बीटीसी एवं सुपरटेट की परीक्षा में शामिल शिक्षण कौशल के विषय शैक्षिक प्रबंधन एवं प्रशासन में सम्मिलित चैप्टर संस्थागत नियोजन का अर्थ एवं परिभाषाएं / संस्थागत नियोजन की आवश्यकता,उद्देश्य,महत्व आज हमारी वेबसाइट hindiamrit.com का टॉपिक हैं।
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संस्थागत नियोजन का अर्थ एवं परिभाषाएं / संस्थागत नियोजन की आवश्यकता,उद्देश्य,महत्व
meaning of Institutional Planning / संस्थागत नियोजन की आवश्यकता, उद्देश्य,महत्व
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संस्थागत नियोजन का अर्थ एवं परिभाषाएं / Meaning of Institutional Planning
शाब्दिक अर्थ में संस्थागत नियोजन तीन शब्दों से मिलकर बना है संस्था + गत + नियोजन। संस्था का अर्थ है कोई कार्य करने का समूह अर्थात् दुकान, स्कूल, औद्योगिक इकाई, संगठन या किसी भी प्रकार का कार्यकारी स्थायौ स्थल समूह। गत का अर्थ है उसमें या निहित। नियोजन का अर्थ है, योजनाबद्ध, विधिक तथा अनुशासित व्यवस्था। अत: संस्थागत नियोजन का अर्थ हुआ संस्था या समूह द्वारा निहित नियोजन। अंग्रेजी या आंग्ल भाषा में इसे Institutional planning कहते हैं। संस्थागत नियोजन की कुछ परिभाषाएँ इस प्रकार हैं-
(1) एम. बी. बुच (M.B. Buch) के अनुसार, “एक शैक्षिक संस्था द्वारा अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये, भविष्य में प्राप्त होने वाले साधनों के आधार पर सुधार एवं विकास के दृष्टिकोण से बनायी गयी योजना, उस संस्था की संस्थागत योजना कहलाती है।”
(2) श्रीमती राजकुमारी शर्मा (Smt. Rajkumari Sharma) के शब्दों में, “संस्थागत नियोजन एक ऐसी विशिष्ट योजना है जो किसी संस्था के हितों को साधने तथा उसके सम्यक् विकास हेतु बनायी जाती है और अन्ततः परिणामस्वरूप इससे समाज तथा राष्ट्र को प्रगति की दिशा प्राप्त होती है।”
(3) श्रीमती ए. बारौलिया (Smt. A. Barauliya) के अनुसार, “संस्थागत योजना निर्माण राष्ट्र विकास में मील का पत्थर है तथा राष्ट्र की प्रगति के उज्जवल भविष्य का द्योतक है।”
इस प्रकार स्पष्ट है कि किसी भी संस्था के विकास और प्रगति के लिये विकास तथा वृद्धि की व्यवस्थित योजना का निर्माण करना परम आवश्यक है। संस्थागत योजना द्वारा किसी भी संस्था की विशेषताओं का ज्ञान प्राप्त होता है, जिससे उस संस्था का कार्य सुचारु रूप से संचालित होता है। इस कारण संस्थागत योजना निर्माण पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाना आवश्यक है। समान तथा एकीकृत संस्थागत नियोजन से देश की प्रगति होती है।
संस्थागत नियोजन की आवश्यकता
Need of Institutional Planning
संस्थागत योजना की आवश्यकता के सन्दर्भ में विचार करते ही एक बिन्दु हमारे मस्तिष्क पटल पर उभरता है कि आवश्यकता शब्द क्या है? आवश्यकता एक प्रकार की किसी उपभोक्ता या व्यक्ति की अन्तः प्यास है जिसे व्यक्ति बुझाना चाहता है। संसार का प्रत्येक प्राणी या जीवधारी जीने के लिये विविध प्रकार के प्रयत्न करता है और प्रयत्नशील व्यक्ति अपनी क्रिया में सफल भी होता है या यों कहिये कि जो वांछित परिणामों को प्राप्त करता है वह अपने कार्य में सफल होता है। यह योजना या कार्य के नियोजन पर निर्भर करता है।
मनुष्य की आवश्यकताएँ असीमित तथा अनन्त हैं। एक आवश्यकता की सफलता एवं पूर्ति के उपरान्त प्रयत्नशील व्यक्ति दूसरी आवश्यकता की पूर्ति में लग जाता है और यह प्रक्रिया जीवन पर्यन्त चलती रहती है। किसी भी संस्था के निर्माण के लिये योजनाबद्ध चरणों की आवश्यकता अनुभव की जाती है। संस्था का निर्माण करते समय नियोजन (Planning) करना संस्था के प्रमुख का उच्चतम बुद्धि एवं विवेक का प्रतीक होता है। जिस संस्था का नियोजन व्यवस्थित प्रकार से होगा वह संस्था उन्नति के उच्चतम् शिखर को प्राप्त होगी।
