हिंदी में विशेषण – परिभाषा,उदाहरण | विशेषण के प्रकार || visheshan in hindi

नमस्कार साथियों 🙏 आपका स्वागत है। आज हम आपको हिंदी विषय के अति महत्वपूर्ण पाठ हिंदी में विशेषण –  परिभाषा,उदाहरण | विशेषण के प्रकार || visheshan in hindi से परिचित कराएंगे।

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Contents

हिंदी में विशेषण –  परिभाषा,उदाहरण | विशेषण के प्रकार || visheshan in hindi

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हिंदी में विशेषण –  परिभाषा,उदाहरण | विशेषण के प्रकार || visheshan in hindi

इस टॉपिक में हमने क्या क्या सम्मिलित किया है?

(1) पद किसे कहते हैं
(2) विशेषण की परिभाषा
(3) प्रविशेषण
(4) विशेषण एवं विशेष्य
(5) विशेषण के प्रकार
(6) विशेषण की अवस्थायें
(7) विशेषणों में अंतर
(8) विशेषण की रचना
(9) महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

पद किसे कहते है

शब्द जब वाक्य में स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त होता है अर्थात जब वह वाक्य का अंग बन जाता है, तब उसे पद कहा जाता है। किंतु वाक्य के बाहर यह शब्द कहा जाता हैं।

जैसे – लड़का किताब पढ़ता है।

इस वाक्य में लड़का,किताब,पढ़ता,है ये सभी वाक्य के अंग बन गए है इन्ही से वाक्य बना है अतः यह सभी शब्द पद कहे जाएंगे।

पद के प्रकार | पद के प्रकार

पद के 5 प्रकार होते हैं –

(1) संज्ञा
(2) सर्वनाम
(3) क्रिया
(4) विशेषण
(5) अव्यय

अव्यय के अंतर्गत क्रिया विशेषण,संबंधबोधक अवयय,समुच्चयबोधक अव्यय,विस्मयादिबोधक अव्यय आदि आते हैं।

आज हम लोग पद के बारे में पढ़ेगे। जिसमे आज के आर्टिकल में विशेषण  को  विस्तर पूर्वक पढ़ेगे ।

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विशेषण की परिभाषा | विशेषण किसे कहते हैं

संज्ञा तथा सर्वनाम शब्दों की विशेषता जैसे गुण,दोष,संख्या,

परिमाण इत्यादि बताने वाले शब्द विशेषण कहलाते हैं।

जैसे – बड़ा,काला,लंबा,दयालु,सुंदर,वीर,भारी,कायर,टेढ़ा , एक,दो,द्वितीय,दुगना,चौगुना,पांचो इत्यादि।

आइए विशेषणों को निम्न उदाहरणों से समझते हैं-

1. मेरा घर बहुत बड़ा है।

निम्न उदाहरण में ‘घर’ शब्द संज्ञा है जिसकी विशेषता ‘बड़ा’शब्द बता रहा है ।

2. गुलाब का पुष्प बहुत सुंदर है ।

निम्न उदाहरण में ‘पुष्प’ शब्द संज्ञा है जिस की विशेषता ‘सुंदर’ शब्द बता रहा है।

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विशेष्य किसे कहते हैं

जिस संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्द की विशेषता बताई जाए वह विशेष्य कहलाता है।

उदाहरण- 
(1)  राधा सुंदर  है।

इस उदाहरण में ‘राधा’ ( संज्ञा शब्द )  विशेष्य है , ‘सुंदर’ शब्द विशेषण है तथा  ‘है’ शब्द क्रिया है।


विशेषण और विशेष्य के उदाहरण

पूर्व में प्रयुक्त विशेषण-

 1. थोड़ा-सा जल लाओ।

   इस उदाहरण में ‘थोड़ा-सा’ शब्द विशेषण है एवं ‘जल’ शब्द विशेष्य है एवं ‘लाओ’ शब्द क्रिया है।

