हमारी ग्रामीण समस्याएँ पर निबंध हिंदी में | essay on problems of our rural society in hindi

समय समय पर हमें छोटी कक्षाओं में या बड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं में निबंध लिखने को दिए जाते हैं। निबंध हमारे जीवन के विचारों एवं क्रियाकलापों से जुड़े होते है। आज hindiamrit.com  आपको निबंध की श्रृंखला में  हमारी ग्रामीण समस्याएँ पर निबंध हिंदी में | essay on problems of our rural society in hindi पर निबंध प्रस्तुत करता है।

Contents

हमारी ग्रामीण समस्याएँ पर निबंध हिंदी में | essay on problems of our rural society in hindi

इस निबंध के अन्य शीर्षक / नाम

(1) गाँव का विकास : देश का विकास पर निबंध
(2) ग्राम्य जीवन पर निबंध हिंदी में
(3) ग्रामोत्थान : एक अनिवार्यता पर निबंध
(4) गाँव समृद्ध होगा तो देश समृद्ध होगा पर निबंध
(5) ग्रामोत्थान की नयी योजनाएँ पर निबंध
(6) राष्ट्रोन्नति का द्वार : ग्राम विकास पर निबंध
(7) हमारी ग्रामीण समस्याएं और उनका समाधान पर निबंध
(8) ग्रामीण समाज की समस्याएं पर निबंध
(9) ग्रामीण जीवन की समस्याएं पर निबंध

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हमारी ग्रामीण समस्याएँ पर निबंध हिंदी में  | essay on problems of our rural society in hindi

पहले जान लेते है हमारी ग्रामीण समस्याएँ पर निबंध हिंदी में ,essay on problems of our rural society in hindi पर निबंध की रूपरेखा ।

निबंध की रूपरेखा

(1) प्रस्तावना

(2) ग्राम्य में जीवन की विशेषताएं

(3) ग्रामीण समस्याएं

(क) ऋण की समस्या     (ख) अशिक्षा     (ग) कुरीतियां  
(घ) आपसी कलह  (ङ) चिकित्सा की समस्या
(च) निर्धनता (छ) अन्य समस्याएं

(4) ग्रामीण समस्याओं का समाधान

(5) उपसंहार

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हमारी ग्रामीण समस्याएँ  पर निबंध हिंदी में | essay on problems of our rural society in hindi

प्रस्तावना

भारत गाँवों का देश है। प्रत्येक बड़े नगर के साथ सैकड़ों गाँव लगे हैं। भारत की लगभग 72 प्रतिशत जनता आज भी गाँवों में निवास करती है। गाँवों के निवासी किसान ही सम्पूर्ण देशवासियों के लिए अन्न, वस्त्र, फल, दूध, चीनी और सब्जियाँ आदि जीवन के लिए आवश्यक वस्तुओं का उत्पादन करते हैं। इस कारण इस देश में ग्रामों का विशेष महत्त्व है। देश की समृद्धि तथा विकास गाँवों के विकास पर आधारित है। गाँवों की उन्नति में ही देश की उन्नति है।



ग्राम्य जीवन की विशेषताएँ

ग्राम के निवासी परिश्रमी, सीधे और सच्चे होते हैं। आडम्बर, छल-कपट से वे कोसों दूर होते हैं। फैशन और बाहरी चमक-दमक उन्हें अच्छी नहीं लगती। वे प्रकृति के खुले वातावरण में विचरण करते हैं । गाँवों की प्राकृतिक छटा भी बड़ी मनोरम होती है। यहाँ की शस्य श्यामला भूमि विभिन्न ऋतुओं में नया-नया रूप धारण करती है। गाँवों के चारों ओर के आम तथा अन्य फलों के बाग, प्रातःकाल की शीतल मन्द सुगन्ध बयार और पशु-पक्षियों के विविध रूप नगर निवासियों के लिए दुर्लभ वस्तुएँ हैं। गाँवों का वातावरण सदैव शान्त और कोलाहल-रहित होता है।


ग्रामीण-समस्याएँ

यह आश्चर्य की बात है कि गाँव शान्ति और स्वास्थ्य के केन्द्र हैं किन्तु ग्राम के निवासी ग्राम छोड़कर शहरों की ओर दौड़ रहे हैं । इसका एकमात्र कारण है-ग्राम्य जीवन की जटिल समस्याएंँ।
यह कैसी विडम्बना है कि संसार को अन्न-वस्त्र देने वाला किसान स्वयं भूखा और नंगा रहता है। गाँव के निवासी अनेक कठिनाइयों से पीड़ित हैं, अभावों से संतप्त हैं।

