प्रयोजनवाद का अर्थ एवं परिभाषा | प्रयोजनवाद के सिद्धांत | प्रयोजनवाद के गुण-दोष एवं प्रकार

बीटीसी एवं सुपरटेट की परीक्षा में शामिल शिक्षण कौशल के विषय वर्तमान भारतीय समाज एवं प्रारंभिक शिक्षा में सम्मिलित चैप्टर प्रयोजनवाद का अर्थ एवं परिभाषा | प्रयोजनवाद के सिद्धांत | प्रयोजनवाद के गुण-दोष एवं प्रकार आज हमारी वेबसाइट hindiamrit.com का टॉपिक हैं।

Contents

प्रयोजनवाद का अर्थ एवं परिभाषा | प्रयोजनवाद के सिद्धांत | प्रयोजनवाद के गुण-दोष एवं प्रकार

प्रयोजनवाद का अर्थ एवं परिभाषा | प्रयोजनवाद के सिद्धांत | प्रयोजनवाद के गुण-दोष एवं प्रकार
प्रयोजनवाद का अर्थ एवं परिभाषा | प्रयोजनवाद के सिद्धांत | प्रयोजनवाद के गुण-दोष एवं प्रकार


(Pragmatism) प्रयोजनवाद का अर्थ एवं परिभाषा | प्रयोजनवाद के सिद्धांत | प्रयोजनवाद के गुण-दोष एवं प्रकार

Tags  – प्रयोजनवाद का अर्थ क्या है,प्रयोजनवाद का वर्णन कीजिए,
प्रयोजनवाद का अर्थ,प्रयोजनवाद किसे कहते हैं,Pragmatism meaning,Pragmatism philosophy,Pragmatism in education,Pragmatism meaning in hindi,Pragmatism definition,Pragmatism इन हिंदी,Pragmatism इन हिंदी,प्रयोजनवाद किसे कहते है,प्रयोजनवाद को परिभाषित कीजिए,प्रयोजनवाद से आप क्या समझते हैं,प्रयोजनवाद का अर्थ एवं परिभाषा | प्रयोजनवाद के सिद्धांत | प्रयोजनवाद के गुण-दोष एवं प्रकार

प्रयोजनवाद क्या है / Pragmatism

दर्शन की आधुनिक विचारधारा प्रयोजनवाद है। इसके जन्मदाता प्रयोजनवादी दार्शनिक विलियम जेम्स हैंजॉन ड्यूवी, जानलॉकतथा शिलर भी इसी श्रेणी में आते हैं। प्रयोजनवाद एक ऐसी प्रक्रिया है जो प्रकृतिवाद, आदर्शवाद एवं यथार्थवाद इन सभी दर्शनों से अलग हटकर एक विशिष्ट दर्शन को स्वीकार करती है और व्यावहारिक जीवन की सत्यता को अपनी प्रेरणा का केन्द्रबिन्दु बनाती है। प्रयोजनवाद व्यावहारिक जीवन को ही अपना लक्ष्य बनाता है और जो भी वस्तु व्यावहारिक जीवन के लिये उपयोगी नहीं है, उसे छोड़ देता है। प्रयोग के आधार पर जो सत्य है उसे प्रयोग में लाते हैं।

प्रयोजनवाद का अर्थ (Meaning of Pragmatism in hindi)

अंग्रेजी के प्रैगमेटिज्म शब्द की व्युत्पत्ति ग्रीक भाषा के प्रैग्मा’ शब्द से हुई है, जिसका अर्थ है क्रिया’ अर्थात् वही सत्य है जो व्यावहारिक एवं जीवनोपयोगी है। प्रयोजनवादी शाश्वत, मूल्य एवं अमूर्त वस्तुओं में विश्वास नहीं रखते क्योंकि ये देश-काल एवं परिस्थिति के अनुरूप बदलते रहते हैं। इस प्रकार प्रयोजनवाद या प्रयोगवाद यह विचारधारा है जो उन्हीं, क्रियाओं, वस्तुओं, सिद्धान्तों तथा नियमों को सत्य
मानती है, जो किसी देश-काल एवं परिस्थिति में व्यावहारिक या उपयोगी हैं।

प्रयोजनवाद की परिभाषाएँ

(1) रस्क के अनुसार-“प्रयोजनवाद उस नये आदर्शवाद के विकास का एक चर-, है जो आध्यात्मिक तथा व्यावहारिक मान्यताओं में सामंजस्य उत्पन्न कर सकेगा।

