गति के प्रकार एवं गति के समीकरण / types and equation of motion in hindi

दोस्तों विज्ञान की श्रृंखला में आज हमारी वेबसाइट hindiamrit.com का टॉपिक गति के प्रकार एवं गति के समीकरण / types and equation of motion in hindi है। हम आशा करते हैं कि इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपकी इस टॉपिक से जुड़ी सभी समस्याएं खत्म हो जाएगी ।

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गति के प्रकार एवं गति के समीकरण / types and equation of motion in hindi

गति के प्रकार एवं गति के समीकरण / types and equation of motion in hindi
गति के प्रकार एवं गति के समीकरण / types and equation of motion in hindi


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विराम Rest

यदि किसी वस्तु (Object) की स्थिति (Position) में समय के साथ कोई परिवर्तन नहीं होता है, तो वस्तु विरामावस्था में कहलाती है। उदाहरण- मेज पर रखी एक किताब विरामावस्था में है, क्योंकि मेज के सापेक्ष किताब की स्थिति में समय के साथ परिवर्तन नहीं होता है।

गति की परिभाषा एवं प्रकार

यदि कोई वस्तु समय के साथ अपनी स्थिति परिवर्तित करती है, तो वह स्थिति परिवर्तन ही गति कहलाती है। उदाहरण- सड़क पर वाहनों की गति, खेल के मैदान में खिलाड़ियों की गति,आकाशीय पिण्डों की सूर्य के सापेक्ष गति आदि।

गति के प्रकार Types of Motion

सामान्यतया गति निम्नलिखित प्रकार की होती है

(i) सरल रेखीय गति तथा स्थानान्तरीय गति (Rectilinear and Translatory Motion) – जब कोई कण एक सरल रेखा में गति करता है, तो यह गति सरल रेखीय गति कहलाती है तथा जब एक वस्तु (कण नहीं) एक सीधी रेखा में गतिमान होती है, तो उसकी गति स्थानान्तरीय गति कहलाती है। उदाहरण क्षैतिज सतह पर लुढ़कती हुई गेंद तथा हाथ से गिरता हुआ पत्थर

(ii) वृत्ताकार गति तथा घूर्णन गति (Circular and Rotatory Motion) – जब कोई कण किसी वृत्ताकार मार्ग पर गति करता है, तो उसको गति वृत्तीय गति या कोणीय गति कहलाती है। उदाहरण धागे से बंधे पत्थर को घुमाना। जब कोई वस्तु किसी स्थिर अक्ष के परितः इस प्रकार गति करती है कि वस्तु का प्रत्येक कण वृत्तीय पथ पर चलता है एवं समस्त वृत्तीय पथों का केन्द्र उसके अक्ष पर होता है, तो वस्तु की गति घूर्णन गति कहलाती है। उदाहरण- गोल घूमता लट्टू ।

(iii) दोलनी तथा कम्पनिक गति (Oscillatory and Vibratory Motion) जब कोई वस्तु एक निश्चित बिन्दु के इधर-उधर एक सरल रेखीय पथ पर गति करती है, तो यह गति दोलनी गति कहलाती है। दोलन करने वाली वस्तु का इसकी माध्य स्थिति की ओर अधिकतम विस्थापन आयाम कहलाता है। यदि आयाम कम है, तो उसकी गति कम्पनिक गति कहलाती है। उदाहरण घड़ी के पेण्डुलम की गति।

(iv) अनियमित गति (Random Motion) यदि कोई गतिमान वस्तु गति करते हुए अपनी दिशा निरन्तर परिवर्तित करती रहती है, तो उस वस्तु की गति अनियमित गति कहलाती है। उदाहरण- कीट-पतंगों की गति ।

