रासायनिक अभिक्रिया एवं उनके प्रकार / types of chemical reaction in hindi

दोस्तों विज्ञान की श्रृंखला में आज हमारी वेबसाइट hindiamrit.com का टॉपिक रासायनिक अभिक्रिया एवं उनके प्रकार / types of chemical reaction in hindi है। हम आशा करते हैं कि इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपकी इस टॉपिक से जुड़ी सभी समस्याएं खत्म हो जाएगी ।

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रासायनिक अभिक्रिया एवं उनके प्रकार / types of chemical reaction in hindi

रासायनिक अभिक्रिया एवं उनके प्रकार / types of chemical reaction in hindi
रासायनिक अभिक्रिया एवं उनके प्रकार / types of chemical reaction in hindi

types of chemical reaction in hindi / रासायनिक अभिक्रिया एवं उनके प्रकार

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रासायनिक समीकरण Chemical Equation

किसी रासायनिक अभिक्रिया का उसमें भाग लेने वाले पदार्थों (क्रियाकारक एवं उत्पाद) के प्रतीकों तथा सूत्रों के माध्यम से संक्षिप्त प्रदर्शन रासायनिक समीकरण कहलाता है। रासायनिक अभिक्रिया में प्रयुक्त पदार्थ अभिकारक या क्रियाकारक (Reactants) तथा उत्पन्न होने वाले पदार्थ उत्पाद (Products) कहलाते हैं।
उदाहरण – मेथेन (CH4) का वायु (O2) के आधिक्य में दहन करने पर कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) तथा जल (H2O) बनते हैं। इस अभिक्रिया को रासायनिक समीकरण के द्वारा निम्न प्रकार व्यक्त किया जाता है।
CH4 (g) + 2O2 (g)   →    CO2 (g) +          2H2O (g)
मेथेन       ऑक्सीजन         कार्बन डाइऑक्साइड     जल

उपरोक्त अभिक्रिया में मेथेन (CH4) एवं आक्सीजन (O2) अभिकारक हैं तथा कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) एवं जल (H2O) उत्पाद हैं।

रासायनिक समीकरण लिखने की विधि
Method to Write the Chemical Equation

किसी भी रासायनिक अभिक्रिया को रासायनिक समीकरण में परिवर्तित करने के लिए निम्नलिखित तथ्यों की जानकारी आवश्यक है।
(i) अभिक्रिया में भाग लेने वाले सभी क्रियाकारकों तथा उत्पादों के (या प्रतीक) ज्ञात होने चाहिए।
(ii) रासायनिक समीकरण में पदार्थ सदैव उनके आण्विक रूप में लिखे जाते हैं। उदाहरण- हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, ब्रोमीन, आयोडीन,क्लोरीन आदि को क्रमश: H2, O2, N2, Br2, I2, Cl, के रूप में लिखा जाता है, क्योंकि ये सभी द्विपरमाणुक गैसें हैं।
(iii) एकपरमाणुक तत्वों को रासायनिक समीकरण में उनके प्रतीकों (संकेतों) द्वारा दर्शाया जाता है। उदाहरण- सोडियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम, जिंक, आयरन, कॉपर आदि को क्रमश: Na, K, Mg, Zn, Fe, Cu के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।

चरण I – मूल समीकरण या ढाँचा समीकरण लिखना

निम्नलिखित पदों को ध्यान में रखते हुए ढाँचा रासायनिक समीकरण को लिखा जाता है।

पद 1 किसी रासायनिक समीकरण में क्रियाकारकों के उत्पादों में परिवर्तन को इनके मध्य तीर का चिह्न (→) लगाकर प्रदर्शित करते हैं। तीर के चिह्न के बायीं ओर (LHS) क्रियाकारकों को तथा दायीं ओर (RHS) उत्पादों को लिखा जाता है।

पद 2 रासायनिक समीकरण में भाग लेने वाले दो या अधिक क्रियाकारकों के अणुसूत्रों के मध्य धनात्मक (+) चिह्न लिखते हैं। समान रूप से, उत्पादों के अणुओं के मध्य भी धनात्मक (+) चिह्न लिखते हैं। तीर का (Head point of arrow) उत्पादों की ओर होता है, जोकि अभिक्रिया की दिशा को प्रदर्शित करता है।
उदाहरण— जिंक की हाइड्रोजन क्लोराइड से अभिक्रिया के फलस्वरूप जिंक क्लोराइड तथा हाइड्रोजन के निर्माण को निम्न प्रकार से प्रदर्शित किया जाता है।

अभिकारक                       उत्पाद
Zn + HCI         →            ZnCl2 + H2
जिंक हाइड्रोजन क्लोराइड         जिंकक्लोराइड

