व्यक्तित्व का अर्थ एवं परिभाषा,व्यक्तित्व के प्रकार,व्यक्तित्व परीक्षण

दोस्तों आज आपको मनोविज्ञान का सबसे महत्वपूर्ण पाठ व्यक्तित्व का अर्थ एवं परिभाषा,व्यक्तित्व के प्रकार,व्यक्तित्व परीक्षण आदि की विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे।

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दोस्तो सबसे पहले हम ये जानते हैं कि व्यक्तित्व का अर्थ,व्यक्तित्व की परिभाषाएं, व्यक्तित्व के प्रकार,व्यक्तित्व का मापन,व्यक्तित्व परीक्षण।

व्यक्तित्व का अर्थ || meaning of personality

व्यक्तित्व शब्द अंग्रेजी भाषा के personality (पर्सनालिटी) शब्द का हिंदी रूपांतरण है।

personality शब्द लैटिन भाषा के persona (परसोना) शब्द से उत्पन्न हुआ है। जिसका अर्थ होता है– मुखौटा या वेशभूषा।

जैसे पहले के लोग नाटक (ड्रामा) में तरह तरह के कपड़े बदलकर अपना मुखौटा या पहनावा बदलते है। वो अलग अलग पहनावे में अलग अलग व्यक्ति को दर्शाते थे। अर्थात अलग अलग व्यक्तित्व दिखाते थे।

व्यक्तित्व का अर्थ हम अलग अलग दृष्टिकोण से निम्न प्रकार से समझ सकते हैं–

दार्शनिक दृष्टिकोण से व्यक्तित्व का अर्थ

दर्शन के अनुसार व्यक्तित्व आत्मज्ञान का ही दूसरा नाम है। या पूर्णता का प्रतीक है। इस पूर्णता का आदर्श ही व्यक्तित्व को प्रदर्शित करता है।

समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से व्यक्तित्व का अर्थ

इस दृष्टिकोण के अनुसार व्यक्तित्व उन सभी तत्वों का संगठन है जिनके द्वारा व्यक्ति को समाज में कोई स्थान प्राप्त होता है।

मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से व्यक्तित्व का अर्थ

इस दृष्टिकोण के अनुसार व्यक्तित्व का अर्थ वंशानुक्रम एवं वातावरण का ही एक रूप है।

मनोविश्लेषणात्मक दृष्टिकोण से व्यक्तित्व का अर्थ

इस दृष्टिकोण के अनुसार व्यक्तित्व के तीन भाग हैं – अहम तथा परम अहम् इदम चेतन मन में स्थित प्राकृत शक्तियां हैं जो अबोध या अज्ञान की अवस्था में मृत है अहम वह चेतन तथा चेतन सकती है जिसमें तर्क और बुद्धि का समावेश है परम अहम् व्यक्ति का आदर्श होता है

सामान्य दृष्टिकोण से व्यक्तित्व का अर्थ

दृष्टिकोण के अनुसार व्यक्तित्व उद्दीपक मूल्य है जो एक व्यक्ति दूसरे के लिए रखता है।

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व्यक्तित्व की परिभाषाएं || definition of personality

मन के शब्दों में

“व्यक्तित्व एक व्यक्ति के गठन ,व्यवहार के तरीकों,सूचियों, दृष्टिकोण, क्षमताओं और तरीकों का सबसे विशिष्ट संगठन है।”

रेक्स के शब्दों में

“व्यक्तित्व समाज द्वारा मान्य तथा अमान्य गुणों का संगठन है।”

वाटसन के अनुसार

“हम जो कुछ करते हैं वही व्यक्तित्व है।”

बिग एवं हंट के शब्दों में

“व्यक्तित्व एक व्यक्ति के संपूर्ण व्यवहार, प्रतिमान और विशेषताओं के योग का उल्लेख करता है।”

वुडवर्थ के अनुसार

“व्यक्ति के व्यवहार का समूचा सार ही उसका व्यक्तित्व होता है।”

मार्टन प्रिंस के अनुसार

“व्यक्तित्व समस्त शारीरिक तथा अर्जित वृत्तियों का योग है।”

वारेन के अनुसार

“व्यक्तित्व व्यक्ति का संपूर्ण मानसिक संगठन है। जो उसके विकास की किसी भी अवस्था में होता है।”

कुछ अन्य परिभाषाएं

डैशील के अनुसार

“व्यक्तित्व व्यक्ति की संपूर्ण प्रतिक्रियाओं एवं प्रतिक्रियात्मक संभावनाओं का संस्थान है। जैसा कि उसके परिवेश में जो सामाजिक प्राणी है, उसके द्वारा आंका जाता है।”

आलपोर्ट के अनुसार

“व्यक्तित्व व्यक्ति के भीतर उन मनोदैहिक गुणों का गत्यात्मक संगठन है। जो परिवेश के प्रति होने वाले उसके अपूर्व अभियोजनों का निर्णय करते हैं।”

गुथरी के अनुसार

“व्यक्तित्व की परिभाषा सामाजिक महत्व की उन आदतों तथा आदत संस्थानों के रूप में की जा सकती है जो स्थिर तथा परिवर्तन के अवरोध वाली होती हैं।”

एस०सी० वारेन के अनुसार

“व्यक्तित्व व्यक्ति के विकास की किसी भी अवस्था में होने वाला समग्र मानसिक संगठन है।”