 2. एक मीटर कपड़ा ले आना।

इस उदाहरण में ‘एक मीटर’ विशेषण है ,’कपड़ा’ विशेष्य है तथा ‘ले आना’ क्रिया है। 

बाद में प्रयुक्त विशेषण –

 1. यह रास्ता लंबा है।

 इस उदाहरण में ‘रास्ता’ विशेष्य एवं ‘लंबा’ विशेषण है।

ये भी पढ़ें-  बरवै छंद की परिभाषा और उदाहरण | baravai chhand in hindi | बरवै छंद के उदाहरण

 2. खीरा कड़ुआ है।

इस उदाहरण में ‘खीरा’ विशेष्य तथा ‘कड़ुआ’ विशेषण है।


विशेषण के प्रकार | विशेषण के भेद

विशेषण के चार भेद होते हैं जो कि निम्नलिखित हैं-

(1)गुणवाचक विशेषण

(2)संख्यावाचक विशेषण

(3)परिमाणवाचक विशेषण

(4)सर्वनामिक या संकेतवाचक विशेषण


विशेषण कितने प्रकार के होते हैं | विशेषण के कितने भेद हैं


गुणवाचक विशेषण

जिन विशेषण शब्दों से संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों के गुण,दोष, रंग-रूप,आकार,स्थान,समय,दशा,अवस्था का बोध हो वह गुणवाचक विशेषण कहलाते हैं।

जैसे- (I) गुण-दोष /भाव -अच्छा,बुरा,वीर,कायर,बुद्धिमान,मूर्ख, दुष्ट ,सज्जन, योग्य,अयोग्य,पवित्र,पापी,बलवान,दुर्बल आदि।

  (II) रंग– लाल,हरा,नीला,पीला,सफेद,काला,चमकीला सुनहला,फीका, मैला आदि। 

(III)दशा(अवस्था)- रोगी,स्वस्थ,पालतू ,अमीर,गरीब,सूखा ,मोटा,पतला ,भारी आदि।

 (IV) आकार –मोटा,छोटा,लंबा,नाटा,गोल,चौकोर,चपटा, उभरा, तिकोना,नुकीला टेढ़ा-मेढ़ा,सुडोल,भद्दा आदि।

(V) समय -दोपहर,संध्या,वार्षिक,सप्ताहिक,आधुनिक,प्राचीन, मध्यकालीन,मासिक आदि।

(VI) स्थान -भीतरी,बाहरी,पंजाबी,जापानी,जयपुरी,भारतीय आदि।

(VII) स्थिति -अगला,पिछला,ऊपरी,निचला,जमीनी,बाहरी, भीतरी,गतिशील,प्रगतिशील,विकसित,उन्नत आदि।

(VIII) दिशा-उत्तरी,दक्षिणी,पूर्वी,पश्चिमी आदि।

(IX) स्वाद-मीठा,खट्टा,तीखा,चटपटा,नमकीन,चरपरा,कड़वा आदि।

(X) स्पर्श -ठंडा,गरम,चिकना,खुरदुरा,मुलायम,मखमली आदि।

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संख्यावाचक विशेषण


जिस विशेषण से संज्ञा की संख्या का बोध हो,उसे  
‘ संख्यावाचक विशेषण ‘ कहते हैं।

उदाहरण-

यहां तीन बालक और चार बालिकाएं उपस्थित हैं।

संख्यावाचक विशेषण के प्रकार

संख्यावाचक विशेषण  दो  प्रकार के होते हैं जो निम्नलिखित हैं-

(I) निश्चित संख्यावाचक विशेषण

(II) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण

(I) निश्चित संख्यावाचक विशेषण

जिन विशेषज्ञों द्वारा विशेष्य की निश्चित संख्या का बोध हो , उन्हें निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं।

जैसे – एक,दो,पहला,दूसरा,इकहरा,दोहरा,दुगना,तिगुना,दोनों,चारों आदि।

उदाहरण – कमरे में तीन खिड़कियां हैं।

निश्चित संख्यावाचक विशेषण के पांच भेद होते हैं-

(a) गणनावाचक  विशेषण-

जो संख्यावाचक विशेषण पूर्णांकों तथा अपूर्णांकों के बोध रूप में गिनने योग्य हो , उसे गणनावाचक  विशेषण कहते हैं।