पद 3  यदि अभिक्रिया उत्क्रमणीय है, अर्थात् बायीं तथा दायीं दोनों दिशाओं में होती है, तो दोनों दिशाओं को अर्द्ध-शीर्ष वाले तीर के चिन्ह (2) द्वारा प्रदर्शित करते हैं।

उदाहरण-
N2 + H2             ⇌           NH3
नाइट्रोजन हाड्रोजन            अमोनिया

इस प्रकार प्राप्त रासायनिक समीकरणें ढाँचा समीकरण (Skeletal equation) कहलाती हैं। इनमें दायीं ओर लिखे विभिन्न तत्वों के परमाणुओं की संख्या, उनकी बायीं ओर लिखी संख्या के समान हो भी सकती है और नहीं भी।

चरण ॥ – सन्तुलित रासायनिक समीकरण लिखना

द्रव्य की अविनाशिता का नियम (Law of indestructibility of matter) के अनुसार, “किसी रासायनिक अभिक्रिया में अभिकारकों के उत्पादों में परिवर्तन के फलस्वरूप न ही कोई परमाणु नष्ट होता है और न ही कोई निर्मित होता है।” यदि रासायनिक समीकरण के दोनों पक्षों में ऐसा नहीं होता है, तो इसमें बायीं ओर लिखे प्रत्येक तत्व के परमाणुओं की संख्या दायीं ओर लिखे उनके परमाणुओं की संख्या के समान (बराबर) होनी चाहिए। ऐसी रासायनिक समीकरण जिसके दोनों पक्षों (बायीं तथा दायीं ओर) में प्रत्येक तत्व के परमाणुओं की संख्या बराबर होती है, सन्तुलित रासायनिक समीकरण (Balanced chemical equation) कहलाती है। अतः स्पष्ट है कि द्रव्य की अविनाशिता के नियम को सन्तुष्ट करने के लिए रासायनिक समीकरण को सन्तुलित किया जाता है। उदाहरण- मैग्नीशियम का वायु में दहन करने पर मैग्नीशियम ऑक्साइड निर्मित होता है। इस अभिक्रिया की ढाँचा समीकरण निम्न है।
Mg + O2 → MgO
इसमें Mg के परमाणुओं की संख्या तो समीकरण के दोनों पक्षों में समान (अर्थात् 1) है जबकि ऑक्सीजन के परमाणुओं की संख्या बायीं ओर 2 तथा दायीं ओर 1 है। अत: यह एक असन्तुलित रासायनिक समीकरण (Unbalanced chemical equation) है।
यदि इस समीकरण में Mg तथा MgO से पूर्व गुणांक 2 लिख दिया जाए तब निम्न समीकरण प्राप्त होती है.
2Mg + O2 → 2MgO
इस समीकरण में Mg तथा ऑक्सीजन दोनों के ही परमाणुओं की संख्या समीकरण के दोनों पक्षों में समान है। अतः अब यह एक सन्तुलित रासायनिक समीकरण है तथा द्रव्य की अविनाशिता के नियम का पालन करती है।

रासायनिक समीकरण का महत्त्व
Importance of Chemical Reaction

एक सन्तुलित रासायनिक समीकरण से हमें निम्नलिखित तथ्यों की जानकारी प्राप्त होती है–
(i) कोई भी रासायनिक समीकरण रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेने वाले अभिकारक एवं अभिक्रिया के पश्चात् प्राप्त उत्पाद के सन्दर्भ में जानकारी देती है।
(ii) इससे अभिकारक एवं उत्पाद के अणुओं में परमाणु के संघटन की व्यवस्था का पता चलता है।
(iii) इससे अणुओं की संख्याओं एवं द्रव्यमान के आपेक्षिक अनुपात का भी ज्ञान होता है।
(iv) रासायनिक समीकरण से अभिक्रिया की प्रकृति का पता चलता है।
(v) रासायनिक समीकरण द्वारा रासायनिक अभिक्रिया में प्रयुक्त या निर्मित गैसीय पदार्थों के आयतन ज्ञात हो जाते हैं।

रासायनिक समीकरण की सीमाएँ
Limitations of Chemical Equation

यद्यपि रासायनिक समीकरण से बहुत सी महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त होती हैं। परन्तु यह निम्नलिखित को स्पष्ट करने में असमर्थ रहीं –
(i) इससे अभिकारकों एवं उत्पादों की भौतिक अवस्था के सम्बन्ध में कोई जानकारी प्राप्त नहीं होती है।
(ii) इससे अभिक्रिया के सम्पन्न होने के लिए प्रयुक्त ताप, दाब एवं उत्प्रेरक आदि की जानकारी नहीं मिलती है।
(iii) इससे अभिक्रिया के वेग एवं अभिकारकों तथा उत्पादों के सान्द्रण का ज्ञान नहीं होता है।
(iv) इससे अभिक्रिया में प्रयुक्त माध्यमिक पदों की जानकारी नहीं मिलती है।
(v) इससे अभिक्रिया में मुक्त या प्रयुक्त होने वाली ऊर्जाओं (प्रकाश, ध्वनि,ऊष्मा आदि) के सम्बन्ध में भी कोई जानकारी प्राप्त नहीं होती है।
(vi) इससे अभिक्रिया के पूर्ण होने में लगे समय के सम्बन्ध में भी कोई जानकारी नहीं मिलती है।
(vii) इससे यह भी ज्ञात नहीं होता है कि अभिक्रिया उत्क्रमणीय है (अर्थात् अग्र तथा पश्च दोनों दिशाओं में होती है) या अनुत्क्रमणीय है (अर्थात् केवल अग्र दिशा में होती है)।

