वैयक्तिक भिन्नता का अर्थ एवं परिभाषा,प्रकार,आधार,विधियां,शिक्षण

वैयक्तिक भिन्नता का अर्थ एवं परिभाषा,प्रकार,आधार,विधियां,शिक्षण – दोस्तों बाल मनोविज्ञान में व्यक्तिक भिन्नता सबसे प्रमुख पाठ माना जाता है।
अतः आज हमारी वेबसाइट hindiamrit.com  टॉपिक यही है। जिसमें हम लोग वैयक्तिक भिन्नता का अर्थ,वैयक्तिक भिन्नता की परिभाषाएं, वैयक्तिक भिन्नता के प्रकार, वैयक्तिक भिन्नता के कारण, वैयक्तिक भिन्नता के आधार, वैयक्तिक भिन्नता जानने की विधियां, वैयक्तिक भिन्नता पर आधारित शिक्षण प्रक्रिया आदि सभी टॉपिकों को पढ़ेगे।


Contents

वैयक्तिक भिन्नता का अर्थ एवं परिभाषा (meaning and definition of individual difference)

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प्रत्येक शिक्षार्थी स्वयं में विशिष्ट है इसका अर्थ है कि कोई भी दो शिक्षार्थी अपनी योग्यताओं,सूचियों,प्रतिभाओं में एक समान नहीं होते है।

प्रकृति का नियम है कि संसार में कोई भी दो व्यक्ति पूर्णता एक जैसे नहीं हो सकते यहां तक कि जुड़वा बच्चों में भी कई समानताएं के बावजूद कई अन्य प्रकार की भिन्नताएँ दिखाई पड़ती हैं।

जुड़वा बच्चे शक्ल-सूरत से तो हुबहू एक जैसे दिख सकते हैं किंतु उनके स्वभाव, बुद्धि, शारीरिक,मानसिक, क्षमता आदि में अंतर होता है।

भिन्न-भिन्न व्यक्तियों में इस प्रकार की विभिन्नता को ही व्यक्तिगत भिन्नता कहा जाता है।


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वैयक्तिक भिन्नता की परिभाषाएँ( definition of individual difference)

स्किनर के अनुसार

“वैयक्तिक भिन्नताओं से हमारा तात्पर्य व्यक्तित्व के उन सभी पहलुओं से है जिनका मापन व मूल्यांकन किया जा सकता है।”


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टॉयलर के अनुसार

“शरीर के रंग रूप,आकार,कार्य,गति,बुद्धि,ज्ञान, उपलब्धि,रुचि, अभिरुचि आदि लक्षणों में पाई जाने वाली भिन्नता को वैयक्तिक भिन्नता कहते हैं।”


जेम्स ड्रेवर के अनुसार

“कोई व्यक्ति अपने समूह के शारीरिक तथा मानसिक गुणों के औसत से जितनी भिन्नता रखता है उसे वैयक्तिक भिन्नता कहते हैं।”



गुड के अनुसार

“व्यक्तियों में किसी एक विशेषता या अनेक विशेषताओं को लेकर पाया जाने वाला अंतर वैयक्तिक भिन्नता कहलाता है।”


गुड के अनुसार दूसरी परिभाषा

“अपने संपूर्ण में वे सारे भेद अंतर,जो एक व्यक्ति को दूसरे से अलग करते हैं वैयक्तिक भिन्नता कहलाते हैं।”

अतः स्पष्ट है कि वैयक्तिक भिन्नता उन सभी क्षमताओं तथा लक्षणों आदि से संबंधित है जिनसे व्यक्तित्व का विकास व निर्माण होता है।




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वैयक्तिक भिन्नता के आधार (bases of individual difference)

वैयक्तिक भिन्नता के प्रमुख दो आधार है-

(1) वंशानुक्रम

(2) पर्यावरण

वंशानुक्रम

माता-पिता व अन्य पूर्वजों से संतान को प्राप्त होने वाला गुण वंशानुक्रम कहलाता है।

इन्हीं के कारण प्रत्येक मनुष्य में विभिन्नता और समानता भी दिखाई देती है।

पर्यावरण

मानव विकास में पर्यावरण का स्थान बड़ा महत्वपूर्ण है।

पर्यावरण में वे सभी तत्व आते हैं जो मानव विकास व उसके संबंधों को प्रभावित करते हैं।

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वैयक्तिक भिन्नता के कारण (reasons of individual difference)