(v) एकसमान गति (Uniform Motion) यदि कोई वस्तु एक नियत समयान्तराल में प्रत्येक बार नियत दूरी तय करती है, तो उसकी गति एकसमान गति कहलाती है। यदि दूरी और समय के मध्य आरेख खींचा जाए, तो एक सरल रेखा प्राप्त होती है। उदाहरण – यदि कोई बस चालक प्रथम घण्टे में 60 किमी तथा दूसरे घण्टे में भी 60 किमी दूरी तय करता है, तो बस की चाल एकसमान गति व्यक्त करती है।

(vi) असमान गति (Non-uniform Motion) यदि कोई वस्तु बराबर समयान्तरालों में भिन्न-भिन्न दूरियाँ तय करती है, तो उसकी गति असमान गति कहलाती है। यदि दूरी और समय के मध्य आरेख खींचा जाए, तो एक सरल रेखा प्राप्त नहीं होती है। उदाहरण – एक कार का भीड़ वाली गलियों से गुजरना तथा मनुष्य का पार्क में टहलना आदि।

गति की सापेक्षता Relativity of Motion

संसार में किसी वस्तु को स्थिर नहीं माना जा सकता है। यदि कोई वस्तु पृथ्वी की सतह पर स्थिर रखी है, तो वह पृथ्वी के सापेक्ष विरामावस्था में होगी, अन्तरिक्ष से देखने पर वही वस्तु गतिमान अवस्था में होगी। अतः गति और विरामावस्था परस्पर आपेक्षिक (Relative) हैं। एक ही वस्तु किसी प्रेक्षक के लिए विराम स्थिति में हो सकती है जबकि दूसरे प्रेक्षक के लिए गतिमान अवस्था में होगी। यही गति की सापेक्षता (Relativity) कहलाती है।
उदाहरण– जब हम ट्रेन में यात्रा कर रहे होते हैं, तो रेल की पटरी से दूर पेड़-पौधे गति करते प्रतीत होते हैं। इसी प्रकार एक रेलगाड़ी में बैठे यात्रियों को दूसरी समान गति से चलती रेलगाड़ी स्थिर प्रतीत होती है।

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गति सम्बन्धी कुछ मूलभूत पद
Some Basic Terms Related to Motion

गति सम्बन्धी विभिन्न पद निम्न प्रकार हैं

1. निर्देश बिन्दु Reference Point
वह बिन्दु जिसके सापेक्ष किसी वस्तु की गति का अध्ययन किया
जाता है, निर्देश बिन्दु या मूल बिन्दु कहलाता है।

2. दूरी Distance
किसी गतिशील वस्तु द्वारा किसी समय में तय की गई लम्बाई, उस
वस्तु द्वारा चली गई दूरी कहलाती है। दूरी एक अदिश राशि है। इसका मात्रक मीटर होता है।

3. विस्थापन Displacement
किसी गतिशील वस्तु की प्रारम्भिक एवं अन्तिम स्थितियों के बीच की
न्यूनतम दूरी वस्तु का विस्थापन कहलाती है। विस्थापन एक सदिश
राशि है। इसका परिमाण ज्ञात करने के लिए दिशा का ज्ञान होना
आवश्यक है। इसका मात्रक MKS पद्धति में मीटर होता है।
यदि कोई वस्तु बिन्दु A से बिन्दु B तक विभिन्न पथों जैसे
ARB, APB व AQB से होती हुई बिन्दु B तक पहुँचती है, तो
प्रत्येक स्थिति में दूरी अलग-अलग होगी। किन्तु विस्थापन समान ही
होगा, क्योंकि यह गतिमान वस्तु की प्रारम्भिक व अन्तिम स्थिति पर
निर्भर करता है।

उदाहरण 1. एक व्यक्ति एक सीधी सड़क पर A से B तक 300 मीटर जाता है। पुनः B से A की ओर 60 मीटर चलकर बिन्दु C पर आ जाता है। व्यक्ति द्वारा तय की गई कुल दूरी तथा उसका विस्थापन ज्ञात कीजिए।

हल =  चूँकि दूरी पथ लम्बाई के मान के बराबर होती है,
अतः व्यक्ति द्वारा तय की गयी कुल दूरी = AB+ BC
                         300 + 60 = 360 मी

