न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का नियम / Newton’s gravitational law in hindi

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न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का नियम / Newton’s gravitational law in hindi

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न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का नियम / Newton’s gravitational law in hindi

Newton’s gravitational law in hindi

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ब्रह्माण्ड (Universe) में उपस्थित प्रत्येक पिण्ड एक-दूसरे को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। पिण्डों के बीच लगने वाले इस बल को गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational force) कहते हैं तथा इस घटना को गुरुत्वाकर्षण कहते हैं। गुरुत्वाकर्षण के कारण ही पृथ्वी प्रत्येक वस्तु को अपने केन्द्र की ओर आकर्षित करती है। यही कारण है कि पृथ्वी से ऊपर की ओर फेंकी गयी कोई वस्तु वापस नीचे गिरती है। पृथ्वी द्वारा किसी वस्तु पर लगाए गुरुत्वाकर्षण बल को गुरुत्व बल (Force of gravity) कहते हैं अर्थात् गुरुत्व बल, वह आकर्षण बल है जिससे किसी वस्तु को पृथ्वी अपनी ओर खींचती है। न्यूटन ने सर्वप्रथम गुरुत्वाकर्षण बल की व्याख्या की थी।

न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का नियम Newton’s Law of Gravitation

ब्रह्माण्ड के सभी पिण्ड एक-दूसरे को अपनी ओर आकर्षित करते हैं, इस बल को गुरुत्वाकर्षण बल के नाम से जाना जाता है। गुरुत्वाकर्षण बल सदैव आकर्षण बल ही होता है। अपने अवलोकनों के आधार पर न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण के नियम को गणितीय भाषा में निम्न तरह से व्यक्त किया। इस नियम के अनुसार, ब्रह्माण्ड में किन्हीं दो पिण्डों के बीच कार्य करने वाला आकर्षण बल
(i) पिण्डों के द्रव्यमानों के गुणनफल के समानुपाती होता है।
(ii) उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।

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इस बल की दिशा पिण्डों को मिलाने वाली रेखा के अनुदिश (Along) होती है। यदि दो पिण्डों के द्रव्यमान क्रमश: m1 और m2 हों और उनके बीच की दूरी r हो, तो इस नियम के अनुसार उनके बीच गुरुत्वाकर्षण बल का परिमाण
F ∝ m1m2
F ∝ 1/r^2
= F = Gm1m2 / r^2

जहाँ G एक नियतांक है, जिसे गुरुत्वाकर्षण नियतांक (Gravitational constant) कहते हैं।  G का मान पिण्डों की प्रकृति, उनके द्रव्यमान, उनके मध्य की दूरी, माध्यम, समय, ताप इत्यादि पर निर्भर नहीं करता है तथा ब्रह्माण्ड के सभी कणों के लिए समान होता है। अतः इसे सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक (Universal gravitational constant) भी कहा जाता है।

सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक G की परिभाषा (Definition of Universal Gravitational Constant, G)

F = Gm1m2 / r^2

G = Fr^2 / m1m2

बल (F) का SI मात्रक न्यूटन, दूरी (r) का SI मात्रक मीटर और द्रव्यमान (m) का SI मात्रक किलोग्राम है। अतः G का मात्रक = न्यूटन x (मीटर)^2 /  (किलोग्राम)^2

CGS पद्धति में G का मात्रक डाइन-सेमी^२/ग्राम^2 होता है।
यदि
r = 1,m1 = m2 = 1
तो F = G

अतः संख्यात्मक रूप से “गुरुत्वाकर्षण नियतांक (G) का मान एकांक दूरी पर रखे दो एकांक द्रव्यमान के पिण्डों के मध्य लगने वाले गुरुत्वाकर्षण बल के बराबर होता है।”

सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक (G) का मान 6.67 x 10-11 न्यूटन मी^2 /किग्रा^2 होता है। इसका तात्पर्य है कि 1 मी दूरी पर एक-एक किग्रा की दो वस्तुओं को रखने पर उनके बीच 6.67×10-11 न्यूटन का बल लगता है।

गुरुत्व बल के व्यावहारिक उपयोग
Practical Applications of Gravity Force

(i) यदि किसी पिण्ड को पृथ्वी की सतह से ऊपर की ओर प्रक्षेपित किया जाए, तो पिण्ड गुरुत्व बल के कारण वापस पृथ्वी की सतह पर लौट आता है।
(ii) गुरुत्व बल के कारण ही पृथ्वी के चारों ओर वायुमण्डल विद्यमान है।
(iii) गुरुत्व बल के कारण ही पृथ्वी की सतह पर प्राणियों का चलना सम्भव है।
(iv) कृत्रिम उपग्रहों को पृथ्वी के चारों ओर वृत्ताकार कक्षा में परिभ्रमण के लिए आवश्यक अभिकेन्द्रीय बल, गुरुत्वीय बल से प्राप्त होता है।

