विद्यालय में कक्षा कक्ष प्रबंधन / विद्यालय की कक्षाएं कैसी होनी चाहिए

बीटीसी एवं सुपरटेट की परीक्षा में शामिल शिक्षण कौशल के विषय शैक्षिक प्रबंधन एवं प्रशासन में सम्मिलित चैप्टर विद्यालय में कक्षा कक्ष प्रबंधन / विद्यालय की कक्षाएं कैसी होनी चाहिए आज हमारी वेबसाइट hindiamrit.com का टॉपिक हैं।

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विद्यालय में कक्षा कक्ष प्रबंधन / विद्यालय की कक्षाएं कैसी होनी चाहिए

विद्यालय में कक्षा कक्ष प्रबंधन / विद्यालय की कक्षाएं कैसी होनी चाहिए
विद्यालय में कक्षा कक्ष प्रबंधन / विद्यालय की कक्षाएं कैसी होनी चाहिए


Classroom Management / विद्यालय में कक्षा कक्ष प्रबंधन

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कक्षा कक्ष प्रबन्धन क्या है
Classroom Management

कक्षा कक्ष प्रबन्धन की अवधारणा भारतीय समाज में प्राचीनकाल से ही विद्यमान रही है। प्राचीन काल में गुरुकुलों में शिक्षार्थी एवं शिक्षक शिक्षण अधिगम प्रक्रिया के प्रारम्भ होने से पूर्व व्यवस्था का निर्माण करते थे, जैसे-एक लाइन में बैठना, उचित आसन के साथ बैतना, कक्षा कक्ष की सफाई, गुरु के स्थान की उचित सफाई तथा शिक्षण अधिगम प्रक्रिया की अन्य व्यवस्थाएँ आदि । वर्तमान समय में कक्षा कक्ष प्रबन्धन की अवधारणा का स्वरूप विस्तृत हो गया है। इसमें अनेक प्रकार के परिवर्तन आ गये हैं। अब प्राचीन समय की भाँति शिक्षार्थी मूक श्रोता की भौति नहीं रह सकता। आज की कक्षा में शिक्षक एवं शिक्षार्थी दोनों की सहभागिता सम्भव होती है। छात्रों को कक्षा में अधिक से अधिक क्रियाशील रखने की व्यवस्थाएँ भी इस सम्प्रत्यय में सम्मिलित हो गयी हैं।

कक्षा-कक्ष प्रबन्धन का अर्थ
Meaning of Classroom Management

कक्षा कक्ष प्रबन्धन का सामान्य अर्थ कक्षा कक्ष से सम्बन्धित उपकरणों एवं उसकी भौतिक व्यवस्था से होता है। वर्तमान समय में कक्षा कक्ष प्रबन्धन का सम्बन्ध कक्षा-कक्ष को भौतिक व्यवस्था एवं मानवीय व्यवस्था से लिया जाता है जिसका उद्देश्य शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को प्रभावी बनाना है। कक्षा-कक्ष प्रबन्धन को विद्वानों द्वारा निम्नलिखित रूप में परिभाषित किया है-

1. प्रो. एस. के. दुबे के अनुसार, “कक्षा-कक्ष प्रवन्धन का आशय कक्षा के भौतिक एवं मानवीय संसाधनों के मनोवैज्ञानिक एवं विधिक प्रबन्धन से है जिससे शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को प्रभावी तथा दक्षतापूर्ण बनाया जा सके।”

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2.श्रीमती आर. के. शर्मा के शब्दों में, “कक्षा-कक्ष प्रबन्धन के अन्तर्गत एन समस्त तत्वों का प्रबन्धन सम्मिलित होता है जो कि शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं।”

3. डॉ. ए. बरौलिया के अनुसार, “कक्षा-कक्ष प्रबन्धन का सम्प्रत्यय शिक्षण अधिगम प्रक्रिया के लिये उपयुक्त शैक्षिक पर्यावरण या वातावरण का निर्माण करना है जिससे अध्यापक द्वारा समस्त मानवीय एवं भौतिक संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग किया जा सके।”

