शैक्षिक मापन का अर्थ,परिभाषा और अंग | शैक्षिक मापन के प्रकार | meaning and definition of educational measurement in hindi

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शैक्षिक मापन का अर्थ,परिभाषा और अंग | शैक्षिक मापन के प्रकार | meaning and definition of educational measurement in hindi

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मापन का अर्थ | मापन की संकल्पना

मापन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा किसी वस्तु प्राणी अथवा क्रिया की
किसी विशेषता को निश्चित मापदण्डों के आधार पर देखा, परखा और मापा जाता है और उसे मानक शब्दों, चिह्नों अथवा निश्चित इकाई अंकों में प्रकट किया जाता है।

शैक्षिक मापन का अर्थ | Meaning of Measurement in hindi

मापन क्रिया में विभिन्न पक्षों के सम्बन्ध में साक्षों (evidences) का फलन (collection) किया जाता है। मापन किसी वस्तु या उपलब्धि का संख्यात्मक मान है। इसका प्रत्यक्ष सम्बन्ध परिणाम अथवा मात्रा से होता है। यह एक परिमाणीकरण की प्रक्रिया है।

उदाहरणार्थ-(1) राम का वजन 55 किलोग्राम है।
(2) नमन की बुद्धिलब्धि 140 है।
(3) शिवांगी के गणित में 90% अंक हैं आदि।

दूसरे शब्दों में मापन में यह पता लगाया जा सकता है कि कोई वस्तु, गुण या विशेषता में कितनी (How much) है? इस प्रकार मापन में अंक प्रदान किये जाते हैं तथा किसी गुण या विशेषता के प्रतीक निर्धारित किये जाते हैं जिससे परिणाम का सही ज्ञान हो सके। परीक्षक छात्रों की उत्तर-पुस्तिकाओं की जाँच करके अपना निर्णय अंकों के रूप में देते हैं। यहाँ पर परीक्षक द्वारा छात्रों को दिये गये अंक बालक की उपलब्धि का प्रतीक है। अत: मापन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा विभिन्न योग्यताओं तथा गुणों को परिमाण के रूप (सम्बन्ध) में बताया जाता है, परन्तु इतना ही पर्याप्त नहीं रहता, अध्यापक को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि मापन द्वारा प्राप्त अंकों का स्तर क्या है? अर्थात् छात्रों के प्राप्तांक कितने अच्छे हैं? इसका निर्धारण करना मूल्यांकन के अन्तर्गत आता है।

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शैक्षिक मापन की परिभाषाएँ

S.M. रस्टिवेन्स के अनुसार,“मापन किन्ही निश्चित स्वीकृत नियमों के अनुसार वस्तुओं को अंक प्रदान करने की प्रक्रिया है।”

राइटस्टोन के अनुसार,”मापन मे पाठ्यवस्तु या विशेष कौशलों
एवं योग्यताओं की उपलब्धि के एकाकी पक्षों पर बल दिया जाता है।”

मापन की परिभाषाओं की व्याख्या करने से यह पता चलता है कि उसमें निम्नलिखित विशेषताएं पाई जाती हैं।

(1) मानसिक मापन
(2) भौतिक मापन

(1) मानसिक मापन –  मानसिक मापन के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के मानसिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। जैसे–  बुद्धि, रुचि,अभियोग्यता, क्षमता, व्यक्तित्व परीक्षण आदि।
मानसिक मापन की प्रकृति सापेक्षिक होती अर्थात इसमें प्राप्त अंकों का स्वयं में कोई अस्तित्व नहीं होता ।

(2) भौतिक मापन– भौतिक मापन के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के भौतिक गुणों का अध्ययन किया जाता है । जैसे – लंबाई,दूरी,ऊंचाई आदि । भौतिक मापन की प्रकृति निरपेक्ष होती है। तथा इसके प्राप्तांक बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं।

मापन के तत्व अथवा अंग

मापन के मुख्य तीन तत्व अथवा अंग हैं-
(1) वह वस्तु, प्राणी अथवा क्रिया जिसकी किसी विशेषता का मापन होना है।
(2) विशेषता को मापने के उपकरण अथवा विधियाँ।
(3) वह व्यक्ति जो मापन करता है अर्थात् मापनकर्ता।