चूँकि विस्थापन एक सदिश राशि है,
अतः व्यक्ति का कुल विस्थापन = AC = AB-BC
       = 300-60
        = 240 मी
इसकी दिशा A से B की ओर होगी।

उदाहरण 2. यदि हम किसी पत्थर को ऊपर की ओर किसी ऊँचाई
तक फेंके तो पत्थर कुछ समय पश्चात् लौटकर उसी स्थान पर आ
जाता है। पत्थर का विस्थापन ज्ञात कीजिए।
हल पत्थर का विस्थापन = शून्य
क्योंकि पत्थर की स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं हुआ।

उदाहरण 3. यदि कोई वस्तु – त्रिज्या के वृत्ताकार मार्ग पर चल रही हो तथा प्रत्येक चक्कर के पश्चात् वह अपनी पूर्व स्थिति में आ जाती हो। यदि वस्तु आधा चक्कर लगाए, तब वस्तु का विस्थापन क्या होगा?
हल = वस्तु द्वारा चली गई दूरी = वृत्त की परिधि = 2πr
तथा वस्तु का विस्थापन = शून्य
आधे चक्कर के पश्चात् वस्तु द्वारा चली गई दूरी = πr
तथा वस्तु का विस्थापन = 2r

चाल की परिभाषा एवं प्रकार

किसी गतिशील वस्तु द्वारा एकांक समय में तय की गई दूरी को चाल कहते हैं। चाल = दूरी / समयान्तराल
चाल एक अदिश राशि है तथा इसका मात्रक मीटर/सेकण्ड होता है। एक गतिमान वस्तु की चाल सदैव धनात्मक होती है। यह कभी भी ऋणात्मक या शून्य नहीं हो सकती है।

चाल के प्रकार / types of speed

सामान्यतया चाल चार प्रकार की होती हैं

(i) एकसमान चाल या स्थिर चाल (Uniform Speed or Constant Speed) – यदि कोई गतिशील वस्तु समान समय अवधि (t) में, समान दूरियाँ तय करती है, तो वस्तु एकसमान चाल से गति कर रही होती है।

(ii) असमान चाल या अस्थिर चाल (Non-uniform Speed or Variable Speed) – यदि वस्तु समान समय अवधि में भिन्न-भिन्न दूरियाँ तय करती है, तो उसकी चाल असमान चाल कहलाती है।

(iii) औसत चाल (Average Speed) – कुल समय किसी गतिमान वस्तु द्वारा तय की गई कुल दूरी तथा दूरी तय करने में लगे के अनुपात को वस्तु की औसत चाल कहते हैं। इसका मात्रक मी/से होता है।

औसत चाल = चली गई कुल दूरी / लिया गया कुल समय

(iv) तात्कालिक या तात्क्षणिक चाल (Instantaneous Speed)
किसी निश्चित क्षण पर अथवा विशेष समय पर गतिमान वस्तु की चाल तात्कालिक या तात्क्षणिक चाल कहलाती है।

अथवा

किसी क्षण पर अत्यन्त सूक्ष्म समयान्तराल में वस्तु द्वारा चली गई दूरी तथा सूक्ष्म समयान्तराल के अनुपात को वस्तु की तात्कालिक चाल कहते हैं।
सामान्यतः कार, स्कूटर, बस आदि में लगा स्पीडोमीटर या ओडोमीटर, उस क्षण वाहन की तात्कालिक चाल को प्रदर्शित करता है।

वेग की परिभाषा एवं प्रकार

एकांक समय में निश्चित दिशा में चली गई दूरी अर्थात् विस्थापन
गतिमान वस्तु को वेग कहते हैं।
वेग =  निश्चित दिशा में तय की गई दूरी / समयान्तराल

