संघ प्रोटोजोआ : सामान्य लक्षण एवं इसके प्रमुख जंतु / information of protozoa phylum in hindi

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संघ प्रोटोजोआ : सामान्य लक्षण एवं इसके प्रमुख जंतु / information of protozoa phylum in hindi

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संघ-प्रोटोजोआ Phylum-Protozoa (Protos-आदिम या प्रथम; Zoon-जन्तु)

एण्टोनी वॉन ल्यूवेनहॉक (Antonie van Leeuwenhoek; 1677) ने सर्वप्रथम इसका अध्ययन किया। गोल्डफस (Goldfuss; 1817) ने इसे ‘प्रोटोजोआ’ नाम दिया। इसे जगत-प्रोटिस्टा में जगह मिली है। अतः यह पूर्णरूप से मान्यता प्राप्त संघ नहीं है।

प्रोटोजोआ संघ के सामान्य लक्षण General Characteristics of protozoa

(i) ये एककोशिकीय व सुकेन्द्रकीय (Eukaryotic) जीव हैं।

(ii) ये अतिसूक्ष्म जीव जल, कीचड़ या नमी युक्त स्थान पर स्वतन्त्र रूप से या पादपों व जीवों में परजीवी के रूप में पाए जाते हैं।

(iii) ये प्राय: एकल (Solitary) पाए जाते हैं एवं नग्न या पेलीकल (Pellicle) जैसी महीन परत से आवरित होते हैं।

(iv) इनमें अन्तः कोशिकीय श्रम विभाजन (Intracellular division of labour) होता है। अतः जीवद्रव्यी स्तर का संगठन पाया जाता है।

(v) इनमें गमन हेतु रोमाभ (Cilia), कशाभिका (Flagella) व कूटपाद या पादाभ (Pseudopodia) पाए जाते हैं।

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(vi) इनमें संकुचनशील रिक्तिका (Contractile vacuole) द्वारा शरीर में जल की मात्रा निर्धारित होती है।

(vii) इनका पोषण प्राणीसम (Holozoic), मृतोपजीवी (Saprozoic or Saprophytic) या परजीवी (Parasitic) प्रकार का होता है।

(viii) इनमें श्वसन व उत्सर्जन शरीर की सतह द्वारा सम्पन्न होता है।

(ix) जनन लैंगिक (प्रतिकूल परिस्थितियों में) या अलैंगिक (अनुकूल
परिस्थितियों में) होता है। अलैंगिक जनन में विखण्डन (Fission)
पुटीभवन (Encystment) तथा परिकोष्ठन (Multiple fission) मुख्य विधियाँ हैं।

प्रोटोजोआ संघ का वर्गीकरण

चलनांगों के आधार पर प्रोटोजोआ को चार समूह में बाँट सकते हैं

(a) अमीबीय प्रोटोजोआ इनमें चलन के लिए कूटपाद पाए जाते हैं;
उदाहरण- अमीबा, एण्टअमीबा ।
(b) कशाभीय प्रोटोजोआ इनमें काशाभ द्वारा चलन होता है;
उदाहरण- ट्रिपैनोसोमा
(c) पक्ष्माभी प्रोटोजोआ इनमें चलन हेतु पक्ष्माभ पाए जाते हैं; ये
सबसे विकसित प्रोटोजोआ प्राणी होते हैं। उदाहरण- पैरामीशियम ।
(d) स्पोरोजोआ इनमें विशेष चलनांग अनुपस्थित होते हैं तथा वितरण बीजाणु (Spore) बनाकर किया जाता है; उदाहरण-
प्लाज्मोडियम

प्रोटोजोआ संघ के मुख्य सदस्य / प्रोटोजोआ संघ के मुख्य जीव

अमीबा Amoeba

यह स्वच्छ व स्थिर जल स्रोतों में पाया जाता है। इसका आकार व आकृति परिवर्तनशील है। इसमें कूटपादों द्वारा गमन होता है तथा सामान्य सुकेन्द्रकीय कोशिका के कोशिकांगों के अतिरिक्त खाद्य धानियों एवं संकुचनशील रिक्तिका भी पाए जाते हैं। संकुचनशील रिक्तिका का स्थान नियत नहीं होता यह बनती और गायब होती रहती है। इसमें अनुकूल परिस्थितियों में द्विविखण्डन (Binary fission) द्वारा अलैंगिक जनन होता है।

पैरामीशियम Paramecium

यह भी स्वच्छ जल स्रोतों में पाया जाता है। यह जल की सतह पर स्वतन्त्र रूप तैरता रहता है। इसके शरीर पर तनुत्वक् (Pellicle) का महीन आवरण तथा हजारों छोटी धागेनुमा संरचनाएँ पाई जाती हैं, जो पक्ष्माभ (Cilia) कहलाती है। पक्ष्माभ गमन में प्रयुक्त होते हैं। शरीर पर एक कोशिकामुख (Cytostome) एवं कोशिका गुदा (Cytopyge) उपस्थित होती है। संकुचनशील रिक्तिका का स्थान नियत होता है व इनकी संख्या भी जाति के अनुसार निश्चित होती है। इनमें जन्तुसम (Holozoic) प्रकार का पोषण पाया जाता है। इनमें दो प्रकार के केन्द्रक पाए जाते हैं, जिसमें से दीर्घ केन्द्रक रोजमर्रा की प्रक्रियाओं से व सूक्ष्म या लघु केन्द्रक मुख्यतया जनन से सम्बद्ध होता है।

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बहुकोशिकीय जन्तु / Multicellular or Metazoan Animals

ये जीव एनीमेलिया या जन्तु जगत (Animalia kingdom) के उपजगत- मेटाजोआ (Metazon) के अन्तर्गत आते हैं तथा सभी बहुकोशिकीय जीव हैं, इनका शारीरिक संगठन कोशिकीय स्तर से लेकर अंगतन्त्र स्तर तक हो सकता है। इनमें उपस्थित संघ-पोरीफेरा से लेकर संघ-इकाइनोडर्मेटा तक के आठ संघों के जन्तुओं को नॉन-कॉर्डेट्स (Non-chordates) कहते हैं तथा इनम नॉन-कॉडेंट्स जन्तुओं को संघ-हेमीकॉडेंटा के जन्तुओं के साथ मिलाकर अकशेरुकी (Invertebrates) कहते हैं।


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