स्वर संधि – प्रकार,नियम,उदाहरण | swar sandhi in hindi

नमस्कार साथियों 🙏 आपका स्वागत है। आज हम आपको हिंदी विषय के अति महत्वपूर्ण पाठ हिंदी में स्वर संधि – प्रकार,नियम,उदाहरण | swar sandhi in hindi | स्वर संधि के प्रकार और नियम से परिचित कराएंगे।

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इसीलिए हिंदी की महत्ता को देखते हुए हम आपके लिए अपनी वेबसाइट hindiamrit.com पर हिंदी के स्वर संधि – प्रकार,नियम,उदाहरण | swar sandhi in hindi पाठ का विस्तृत रूप से अध्ययन प्रदान कर रहे हैं। आप हमारी वेबसाइट पर हिंदी के समस्त पाठ का विस्तृत अधिगम प्राप्त कर सकेंगे।


Contents

स्वर संधि – प्रकार,नियम,उदाहरण | swar sandhi in hindi

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स्वर संधि – प्रकार,नियम,उदाहरण | swar sandhi in hindi

हमने इस टॉपिक में क्या क्या पढ़ाया है?

(1) संधि की परिभाषा
(2) संधि के प्रकार
(3) स्वर संधि किसे कहते हैं
(4) स्वर संधि के प्रकार
(5) दीर्घ,गुण,अयादि,वृद्धि,यण,पूर्वरूप और पररूप संधि के नियम और  उदाहरण
(6) महत्वपूर्ण प्रश्न

स्वर संधि कितने प्रकार की होती है?,दीर्घ संधि क्या होती है?,स्वर संधि कैसे पहचाने?,संधि उदाहरण,वृद्धि संधि के अपवाद,संधि किसे कहते हैं संधि के प्रकार,स्वर संधि के 20 उदाहरण,दीर्घ संधि किसे कहते हैं,संधि किसे कहते हैं परिभाषा,स्वर संधि के कितने भेद होते हैं,swar sandhi hindi grammar,स्वर संधि के 20 उदाहरण,स्वर संधि – प्रकार नियम उदाहरण,swar sandhi in hindi,hindi me swar sandhi,स्वर संधि हिंदी में,हिंदी में स्वर संधि,स्वर संधि के प्रकार,स्वर संधि के भेद,स्वर संधि के प्रकार और नियम, स्वर संधि के प्रकार नियम और उदाहरण,स्वर संधि हिंदी व्याकरण,

संधि किसे कहते हैं || संधि की परिभाषा

दोस्तों संधि का अर्थ होता है – मेल ।

जब दो सार्थक शब्द आपस में मिलकर एक नए शब्द की रचना करते हैं। तो इस प्रक्रिया में प्रथम शब्द के अंतिम वर्ण और दूसरे शब्द के प्रथम वर्ण के मिलने से उनमें परिवर्तन हो जाता है।

“इस प्रकार दो ध्वनियों के आपस में मिलने से जो परिवर्तन होता है उसे संधि कहते हैं।”

संक्षिप्त रूप में कहा जाए तो यह कह सकते हैं कि

“दो वर्णों के मेल को संधि कहते हैं।”

उदाहरण से स्पष्ट करते हैं :–

(i) हिम + आलय = हिमालय

देखिए यहाँ पर हिम का अंतिम वर्ण अ तथा आलय का पहला वर्ण आ में संधि होकर आ निर्मित हुआ।

(ii) महा + ईश = महेश

यहाँ पर महा का अंतिम वर्ण आ और ईश का पहला वर्ण ई में संधि होकर ए बन गया।

(iii) वाक् + ईश  =  वागीश

यहाँ पर वाक् का अंतिम वर्ण क् और ईश का पहला वर्ण ई में संधि होकर ग बन गया।

इस प्रकार यह कहा जा सकता है की वर्णों का मेल होना ही संधि होना है।

इसीप्रकार

विद्यार्थी में कौन सी संधि है? – दीर्घ संधि

पित्राज्ञा में कौनसी संधि है? – दीर्घ संधि

सदैव में कौन सी संधि है? –  वृद्धि संधि

सुखार्त में कौन सी संधि है  – वृद्धि संधि



संधि के प्रकार | संधि के भेद | संधि कितने प्रकार की होती है

वर्णों का मेल स्वरों में हो सकता है। स्वर और व्यंजन में हो सकता है।  स्वर या विसर्ग में हो सकता है या विसर्ग और  व्यंजन में हो सकता है। इसी आधार पर संधि तीन प्रकार की होती है।