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वेग = विस्थापन / समयान्तराल

velocity वेग एक सदिश राशि है। इसका मात्रक मीटर/सेकण्ड होता है।
यदि वस्तु का वेग परिवर्तित कर दिया जाए, तब वस्तु की चाल या गति की दिशा अथवा दोनों बदल सकती हैं।

नोट – यदि कोई वस्तु एक सीधे पथ पर गति कर रही है, तब इसके वेग का परिमाण वेग वस्तु की चाल के बराबर होगा।

वेग के प्रकार / types of velocity

सामान्यतया वेग पाँच प्रकार के होते हैं

(i) एकसमान वेग या अचर वेग (Uniform Velocity or Constant Velocity) – यदि कोई गतिशील वस्तु किसी निश्चित दिशा में समान समय में समान रूप से विस्थापित होती है, तो उसका वेग एकसमान वेग कहलाता है।

(ii) असमान वेग या अस्थिर वेग (Non-uniform Velocity or Variable Velocity) – यदि कोई गतिशील वस्तु किसी निश्चित दिशा में समान समयान्तरालों में असमान रूप से विस्थापित होती है, तो वस्तु का वेग असमान वेग कहलाता है।

(iii) औसत वेग (Average Velocity) – किसी गतिमान वस्तु के कुल विस्थापन को समयान्तराल से विभाजित करने पर, औसत वेग प्राप्त होता है अर्थात्
औसत वेग = कुल विस्थापन / समयान्तराल
             = ∆x / ∆t

जहाँ, ∆x = गतिमान पिण्ड का विस्थापन, ∆t = विस्थापन में लगा समय यदि वस्तु का वेग निश्चित दिशा में एकसमान दर से परिवर्तित हो रहा है, तो

औसत वेग = प्रारम्भिक वेग + अन्तिम वेग / कुल समय

(iv) तात्क्षणिक वेग ( Instantaneous Velocity) – किसी गतिमान पिण्ड का किसी निश्चित क्षण पर वेग तात्क्षणिक वेग कहलाता है। अथवा किसी क्षण पर अत्यन्त सूक्ष्म समयान्तराल में वस्तु द्वारा तय किए गए अत्यन्त सूक्ष्म विस्थापन तथा अल्प समयान्तराल के अनुपात को वस्तु का तात्कालिक वेग कहते हैं। माना किसी क्षण पर अत्यन्त अल्प समयान्तराल (∆t) में वस्तु का विस्थापन ∆s है, तो तात्कालिक वेग (v) = ∆s / ∆t

(v) सापेक्ष तथा निरपेक्ष वेग (Relative and Absolute Velocity) – जब दो वस्तुएँ एक ही समय पर भिन्न-भिन्न वेग से गतिमान होती हैं, तो एक वस्तु के सापेक्ष, दूसरी वस्तु का वेग सापेक्ष वेग कहलाता है। यदि दोनों वस्तुओं में से एक वस्तु स्थिर है तथा दूसरी वस्तु गतिमान है, तो दूसरी वस्तु का वेग निरपेक्ष वेग कहलाता है।

त्वरण की परिभाषा एवं प्रकार

गतिमान पिण्ड के वेग में परिवर्तन की दर को त्वरण कहते हैं। इसे a से प्रदर्शित करते हैं।
अतः त्वरण =  वेग में परिवर्तन / परिवर्तन में लगा समय

यदि किसी पिण्ड का प्रारम्भिक वेग u है तथा ∆t समय पश्चात् वेग v हो जाता है, तो  पिण्ड की गति में उत्पन्न त्वरण a = (v-u) / ∆t
त्वरण एक सदिश राशि है एवं इसका SI मात्रक मीटर/ (सेकण्ड) 2 होता है।

त्वरण के प्रकार / types of acceleration

सामान्यतया त्वरण चार प्रकार के होते हैं

(i) एकसमान त्वरण (Uniform Acceleration) – यदि किसी गतिशील पिण्ड के वेग में समान समयान्तरालों में, समान परिवर्तन होता है,तो पिण्ड की गति में उत्पन्न त्वरण एकसमान त्वरण होगा। उदाहरण- पृथ्वी की सतह की ओर स्वतन्त्रतापूर्वक गिरते पिण्ड की गति में उत्पन्न त्वरण (g) एकसमान त्वरण होता है।