गाँवों की अनेकः समस्याएँ हैं, जिनमें से मुख्य निम्नलिखित है-

(1) ऋण की समस्या

गाँव के अधिकतर लोग खेती करते हैं । खेती के लिए आधुनिक यन्त्रों, उत्तम बीज, खाद तथा सिंचाई की व्यवस्था के लिए किसान के पास धन नहीं होता है। इसके लिए उसे ब्याज की सस्ती दर पर ऋण नहीं मिल पाता। सरकार ने सहकारी बैंक, भूमि विकास बैंक आदि की स्थापना कर किसान की इस कठिनाई को दूर करने का प्रयास किया है किन्तु गाँव का किसान अशिक्षित है, वह अज्ञान के कारण इस सुविधा से लाभ नहीं उठा पा रहा है।



(2) अशिक्षा

अधिकतर किसान अशिक्षित हैं । किसानों के बच्चे अब भी कम ही पढ़ते हैं और जो पढ़ते हैं, वे खेती नहीं करना चाहते। नौकरी की तलाश में भटकते फिरते हैं । अशिक्षा के कारण किसान खेती के नये-नये तरीकों, यन्त्रों तथा फसलों के विषय में जानकारी प्राप्त नहीं कर पाता है और सरकार से मिलने वाली सुविधाओं से भी वंचित रह जाता है ।

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(3) कुरीतियाँ

किसान अनेक कुरीतियों, कृप्रभावों और रूढ़ियो में फेसा है। विज्ञान के इस युग में भी वह छुआछूत, बाल-विवाह और जादू-टोना के अन्धकिश्वास से मुक्ति नहीं पा सका है ।


(4) आपसी-कलह

गाँव के लोग छोटी-छोटी बातों और एक-एक इच जमीन के लिए आ स में लडते- झगड़ते हैं। जरा-सी बात को सम्मान का प्रज्न बना लेते हैं, मार-पीट ह। जाती है, सिर फूट जाते हैं, मृत्यु तक हो जाती है। मुकदमेबाजी हो जाती है, गाढ़ी कमाई का हजारों रुपया मुकदमों पर खर्च हो जाता है। इससे बड़ी हानि और क्या हो सकती है?


(5) चिकित्सा की समस्या

गाँवों में स्वास्थ्य और चिकित्सा की व्यवस्था का अभाव है। अस्पताल एवं अच्छे डॉक्टर गाँव में उपलब्ध नहीं हैं। यदि कोई बीमार होता है तो वह चिकित्सा के अभाव में प्राणों से हाथ धो लेता है। जिनके पास धन तथा अन्य साधन होते हैं, वह शहरों की ओर दौड़ते हैं। परन्तु बहुत वार ऐसा होता है कि शहर के अस्पताल तक पहुँचते-पहुँचते रोगी जीवन से हाथ धो बैठता है।


(6) निर्धनता

निर्धनता तथा बेकारी गाँव की प्रमुख समस्याएँ हैं। धन के अभाव में ग्रामवासी पंखा फ्रिज, कूलर जैसी आधुनिक सुखदायक वस्तुओं का उपयोग नही कर पाते हैं। गर्मी-सर्दी आदि उन्हें खूब सताती है।
विलास की सामग्री तो दूर, जीवन की अत्यन्त आवश्यक आवश्यकताओं की पूर्ति भी वे नहीं कर पाते हैं।

ग्रामीण जीवन की अन्य समस्याएँ

ऊपर वर्णित समस्याओं के अतिरिक्त गाँव में किसानों की पेयजल, बिजली, यातायात के साधनो आदि की अनेक समस्या हैं जिनके समाधान के बिना गाँव के निवासी सुख का अनुभव नहीं कर
पाते है। गाँव के विकास के अभाव में राष्ट्र का विकास असम्भव है।




समाधान के सुझाव

गाँवों की उन्नति और कृषक विकास के लिए सरकार को चाहिए कि इन समस्याओं का शीघ्र समाधान किया जाये। प्रत्येक ग्राम में शिक्षा, चिकित्सा, सुरक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, मनोरंजन और आवागमन की सुविधाएँ उपलब्ध करायी जाएँ। कृषि की उन्नति और उत्पादन में बृद्धि के लिए कृषि सम्बन्धी आधुनिकतम उपकरणों से किसान को परिचित कराया जाये, सिंचाई के साधनों का विस्तार किया जाये,अच्छी खाद, उन्नत बीज तथा यन्त्रों की प्राप्ति के लिए किसान को ब्याज की सस्ती दरों पर ऋण प्राप्त कराया जाये, गाँवों में कूटीर उद्योगों का विकास किया जाये और लघु उद्योगों की स्थापना को जाये तो  निश्चित ही ग्रामीणों का जीवनस्तर ऊँचा उठेगा ग्रामों का विकास होगा।


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उपसंहार

हमारी सरकार एवं समाज का कर्तव्य है कि गाँवों के कृषकों की इन समस्याओं के समाधान हेतु प्रयत्नशील हो और गाँवों के विकास में अपना पूरा सहयोग दे। गाँवों की उन्नति पर ही देश की उन्नति निर्भर है।

“ग्रामोन्नति हम सचमुच चाहें, तो समस्याएँ सकल मिटानी होगी।
शिक्षा रक्षा दैन्य चिकित्सा, क्षेत्रों में अब नव-नव राह दिखानी होगी।”

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