(1) स्वर संधि या अच् संधि
(2) व्यंजन संधि या हल संधि
(3) विसर्ग संधि

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संधि विच्छेद किसे कहते हैं || संधि विच्छेद क्या है,परिभाषा

संधि का उल्टा ही संधि विच्छेद कहलाता है। अर्थात संधि में जुड़ाव होता है ,जबकि विच्छेद में अलगाव होता है।

इस प्रकार शब्दों को संधि के स्थान से अलग करना ही संधि विच्छेद कहलाता है।

उदाहरण –

विद्यालय का संधि विच्छेद – विद्या + आलय होता है।

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स्वर संधि किसे कहते हैं || स्वर संधि की परिभाषा

जब एक शब्द के अंतिम स्वर एवं दूसरे शब्द के पहले स्वर में मेल हो  स्वर संधि कहलाती है। स्वर संधि को अच् संधि भी कहते हैं।

अर्थात

जब मेल स्वर और स्वर के बीच हो तो इसे स्वर संधि कहते हैं।

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उदाहरण :–

(i) नर + ईश = नरेश

यहाँ पर नर का अंतिम वर्ण अ (स्वर) और ईश का पहला वर्ण ई (स्वर) में संधि होकर ए बन गया।

(ii) ने + अन = नयन

यहाँ पर देखिये ने का अंतिम वर्ण ए (स्वर) है और अन का प्रथम वर्ण अ (स्वर) है तो इन दोनो का मेल होकर अय हो गया।

उपर्युक्त उदाहरणों से स्पष्ट हो गया है की जहाँ स्वरों का आपस में मेल होता है वह स्वर संधि होती है।

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स्वर संधि के प्रकार | स्वर संधि के भेद

(1) दीर्घ संधि
(2) वृद्धि संधि
(3) गुण संधि
(4) यण संधि
(5) अयादि संधि
(6) पूर्वरूप संधि
(7) पररूप संधि


VERY IMPORTANT NOTICE

दोस्तों संधि के हिंदी और संस्कृत में एक ही नियम और उदाहरण होते है। मुख्य रूप से स्वर संधि को संस्कृत और हिंदी दोनों में समान रूप से ही पढ़ा जाता है किंतु व्यंजन संधि और विसर्ग संधि को हिंदी में केवल नियमों को जान लिया जाता है जबकि संस्कृत में नाम और सूत्र के साथ विस्तृत रूप से पढ़ा जाता है। तो अगर अपने स्वर संधि हिंदी में पढ़ ली है तो संस्कृत में आवश्यकता नही हैं केवल संस्कृत में सूत्र पढ़ा जाता है तो इसीलिए हम आपके लिए अलग से सूत्र को बताये दे रहे है तथा स्वर संधि के नियम ,प्रकार और उदाहरण नीचे विस्तृत से समझाए गए है।

संधियों के सूत्र | संधि संस्कृत में

(1) दीर्घ संधि का सूत्र | दीर्घ संधि संस्कृत में

सूत्र – अकः सवर्णे दीर्घ:

(2) वृद्धि संधि का सूत्र | वृद्धि संधि संस्कृत में

सूत्र – वृद्धिरेचि

(3) गुण संधि का सूत्र | गुण संधि संस्कृत में

सूत्र – आदगुण:

(4) यण संधि का सूत्र | यण संधि संस्कृत में

सूत्र – इकोयणचि

(5) अयादि संधि का सूत्र | अयादि संधि संस्कृत में

सूत्र – एचोअयवायाव:

(6) पूर्वरूप संधि का सूत्र | पूर्वरूप संधि संस्कृत में

सूत्र – एङपदांतादति

(7) पररूप संधि का सूत्र | पररूप संधि संस्कृत में

सूत्र – एडि.परहपम

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स्वर संधि के नियम || स्वर संधि के प्रकार का वर्णन | संधि करने के नियम

दीर्घ संधि | दीर्घ संधि के नियम

सूत्र – अकः सवर्णे दीर्घ:

जब ह्रस्व स्वर या दीर्घ (अ,इ,उ,ऋ) के बाद पुनः ह्रस्व या दीर्घ स्वर (अ,इ,उ,ऋ) आये, तो इनके मेल से दीर्घ स्वर (आ,ई,ऊ,ऋ) हो जाता है। इसे दीर्घ संधि कहते हैं।

दीर्घ संधि के नियम

अ / आ  +  अ / आ   =    आ

इ / ई  +  इ / ई   =     ई

उ / ऊ  +  उ / ऊ   =    ऊ

ऋ / दीर्घ ऋ  +  ऋ / दीर्घ ऋ   =    दीर्घ ऋ

दीर्घ संधि के उदाहरण | दीर्घ संधि के 100 उदाहरण | दीर्घ संधि के 10 उदाहरण | दीर्घ संधि के 20 उदाहरण

(i) अ + अ   =    आ

धर्म + अर्थ          =          धर्मार्थ
दीप + अवली         =         दीपावली
मत + अनुसार        =         मतानुसार
परम + अर्थ              =         परमार्थ
राम + अवतार          =         रामावतार

(ii) अ  +  आ      =  आ

देव + आलय          =         देवालय
भोजन + आलय          =         भोजनालय
देव + आगमन          =         देवागमन
स + आकार          =         साकार
हिम + आलय          =         हिमालय

(iii) आ  +  अ         =    आ

विद्या + अर्थी          =         विद्यार्थी
सीमा + अंत          =         सीमांत
शिक्षा + अर्थी          =         शिक्षार्थी
रेखा + अश          =         रेखांश

(iv) आ   +   आ     =   आ

विद्या + आलय          =         विद्यालय
वार्ता + आलाप          =         वार्तालाप
दया + आनंद          =         दयानंद
विद्या + आनंद          =         विद्यानंद

(v)  इ  +   इ     =   ई

कवि + इंद्र          =         कवींद्र
गिरि + इंद्र         =          गिरींद्र
रवि + इंद्र          =         रवींद्र
मुनि + इंद्र         =          मुनींद्र

(vi) इ   +   ई      =        ई

कपि + ईश         =          कपीश
रवि + ईश         =          रवीश
गिरि + ईश          =         गिरीश
कवि + ईश          =         कवीश

(vii)  ई   +     इ       =      ई

लक्ष्मी + इच्छा   =        लक्ष्मीच्छा
मही + इंद्र          =         महींद्र
शची + इंद्र           =         शचींद्र
नारी + इंदु          =         नारींदु


(viii) ई   +    ई      =   ई

मही + ईश         =        महीश
नदी + ईश          =         नदीश
रजनी + ईश        =         रजनीश
मही + ईश          =         महीश

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(ix)   उ  +   उ      =      ऊ

भानु + उदय          =         भानूदय
लघु + उत्तर          =         लघूत्तर
गुरु + उपदेश          =         गुरूपदेश
सु + उक्ति          =         सूक्ति

(x)   उ  +   ऊ      =      ऊ

लघु + ऊर्मि          =         लघूर्मि
मधु + ऊष्मा         =          मधूष्मा
सिंधु + ऊर्मि          =         सिंधूर्मि
भानु + ऊर्जा          =         भानूर्जा

(xi)   ऊ   +   उ      =      ऊ

वधू + उत्सव         =         वधूत्सव
भू + उद्धार            =         भूद्धार
वधू + उल्लास        =         वधूल्लास

(xii)    ऊ  +   ऊ     =      ऊ

वधू + ऊर्जा         =         वधूर्जा
भू + ऊर्जा          =         भूर्जा
भू + ऊर्ध्व          =          भूर्ध्व

गुण संधि | गुण संधि के नियम

सूत्र – आदगुण:

जब अ या आ के बाद ह्रस्व या दीर्घ इ,उ,ऋ आये तो क्रमशः ए,ओ,अर् हो जाते हैं। इसे गुण संधि कहते हैं।

गुण संधि के नियम

अ / आ  +  इ / ई  =  ए

आ / अ  +  उ / ऊ   =  ओ

अ / आ  +  ऋ   =    अर्

गुण संधि के उदाहरण | गुण संधि के 10 उदाहरण | गुण संधि के 100 उदाहरण  :–

(i)   अ  +  इ       =     ए

वीर +  इंद्र         =       वीरेंद्र
नर + इंद्र           =        नरेंद्र
देव + इंद्र           =        देवेंद्र