(2) रॉस के शब्दों में-“प्रयोजनवादी वस्तुत: एक मानवतावादी दर्शन है, जो यह मानता मनुष्य कार्य करने में अपने मूल्यों का सृजन करता है एवं सत्य अभी निर्माण की अवस्था है कि मैं और अपने स्वरूप का कुछ भाग भविष्य के लिये छोड़ देता है। हमारे सत्य में मनुष्य निर्मित वस्तुएँ हैं।”

प्रयोजनवाद के अनुसार शिक्षा के उद्देश्य

1. मूल्यों का निर्माण-प्रयोजनवादी आदर्शवाद के नियमों को बालकों पर नहीं लादना चाहते। प्रयोजनवाद ने शिक्षा का मुख्य उद्देश्य नवीन मूल्यों का निर्माण माना है। उसके अनुसार बालक का मस्तिष्क उचित वातावरण में ही क्रियाशील रह सकता है तथा गतिशील भी। बिना इसके नवीन मूल्यों का सृजन असम्भव है।

2.बालक का विकास-प्रयोजनवादी बालक का विकास शिक्षा का महत्वपूर्ण उद्देश्य मानते हैं परन्तु इसका विरोध हुआ है क्योंकि विकास की कोई दिशा निश्चित नहीं होती तथा कोई लक्ष्य एवं अन्त भी निश्चित नहीं होता।

3.सामाजिक व्यवस्था की योग्यता-जॉन ड्यूवी ने सामाजिक व्यवस्था की योग्यता को शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य माना है, इससे ही सामाजिक कुशलता एवं सांस्कृतिक विकास सम्भव है। अत: मानव एवं सामाजिक कल्याण हेतु सुसंगठित वातावरण बनाया जाना चाहिये। यह शिक्षा में सामाजिक कुशलता के उद्देश्य को प्रस्तुत करता है।

ये भी पढ़ें-  उत्तम परीक्षण या मूल्यांकन की विशेषताएं | अच्छे परीक्षण की कसौटियां

4.गतिशील निर्देशन-प्रयोजनवादियों के अनुसार शिक्षा का उद्देश्य बालकों का गतिशील अध्ययन करना है। गतिशीलता परिवर्तन के कारण होती है। ड्यूवी विज्ञान को परिवर्तन के साथ अटूट रूप से जोड़ना चाहता है। उसका विचार है कि जहाँ पर स्थिरता का भाव है, वहाँ विज्ञान सम्भव नहीं है। परिवर्तन विज्ञान की प्रगतिशीलता के लिये आवश्यक है। विज्ञान के कुछ प्रयोगों का भी, जो जीवनोपयोगी हैं, प्रयोग किया जा सकता है।

प्रयोजनवाद के अनुसार शिक्षक,पाठ्यक्रम, विद्यालय, शिक्षण विधि और अनुशासन

प्रयोजनवाद और पाठ्यक्रम
Pragmatism and Curriculum

प्रयोजनवाद पाठ्यक्रम में अनलिखित सिद्धान्तों को जोड़ना चाहता है-

1. बाल-केन्द्रितता-प्रयोजनवाद के अनुसार पाठ्यक्रम का संगठन ऐसा होना चाहिये, जिसमें बालक की प्राकृतिक अभिरुचियों को ध्यान में रखा जाये। अर्थात्-रचनात्मक कार्य, कलात्मक अभिव्यक्ति, अन्वेषण एवं वार्तालाप के दृष्टिकोण को पनपने के लिये प्रकृति विज्ञान, गणित, ड्राइंग तथा हस्तकार्य आदि विषय पाठ्यक्रम में रखने चाहिये।

2. उपयोगिता-प्रयोजनवाद के अनुसार बालकों की रुचियों एवं क्षमताओं के विकास हेतु जिन विषयों को पाठ्यक्रम में रखा जाता है, उनमें शारीरिक प्रशिक्षण, गणित, भूगोल, गृहविज्ञान, कृषि, इतिहास, स्वास्थ्य विज्ञान तथा भाषा सम्मिलित है। ये विषय जीवनोपयोगी तथा जीवन में प्रगति देने वाले होते हैं।

3.अक्रियाशीलता-प्रयोजनवाट के अनुसार पाठ्यक्रम का संगठन स्वानुभव तथा क्रियाओं पर आधारित होना चाहिये। ये पुस्तकीय ज्ञान के पक्ष में नहीं हैं, परन्तु शिक्षण को सोद्देश्य क्रिया मानते हैं। पाठ्यक्रम में छात्रों के अनुभवों तथा क्रियाओं को स्थान दिया जाता है जो उनमें प्रजातान्त्रिक नागरिक जीवन, सामाजिकता तथा भौतिक गुणों का विकास करता है। क्रियाशीलता द्वारा बालक में आत्मानुशासन भी देखने को मिलता है।