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रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं उनके प्रकार

हमारे चारों ओर सदैव अनेकों परिवर्तन घटित होते रहते हैं, इनमें से कुछ परिवर्तन केवल पदार्थ की भौतिक अवस्था, आकार एवं भौतिक गुणों को परिवर्तित करते हैं, परन्तु उनके रासायनिक संघटन एवं गुणों आदि पर कोई प्रभाव नहीं डालते। ऐसे परिवर्तन भौतिक परिवर्तन (Physical changes) कहलाते हैं। उदाहरण- बर्फ का गलना, जल का जमना, जल का वाष्पीकरण आदि।

जबकि कुछ परिवर्तन ऐसे होते हैं, जो पदार्थों के रासायनिक संघटन एवं गुणों को भी परिवर्तित कर देते हैं। ऐसे परिवर्तनों को रासायनिक परिवर्तन (Chemical changes) या अभिक्रियाएँ (Reactions) कहा जाता है।
उदाहरण- दूध का फटना, जंग का लगना, किण्वन, दहन, संश्लेषण, परमाणु विस्फोट आदि। अभिक्रियाएँ पुनः दो प्रकार की होती हैं
(i) नाभिकीय अभिक्रियाएँ (Nuclear reactions) (ii) रासायनिक अभिक्रियाएँ (Chemical reactions)

नाभिकीय अभिक्रियाओं में परमाणुओं के नाभिक भाग लेते हैं तथा ये बाह्य कारकों जैसे- ताप, दाब आदि के द्वारा प्रभावित नहीं होती हैं,जबकि रासायनिक अभिक्रियाओं में परमाणुओं के इलेक्ट्रॉन भाग लेते हैं तथा ये बाह्य कारकों जैसे- ताप, दाब आदि के द्वारा प्रभावित होती हैं।

रासायनिक अभिक्रिया Chemical Reaction

वह अभिक्रिया, जिसमें एक या अधिक पदार्थ परस्पर अभिक्रिया करके अर्थात् पुनः व्यवस्थित होकर नए पदार्थ का निर्माण करते हैं एवं निर्मित पदार्थ के भौतिक व रासायनिक गुण मूल पदार्थों से सर्वथा भिन्न होते हैं, रासायनिक अभिक्रिया कहलाती है।
उदाहरण- मैग्नीशियम धातु को वायु में जलाने पर मैग्नीशियम ऑक्साइड का सफेद चूर्ण प्राप्त होता है, जिसके भौतिक व रासायनिक गुण मैग्नीशियम धातु के गुणों से सर्वथा भिन्न होते हैं।

2Mg।      +            0₂             →         2MgO
मैग्नीशियम    ऑक्सीजन           मैग्नीशियम ऑक्साइड (उत्पाद)

रासायनिक अभिक्रियाओं के होने का कारण

रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेने वाले पदार्थ सर्वप्रथम परमाणुओं या परमाणुओं के समूह में विभक्त हो जाते हैं। ये परमाणु या परमाणु समूह पुनः व्यवस्थित होकर कुछ नए अणुओं का निर्माण करते हैं। इस प्रकार, रासायनिक अभिक्रिया में पुराने बन्ध टूटते हैं तथा कुछ नए बन्ध निर्मित होते हैं। यदि निर्मित बन्धों की कुल ऊर्जा विदलित (पुराने) बन्धों की कुल ऊर्जा से अधिक होती है अर्थात् उत्पाद, अभिकारकों की अपेक्षा अधिक स्थायी होते हैं तब ही अभिक्रिया सम्पन्न होती है, अन्यथा नहीं। क्योंकि यह एक सर्वविदित तथ्य है, कि एक अधिक ऊर्जा वाला निकाय (तन्त्र) कम स्थायी होता है तथा एक कम ऊर्जा वाला निकाय (तन्त्र) अधिक स्थायी होता है तथा प्रकृति में उपस्थित सभी पदार्थ, वस्तुएँ आदि स्थायित्व को प्राप्त करने की प्रवृत्ति रखते हैं।