जैसे – एक, दो ,तीन,आधा, आदि।

उदाहरण-(i) दो बैल जा रहे हैं। (पूर्णांक)

              (ii) आधा किलो चीनी मिली है। (अपूर्णांक)


(b) क्रमवाचक  विशेषण-

जो संख्यावाचक विशेषण संख्या के क्रमांक को सूचित करते हैं , उन्हें क्रमवाचक विशेषण कहते हैं।

जैसे – पहला,दूसरा,तीसरा,चौथा आदि।

उदाहरण– (I) पहला व्यक्ति आगे रहेगा ।

               (II) तीसरा और चौथा आदमी एक दूसरे के आस-पास रहेंगे।


(c) आवृत्तिवाचक विशेषण-

जो संख्यावाचक विशेषण किसी की आवृत्ति को सूचित करते हैं , उन्हें आवृत्तिवाचक  विशेषण कहते हैं।

जैसे- दुगना , तिगुना , चौगुना इत्यादि।

उदाहरण- लोहे के व्यापार से कपड़े के व्यापार में उसे दुगुना लाभ हुआ।

(d) समुदायवाचक विशेषण-

वे संख्यावाचक विशेषण जो समूह समुदाय का बोध कराएं , वह समुदायवाचक विशेषण कहलाते हैं।

जैसे – दोनों , तीनों , चारों , पांचो इत्यादि।

उदाहरण – दोनों आदमी चुपचाप बैठ गए ।

(e) प्रत्येकबोधक निश्चित संख्यावाचक विशेषण –

जो संख्या एक का बोध कराएं , उसे प्रत्येक बोधक निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं।

जैसे – हर एक , प्रत्येक , एक-एक इत्यादि।

उदाहरण – प्रत्येक बच्चे को एक-एक किताब दी जाएगी ।

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(II) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण –

जिन विशेषणों द्वारा विशेष्य की किसी संख्या का निश्चित बोध न  हो, उन्हें अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं।

जैसे – कुछ , थोड़ा , ज्यादा , बहुत , कई , अनेक आदि।

उदाहरण – आदित्य के हाथों में भी थोड़े फूल दे दो।








परिमाणवाचक विशेषण-

जिन विशेषण शब्दों से संज्ञा या सर्वनाम की मात्रा अथवा नाप तौल का बोध हो वह परिमाणवाचक विशेषण कहलाते हैं।

परिमाणवाचक विशेषण के भेद-

परिमाणवाचक विशेषण के दो भेद होते हैं जो कि निम्नलिखित हैं-

(I) निश्चित परिमाणवाचक विशेषण

(II)अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण

(I) निश्चित परिमाणवाचक विशेषण

जिन विशेषण शब्दों से वस्तु की निश्चित मात्रा का ज्ञान हो, वह निश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहलाते हैं 

जैसे – 2 किलोग्राम गेहूं , 1 लीटर दूध

उदाहरण – (a) राम बाजार से 4 किलोग्राम मैदा लाया है।

ये भी पढ़ें-  वीभत्स रस की परिभाषा और उदाहरण | vibhatsa ras in hindi | वीभत्स रस के उदाहरण

(b) बाजार जा रहे हो तो एक तोला हींग लेते आना।

(II)अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण

जिस विशेषण से किसी संख्या का कोई निश्चित परिमाण ज्ञात ना हो , उसे अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहते है।

जैसे – थोड़ा सा धन, कुछ चना, बहुत सारा चावल

उदाहरण– सभागार में बहुत से आदमी थे।







(4) सार्वनामिक या संकेतवाचक विशेषण


पुरुषवाचक और निजवाचक सर्वनाम को छोड़कर अन्य सर्वनाम जब किसी की विशेषता बताएं तो , उन्हें सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।