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गुरुत्व तथा गुरुत्व जनित त्वरण
Gravity and Acceleration Due to Gravity

पृथ्वी द्वारा किसी पिण्ड पर आरोपित गुरुत्वाकर्षण बल को गुरुत्व कहते हैं। जब कोई वस्तु पृथ्वी की ओर गिरती है, तो पृथ्वी के गुरुत्व बल के कारण उसके गिरने का वेग बढ़ता जाता है अर्थात् उसकी गति में त्वरण उत्पन्न हो जाता है। किसी वस्तु पर गुरुत्व बल के कारण जो त्वरण उत्पन्न होता है, उसे गुरुत्व जनित त्वरण कहते हैं। इसे g से प्रदर्शित करते हैं। गुरुत्वीय त्वरण वस्तु के आकार, आकृति, द्रव्यमान आदि पर निर्भर नहीं करता है। गुरुत्वीय त्वरण का मात्रक मीटर/सेकण्ड होता है। “गुरुत्वीय त्वरण परिमाण में उस बल के बराबर होता है, जिस बल से पृथ्वी एकांक द्रव्यमान वाली वस्तु को अपने केन्द्र की ओर आकर्षित करती है।” पृथ्वी की सतह पर विभिन्न स्थानों पर g का मान भिन्न-भिन्न पाया जाता है।

g का औसत मान = 9.81 मी/से^2 होता है। गुरुत्वीय त्वरण ब्रह्माण्ड में सभी जगह विद्यमान है। प्रत्येक ग्रह की सतह पर इसका मान भिन्न होता है। चन्द्रमा की सतह पर गुरुत्वीय त्वरण का मान धरती की सतह पर इसके मान का 1/6वाँ भाग ही होता है।

गुरुत्वीय त्वरण के मान में परिवर्तन
Variation in Acceleration Due to Gravity

(i) पृथ्वी की सतह से ऊपर जाने पर g का मान घटता है।
(ii) पृथ्वी की सतह के अन्दर जाने पर g का मान घटता है तथा पृथ्वी के केन्द्र पर g का मान शून्य होता है।
(iii) गुरुत्वीय त्वरण का मान ध्रुवों पर अधिकतम तथा भूमध्य रेखा पर न्यूनतम होता है।

G तथा g में सम्बन्ध / Relation between G and g

यदि पृथ्वी का द्रव्यमान M और त्रिज्या R हो, तो पृथ्वी की सतह पर
या उससे कुछ ऊँचाई पर m द्रव्यमान की वस्तु पर न्यूटन के
गुरुत्वाकर्षण नियम के अनुसार पृथ्वी द्वारा लगाया जाने वाला गुरुत्व
बल F हो और गुरूत्वीय त्वरण g हो तो

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G और g में संबंध

g = GM / R^2

अतः गुरुत्वीय त्वरण g का मान किसी वस्तु के द्रव्यमान (m) पर निर्भर नहीं करता है।
नोट – यदि हम पृथ्वी तल से ½ ऊँचाई पर जाए, तो उस स्थान की पृथ्वी के केन्द्र से दूरी (R+h) होगी। तब इस ऊँचाई पर गुरुत्वीय त्वरण का मान g = GM / (R+h)^2

द्रव्यमान तथा भार Mass and Weight

द्रव्यमान की परिभाषा / definition of  Mass

किसी वस्तु में पदार्थ का परिमाण ही उसका द्रव्यमान कहलाता है। यह एक अदिश राशि है। इसका मान नियत रहता है। इसका SI मात्रक किलोग्राम है।

भार की परिभाषा / definition of Weight

पृथ्वी जिस बल से किसी वस्तु को अपने केन्द्र की ओर आकर्षित करती है,वह उस वस्तु का भार कहलाता है।
भार (w) = वस्तु का द्रव्यमान x उस स्थान पर गुरुत्वीय त्वरण
  w=mg
इसका SI मात्रक न्यूटन होता है।
सूत्र, w =mg से,
1 किग्रा द्रव्यमान की वस्तु का भार (w)
= 1 किग्रा x9.8 मी/से^2
= 9.8 न्यूटन

1 किग्रा-भार = 9.8 न्यूटन



                           ◆◆◆ निवेदन ◆◆◆

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