इलेक्ट्रॉनिक सिद्धान्त के आधार पर व्याख्या

रासायनिक अभिक्रियाओं के होने के कारण को इलेक्ट्रॉनिक सिद्धान्त के आधार पर भी स्पष्ट किया जा सकता है। इस सिद्धान्त के अनुसार, परमाणु अपना अष्टक (संयोजी कोश में 8 इलेक्ट्रॉन) पूर्ण करने (अर्थात् स्थायित्व प्राप्त करने) के लिए परस्पर संयोग करके अणुओं तथा पदार्थों का निर्माण करते हैं। अष्टक पूर्ण करने के लिए ये इलेक्ट्रॉनों का साझा भी कर सकते हैं और स्थानान्तरण भी। यदि अभिक्रिया में प्रयुक्त पदार्थों में इलेक्ट्रॉनों के साझे या स्थानान्तरण द्वारा निर्मित आबन्ध, उत्पादों की अपेक्षा दुर्बल हो अर्थात् उत्पाद में प्रयुक्त परमाणु अधिक प्रबल बन्ध बनाते हों तो रासायनिक अभिक्रिया होती है, अन्यथा नहीं।
नोट –  एक स्वतः स्फूर्त (Spontaneous) अर्थात् स्वतः घटित होने वाली रासायनिक अभिक्रिया में अभिकारकों की मुक्त ऊर्जा (Free energy), उत्पादों की मुक्त ऊर्जा से अधिक होती है, जिस कारण इनके लिए मुक्त ऊर्जा परिवर्तन (4G) सदैव ऋणात्मक होता है।

रासायनिक अभिक्रियाओं के प्रकार
Types of Chemical Reactions

रासायनिक अभिक्रियाएँ विभिन्न प्रकार की होती हैं, यद्यपि ये परस्पर भिन्न होती हैं परन्तु एक अभिक्रिया किसी एक विशिष्ट गुण के आधार पर कुछ अन्य अभिक्रियाओं से समानता दर्शा सकती है। इस गुण के आधार पर ही इन सभी अभिक्रियाओं को एक वर्ग विशेष में रखा जा सकता है। अत: किसी विशेष गुण के आधार पर रासायनिक अभिक्रियाओं को निम्नलिखित प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है।

1.योगात्मक अभिक्रियाएँ Addition Reactions

वह रासायनिक अभिक्रिया, जिसमें दो या दो से अधिक पदार्थ (तत्व या यौगिक) संयोग करके एकल उत्पाद का निर्माण करते हैं, योगात्मक अभिक्रिया कहलाती है। इन अभिक्रियाओं में कोई भी सह-उत्पाद (By-product) नहीं बनता है। (i) अमोनिया (NH3) और हाइड्रोजन क्लोराइड (HCI) दोनों ही गैसीय यौगिक हैं। सम्पर्क में आने पर इनकी परस्पर क्रिया से अमोनियम क्लोराइड (NH4CI) का सफेद धुँआ बनता है।
NH3 + HCI         →      NH4Cl
अमोनिया  हाइड्रोजन क्लोराइड अमोनियम क्लोराइड
(ii) कार्बन मोनॉक्साइड (CO), क्लोरीन (Cl2) से क्रिया करके कार्बोनिल क्लोराइड या फॉस्जीन (COCI2) नामक विषैली गैस बनाती है।
CO(g) + Cl2 (g)        →      COCl2(g)
कार्बन मोनॉक्साइड क्लोरीन       कार्बोनिल क्लोराइड

योगात्मक अभिक्रियाएँ असंतृप्त कार्बनिक यौगिकों जैसे-असंतृप्त हाइड्रोकार्बनों (ऐल्कीन तथा ऐल्काइन), सायनाइड, कार्बोनिल यौगिक आदि का विशिष्ट गुण हैं। इन अभिक्रियाओं में असंतृप्त अणु के द्वि या त्रि आबन्ध पर आक्रमणकारी (अन्य अणु) का पूर्णतया योग होता है तथा असंतृप्त अणु संतृप्त अणु में परिवर्तित हो जाता है। इन अभिक्रियाओं में असंतृप्त अणु का कोई भी भाग इससे पृथक् नहीं होता है।
उदाहरण-
(i) H2C = CH2 + H2       →     CH3 –CH3
एथिलीन                                        एथेन

नोट 1. उपरोक्त अभिक्रिया (i) का प्रयोग तेलों के कठोरीकरण (Hardening of oil) में किया जाता है। तेल असंतृप्त यौगिक होते हैं, इनका हाइड्रोजनीकरण (हाइड्रोजन से क्रिया) करने पर ये संतृप्त वसा (वनस्पति घी) में परिवर्तित हो जाते हैं। यह प्रक्रम ही तेलों का कठोरीकरण कहलाता है।
2. अधिकांश संश्लेषण अभिक्रियाएँ (Synthesis reactions) योगात्मक अभिक्रियाएँ होती हैं।

2. विस्थापन या प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ
Displacement or Substitution Reactions