4. सानुबन्धिता-प्रयोजनवाद के अनुसार पाठ्यक्रम में जो विषय सम्मिलित किये जायें, पक्षों का ज्ञान अर्जित किया जा सके। उनमें परस्पर सह-सम्बन्ध होना चाहिये, जिससे उनके पठन-पाठन के फलस्वरूप समस्त

प्रयोजनवाद एवं अनुशासन
Pragmatism and Discipline

अनुशासन के स्वरूप के निर्माण में साधारणत: व्यक्ति की मानव प्रकृति के विषय में धारणाएँ, प्रचलित विचार, शिक्षा विधि तथा समाज में उसका प्रभाव सभी पर पड़ता है। प्रयोजनवाद सामाजिक अनुशासन पर बल देता है और यह विद्यालय के स्वाभाविक, सोद्देश्य, स्वतन्त्र तथा प्रसन्नतापूर्ण वातावरण द्वारा ही सम्भव है। विद्यालय के ही इस प्रकार के वातावरण से बालक में प्रेम, सहयोगी भाव, स्वावलम्बन, निर्णय की क्षमता एवं सहानुभूति जैसे गुणों का प्रादुर्भाव होकर विकास होता है। प्रयोजनवादी सीमित मुक्त्यात्मक अनुशासन पर बल देते हैं तथा उसी के आधार पर बालक की प्रवृत्तियों में रचनात्मक मोड़ लाते हैं।

प्रयोजनवाद तथा विद्यालय
Pragmatism and School

प्रयोजनवादी विद्यालय को एक लघु सामाजिक संस्था मानते हैं तथा उसे सामाजिक क्रिया एवं सामाजिक वातावरण का उचित स्थल मानते हैं। ड्यूवी के कथनानुसार, “विद्यालय को समाज का वास्तविक प्रतिनिधि होना चाहिये।” शिक्षालय ज्ञानार्जन के साथ सांस्कृतिक मूल्य एवं उनके संरक्षण का स्थल है, यहीं उच्च मानवीय मूल्यों, सामाजिक कार्यों तथा अन्य स्वस्थ परम्पराओं की शिक्षा मिलती है। विद्यालय समाज की आवश्यकताओं के अनुरूप ज्ञान प्रदान करता है एवं उनमें रचनात्मक प्रवृत्तियों का विकास करता है।

प्रयोजनवाद तथा शिक्षक
Pragmatism and Teacher

प्रयोजनवाद शिक्षक को शैक्षिक प्रक्रिया का माध्यम मानता है। इसके समर्थन में निम्नलिखित बातें उल्लेखनीय हैं-
(1) शिक्षक ही बालकों को उचित समस्याओं वाली परिस्थिति में रख सकता है। (2) बालक में आवश्यक रुचि एवं कौशलों हेतु प्रेरित करता है। (3) शिक्षक ही बालक में वैज्ञानिक दृष्टिकोण तथा आवश्यक सामाजिक आदतों का निर्माण कर पाता है। (4) अज्ञान को दूर कर विवेकशीलता, व्यवहार कुशलता, सहयोग तथा पारस्परिक स्नेह जैसे गुणों का भी विकास करता है। शिक्षक बालक को मानव-जीवन को उन्नति के रास्ते पर चलने के लिये सतत् प्रेरणा देता है।

ये भी पढ़ें-  शैक्षिक मूल्यांकन का अर्थ,परिभाषा और उद्देश्य | मूल्यांकन के क्षेत्र | meaning and definition of Educational Evaluation in hindi 

प्रयोजनवाद के सिद्धान्त
Principles of Pragmatism

1.सत्य मानव निर्मित होता है-प्रयोजनवादी सत्य को पूर्व से उत्पन्न वस्तु नहीं मानते। इनके अनुसार सत्य वही है जो प्रयोग करने पर खरा उतरता हो अर्थात् समस्या का सही हल, जिससे सन्तोष मिले, वही सत्य है। ये ईश्वर को चरमसत्य नहीं मानते ।

2.मानवीय शक्ति पर बल-प्रयोजनवाद मानवीय शक्ति पर बल देता है क्योंकि मनुष्य अपनी आवश्यकता के अनुरूप वातावरण का सृजन कर अपनी समस्याओं को हल करने का प्रयास करता है तथा मानवीय गुणों के विकास के लिये सुन्दर वातावरण बनाता है। तर्क मानवीय ज्ञान का साधन है।