अत: संस्थागत नियोजन की आवश्यकता में निम्नलिखित बिन्दुओं को समाहित किया जा सकता है-
(1) भूमि तथा आवागमन के साधनों की सुविधानुसार उपलब्धि के लिये। (2) संस्था की बिल्डिंग (विद्यालय भवन संयन्त्र) का सुविधाजनक स्थिति में होना तथा वातायन एवं भवन सौन्दर्य के लिये। (3) संस्था के कर्मियों की संख्या तथा उनको कार्य व्यवस्था हेतु। (4) संस्था की वित्त व्यवस्था तथा आय के स्रोत तथा उनका उचित व्यवस्था के अनुसार आर्थिक संसाधनों की उपलब्धि हेतु। (5) कक्षा के अनुसार, संस्था में शिक्षण अधिगम की उच्च कोटि की व्यवस्था विषयों के अनुसार, छात्रों के अनुसार, अध्यापकों के अनुसार, अवधि के अनुसार एवं विद्यालय की वित्त व्यवस्था के अनुसार उपलब्ध कराने हेतु संस्थागत नियोजन आवश्यक है।
(6) संस्थागत नियोजन के निर्माण की प्रमुख आवश्यकता सामाजिक एवं स्थानीय पर्यावरण से सम्बन्धित होती है। इसलिये संस्था के निर्माण में स्थानीय आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु संस्थागत नियोजन आवश्यक है। (7) भारत एक विकासशील देश है। हमारे यहाँ संसाधनों की कमी है। अत: संस्थागत योजना का निर्माण करने में इस तथ्य को नकारा नहीं जा सकता। ऐसी दशा में योजना निर्माण या नियोजन करते समय अपने राष्ट्रीय स्तर के आर्थिक पक्ष को भी देखने की आवश्यकता अनुभव की जाती है। (8) राष्ट्रीय शिक्षा योजना के परिप्रेक्ष्य में ही संस्थागत योजना का निर्माण किया जाता है। (9) संस्थागत नियोजन की आवश्यकता सम्पूर्ण मात्र की सन्तुष्टि के लिये तथा संस्थागत नियोजनकर्ताओं के सूक्ष्म चिन्तन के लिये होती है।
संस्थागत नियोजन का महत्त्व
Importance of Institutional Planning
शिक्षा की वृद्धि तथा उत्तरोत्तर विकास के लिये संस्थागत नियोजन का महत्त्व स्पष्ट दिखायी देता है। शिक्षा के विकास तथा सभी को शिक्षा द्वारा समाज तथा राष्ट्र का निर्माण होता है। कोई भी राष्ट्र अपनी उन्नति का अनुभव विश्व को तभी करा सकता है जब उसके नागरिक पूर्ण साक्षर तथा शिक्षित हों। किसी देश की उन्नति वहाँ के शिक्षित नागरिकों से औकी जाती है तथा नागरिकों का शिक्षित होना वहाँ की स्थापित संस्थाओं के नियोजन पर निर्भर करता है। अत: संस्थागत नियोजन की महत्ता को उपेक्षित नहीं किया जा सकता। संस्थागत नियोजन किसी भी भावी समाज या राष्ट्र की हड्डी के समान है, जिस पर शरीर रूपी समाज मजबूती के साथ खड़ा रहता है। सभी जानते हैं कि शिक्षा समाज का मार्ग-दर्शन करती है और शिक्षा की व्यवस्था के लिये संस्था या विद्यालय की आवश्यकता होती है। प्रगतिशील राष्ट्र के लिये समृद्ध
संस्थाओं का होना अनिवार्य है।
इसलिये संस्थागत नियोजन का महत्त्व निम्नलिखित प्रकार से वर्णित किया गया है –
(1) किसी भी राष्ट्र की समची शिक्षा प्रणाली को एक समान स्वरूप प्रदान करना, जिससे इसमें समानता एवं क्रमबद्धता का भाव उत्पन्न किया जा सके। (2) संस्थागत नियोजन द्वारा शिक्षा व्यवस्था में सुधार करना तथा प्रान्तीयता, जातीयता तथा साम्प्रदायिकता के दोष को समाप्त करना (3) आर्थिक, व्यावसायिक, तकनीकी, सांस्कृतिक एवं सामाजिक आदि क्षेत्रों में उच्चतम् नियोजन प्रदान करना, जिससे राष्ट्र का विकास हो सके। (4) संस्थागत नियोजन द्वारा समाजगत आकांक्षाओं, उसकी परम्पराओं तथा आदर्शों को संरक्षण प्रदान करना, जिससे समाज की उन्नत कल्पना को साकार रूप दिया जा सके।
(5) श्रम तथा अनुशासन के महत्त्व को सामने रखते हुए समाज का मार्ग प्रदर्शन करना तथा शैक्षिक नियोजन की गम्भीरता को स्पष्ट करना। (6) व्यक्तियों के संख्यात्मक विकास के साथ-साथ गुणात्मक वृद्धि के तथ्य के विकास का ध्यान रखना जिससे व्यक्ति को सही दिशा मिल सके। (7) संस्थागत नियोजन द्वारा सांस्कृतिक तथा मनोवैज्ञानिक अभिरुचियों का प्रयोग करके कला, साहित्य, दर्शन, विज्ञान एवं संस्कृति का विकास करना।(8) संस्थागत नियोजन द्वारा स्थानीय उपलब्ध आर्थिक,सामाजिक तथा राजनैतिक साधन सामग्री के प्रयोग का महत्त्व प्रदर्शन करना जिससे अपव्यय को रोका जा सके।