वह रासायनिक अभिक्रिया, जिसमें अधिक क्रियाशील तत्व कम क्रियाशील तत्व के यौगिक से उस तत्व के परमाणु को विस्थापित कर स्वयं उसका स्थान ग्रहण कर लेता है, प्रतिस्थापन अभिक्रिया कहलाती है।

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उदाहरण-
(i) Fe(s) + CuSO4 (aq)       →     FeSO4(aq) + Cu(s)
कॉपर सल्फेट                                     आयरन सल्फेट
आयरन कॉपर से अधिक क्रियाशील होने के कारण कॉपर को कॉपर सल्फेट के विलयन से विस्थापित कर देता है।

3. उत्क्रमणीय तथा अनुत्क्रमणीय अभिक्रियाएँ / Reversible and Irreversible Reactions

अभिक्रिया के होने की दिशा के आधार पर अभिक्रियाओं को उत्क्रमणीय तथा अनुत्क्रमणीय दो वर्गों में विभाजित किया गया है

(A) उत्क्रमणीय अभिक्रियाएँ Reversible Reactions

वे अभिक्रियाएँ, जो समान परिस्थितियों में अग्र तथा पश्च दोनों दिशाओं में चल सकती हैं, परन्तु किसी भी दिशा में पूर्णता को प्राप्त नहीं करती हैं, उत्क्रमणीय अभिक्रियाएँ कहलाती है। इन्हें उत्क्रमणीयता के चिन्ह (Sign of reversibility) द्वारा दर्शाया जाता है। इन अभिक्रियाओं के समीकरण में वह अभिक्रिया, जो बायीं से दायीं ओर प्रदर्शित होती है, अग्र अभिक्रिया (Forward reaction) कहलाती है तथा वह जो दायीं से बायीं ओर प्रदर्शित होती है, पश्च या विपरीत अभिक्रिया (Backward reaction) कहलाती है। उदाहरण-
(i) हाइड्रोजन (H2) तथा आयोडीन (I2) क्रिया करके हाइड्रोजन आयोडाइड (HI) बनाते हैं जो पुनः H, तथा I, में वियोजित होता रहता है। इस प्रकार यह अभिक्रिया दोनों दिशाओं में सतत् रूप से होती रहती है।
Hg (g) + I2 (g)        →      2HI (g)
बायीं से दायीं ओर वाला तीर H व 1 से HI के निर्मित होने अर्थात् अग्र अभिक्रिया को दर्शाता है जबकि दायीं से बायीं ओर वाला तीर HI से H2 व I2 के बनने अर्थात् विपरीत अभिक्रिया या पश्च अभिक्रिया को दर्शाता है।

(ii) PCl5 को बन्द पात्र में गर्म करने पर यह फॉस्फोरस ट्राइक्लोराइड (PCl5) तथा क्लोरीन (Cl2) में विघटित हो जाता है, जो पुनः क्रिया करके PCl; बनाने लगते हैं, अतः यह एक उत्क्रमणीय अभिक्रिया है।
PCl5   ⇌   PCl3 + Cl2

उत्क्रमणीय अभिक्रियाओं की विशेषताएँ
(Characteristics of Reversible Reactions)

उत्क्रमणीय अभिक्रियाओं की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
(i) इन अभिक्रियाओं को किसी भी दिशा से प्रारम्भ किया जा सकता है।
(ii) ये कभी भी पूर्णता को प्राप्त नहीं करतीं, यद्यपि अग्र तथा पश्च दिशा में सतत् रूप से होती रहती हैं।
(iii) इन अभिक्रियाओं में यदि अग्र तथा पश्च क्रिया का वेग समान हो जाए, तो यह अवस्था साम्यावस्था (Equilibrium state) कहलाती है।
(iv) किसी भी पदार्थ के गैसीय होने पर ये अभिक्रियाएँ केवल बन्द पात्र में ही सम्भव हैं।

(B) अनुत्क्रमणीय अभिक्रियाएँ Irreversible Reactionstar

वे अभिक्रियाएँ, जो केवल एक ही दिशा (अग्र दिशा में होती हैं तथा आगे चलकर पूर्णता को प्राप्त कर लेती हैं, अनुत्क्रमणीय अभिक्रियाएँ कहलाती हैं। उदाहरण-
(i) पोटैशियम क्लोरेट (KCIO3) को गर्म करने पर यह पोटैशियम क्लोराइड (KCI) तथा ऑक्सीजन गैस (O2) में विघटित हो जाता है जबकि KCI तथा O, पुनः क्रिया करके KCIO3 नहीं बनाते हैं। अत: यह एक अनुत्क्रमणीय अभिक्रिया है।
2KCIO3 (s)       →     2KCl(s) + 302 (g)