(ii) असमान त्वरण (Non-Uniform Acceleration) – यदि समान समयान्तरालों में किसी पिण्ड के वेग में परिवर्तन भिन्न-भिन्न हो, तो पिण्ड की गति में उत्पन्न त्वरण असमान त्वरण होता है। उदाहरण- सड़क पर वाहनों की गति।

(iii) धनात्मक तथा ऋणात्मक त्वरण (Positive and Negative Acceleration) – यदि गतिशील पिण्ड के वेग में समय के साथ निरन्तर वृद्धि हो रही हो, तो पिण्ड की गति में उत्पन्न त्वरण, धनात्मक त्वरण होगा। उदाहरण- पृथ्वी की ओर गिरती हुई कोई वस्तु जैसे-जैसे नीचे की ओर गिरती है इसका वेग बढ़ता जाता है। इसके विपरीत यदि पिण्ड का वेग का समय के साथ घट रहा हो, तो पिण्ड का त्वरण ऋणात्मक होगा। यह ऋणात्मक त्वरण ही मन्दन (Retardation) कहलाता है। उदाहरण- ऊपर की ओर फेंकी गयी कोई वस्तु जैसे-जैसे ऊपर की ओर जाती है, इसका वेग घटता जाता है।

समान त्वरित गति के समीकरण
Equations of Motion for Uniformly Acceleration Body

किसी एकसमान त्वरण से गतिमान किसी वस्तु के प्रारम्भिक वेग, उसके द्वारा तय की गई दूरी तथा एक निश्चित समय के बाद उसके वेग (अन्तिम वेग) व एकसमान त्वरण के मध्य पारस्परिक सम्बन्धों को जिन समीकरणों द्वारा व्यक्त किया जाता है, उन्हें एकसमान त्वरित गति के समीकरण या गति के समीकरण कहते हैं।

1. गति का प्रथम समीकरण First Equation of motion

माना कि किसी गतिमान पिण्ड का प्रारम्भिक वेग u है तथा t सेकण्ड पश्चात् s दूरी चलकर v हो जाता है। यदि पिण्ड की गति में उत्पन्न त्वरण a है, तो
a = पिण्ड के वेग में परिवर्तन / परिवर्तन में लगा समय
a  = (v-u) / t
v = u + at
यह गति का प्रथम समीकरण है।

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2. गति का द्वितीय समीकरण Second Equation of motion

माना किसी गतिशील वस्तु का प्रारम्भिक वेग u व एकसमान त्वरण a है। तब गति प्रारम्भ होने के 1 सेकण्ड पश्चात् वस्तु का वेग = u+a
गति समाप्त होने से 1 सेकण्ड पहले पिण्ड का वेग = v-a
पिण्ड का औसत वेग = {(u + a) + (v – a)}/2
                             = (u+v)/2

यदि पिण्ड की गति में उत्पन्न त्वरण नियत है, तो औसत वेग का मान =(u+v) /2 भी नियत रहता है अर्थात् यह माना जा सकता है कि t सेकण्ड तक वस्तु इसी औसत वेग (u+v) /2  से चलती रहती है।

t सेकण्ड में पिण्ड द्वारा तय की गई दूरी,
s= औसत वेग x समय
s = { (u+v) /2 } × t

गति के प्रथम समीकरण से v = u + at रखने पर,
s =  [ { u + (u + at)} / 2 ] × t

s = ut + 1/2 at^2

यह गति का द्वितीय समीकरण कहलाता है।

3. गति का तृतीय समीकरण Third Equation of motion

माना कि किसी गतिमान पिण्ड का प्रारम्भिक वेग u है तथा t सेकण्ड पश्चात् s दूरी चलकर v हो जाता है।
(प्रथम समीकरण से) v=u+at
दोनों पक्षों का वर्ग करने पर,
v^2 = (u+at)^2 =
u^2 + 2uat + a^2t^2
=u^2 + 2a ( ut + 1/2 at^2 )

