समय समय पर हमें छोटी कक्षाओं में या बड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं में निबंध लिखने को दिए जाते हैं। निबंध हमारे जीवन के विचारों एवं क्रियाकलापों से जुड़े होते है। आज hindiamrit.com आपको निबंध की श्रृंखला में वनों का महत्व पर निबंध | वनों की उपयोगिता पर निबंध | essay on importance of forest in hindi प्रस्तुत करता है।
Contents
वनों का महत्व पर निबंध | वनों की उपयोगिता पर निबंध | essay on importance of forest in hindi
इस निबंध के अन्य शीर्षक / नाम
(1) मानव जीवन में वनों की उपयोगिता पर निबंध
(2) वन संपदा और मानव जीवन पर निबंध
(3) वन संपदा और पर्यावरण
(4) पर्यावरण की रक्षक हमारी वन संपदा
(5) हमारी वन संपदा पर निबंध
(6) सामाजिक वानिकी और पर्यावरण पर निबंध
(7) पर्यावरण प्रदूषण और वनों की उपयोगिता पर निबंध
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वनों का महत्व पर निबंध | वनों की उपयोगिता पर निबंध | essay on importance of forest in hindi
पहले जान लेते है वनों का महत्व पर निबंध | वनों की उपयोगिता पर निबंध | essay on importance of forest in hindi की रूपरेखा ।
निबंध की रूपरेखा
(1) प्रस्तावना
(2) वनों की उपयोगिता / लाभ
(क) ऑक्सीजन की प्राप्ति
(ख) वर्षा की प्राप्ति
(ग) लकड़ी की प्राप्ति
(घ) अमूल्य औषधियों की प्राप्ति
(3) वनों से अन्य लाभ
(4) वनों से आध्यात्मिक लाभ
(5) पर्यावरण के रक्षक
(6) उपसंहार
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वनों का महत्व पर निबंध | वनों की उपयोगिता पर निबंध | essay on importance of forest in hindi
प्रस्तावना
मानव को अपनी शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भौतिक साधनों की आवश्यकता पड़ती है।
भोजन की पूर्ति के लिए उसे अन्न दाल, सब्जी, फल आदि की, शरीर को ढाँपने के लिए वस्त्रों की और निवास के लिए घर की आवश्यकता होती है।
इसके अतिरिक्त अस्वस्थ होने पर औंषधियाँ भी जीवन के लिए आवश्यक हो जाती हैं। वह अपनी इन आवश्यकताओं की पूर्ति प्राकृतिक साधनों की सहायता से परिश्रम करके करता है।
प्रकृति का चक्र कुछ ऐसा है कि जिन वस्तुओं की आवश्यकता जीवन के लिए अनिवार्य है, प्रकृति उन्हें स्वयं ही उपलब्ध करा देती है। इन साधनों को, जो मानव के भौतिक पक्ष की आवश्यकता की पूर्ति करते हैं, हम प्राकृतिक स्रोत कहते हैं।
वनों की उपयोगिता
वन एक प्राकृतिक स्रोत हैं जो मनुष्य के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।
यह एक अमूल्य सम्पदा है जिसके बिना मानव जीबन खतरे में पड़ जायेगा वनों से हमें इतनी सामग्री उपलब्ध होती है कि हमारे जीवन का कोई भी भाग वनों के प्रभाव से अछूता नहीं कहा जा सकता, इसलिए भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से ही वनों को अत्यधिक महत्त्व दिया गया है।
अब हम इस बात पर विचार करेंगे कि वनो से मनुष्य को किस-किस विशिष्ट क्षेत्र में उपलब्धियां होती हैं।
(क) ऑक्सीजन की प्राप्ति
(ख) वर्षा की प्राप्ति
सर्वप्रथम वन किसी भी स्थान पर होने वाली वर्षा के लिए उत्तरदायी होते हैं, जितने घने रूप में किसी देश में वम होंगे, उतनी ही अधिक मात्रा में वहाँ वर्षा होगी।
भारत जैसे कृषि-प्रधान देश में तो वर्षा का अत्यधिक महत्त्व है। इस्राइल जैसे बंजर देश में भी ‘वृक्ष लगाओ अभियान के द्वारा भारी वन खडे कर लिए गये हैं,और परिणाम यह हुआ है कि अब वहाँ पर्याप्त मात्रा में अन्न एवं फलादि पैदा होने लगे हैं; अत: स्पष्ट है कि किसी देश में वर्षा की पूर्ति वहाँ के लम्बे और घने बनों पर निर्भर करती है।
(ग) लकड़ी की प्राप्ति
हमारे जीवन में लकड़ी का स्थान लोहे के बराबर है। भौतिक जीवन में लकड़ी के इतने अधिक सामान का उपयोग किया जाता है कि उसके अभाव में मानब का जीबन कठिन हो जायेगा और जीवन की अधिकांश सुख-सुविधाएँ समाप्त हो जाएँगी।