(ii) बेरियम क्लोराइड (BaCl2) तथा सोडियम सल्फेट (Na2SO4) के जलीय विलयनों को मिलाने पर बेरियम सल्फेट (BaSO) का श्वेत
अवक्षेप प्राप्त होता है तथा सोडियम क्लोराइड (NaCl) विलयन में शेष रह जाता है। इसकी विपरीत क्रिया नहीं होती है, अतः यह भी एक अनुत्क्रमणीय अभिक्रिया है।
BaCL2 (aq) + Na2SO4 (aq)  →  BaSO4 + 2NaCl (aq)

अनुत्क्रमणीय अभिक्रियाओं की विशेषताएँ

(i) ये अभिक्रियाएँ विपरीत दिशा में नहीं होती हैं।
(ii) ये पूर्णता को प्राप्त कर लेती हैं।
(iii) ये खुले पात्र में सम्पन्न हो सकती है।
(iv) अधिकांश प्राकृतिक क्रियाएँ अनुत्क्रमणीय होती हैं।

4. वियोजन अभिक्रियाएँ Dissociation Reactions

वह रासायनिक अभिक्रिया, जिसमें कोई पदार्थ अभिक्रिया को प्रेरित करने वाले कारक जैसे ताप, दाब आदि में परिवर्तन करने पर दो अथवा दो से अधिक पदार्थों में अपघटित हो जाता है एवं उपर्युक्त कारकों के हट जाने पर यह पुनः मूल अवस्था प्राप्त कर लेता है, वियोजन अभिक्रिया कहलाती है। अतः वियोजन एक उत्क्रमणीय अभिक्रिया इस अभिक्रिया में एकल अभिकर्मक टूट कर छोटे-छोटे उत्पाद प्रदान करता है। प्रयुक्त कारकों के आधार पर वियोजन अभिक्रिया दो प्रकार की होती हैं

(A) ऊष्मीय वियोजन Thermal Dissociation

वह अभिक्रिया, जिसमें ऊष्मा देने पर (गर्म करने पर) यौगिक दो या दो से अधिक छोटे-छोटे अणुओं में वियोजित हो जाता है तथा ठण्डा करने पर ये अणु पुनः मिलकर यौगिक का निर्माण करते हैं, ऊष्मीय या तापीय वियोजन अभिक्रिया कहलाती है।
उदाहरण- (i) बन्द पात्र में गर्म करने पर फेरस सल्फेट (FeSO4.7H2O) क्रिस्टल का जल त्याग देता है और इसका रंग बदल जाता है। पुनः गर्म करने पर यह फेरिक ऑक्साइड (Fe2O3), सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) तथा सल्फर ट्राइऑक्साइड (SO3 ) में वियोजित हो जाता है। फेरिक ऑक्साइड ठोस, जबकि SO2, तथा SO3, गैसें हैं।
2FeSO4 (s) ⇌Fe2SO3(s) + SO2(g) + SO3(g)
फेरस सल्फेट       फेरिक ऑक्साइड

(ii) फॉस्फोरस पेन्टाक्लोराइड (PCl5) भी गर्म करने पर फॉस्फोरस
ट्राइक्लोराइड (PCl3,) तथा क्लोरीन (Cl2,) में वियोजित हो जाता है। ठण्डा करने पर PCl3, एवं Cl2, संयोग करके पुन: PCl5 बना लेते हैं।
PCl5  ⇌    PCl3 + Cl2

(B) आयनिक या विद्युत अपघटनी वियोजन
lonic or Electrolytic Dissociation

वह अभिक्रिया जिसमें विद्युत संयोजक (Electrovalent) यौगिकों को जल में घोले जाने पर वे धनायन (Cation) एवं ऋणायन (Anion) में विभक्त हो जाते हैं तथा जल को पृथक् करने पर ये धनायन तथा ऋणायन पुनः संयोग करके उदासीन विद्युत संयोजक यौगिक बनाते हैं, आयनिक वियोजन अभिक्रिया कहलाती है।

उदाहरण- अमोनियम क्लोराइड को जल में घोलने पर यह अमोनियम (NH4+) तथा क्लोराइड (CI-) आयनों में वियोजित हो जाता है।
NH4Cl  ⇌   NH4+       +        Cl-


5. अपघटन अभिक्रियाएं Decomposition Reactions

वह रासायनिक अभिक्रिया जिसमें यौगिक बाह्य कारकों के प्रभाव द्वारा अपने अवयवी तत्वों या लघु यौगिकों में अपघटित हो जाता है, अपघटन अभिक्रियाएँ कहलाती हैं। ये अभिक्रियाएँ ऊष्मा, प्रकाश अथवा विद्युत द्वारा सम्पन्न होती हैं। इन अभिक्रियाओं में अभिक्रिया के कारण अर्थात् ऊष्मा, विद्युत या प्रकाश को हटा देने पर भी मूल पदार्थ प्राप्त नहीं होता है, अतः ये अभिक्रियाएँ अनुत्क्रमणीय होती हैं। अपघटन अभिक्रियाएँ निम्न तीन प्रकार की होती हैं