3. सत्य की परिवर्तनशीलता-प्रयोजनवादियों के अनुसार सत्य परिवर्तनशील है तथा यह देशकाल एवं परिस्थिति के अनुरूप बदलता रहता है। प्रयोजनवाद के जन्मदाता विलियम जेम्स ने कहा है-“सत्यता किसी विचार का स्थायी गुण-धर्म नहीं है, वह तो अकस्मात् विचार में निर्वासित होता है।”

4. उपयोगिता का सिद्धान्त-प्रयोजनवादी केवल उन्हीं विचारों को श्रेष्ठ समझते हैं जो उपयोगी होते हैं। इसीलिये रसेल ने व्यावहारिक उपयोगिता का पक्ष समाज के समक्ष रखा था। उन्होंने कहा कि जीवन में व्यावहारिक उपयोगिता को हमें भुला नहीं देना चाहिये।

5.आध्यात्मिक मूल्यों की उपेक्षा-प्रयोजनवाद आध्यात्मिक मूल्यों की उपेक्षा करता है। हीगल ने कहा है कि हम अमूर्त ब्रह्मवाद या ईश्वर के चक्कर में व्यावहारिक जीवन को भूल जायें तो जीवन में सफलता कैसे मिलेगी। अतः अमूर्त विचार आदर्श जीवन के लिये उपयोगी नहीं कहे जा सकते।

6.सामाजिक तथा प्रजातान्त्रिक दृष्टिकोण पर बल- ड्यूवी के अनुसार, “प्रजातन्त्र परिवर्तन के आधार पर आगे बढ़ता है। ये परम्परागत रूढ़ियों, बन्धनों तथा अन्ध-विश्वासों में विश्वास नहीं रखते, ये ‘विचार’ क्रिया को परिणित करते हैं तथा उसे परिवर्तन एवं विकास की ओर बढ़ाते हैं।”

7.बहुत्ववाद का समर्थक-प्रयोजनवाद ने चरम सत्ता या अन्तिम सत्ता को तीन वादों में परिभाषित किया है-(1) एकत्ववाद, (2) द्वैतवाद एवं (3) बहुत्ववाद। प्रयोजनवाद बहुत्ववाद का समर्थक है।

प्रयोजनवाद के गुण
Merits of Pragmatism

प्रयोजनवाद की विशेषताएँ अथवा इसके गुण इस प्रकार हैं-

(1) यह क्रियाशीलता पर आधारित है। अत: इससे स्थायी ज्ञानार्जन होता है। (2) यह प्रयोग पर आधारित है। अत: इससे वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है। (3) यह सामाजिक एवं वैयक्तिक विकास का साधन है। (4) यह उपयोगिता एवं व्यावहारिकता पर आधारित है। (5) यह बाल-केन्द्रित शिक्षा पर आधारित है। अत: बालक अपनी रुचि, क्षमता एवं विभिन्नताओं के अनुरूप सीखता है, बालक करके सीखता है। अत: उसमें स्वावलम्बन एवं आत्म-सन्तोष की भावना बलवती होती है। (6) यह मानव प्रगति, वैज्ञानिक प्रगति के लिये मार्ग-प्रशस्त करता है क्योंकि पियर्स के अनुसार, “विज्ञान को प्रयोगों के सामने आत्म-समर्पण करना चाहिये।” (7) प्रयोजनवाद मानवीय गुणों, मानवीय शक्ति तथा तर्क का बालक में प्रादुर्भाव (8) प्रयोजनवाद व्यक्ति को सक्रिय, व्यावहारिक एवं विचारशील बनाता है।

ये भी पढ़ें-  जिला एवं प्रशिक्षण संस्थान ( डायट) के कार्य एवं उद्देश्य / डायट ( DIET) के विभाग

