दोस्तों आज hindiamrit आपके लिए प्रमुख अंतरों की श्रृंखला में प्रगामी और अप्रगामी तरंगों में अंतर || difference between progressive and stationary waves लेकर आया है।
तो आज हम आपको प्रगामी तरंगे क्या है,अप्रगामी तरंगे क्या है,प्रगामी तरंग किसे कहते हैं,अप्रगामी तरंग किसे कहते हैं,what is progressive waves,what is stationary waves,pragami tarang kise kahte hai,apragami tarang kya hai,pragami aur apragami tarang me antar,तरंगों के प्रकार,माध्यम के आधार पर तरंगों के प्रकार,माध्यम के कणों के कंपन के आधार पर तरंगों के प्रकार,ऊर्जा के गमन के आधार पर तरंगों के प्रकार,आदि की जानकारी प्रदान करेंगे।
Contents
प्रगामी और अप्रगामी तरंगों में अंतर || difference between progressive and stationary waves
तरंगों के प्रकार || types of waves
(1) माध्यम के आधार पर तरंगों के प्रकार
(A) यांत्रिक तरंगे
(B) विद्युत चुम्बकीय तरंगे
(2) माध्यम के कणों के कंपन के आधार पर तरंगों के प्रकार
(A) अनुप्रस्थ तरंगे
(B) अनुदैर्ध्य तरंगे
(3) ऊर्जा के गमन के आधार पर तरंगों के प्रकार
(A) प्रगामी तरंगे
(B) अप्रगामी तरंगे
अप्रगामी तरंगे क्या है || what is stationary waves
जब समान आवृत्ति एवं समान आयाम की दो प्रगामी तरंगें किसी बद्ध माध्यम में समान चाल से, एक ही रेखा में, परन्तु विपरीत दिशाओं से आकर अध्यारोपण करती हैं तो उत्पन्न हुई नई तरंग माध्यम में स्थिर प्रतीत होती हैं, अतः इस तरंग को ‘अप्रगामी तरंग’ कहते हैं।”
ये तरंगें अनुप्रस्थ तथा अनुदैर्ध्य दोनों प्रकार की तरंगों से उत्पन्न की जाती हैं।
सितार, वायलिन, इकतारा आदि की डोरियों में अनुप्रस्थ-अप्रगामी तरंगें (Iransversc stationary waves) ही बनती हैं।
बिगुल, बाँसुरी, बीन आदि वाद्य-यंत्रों में अनुदैर्घ्य अप्रगामी तरंगें ही बनती हैं।
अप्रगामी तरंग में ऊर्जा का संचरण नहीं होता है-क्योंकि आपतित तरंग के कारण माध्यम के किसी बिन्दु पर जितनी ऊर्जा का प्रवाह एक दिशा में होता है, उतनी ही ऊर्जा का प्रवाह परावर्तित तरंग के कारण उस बिन्दु पर विपरीत दिशा में होता है।
प्रगामी तरंगे क्या है || what is progressive waves
जब हम किसी माध्यम में लगातार तरंगें उत्पन्न करते हैें तो माध्यम के कण अपने-अपने स्थान पर साम्य-स्थिति के दोनों ओर लगातार कम्पन करने लगते हैं तथा विक्षोभ आगे बढ़ता रहता है। इस प्रकार माध्यम में उत्पन्न हुए विक्षोभ को समतल प्रगामी तरंग (Plane Progressive Wave) कहते हैं। ये तरंगें एक ही तल में आगे बढ़ती है।
जैसे-तालाब की सतह पर उत्पन्न तरंगें या डोरी में उत्पन्न तरंगें आदि।
प्रगामी और अप्रगामी तरंगों में अंतर || difference between progressive and stationary waves
प्रगामी तरंग | अप्रगामी तरंग |
यह तरंगे माध्यम में एक निश्चित वेग से आगे बढ़ती है। | यह तरंगे माध्यम में आगे नहीं बढ़ती हैं। बल्कि माध्यम में दो परसीमाओं के बीच अपने स्थानों पर ही बनी रहती हैं। अर्थात अपने ही स्थान पर स्थिर रहकर फैलती सिकुड़ती रहती हैं। |
ये तरंगे किसी ध्वनि उत्पादक स्त्रोत द्वारा उत्पन्न की जा सकती है। | ये तरंगे विपरीत दिशा में संचरित सामान आयाम एवं सामान आवृत्ति की प्रगामी तरंगों के अध्यारोपण से ही उत्पन्न होती हैं। |
तरंगों में दो क्रमागत श्रृंग एवं गर्त या दो क्रमागत संपीडन अथवा विरलन के बीच की दूरी को एक तरंगदैर्ध्य कहते हैं। | इन तरंगों में दो क्रमागत निस्पंदो या प्रस्पंदो के बीच की दूरी को आधी तरंग धैर्य कहते हैं। |
तरंगों के माध्यम में उत्पन्न होने से प्रत्येक स्थान पर दाब और घनत्व में परिवर्तन समान होते हैं। | तरंगों के माध्यम उत्पन्न होने से निस्पंदो में दाब और घनत्व में परिवर्तन सबसे अधिक होता है। तथा प्रस्पंदो पर सबसे कम लगभग शून्य होता है। |
इन तरंगों में किसी भी क्षण माध्यम के विभिन्न कणों की कला भिन्न-भिन्न होती है | समान होती हैं। |
इन तरंगों में किसी भी क्षण माध्यम के सभी कण एक साथ अपनी साम्य स्थिति से नहीं गुजरते है। | इन तरंगों में एक आवर्तकाल में दो बार माध्यम के सभी कण एक साथ अपनी साम्य स्थिति से गुजरते हैं। |
तरंगों में माध्यम का प्रत्येक कण कंपन करता है | प्रत्येक कण कंपन नहीं करता है। |
इन तरंगों में माध्यम का प्रत्येक कण अपने पास वाले दूसरे कण को ऊर्जा प्रदान करता है। अर्थात इन तरंगों में ऊर्जा संचरित होती है। | इन तरंगों में ऊर्जा संचरित नहीं होती है। |
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