(A) ऊष्मीय अपघटन Thermal Decomposition

वह रासायनिक अभिक्रिया जिसमें यौगिक ऊष्मा के द्वारा दो या दो से अधिक सरल पदार्थों में अपघटित हो जाता है, ऊष्मीय अपघटन अभिक्रिया कहलाती है।
उदाहरण- (i) कैल्सियम कार्बोनेट को गर्म करने पर यह कैल्सियम ऑक्साइड तथा कार्बन डाइऑक्साइड में अपघटित हो जाता है।
CaCO3 (s)   → CaO(s) + CO2

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इस अभिक्रिया का प्रयोग विभिन्न उद्योगों जैसे सीमेन्ट उद्योग आदि में किया जाता है।

(B) प्रकाश अपघटन Photolysis

जब वियोजन अभिक्रिया सूर्य के प्रकाश द्वारा होती है, तब यह प्रकाश अपघटन कहलाती है।
उदाहरण-
2AgCl (s)  →  2Ag (s) + Cl2 (g)

उपरोक्त अभिक्रिया का उपयोग श्वेत-श्याम फोटोग्राफी में किया जाता है, क्योंकि सिल्वर क्लोराइड या ब्रोमाइड सूर्य के प्रकाश में ग्रे (स्लेटी) रंग में परिवर्तित हो जाता है।

(C) विद्युत अपघटन Electrolysis or Electrolytic Decomposition

वह अभिक्रिया, जिसमें यौगिक के जलीय विलयन (या गलित अवस्था) में विद्युत प्रवाहित करने पर, यह दो या दो से अधिक सरल पदार्थों में अपघटित हो जाता है, विद्युत-अपघटन कहलाती है। इस प्रक्रम में धनायन कैथोड पर तथा ऋणायन ऐनोड पर एकत्रित हो जाते हैं। उदाहरण- (i) जब अम्लीय जल में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है, तो जल, हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन में विघटित हो जाता है।

2H2O      →         2H2           +         O2
                       हाइड्रोजन (कैथोड)     ऑक्सीजन (ऐनोड)

(ii) गलित अवस्था में पोटैशियम क्लोराइड में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर यह पोटैशियम एवं क्लोरीन में अपघटित हो जाता है।

2KCl               →            2K         +            Cl2
पोटैशियम                 पोटैशियम (कैथोड पर) क्लोरीन (ऐनोड पर)
क्लोराइड (गलित)

6. उभय अपघटन अभिक्रियाएँ
Double Decomposition Reactions

वे रासायनिक अभिक्रियाएँ, जिनमें अभिकारक यौगिकों के आयनों (Ions) अथवा मूलकों (Radicals) के परस्पर विनिमय द्वारा नए उत्पाद बनते हैं, उभय अपघटन अभिक्रियाएँ कहलाती हैं। इन्हें द्वि-विस्थापन अभिक्रिया (Double-displacement reaction) भी कहते हैं।

उदाहरण- (i) सोडियम सल्फेट (Na2SO4) तथा बेरियम क्लोराइड (BaCl2) के जलीय विलयनों को मिलाने पर इनके आयनों के विनिमय (अदला-बदली) के फलस्वरूप बेरियम सल्फेट (BaSO4) तथा सोडियम क्लोराइड (NaCl) बनते हैं।
Na2SO4(aq)+BaCl2(aq) → BaSO4(s)+2NaCl(aq)
सोडियम सल्फेट   बेरियम क्लोराइड    बेरियम सल्फेट

यहाँ अभिक्रिया से पूर्व सल्फेट (SO4–) सोडियम से जुड़ा था तथा अभिक्रिया के पश्चात् यह बेरियम से जुड़ जाता है, इसी प्रकार क्लोराइड (CI-) अभिक्रिया के पूर्व बेरियम से जुड़ा था तथा अभिक्रिया के पश्चात् यह सोडियम से जुड़ जाता है। इस प्रकार आयनों का विनिमय (अदला-बदली) हो जाता है।

(ii) इसी प्रकार, सिल्वर नाइट्रेट (AgNO3) तथा पोटैशियम क्लोराइड (KCI) के विलयनों को मिलाने पर उनके आयनों के विनिमय के फलस्वरूप सिल्वर क्लोराइड (AgCl) तथा पोटैशियम नाइट्रेट (KNO3) बनता है।

AgNO3 +  KCI    →     AgCl   +     KNO3
सिल्वर      पोटैशियम        सिल्वर         पोटैशियम
नाइट्रेट       क्लोराइड        क्लोराइड       नाइट्रेट
नोट – अधिकांश अवक्षेपण अभिक्रियाएँ (वे अभिक्रियाएँ जिनमें अवक्षेप बनता है) उभय अपघटन अभिक्रियाओं के उदाहरण हैं।