उपरोक्त विवेचन से यह स्पष्ट होता है कि कक्षा-कक्षप्रबन्धन एक व्यापक सम्प्रत्यय है जिसके अन्तर्गत कक्षा से सम्बन्धित समस्त भौतिक संसाधनों (भवन, कुसी तथा मेज आदि) एवं मानवीय संसाधनों (शिवाक एवं शिक्षार्थी) के प्रबन्धन को सम्मिलित किया जाता है।

कक्षा-कक्ष प्रबन्धन के उद्देश्य
Aims of Classroom Management

कक्षा-कक्ष प्रबन्धन की प्रक्रिया का ज्ञान एक शिक्षक के लिये परमावश्यक है क्योंकि कक्षा-कक्ष प्रबन्धन में शिक्षक एवं शिक्षार्थी की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। कक्षा का प्रबन्धन के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

(1) कक्षा-कक्ष में शैक्षिक वातावरण का निर्माण करना जिससे छात्र कक्षा में प्रवेश करते ही अधिगम के लिये प्रेरित हों। (2) शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को सरल एवं प्रभावशाली बनाना जिससे छात्रों का अधिगम स्तर उच्च हो सके। (3) कक्षा-कक्ष प्रबन्धन का प्रमुख उद्देश्य उपलब्ध भौतिक एवं मानवीय संसाधनों का सर्वोत्तम प्रयोग करना है जिससे शिक्षक एवं शिक्षार्थी लाभान्वित हो सकें। (4) कक्षा-कक्ष प्रबन्धन का प्रमुख उद्देश्य कक्षा से सम्बन्धित तथ्यों के मध्य समन्वय स्थापित करना है जिससे कि प्रबन्धन प्रक्रिया का चहुँमुखी विकास हो सके। (5) कक्षा-कक्ष प्रबन्धन का प्रमुख उद्देश्य अधिगम को स्थायी बनाना है तथा उसको उच्च स्तरीय गति प्रदान करना है। (6) कक्षा-कक्ष प्रबन्धन का प्रमुख उद्देश्य कक्षा-कक्ष को सम्पूर्ण सुविधाओं से सम्पन्न बनाना है जिससे कि शिक्षण अधिगम प्रक्रिया रुचिपूर्ण बनायी जा सके।

कक्षा-कक्ष प्रबन्धन की प्रक्रिया
Process of Classroom Management

कक्षा-कक्ष प्रवन्धन की प्रक्रिया को सम्पूर्ण करने के लिये इससे सम्बन्धित तथ्यों का प्रबन्धन परमावश्यक होता है। कक्षा-कक्ष प्रबन्धन को निम्नलिखित तथ्यों का प्रबन्धन करने से पूर्ण किया जा सकता है-

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1.उचित आकार (Proper Size)-कक्षा का आकार छात्र संख्या के आधार पर निश्चित किया जाना चाहिये अर्थात् कक्षा में प्रत्येक छात्र को उचित स्थान मिलना चाहिये जिससे वह अपने कार्यों का उचित सम्पादन कर सके। अत: कक्षा का आकार सामान्य से अधिक एवं कम नहीं होना चाहिये।

2. उचित प्रकाश (Proper Light)-कक्षा में प्रकाश की उचित व्यवस्था हो चाहिये जिससे कि छात्र सरलता से श्यामपट्ट एवं अन्य सामग्री का अवलोकन कर सकें। इसके लिये कक्षा-कक्ष में खिड़की एवं दरवाजों की संख्या पर्याप्त होनी चाहिये तथा क्रॉस वैन्टीलेशन की व्यवस्था की जानी चाहिये।

3. उचित बैठक व्यवस्था (Proper Seating Arrangement)-कक्षा-कक्ष में छात्रों के बैठने के लिये फर्नीचर उनकी आयु वर्ग के अनुसार निश्चित किया जाना चाहिये जिससे कि उनको बैठने में कोई असुविधा न हो। इस कार्य से छात्र अध्ययन में पूर्ण मनोयोग से तल्लीन हो सकेंगे। जब बैठने की व्यवस्था उचित नहीं होती तो शिक्षण अधिगम प्रक्रिया पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा।