जैसे – यह,वह,इस,उस,वो आदि।

उदाहरण – (a) यह पुस्तक मेरी है।

                (b) वह बच्चा इस स्कूल में नया आया है।

                 (c) यह गाय सुंदर है। 



परिमाणवाचक तथा संख्यावाचक विशेषण में अंतर

परिमाणवाचक विशेषण           संख्यावाचक विशेषण

(1) इसमें माप तोल की         (1) इसमें गणना योग्य

  वस्तुए आती हैं।                    (जिनकी गिनती की
                                             जा सके)वस्तुएं आती हैं।  

(2) इसमें परिमाणवाचक       (2) इसमें संख्यावाचक

विशेषणों के बाद पदार्थ            विशेषणों के बाद
वाचक अथवा द्रव्यवाचक        जातिवाचक संज्ञाये

संज्ञाये आती हैं ।                    आती हैं।


निश्चयवाचक सर्वनाम और सार्वनामिक विशेषण में अंतर

सार्वनामिक विशेषण तथा निश्चयवाचक सर्वनाम (यह , वह , यह , वो) शब्द ही होते हैं परंतु अंतर यह होता है कि सर्वनाम सदैव संज्ञा के स्थान पर आता है जबकि सार्वनामिक विशेषण संज्ञा से पहले या साथ में प्रयुक्त होता है।

उदाहरण – सार्वनामिक विशेषण- ये कपड़े किसके हैं?

                सर्वनाम (निश्चय वाचक)- ये किसके हैं?



विशेषण शब्द list | विशेषण उदाहरण | विशेषण list | विशेषणों की रचना 

जैसा कि हम जानते हैं कि कुछ शब्द मूल रूप से ही विशेषण होते हैं परंतु कुछ अन्य प्रकार के शब्दों में प्रत्यय उपसर्ग यह समाज आदि द्वारा भी विशेषण बनाए जाते हैं।

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(1) संज्ञा से विशेषण बनाना उदाहरण

संज्ञाओं में निम्नलिखित प्रत्ययों के माध्यम से  हम विशेषण की रचना कर सकते हैं।

(1) ‘ई’ प्रत्यय लगाकर

अनुभव – अनुभवी               गुण – गुणी

पाप – पापी                       लोभ – लोभी

सुंदर – सुंदरी                      विदेश – विदेशी

बंगाल – बंगाली                 उपयोग – उपयोगी        

धन – धनी                         बाहर – बाहरी


(2) ‘ईय’ प्रत्यय लगाकर

भारत – भारतीय                 स्थान – स्थानीय
जाति – जातीय                   स्वर्ग – स्वर्गीय
राष्ट्र – राष्ट्रीय                      प्रांत – प्रांतीय


(3) ‘इत’ प्रत्यय लगाकर

वर्णन – वर्णित                  अंक – अंकित
तरंग – तरंगित                 सीमा – सीमित
प्रभाव – प्रभावित            शोभा – शोभ


(4) ‘नीय’/ ‘णीय’ प्रत्यय लगाकर

पूजा – पूजनीय           आदर – आदरणीय
सम्मान – सम्मानीय          उल्लेख – उल्लेखनीय



(5) ‘इम’ प्रत्यय लगाकर

रक्त – रक्तिम      
स्वर्ण – स्वर्णिम   
अंत – अन्तिम



(6) ‘आ’ प्रत्यय लगाकर

सच – सच्चा
भूख – भूखा
प्यास – प्यासा
प्यार – प्यारा

(7) ‘आलु’/ ‘आलू’ प्रत्यय लगाकर

ईर्ष्या – ईर्ष्यालु
कृपा – कृपालु
दया – दयालु
शंका – शंकालु
झगड़ा – झगड़ालू
श्रद्धा – श्रद्धालु