7. ऊष्माक्षेपी तथा ऊष्माशोषी अभिक्रियाएँ / Exothermic and Endothermic Reactions

सामान्यतया रासायनिक अभिक्रियाएँ ऊष्मा परिवर्तन के साथ सम्पन्न होती हैं। ऊष्मा परिवर्तन के आधार पर रासायनिक अभिक्रियाएँ निम्नलिखित दो प्रकार की होती हैं

(A) ऊष्माक्षेपी अभिक्रियाएँ Exothermic Reactions

वे रासायनिक अभिक्रियाएँ जिनमें ऊष्मा निर्मुक्त होती है, ऊष्माक्षेपी
अभिक्रियाएँ कहलाती हैं। इनमें ऊष्मा की मात्रा को उत्पादों की ओर धन चिन्ह (+) के साथ दर्शाया जाता है।
उदाहरण- ग्रेफाइट (जो कार्बन का एक अपररूप है) को वायु में जलाने पर निम्नलिखित अभिक्रिया होती है।
C (ग्रेफाइट) + O2(g) → CO2(g) + 94.0 (किलोकैलोरी)
यह एक ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है, क्योंकि इसमें ऊर्जा निर्मुक्त होती है।

(B) ऊष्माशोषी अभिक्रियाएँ Endothermic Reactions

वह रासायनिक अभिक्रिया जिनमें ऊष्मा का अवशोषण होता है, ऊष्माशोषी अभिक्रिया कहलाती है। ऊष्माशोषी अभिक्रिया निम्न ताप पर अस्वतः होती है तथा उच्च ताप पर स्वत: होती है। इनमें ऊष्मा की मात्रा को उत्पादों की ओर ऋण चिन्ह (-) या अभिकारकों की ओर धन चिन्ह (+) के साथ दर्शाया जाता है।
उदाहरण- (i) जब नाइट्रोजन और ऑक्सीजन के मिश्रण को उच्च ताप पर गर्म किया जाता है, तो नाइट्रिक ऑक्साइड (NO) बनता है एवं ऊष्मा वातावरण से अवशोषित की जाती है।
N2     +     O₂       →            2NO – 45 किलोकैलोरी
नाइट्रोजन   ऑक्सीजन            नाइट्रिकऑक्साइड

(ii) कार्बन (C), गन्धक (S) के साथ क्रिया करके कार्बन डाइसल्फाइड (CS2) बनाती है तथा 20,000 कैलोरी ऊर्जा अवशोषित होती है।
C    +        2S          →          CS2 – 20000 कैलोरी
कार्बन         सल्फर                     कार्बन डाइसल्फाइड

ऑक्सीकरण-अपचयन अभिक्रियाः रेडॉक्स अभिक्रिया / Redox Reaction

प्रायः ऑक्सीकरण तथा अपचयन अभिक्रियाएँ साथ-साथ घटित होती हैं तथा एक-दूसरे की पूरक होती हैं अर्थात् यदि किसी अभिक्रिया में एक पदार्थ का ऑक्सीकरण होता है, तो किसी अन्य पदार्थ का अपचयन भी अवश्य होगा। ऐसी अभिक्रियाएँ, जिनमें ऑक्सीकरण तथा अपचयन प्रक्रम एक साथ एक ही समय पर घटित होते हैं, ऑक्सीकरण-अपचयन अभिक्रिया, अपचयोपचय
अभिक्रिया या रेडॉक्स अभिक्रिया कहलाती है।
इलेक्ट्रॉनिक सिद्धान्त के आधार पर, वह रासायनिक अभिक्रिया जिसमें एक पदार्थ से इलेक्ट्रॉन (e) का ह्रास व दूसरे पदार्थ द्वारा इलेक्ट्रॉन (e) का ग्रहण साथ-साथ होता है, रेडॉक्स अभिक्रिया (Redox reaction) कहलाती है। रेडॉक्स अभिक्रियाओं में इलेक्ट्रॉनों की संख्या परिवर्तित हो जाती है।
उदाहरण-
(i) डेनियल सेल में होने वाली अभिक्रिया निम्न है।
Zn +  CuSO4      →          ZnSO4    +     Cu
जिंक   कॉपर सल्फेट             जिंक सल्फेट       कॉपर

ऐनोड पर       Zn  → Zn++     + 2e
                 जिंक                        इलेक्ट्रान

कैथोड पर   Cu+  + 2e    →  Cu

रेडॉक्स परिवर्तन  Zn + Cu2+     → Zn++      + Cu

डेनियल सेल में जिंक (Zn) का ऑक्सीकरण एवं Cu + का अपचयन हो अतः यह एक रेडॉक्स अभिक्रिया है।

next read – ठोस द्रव एवं द्रव में ऊष्मीय प्रसार


                        ◆◆◆ निवेदन ◆◆◆

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