घरों में लगाने के लिए दरवाजे और बैठने व लेटने के लिए कुर्सी, मेज, पलंग आदि सामान, लकड़ी से ही बनता है और वह लकड़ों हमें वनो से उपलब्ध होती है।
यातायात में सुविधा के लिए वहुत-से पुल लकड़ी से भी बनते है। रेलगाड़ियों, पटरियों तथा नौकाओं और जलपोतों आदि में लकड़ी
का बहुत अधिक प्रयोग होता है।
ईंधन तथा दैनिक उपयोग की सभी वस्तुओं में लकड़ी की भारी उपयोगिता है। कहने की आवश्यकता नहीं कि लकड़ी के सिए हमें पूर्णतया बनों पर ही निर्भर रहना पड़ता है।
(घ) अमूल्य औषधियों की प्राप्ति
वनों से हमें अनेक औषधियाँ भी मिलती हैं। वृक्षों की छालं से जंगली फलों से, फूलों और जड़ी-बुटियों से बिभिन्न रोगों में काम आने वाली औषधियाँ बनती हैं।
वास्तव में वनों से प्राप्त औषधियों से अनेक दुसाध्य रोगों की चिकित्सा सम्भव है। आधुनिक वैज्ञानिक प्रयोगो से यह सिद्ध हो चुका है कि वनो से प्राप्त अनेक फल-फूल आदि बिना रासायनिक प्रक्रिया के ही केंसर जैसे भयंकर रोगों को नष्ट करने में सहायक होते है।
इस बिषय में आगे भी शोध जारी है, तथा नयी-नयी औषधियों की उत्पत्ति के लिए वनों की उपयोगिता और भी बढ़ती जा रही है।
वनों से अन्य-लाभ
वनों से एक ओर वर्षा होती है तो दूसरी ओर बर्षा के पानी के साथ मिट्टी का अपरदन रुकता है।
मिट्टी का कटाव अधिक होने से बाढ़ आने का भय बढ़ जाता है। इस प्रकार बन बाढ़ से सुरक्षा के लिए भी उपयोगी सिद्ध होते हैं इसीलिए भारत के उन भागों में जहाँ बाढ़ का भयंकर प्रकोप होता है, तेजी से वृक्ष लगाये जाने पर बल दिया जा रहा है।
वनों में भाभड आदि की उपज भी पर्याप्त होती है, जिसका
प्रयोग कागज जैसी बहुमूल्य वस्तुएँ बनाने में होता है। इससे रारकार को भी प्रतिवर्ष भारी आय होती है। इस प्रकार बन राजकीय आय के भी अच्छे स्रोत हैं।
वनों से आध्यात्मिक-लाभ
भौतिक जीवन के अतिरिक्त मानसिक एवं आध्यात्मिक पक्ष में भी वनों का महत्व कुछ कम नहीं है।
सांसारिक जीवन से क्लान्त मनुष्य यदि बनों में कुछ समय निवास करते हैं तो उन्हें सन्तोष तथा मानसिक शान्ति प्राप्त होती है। इसीलिए हमारी प्राचीन संस्कृति में तीर्थयात्रा का विधान किया गया था ।
हमारे प्राचीन ऋषि मुनि वनों में ही निवास करते थे तथा अपना सारा समय चिन्तन-मनन में ही व्यतीत किया करते थे। इस प्रकार भारतीय जीवन में ज्ञान विज्ञान के नये आयामों की खोज वनों में ही हुई।
पर्यावरण के रक्षक
वृक्ष पर्यावरण में उपस्थित घातक कार्बन डाइऑक्साइड गैसों को अवशोषित करके इसके बदले में प्राणवायु ऑक्सीजन प्रदान करते हैं ।
इन्हीं बृक्षों की पर्यावरण प्रदूषण को रोकने में महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। वृक्ष मृदा की ऊपरी सतह के अपरदन को रोकने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और भूमि की उर्वरा शक्ति में वृद्धि करते हैं ।
इस प्रकार पर्यावरण प्रदूषण को रोकते में इनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती हैं।
उपसंहार
किसी भी दृष्टि से देखिए, मानव जीवन में वनों की उपयोगिता अत्यधिक है; किन्तु स्वार्थी मनुष्य इन उपयोगी बनों को काटकर अपने भविष्य को संकटमय बना रहा है।
इसलिए विश्वभर में अब वनों के संरक्षण पर बल दिया जा रहा है। एक निश्चित सीमा से अधिक बनों को काटने पर रोक लगा दी गयी है।
भारतवर्ष में वन संरक्षण के साथ-साथ ‘वृक्ष लगाओ’ अभियान भी सरकार द्वारा चलाया जा रहा है तपक जितनी संख्या में वृक्ष कटें, उतनी ही संख्या में नये वृक्ष तैयार हो जाएँ, प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह वनों की सुरक्षा पर पूर्ण ध्यान दें, जिससे राष्ट्रीय तथा आर्थिक जीवन समृद्ध हो सके।
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