(ii)   अ  +  ई       =     ए

परम ईश्वर     =    परमेश्वर
नर + ईश    =        नरेश
देव + ईश    =        देवेश

(iii)   आ  +  इ       =     ए

रमा + इंद्र    =       रमेंद्र
राजा + इंद्र    =      राजेन्द्र

(iv)   आ  +  ई      =     ए

रमा + ईश    =      रमेश
राजा + ईश    =      राजेश
महा + ईश    =      महेश


(v)   अ  +  उ      =     ओ

हित  +  उपदेश    =    हितोपदेश
ज्ञान +  उपदेश    =     ज्ञानोपदेश
लोक  +  उक्ति    =    लोकोक्ति

(vi)   अ  +  ऊ      =     ओ

सूर्य  +  ऊष्मा    =    सूर्योष्मा
नव  +  ऊढ़ा    =    नवोढ़ा
सूर्य  +  ऊर्जा    =    सूर्योर्जा

(vii)   आ  +  उ      =     ओ

महा  +  उदय      =     महोदय
महा  +  उदधि     =    महोदधि

(viii)   आ  +  ऊ      =     ओ

महा  +  उर्मि    =     महोर्मि
यमुना + ऊर्मि    =    यमुनोर्मि

(ix)   अ  +  ऋ     =    अर्

सप्त  +  ऋषि    =     सप्तर्षि
देव + ऋषि        =     देवर्षि
वसंत + ऋषि     =      वसंतर्तु

(x)   आ  +  ऋ     =    अर्

राजा + ऋषि      =    राजर्षि
वर्षा + ऋतु        =      वर्षर्तु

(3) वृद्धि संधि | वृद्धि संधि के नियम

सूत्र – वृद्धिरेचि

जब अ या आ के बाद ए या ऐ आये तो इनके मेल से ऐ हो जाता है,इसीप्रकार ओ या औ आये तो इनके मेल से औ हो जाता है। इसे वृद्धि संधि कहते हैं।

वृद्धि संधि के नियम

अ / आ  + ए / ऐ  = ऐ

अ / आ  + ओ / औ  = औ

वृद्धि संधि के उदाहरण | वृद्धि संधि के 10 उदाहरण | वृद्धि संधि के 100 उदाहरण | वृद्धि संधि के 20 उदाहरण   :–

(i)   अ  +  ए     =    ऐ

लोक + एषणा  =   लोकैषणा
एक + एक       =    एकैक

(ii)   अ  +  ऐ     =    ऐ

मत + ऐक्य        =    मतैक्य
परम + ऐश्वर्य     =     परमैश्वर्य

(iii)   आ  +  ए     =    ऐ

तथा + एवं   =       तथैव
सदा एव       =        सदैव

(iv)   आ  +  ऐ     =    ऐ

राजा + ऐश्वर्य  =    राजैश्वर्य
माता + ऐश्वर्य   = मातैश्वर्य

(v)   अ  +  ओ     =    औ

दंत + ओष्ठ    =    दंतौष्ठ
जल ओध     =     जलौध

(vi)   अ  +  औ     =    औ

परम + औषध    =   परमौषध
वन + औषध   =      वनौषध

(vii)   आ   +  ओ     =    औ

महा ओज            =    महौज
महा + ओजस्वी   =     महौजस्वी

(viii)   आ  +  औ    =    औ

महा + औषध     =        महौषध
महा + औदार्य     =       महौदार्य

वृद्धि संधि के अपवाद –

  सुखार्त और पिपासार्त  यह दो वृद्धि संधि के अपवाद है। अर्थात इनमे वृद्धि संधि है जबकि देखने में गुण संधि लगती है।


(4) यण संधि | यण संधि के नियम

सूत्र – इकोयणचि

जब इ या ई,उ या ऊ,ऋ के बाद कोई भिन्न स्वर (अर्थात इनको छोड़कर कोई भी आ जाए) तो इनके मेल से इ/ई का य , उ/ऊ का व तथा ऋ का र हो जाता है।

यण संधि के नियम

इ / ई  +  भिन्न स्वर   =   य

उ / ऊ  +  भिन्न स्वर   =   व

ऋ  +  भिन्न स्वर   =   र

यण संधि के उदाहरण | यण संधि के 10 उदाहरण | यण संधि के 20 उदाहरण | यण संधि के 100 उदाहरण :–