(1) वंशानुक्रम

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(2) वातावरण

(3) स्वास्थ्य

(4) आयु व बुद्धि

(5) जाति प्रजाति व राष्ट्र

(6) शिक्षा व आर्थिक स्तर

(7) लिंगभेद

(8) पृष्ठभूमि

(9) परिपक्वता



इन्हें भी पढ़िये

कोहलबर्ग का नैतिक विकास सिद्धान्त

पियाजे का संज्ञानात्मक विकास का सिद्धान्त

वैयक्तिक भिन्नता के प्रकार (types of individual difference)

(1) शारीरिक विकास में वैयक्तिक भिन्नता

(2) मानसिक विकास में वैयक्तिक भिन्नता

(3) सांवेगिक विकास में वैयक्तिक भिन्नता

(4) व्यक्तित्व संबंधी वैयक्तिक भिन्नता

(5) उपलब्धियों में अंतर

(6) ज्ञानात्मक व क्रियात्मक क्षमताओं में वैयक्तिक भिन्नता

(7) भाषायी आधार पर वैयक्तिक भिन्नता 

(8) लिंग के आधार पर वैयक्तिक भिन्नता 

(9) परिवार एवं समुदाय के आधार पर वैयक्तिक भिन्नता

(10) अभिवृत्ति के आधार पर वैयक्तिक भिन्नता

(11) गत्यात्मक कौशलों के आधार पर वैयक्तिक भिन्नता



वैयक्तिक भिन्नता जानने की विधियां (methods to know of individual difference)


वैयक्तिक भिन्नता जानने की मुख्य तीन विधियां हैं

(1) परीक्षण व्यक्ति

(2) इतिहास विधि

(3) सामूहिक अभिलेख


वैयक्तिक भिन्नता जानने की अन्य विधियां

(1) बुद्धि परीक्षण

(2) उपलब्धि परीक्षण

(3) अभियोग्यता परीक्षण

(4) निदानात्मक परीक्षण

(5) अभिवृत्ति परीक्षण

(6) व्यक्तित्व परीक्षण

(7) अभिरुचि परीक्षण

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वैयक्तिक भिन्नता पर आधारित शिक्षण प्रक्रिया-(individual difference based teaching)

(1) डाल्टन प्रणाली

(2) प्रोजेक्ट प्रणाली

(3) ड्रेक्रोली प्रणाली

(4) किंडरगार्टन प्रणाली

(5) विनेटिका प्रणाली

(6) मांटेसरी प्रणाली

(7) बेसिक शिक्षा प्रणाली

(8) गैरी शिक्षण प्रणाली

(9) संविदा विधि

(10) क्रियात्मक विधि

(11) अभिक्रमित अनुदेशन

(12) कहानी पद्धति

(13) वार्तालाप विधि

(14) पर्यवेक्षित विधि




शिक्षा के क्षेत्र में वैयक्तिक भिन्नता का महत्व (importance of individual difference in education Field)

(1) शिक्षार्थी वैयक्तिक भिन्नता प्रदर्शित करते हैं। अतः एक शिक्षक को सीखने के विविध अनुभवों को उपलब्ध कराना चाहिए।

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(2) कक्षा का आकार तय करने में भी वैयक्तिक भिन्नता का ज्ञान विशेष सहायक होता है।

(3) वैयक्तिक भिन्नता का सिद्धांत व्यक्तिगत शिक्षण पर जोर डालता है। इसके अनुसार बालकों को ध्यान में रखकर उसकी शिक्षा की व्यवस्था की जानी चाहिए।

(4) व्यक्तिगत विभिन्नता का ज्ञान शिक्षकों को बालकों के शारीरिक दोषों को समझने में सहायता प्रदान करता है।

(5) बच्चों को गृह कार देते समय भी उनकी वैयक्तिक भिन्नता का ध्यान रखा जाता है।

(6) वैयक्तिक भिन्नता को समझकर शिक्षक यह समझ पाते हैं कि किस प्रकार के बच्चों के लिए शिक्षण की कौन सी विधि अपनाई जाए।

(7) बालकों के निर्देशन में भी व्यक्ति भिन्नता की विशेष भूमिका होती है।

(8) वैयक्तिक भिन्नता का ज्ञान शिक्षकों में विद्यालय प्रबंधकों को कक्षा के वर्गीकरण में सहायता प्रदान करता है।


दोस्तों आशा है कि आपको यह आर्टिकल बहुत ही अच्छा लगा होगा आपको व्यक्ति भिन्नता से जुड़ी सारी जानकारियां इस आर्टिकल में प्राप्त हो गई होंगी हमें कमेंट करके जरूर बताइए कि आप को यह आर्टिकल कैसा लगा तथा अपने दोस्तों के साथ इसको शेयर भी कीजिए।

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