(8) ‘ऐला’ प्रत्यय लगाकर

वन – वनेला
विष – विषैला


(9) ‘वान’ प्रत्यय लगाकर

दया – दयावान
बल – बलवान
धन – धनवान
मूल्य – मूल्यवान

(10) ‘वाला’ प्रत्यय लगाकर

सब्जी – सब्जीवाला
फूल – फूलवाला 
फल – फलवाला 
घर – घरवाला


(11) ‘मान’  प्रत्यय लगाकर

बुद्धि – बुद्धिमान
शक्ति – शक्तिमान
गति – गतिमान
श्री – श्रीमान

(12) ‘ईला’ प्रत्यय लगाकर

रंग – रंगीला
चमक – चमकीला
सूर  – सुरीला
शर्म – शर्मीला
रस – रसीला


(13) ‘इक’ प्रत्यय लगाकर

समाज – सामाजिक
शरीर – शारीरिक
साहित्य – साहित्य
कल्पना – काल्पनिक
इतिहास – ऐतिहासिक


(14) ‘ईन’ प्रत्यय लगाकर

शौक – शौकीन
मन – मलीन
रंग – रंगीन
ग्राम – ग्रामीण
नमक – नमकीन

(15) ‘इल’ प्रत्यय लगाकर

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जटा – जटिन
फेन – फेनिल
उर्मि – उर्मिल

(2) सर्वनाम से निर्मित विशेषण शब्द

जो – जैसा
कोई  – कोई सा
वह -‌ वैसा
कुछ – कितना
यह – ऐसा


(3) क्रियाओं से निर्मित विशेषण शब्द

लिखना – लिखित
पठित – पठनीय
लड़ना – लड़ाकू
भागना – भागनेवाला / भगोड़ा
बेचना – बिकाऊ
रखना –  रखवाला
बेचना – बिकाऊ


(4) क्रिया विशेषण से निर्मित विशेषण शब्द

पीछे – पिछला , पिछड़ा
ऊपर – ऊपर
आगे – अगला , अगला
अंदर – अंदरूनी
नीचा – नीच
बाहर – बाहरी


(5) उपसर्गों के प्रयोग से निर्मित विशेषण शब्द

प्र- प्रबल , प्रसिद्ध
बद – बदनाम , बदसूरत
ला – लाइलाज , लापरवाह
सु – सुपुत्र , सुशील



विशेषण की अवस्थाएं || विशेषण की कितनी अवस्थायें होती हैं

जैसा कि हम जानते हैं की एक ही प्रकार के प्राणियों अथवा वस्तुओं की विशेषता में यदि तुलना की जाए तो विशेषण की अवस्थाएं होती हैं जोकि तीन होती हैं और निम्नलिखित हैं-

(1) मूलावस्था

इस अवस्था में तुलना नहीं होती है, केवल विशेषता बताई जाती है।
उदाहरण –  हिमांशु श्रेष्ठ चित्रकार है।

(2) उत्तरावस्था

इस अवस्था में किन्ही दो प्राणियों व वस्तुओं की विशेषता की तुलना करके एक को कम और एक को अधिक बताया जाता है । इसके लिए विशेषण में ‘तर’ प्रत्यय लगाया जाता है या उसे तुलनात्मक तरीके से कहा जाता है।

उदाहरण- हिमांशु और दीपक में हिमांशु श्रेष्ठतर है।

(3) उत्तमावस्था

इस अवस्था में दो से अधिक के बीच तुलना की जाती है। इसमें विशेषण में ‘तम’ प्रत्यय भी लगाया जाता है।

उदाहरण- हिमांशु के चित्र श्रेष्ठतम हैं।



प्रविशेषण किसे कहते हैं | प्रविशेषण क्या है

विशेषण की विशेषता बताने वाले शब्दों को प्रविशेषण कहते हैं।

उदाहरण-


(क) मुझे थोड़ा गर्म दूध चाहिए।
(ख)आपने बहुत सुंदर बात कही।
(ग)ज्यादा ठंडी चीजें खाने से गला खराब हो जाएगा।


उपर्युक्त वाक्यों में ‘थोड़ा’ , ‘बहुत’ , ‘ज्यादा’ प्रविशेषण हैं क्योंकि यह क्रमशः ‘गरम’ , ‘सुंदर’ तथा ‘ठंडी’ की विशेषता बता रहे हैं।






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