(i)  इ / ई   + भिन्न स्वर       =    य

अति  +  आवश्यक    =    अत्यावश्यक
नदी  +  अर्पण           =    नद्यार्पण
नदी  +  आगमन       =     नद्यागमन
अति  +  अंत           =      अत्यंत
दासी  +  अपराध       =    दास्यपराध
देवी  +  अर्पण           =     देव्यर्पण
परि  +  आवरण         =      पर्यावरण
नदी  +  उद्गम           =      नद्युद्गम
नदी + उर्मि             =       नद्यूर्मि
देवी + ऐश्वर्य           =        देव्यैश्वर्य

(ii)  उ / ऊ   + भिन्न स्वर       =    व

सु  +  इच्छा     =      स्वेच्छा
अनु  +  इत      =    अन्वित
सु +  आगत     =    स्वागत
वधू + आगमन  =  वध्वागमन
अनु + इति    =    अन्विति
अनु  + इत     =   अन्वित

(iii)  ऋ    + भिन्न स्वर      =   र

पितृ  +  इच्छा      =    पित्रिच्छा
मातृ + उपदेश      =     मात्रुपदेश
पितृ + उपदेश      =    पित्रुपदेश
मातृ + अनुमति    =  मात्रनुमती

(5) अयादि संधि | अयादि संधि के नियम

सूत्र – एचोअयवायाव:

जब ए या ऐ तथा ओ या औ  के बाद कोई भिन्न स्वर (अर्थात इनको छोड़कर कोई भी स्वर आ जाए) आये तो इनके मेल से क्रमशः ए का अय , ऐ का आय , ओ का अव तथा औ का आव हो जाता है। इसे अयादि संधि कहते हैं।

ये भी पढ़ें-  न्यूनतम अधिगम स्तर का अर्थ और परिभाषा | न्यूनतम अधिगम स्तर की आवश्यकता

अयादि संधि के नियम

ए  +  भिन्न स्वर  =  अय

ऐ  +  भिन्न स्वर  =  आय

ओ  +  भिन्न स्वर  =  अव

औ  +  भिन्न स्वर  =  आव


अयादि संधि के उदाहरण | अयादि संधि के बहुत सारे उदाहरण | अयादि संधि के 50 उदाहरण  :–

(i)   ए   +  भिन्न स्वर   =  अय

शे   +  अन      =      शयन
चे   +  अन      =      चयन

(ii)   ऐ   +  भिन्न स्वर   =  आय

नै  +  इका      =       नायिका
गै + इका       =        गायिका

(iii)  ओ   +  भिन्न स्वर   =  अव

भो  +  अन    =      भवन
पो + इत्र        =     पवित्र

(iv)  औ   +  भिन्न स्वर   =  आव

नौ + इक      =      नाविक
भौ + उक     =      भावुक

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(6) पूर्वरूप संधि | पूर्वरूप संधि के नियम

सूत्र – एङपदांतादति

जब ए और ओ  के बाद अ आता है तो दोनों के स्थान पर पूर्वरूप (उल्टा एस ) हो जाता है।

उदाहरण :–

हरे + अव = हरेSव

  देवो + अपि = देवोSपि

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(7) पररूप संधि | पररूप संधि के नियम

सूत्र – एडि.परहपम

जब प्र और उप उपसर्ग के बाद ए या ओ आते हैं तो दोनों में मेल हो जाता है।

उदाहरण :–

प्र + एजते  =  प्रेजते

उप + ओषति  = उपोषति

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स्वर संधि – प्रकार,नियम,उदाहरण | swar sandhi in hindi से जुड़े परीक्षा उपयोगी प्रश्न

प्रश्न-1- विद्यार्थी में कौन सी संधि है?
उत्तर- दीर्घ संधि

प्रश्न-2- पित्राज्ञा में कौनसी संधि है?
उत्तर- दीर्घ संधि

प्रश्न-3- सदैव में कौन सी संधि है?
उत्तर- वृद्धि संधि

प्रश्न-4- स्वर संधि के कितने भेद होते हैं?
उत्तर-  कुल 7 (मुख्य – 5)

प्रश्न-5- सुखार्त में कौन सी संधि है?
उत्तर- वृद्धि संधि


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