गति के द्वितीय समीकरण से, s=ut + 1/2 at^2
v^2 = u^2 + 2as
यह गति का तृतीय समीकरण है।

गति के समीकरणों की विशेष स्थितियाँ Specific Conditions

(i) यदि कोई पिण्ड स्थिर अवस्था अथवा विरामावस्था से गति प्रारम्भ करता
है, तो u = 0 तब
(a) v=at
(b) s = 1/2at^2
(c) v2 = 2as

(ii) यदि किसी गतिमान पिण्ड का वेग समय के साथ नियत अथवा एकसमान
दर से बढ़ रहा है, तो उपरोक्त तीनों समीकरणों में a का मान – a लेते हैं,
अर्थात्
(a) v =u-at
(a) v=ut–1/2at^2
(c) v^2 = u^2 + 2as

(iii) यदि पिण्ड का वेग नियत है, तो त्वरण (a = 0) शून्य होगा। उस स्थिति में
(a) v = u
(b) s=ut
(c) v2 = u2

किसी विशेष समय में वस्तु द्वारा तय की गई दूरी ज्ञात करना / nवे सेकंड में चली गयी दूरी का सूत्र

माना कि किसी वस्तु का प्रारम्भिक वेग u है, जो एकसमान त्वरण a से गतिमान है तथा समय t में दूरी तय करती है, गति के द्वितीय समीकरण से

s=ut + 1/2at^2

n सेकण्ड में वस्तु द्वारा तय की गई दूरी
Sn = un+1/2an^2                  (t=n)

इसी प्रकार (n – 1) सेकण्ड में वस्तु द्वारा तय की गई दूरी
Sn-1 = u (n – 1) + 1/2 a (n-1)^2

गतिमान वस्तु द्वारा nवें सेकंड में तय की गई दूरी –

S = Sn — Sn-1
= un+1/2an^2 — u (n – 1) – 1/2 a (n-1)^2
= un+1/2an^2 – un + u – 1/2 a (n^2-2n+1)
S = u – 1/2 a(1-2n) या u+1/2 a(2n-1)
यह वस्तु द्वारा n वें सेकंड में चली गई दूरी होगी।

पृथ्वी के गुरुत्व के अन्तर्गत गति की समीकरण / Equations of Motion under Gravity

पृथ्वी की सतह से ऊपर h ऊँचाई पर गिरती सभी वस्तुओं की गति में एक नियत त्वरण g उत्पन्न होता है, यही त्वरण गुरुत्वीय त्वरण कहलाता है। अतः स्वतन्त्रतापूर्वक गिरते पिण्ड के समीकरण में a के स्थान पर g तथा s के स्थान पर h रखकर हमे निम्न समीकरण प्राप्त होंगे।

v=u + gt
h=ut + 1/2 gt^2
v^2 =u^2 + 2gh

यदि वस्तु मुक्त रूप से छोड़ी गई है, तो वस्तु का प्रारम्भिक वेग u= 0 रखकर हमें निम्न समीकरण प्राप्त होगें

v= gt
h= 1/2 gt^2
v^2 = 2gh

यदि किसी वस्तु को नीचे से ऊपर की ओर फेंका जाए, तो g = – g होगा, तब समीकरण निम्न होंगे
v=u – gt
h=ut – 1/2 gt^2
v^2 =u^2 – 2gh

Final words

दोस्तों आपको हमारा यह आर्टिकल कैसा लगा हमे कॉमेंट करके जरूर बताएं ताकि हम आगे आपके लिए ऐसे ही आर्टिकल लाते रहे। अगर आपको गति के प्रकार एवं गति के समीकरण / types and equation of motion in hindi पसंद आया हो तो इसे शेयर भी कर दे ।

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