4. अनुशासन (Discipline)-कक्षा-कक्ष प्रबन्धन में अनुशासन का महत्त्वपूर्ण स्थान है जब तक कक्षा-कक्ष में पूर्णतः अनुशासन की स्थिति नहीं होगी शिक्षण अधिगम प्रक्रिया सम्पन्न नहीं हो सकती। अत: एक आदर्श कक्षा-कक्ष में इस प्रकार की व्यवस्था होनी चाहिये कि सभी छात्र अनुशासन में रहें।

5. वातावरण (Environment)-कक्षा-कक्ष का वातावरण पूर्णत: शैक्षिक होना चाहिये। कक्षा में प्रवेश करते ही इस प्रकार का अनुभव हो कि शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को सम्पन्न करने के लिये इससे सुन्दर स्थान नहीं हो सकता। इसके लिये कक्षा-कक्ष आधुनिक उपकरणों से सम्पन्न होना चाहिये।

6.शिक्षण अधिगम सामग्री का प्रयोग (Use of Teaching Learning Material)- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन के अन्तर्गत शिक्षण अधिगम सामग्री के प्रयोग की उचित व्यवस्था होनी चाहिये। कक्षा-कक्ष में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के प्रयोग हेतुपूर्ण व्यवस्था की जाय; जैसे-दूरदर्शन, ओवर हैड प्रोजेक्टर एवं चलचित्र के माध्यम से शिक्षण करने की व्यवस्था कक्षा-कक्ष में होनी चाहिये।

7. उचित शिक्षण विधियों का प्रयोग (Use of Proper Teaching Methods)- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन में शिक्षक का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। शिक्षक द्वारा आधुनिक शिक्षण विधियों का प्रयोग किया जायेगा तथा कक्षा-कक्ष की स्थिति अनुशासन युक्त होगी तथा सभी छात्र शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में पूर्णत: रुचि लेंगे। अत: कक्षा-कक्ष के आदर्श प्रबन्धन हेतु शिक्षण विधियों का प्रबन्धन भी आवश्यक है।

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8. छात्र सहभागिता (Student Participation)-कक्षा-कक्ष प्रबन्धन का प्रमुख अंग छात्र हैं। इसलिये शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में छात्रों की सहभागिता परमावश्यक है। इसके लिये यह आवश्यक है कि छात्रों को शारीरिक तथा मानसिक रूप से सक्रिय रखते हुए शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को सम्पन्न किया जाय।

9. प्रजातान्त्रिक व्यवस्था (Democratic Management)-कक्षा-कक्ष प्रबन्धन में प्रजातान्त्रिक व्यवस्था से आशय प्रत्येक छात्र के साथ समानता के व्यवहार से है। प्रत्येक छात्र को शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में सहभागिता का अधिकार समान रूप से हो। मन्दबुद्धि एवं सामान्य छात्रों को भी शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में पूर्ण सहभागी बनाना चाहिये तथा उनको प्रतिभाशाली छात्रों की श्रेणी में लाने का प्रयास करना चाहिये।

10. पृष्ठ-पोषण (Feed-back)-कक्षा-कक्ष प्रबन्धन में शिक्षक द्वारा पृष्ठ पोषण अवश्य प्रदान करना चाहिये। इससे छात्र उत्साहित होकर शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में पूर्ण सहयोग प्रदान करते हैं। पृष्ठ पोषण से अधिगम में स्थायित्व उत्पन्न होता है। उपरोक्त विवेचन से यह स्पष्ट होता है कि कक्षा-कक्ष प्रबन्धन की प्रक्रिया का स्वरूप व्यापक है। इसमें मानवीय एवं भौतिक तत्वों का समन्वयन करते हुए प्रबन्धन की क्रिया सम्पन्न की जाती है। कक्षा-कक्ष प्रबन्धन प्रत्यक्ष रूप से शिक्षण अधिगम प्रक्रिया से सम्बन्धित तत्वों का प्रबन्धन भी कक्षा-कक्ष प्रबन्धन के क्षेत्र में आता है।


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