मापन के प्रकार | types of measurement in hindi

सामान्यतः मापन के तीन प्रकार होते हैं-

(1) निरपेक्ष मापन (Absolute Measurement),
(2) सामान्यीकृत मापन (Normative Measurement),
(3) इप्सेटिव मापन (Ipsative Measurement)।

(1) निरपेक्ष मापन (Absolute Measurement)

निरपेक्ष मापन वह है जिसमें परम शून्य (Absolute Zero) की स्थिति
सम्भव होती है जिसका पैमाना शून्य से शुरू होता है। शून्य से अधिक होने पर धनात्मक (+) और शून्य से कम होने पर ऋणात्मक (-) मापन होता है। उदाहरणार्थ-किसी स्थान के तापमान को लीजिए वह शून्य भी हो सकता है। शून्य से अधिक भी हो सकता है और शून्य से कम भी हो सकता है। इस प्रकार का मापन भौतिक चरों में ही सम्भव होता है, शैक्षिक एवं मनोवैज्ञानिक चरों में नहीं, क्योंकि शैक्षिक एवं मनोवैज्ञानिक चरों में परम शून्य की सम्भावना नहीं होती। जैसे यदि किसी उपलब्धि परीक्षण में किसी छात्र को शून्य अंक प्राप्त भी होता है तो इसका अर्थ यह कदापि नहीं होता कि उस विषय में छात्र की योग्यता शून्य है। इसका केवल इतना अर्थ होता है कि छात्र उपलब्धि परीक्षण के किसी भी प्रश्न को हल करने में असमर्थ रहा है।

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(2) सामान्यीकृत मापन (Normative Measurement)

सामान्यीकृत मापन वह मापन है जिसमें प्राप्तांक एक-दूसरे से प्रभावित
नहीं होते, वे स्वतन्त्र रूप से प्राप्त होते हैं। इसकी दूसरी पहचान यह है कि इसमें परम शून्य की सम्भावना नहीं होती। उदाहरणार्थ-यदि किसी विषय के उपलब्धि परीक्षण में कोई-कोई छात्र शून्य अंक प्राप्त करता है तो इसका अर्थ यह कदापि नहीं होता कि उस विषय में उस छात्र की योग्यता शून्य है। इसका केवल यह अर्थ होगा कि किसी भी प्रश्न को हल करने में वह छात्र असफल रहा है। समाजशास्त्रीय अध्ययन, मनोविज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में प्रयोग किये जाने वाले परीक्षणों से प्राप्त प्राप्तांक प्राय: सामान्यीकृत माप ही होते हैं।

(3) इप्सेटिव मापन (Ipsative Measurement)

मापन के अनेक उपकरण एवं विधियाँ हैं। इनमें एक उपकरण अथवा विधि ऐसी है जिसमें व्यक्ति अथवा छात्र को बाध्य चयन करना होता है। इस विधि द्वारा मापन करने को कैटिल (Cattle) ने इप्सेटिव मापन (Ipsative Measurement) कहा है। इसमें व्यक्ति अथवा छात्र के सामने कुछ प्रश्न, कथन अथवा समस्याएँ उपस्थित की जाती हैं और छात्र को उन्हें वरीयता क्रम (1,2,3,4 आदि) प्रदान करने के लिए कहा जाता है। यदि छात्र किसी एक कथन को प्रथम वरीयता (1 अंक) प्रदान करता है तो वह किसी दूसरे कथन को यह वरीयता या अंक प्रदान नहीं कर सकता। इस प्रकार के मापन उपकरण को बाध्य चयन प्रश्न (Forced Choice Item) कहा जाता है और इसके द्वारा मापन को इप्सेटिव मापन कहा जाता है। इस प्रकार के मापन में सभी छात्रों को 1,2,3,4 आदि अंक ही प्रदान करने होते हैं। इसलिए सभी छात्रों के मध्यमान (M) और मानक विचलन (S.D.) समान होते हैं।

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शैक्षिक मापन के स्तर

कोई भी मापन कितना शुद्ध है यह उसके स्तर से पता चलता है। मुख्य रूप से मापन के चार स्तर हैं-

(1) शाब्दिक अथवा नामित स्तर (Nominal Scale),
(2) क्रमित स्तर (Ordinal Scale),
(3) अन्तराल स्तर (Interval Scale),
(4) अनुपात स्तर (Ratio Scale)

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