सन् 1994 में DEC कम्पनी द्वारा अल्फा माइक्रो प्रोसेर में लगभग 9.3 मिलियन ट्रांजिस्टर के बराबर परिपथ संयोजित किये गये जिसकी गति 300 मेगाह (MHz) थी।
इस पीढ़ी में डेस्क टॉप, लैप टॉप व पॉम टॉप कम्प्यूटर उपलब्ध हैं। इसमें उपग्रह संजाल (Satellite Network) व इण्टरनेट का अत्यधिक विकास हुआ। इस पीढ़ी के कम्प्यूटरों में ध्वनि, चित्र व अक्षरों का सम्मिलित रूप मल्टीमीडिया के नाम से विकसित हुआ। इस पीढ़ी में कम्प्यूटर का प्रयोग फिल्म निर्माण, यातायात नियन्त्रण, उद्योग, व्यापार व शोध आदि सभी क्षेत्रों में रहा। पंचम पीढ़ी के मध्य में अल्ट्रा लार्ज स्केल इण्टीग्रेटेड सर्किट (ULSIC) बनाये गये जिससे कम्प्यूटर घड़ी के आकार तक हो गया। इस पीढ़ी में C, C”, विजुअल बेसिक,जावा, प्रोलाग, एच. टी. एम. एल. आदि भाषाओं व यूनिक्स, लाइनेक्स व विण्डोज परिचालन प्रणाली का प्रयोग किया गया।
पंचम पीढ़ी के कम्प्यूटर के गुण (Merits of fifth Generation computer)
(1) आकार में अति सूक्ष्म।
(2) अति तीव्र गति।
(3) अत्यधिक भण्डारण क्षमता 80GB अर्थात् 80 गीगाबाइट व अधिक।
(4) ग्राफिक यूजर इण्टरफेस (GUI) का उपयोग।
(5) सभी क्षेत्रों में कम्प्यूटर का उपयोग।
(6) कम्प्यूटरों में आर्टिफिशियल इण्टेलिजेंस अर्थात् कृत्रिम बुद्धिमत्ता।
(7) नगण्य ऊष्मा का उत्सर्जन।
(8) वाताकूलन आवश्यक नहीं।
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