प्रयोजनवाद के दोष
Demerits of Pragmatism

प्रयोजनवाद के निम्नलिखित दोष हैं-

(1) इससे बालकों में आध्यात्मिक मूल्यों का विकास नहीं किया जा सकता । (2) इसमें बालक अधिक सक्रिय रहता है, शिक्षक कम्। (3) यह तत्ववाद का विरोधी है तथा बहुत्ववाद में विश्वास रखता है। (4) इसका क्षेत्र सीमित है, जो जीवन के लिये उपयोगी है, उसे ही अपना लक्ष्य बनाता है तथा अनुपयोगी होने पर परित्याग कर देता है। (5) इसमें सर्वलौकिकता एवं सर्वमान्यता का अभाव है। (6) जीवन में केवल विविधता ही देखता है और उसमें किसी प्रकार की एकता एवं सामान्य तत्व का निर्धारण नहीं कर पाता। (7) चिन्तनशील व्यक्ति कभी भी अस्त-व्यस्त विविधता को स्वीकार नहीं कर सकता। इसमें वैज्ञानिक प्रक्रिया त्रुटिपूर्ण है और इस प्रकार विज्ञान सत्य के अन्तिम स्वरूप को समझने में अक्षम है। (8) प्रयोजनवाद में तर्क तथा बुद्धि को अधिक महत्त्वपूर्ण स्थान दिया जाता। (9) अमूर्त ब्रह्मवाद का विरोधी है, जीवन एक मूर्त सत्य है, इनका स्थल में विश्वास है।

प्रयोजनवाद के प्रकार
Kinds of Pragmatism

विलियम जेम्सने प्रयोजनवाद को चार भागों में विभक्त किया है,जो निम्नलिखित प्रकार हैं-

1. मानवीय प्रयोजनवाद (Humanistic Pragmatism)

मानवीय प्रयोजनवाद वह है। प्रयोजनवाद है जो उस वस्तु या विचारधारा को सत्य मानता है जो मानव की आकांक्षाओं एवं आवश्यकताओं के अनुरूप हो तथा उन्हें पूर्ण करे।

2.नामरूपी प्रयोजनवाद (Nominalistic Pragmatism)

यह प्रयोगात्मक प्रयोजनवाद का एक भाग है। इसके समर्थक प्रयोजनवादियों के अनुसार प्रत्येक विचार कुछ अपेक्षित परिणामों की ओर संकेत करता है। यही परिणाम वास्तविक होते हैं।

3. प्रयोगात्मक प्रयोजनवाद (Experimental Pragmatism)

यह प्रयोग’ पर आधारित उस परीक्षण को ही सत्य मानता है जो कि परीक्षण के पश्चात् सही सिद्ध हो। पियर्सने प्रयोगों पर अत्यधिक महत्व देने की बात कही थी।

4. प्राणिशास्त्रीय प्रयोजनवाद (Biological Pragmatism)

प्राणिशास्त्रीय प्रयोजनवाद के समर्थक मानव की उस शक्ति को महत्वपूर्ण मानते हैं, जिसके द्वारा वह अपने वातावरण से अनुकूलन कर लेता है। यदि विचार हमारी आवश्यकताओं के अनुकूल हैं तो अवश्य समस्या का समाधान होगा। जीवन एक संघर्ष का नाम है। इस संघर्ष में दुर्बल समाप्त हो जाते हैं और वे विजयी होते हैं जो समायोजन करने में सफल होते हैं। इस संघर्ष में प्रकृति तटस्थ रहती है।

आपके लिए महत्वपूर्ण लिंक

टेट / सुपरटेट सम्पूर्ण हिंदी कोर्स

टेट / सुपरटेट सम्पूर्ण बाल मनोविज्ञान कोर्स

50 मुख्य टॉपिक पर  निबंध पढ़िए

खुद को हमेशा पॉजिटिव कैसे रखे।

Final word

आपको यह टॉपिक कैसा लगा हमे कॉमेंट करके जरूर बताइए । और इस टॉपिक प्रयोजनवाद का अर्थ एवं परिभाषा | प्रयोजनवाद के सिद्धांत | प्रयोजनवाद के गुण-दोष एवं प्रकार को अपने मित्रों के साथ शेयर भी कीजिये ।

Tags – प्रयोजनवाद के प्रवर्तक,प्रयोजनवाद का जनक,Meaning and definition of Pragmatism in hindi,प्रयोजनवादी के सिद्धांत,प्रयोजनवाद के प्रमुख सिद्धांतों का उल्लेख कीजिए,प्रयोजनवाद सिद्धांत,प्रयोजनवाद के प्रमुख सिद्धांत,प्रयोजनवाद के प्रमुख सिद्धांतों का वर्णन,प्रयोजनवाद के प्रमुख सिद्धांत का वर्णन,प्रयोजनवाद के प्रमुख सिद्धांत बताइए,प्रयोजनवाद के गुण और दोष,प्रयोजनवाद के गुण,प्रयोजनवाद उदाहरण,प्रयोजनवाद के उद्देश्य,प्रयोजनवाद का अर्थ एवं परिभाषा,प्रयोजनवादी के प्रकार,प्रयोजनवाद प्रकार,प्रयोजनवाद का अर्थ एवं परिभाषा | प्रयोजनवाद के सिद्धांत | प्रयोजनवाद के गुण-दोष एवं प्रकार

Leave a Comment