संक्षेप में, संस्थागत नियोजन मुख्य रूप से विद्यालय-विकास के लिये छात्रों एवं शिक्षकों की शैक्षिक आवश्यकताओं तथा सामुदायिक आकांक्षाओं से जुड़े प्रस्तावित कार्यक्रमों की अभिव्यक्ति है, जिन्हें कार्य में बदलने के लिये सभी एकजुट प्रयास करते हैं। संस्थागत नियोजन को एक विकासशील सतत् प्रक्रिया भी कहा जाता है, जिससे विद्यालय की आवश्यकताओं,छात्रों तथा शिक्षकों की शैक्षिक भूमिकाओं तथा सामुदायिक एवं प्रशासकीय सहयोग पर पुनः दृष्टि डाली जा सकती है।
संस्थागत नियोजन के उद्देश्य
Aims of Institutional Planning
संस्थागत नियोजन किसी भी संस्था के विकास के लिये एक प्रकार की अनुशासित प्रक्रिया है। इसके माध्यम से व्यक्ति समाज तथा राष्ट्र के विकास की उच्चतम सीमाओं तथा शिखर को प्राप्त करता है। अत: संस्थागत नियोजन के उद्देश्यों का परिसीमन नहीं किया जा सकता। किसी भी संस्था के विकास के लिये संस्थागत नियोजन विधियों, परम्पराओं तथा नियमों के साथ उचित प्रक्रिया अपना सकता है। इसके लिये इसमें लचीलापन भी होना चाहिये। सार रूप में समझने के लिये संस्थागत नियोजन के समय निम्नलिखित उद्देश्यों को
सम्मिलित करना चाहिये-
(1) संस्थागत नियोजन का प्रथम उद्देश्य मनुष्य में मानवीय मूल्योंनका विकास करना है जिससे संस्था के विकास के साथ-साथ सभी व्यक्ति उस संस्था के मानवीय मूल्यों को अपने जीवन में उतार सकें और उदाहरण देकर उस संस्था के मूल्यों की चर्चा कर सकें। (2) संस्थागत नियोजन का उद्देश्य व्यक्ति, समाज तथा राष्ट्र को सर्वांगीण विकास की ओर ले जाना है। संस्था एक इकाई है और अनेक इकाई मिलकर एक समाज तथा सम्पूर्ण राष्ट्र का निर्माण करती हैं। (3) वरिष्ठ लोगों के अनुभव का लाभ उठाकर तथा विभिन्न स्थलों से साधनों को संचित करना संस्थागत नियोजन का उद्देश्य है। (4) संस्थागत समस्याओं को समझकर उन पर शोध करना तथा उपलब्ध संसाधनों से निराकरण करने का उद्देश्य भी इसमें सम्मिलित है।
(5) संस्थागत क्रियाशील समूह के रूप में समान उद्देश्यों से प्रेरित तथा समान प्रयासों को आधार बनाकर विभिन्न शैक्षिक संस्थाओं को एक साथ काम पर लगाना। (6) संस्थागत विद्यालयों में सभी शैक्षिक क्रियाओं को व्यावहारिक रूप प्रदान करने के लिये एकीकृत समान संस्थागत योजना बनाने का उद्देश्य। (7) संस्थागत नियोजन द्वारा बाह्य साधनों पर निर्भर न रहते हुए उन सभी आन्तरिक उपलब्ध साधनों का प्रयोग इस प्रकार करना चाहिये,जिससे कि अपेक्षित सुधार के उद्देश्य समुचित मात्रा में पूरे हो सकें।
संस्थागत नियोजन के विशिष्ट उद्देश्य
Specific Aims of Institutional Planning
संसार के सभी कार्यों को सफलता के साथ सम्पन्न करना एक कठिन एवं जटिल कार्य है किन्तु किसी भी कार्य को नियोजित कर योजना की रूपरेखा (Outline of plan) निर्माण कर व्यवस्थित क्रम में किये जाने पर उसके परिणाम फलदायी तथा वांछित प्राप्त किये जाते हैं। संस्थागत नियोजन के निर्माण से पूर्व निर्माणकर्ता यदि कुछ विशिष्ट उद्देश्यों का निर्धारण कर लेता है तो यह संस्थागत निर्माण की प्रक्रिया सरल हो जाती है। इसमें समय भी कम लगता है तथा व्यय भी कम आता है अत: संस्थागत नियोजन के विशिष्ट उद्देश्य निम्नलिखित स्वीकार किये गये हैं-(1) उद्देश्य आधारित लक्ष्य निर्धारण। (2) सूचनाओं का संकलन का लक्ष्य। (3) संस्थागत नियोजन में क्रमबद्धता का ध्यान। (4) योजना का नियमित मूल्यांकन। (5) निर्माण हेतु विधि अनुभव प्राप्त व्यक्तियों का परामर्श तथा सहयोग।
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