में एवं हार्टशार्न के अनुसार

“व्यक्तित्व व्यक्ति का वह स्वरूप है जो उसे प्रभावशाली बनाता है और दूसरों को प्रभावित करता है।”

आइजनेक के अनुसार

“व्यक्ति की अभि प्रेरणात्मक व्यवस्थाओं का व्यक्तित्व सापेक्ष रूप से वह स्थित संगठन है जिसकी उत्पत्ति जैविक अंतर्नोदो, सामाजिक तथा भौतिक वातावरण के अंतः क्रिया के फलस्वरुप होती है।”

परविन के अनुसार

“व्यक्तित्व किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के उन रचनात्मक और गत्यात्मक गुणों का प्रतिनिधित्व करता है जो किसी परिस्थिति के प्रति विशिष्ट प्रतिक्रियाओं द्वारा परिलक्षित होते हैं।”

फ़ारिस के अनुसार

“व्यक्तित्व संस्कृति का वैयक्तिक पक्ष है।”

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स्वभाव के प्रकार || व्यक्तित्व के प्रकार || types of personality

विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने व्यक्तित्व के अलग-अलग प्रकार बताए हैं।

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(1) शरीर – रचना दृष्टिकोण (physiological view point)

मनोवैज्ञानिक क्रेश्मर ने व्यक्तित्व का विभाजन शरीर रचना के आधार पर किया है जो निम्न प्रकार से है-

(A) गोलकाय या नाटा (picnic)
(B) लम्बकाय (asthenic)
(C) सुडौलकाय (athletic)
(D) असाधारण या दुर्विकिसित (dysplastic)

(2) शरीरिक गुणों के आधार पर

शेल्डन ने व्यक्तित्व के प्रकार का विभाजन शरीरिक गुणों के आधार पर किया है। शेल्डन के अनुसार व्यक्तित्व के प्रकार निम्न हैं–

(A) गोलकाय (andomorphic)
(B) मध्यकाय (mesomorphic)
(C) लम्बकाय (ectomorphic)

(3) विलियम जेम्स के अनुसार व्यक्तित्व के प्रकार

(A) कोमल हृदय वाले (self minded)
(B) कठोर हृदय वाले (tough hearted)

(4) न्यूमैन तथा स्टर्न के अनुसार व्यक्तित्व के प्रकार

(A) विश्लेषणात्मक व्यक्ति
(B) संश्लेषणात्मक व्यक्ति

(5) मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण (psychological view points)

युंग ने व्यक्तित्व के प्रकार का आधार मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण माना है।
युंग के अनुसार व्यक्तित्व के निम्न प्रकार है-

(A) अंतर्मुखी (introvert personality)
(B) बहिर्मुखी (extrovert personality)
(C) उभयमुखी ( Ambirvert / double faced personality)

(6) समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण (sociological view point)

स्प्रिंगर ने व्यक्तित्व को समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण के आधार पर विभाजित किया है। इन्होंने अपनी पुस्तक types of man में व्यक्तित्व के प्रकार बताये है जो निम्न लिखित हैं-

(A) आर्थिक व्यक्तित्व ( economical personality)
(B) धार्मिक व्यक्तित्व ( religious personality)
(C) सामाजिक व्यक्तित्व ( socially personality)
(D) सैद्धांतिक व्यक्तित्व ( theoretical personality)
(E) राजनैतिक व्यक्तित्व ( political personality)
(F) कलात्मक व्यक्तित्व (esthetic personality)

(7) आधुनिक वर्गीकरण (modern classification)

(A) भावुक व्यक्ति (emotional persons)
(B) कर्मशील व्यक्ति ( labourer person)
(C) विचारशील व्यक्ति (thinker persons)

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व्यक्तित्व परीक्षण / व्यक्तित्व मापन की विधियां || personality assessment || methods of personality measurement

Personality assessment,व्यक्तित्व मापन, व्यक्तित्व परीक्षण पर्सनालिटी एसेसमेंट की विधियों को दो भागों में बांटा गया है-

(1) प्रक्षेपण विधियाँ / प्रयोगशालायी विधियाँ (projective methods)

(2) अप्रक्षेपण विधियां (non-projective method)

(1) प्रक्षेपण विधियाँ / प्रयोगशालायी विधियाँ (projective methods)

व्यक्तित्व परीक्षण की प्रक्षेपण विधियों के अंतर्गत निम्नलिखित विधियां आती हैं–

(1) प्रासंगिक अंतर्बोध परीक्षण / विषय संप्रत्यय परीक्षण (thermatic apperception test) || टी०ए०टी० परीक्षण || T.A.T. personality test

प्रतिपादकमरे एवं मॉर्गन

(2) बाल संप्रत्यय परीक्षण (child apperception test) || सी०ए०टी० परीक्षण || C.A.T. personality test

प्रतिपादकलियोपोड ब्लॉक

(3) रोशार्क स्याही धब्बा परीक्षण (Rorschach ink test) || आर०आई०टी० परीक्षण || R.I.T. personality test

प्रतिपादक– रोशार्क

(4) होल्जमैन स्याही धब्बा परीक्षण (Holzman ink test) || एच०आई०टी० परीक्षण || H.I.T. personality test

प्रतिपादकहोल्जमैन

(5) कहानी पूर्ति परीक्षण (story completion test) || एस०सी०टी० परीक्षण || S.C.T. personality test

प्रतिपादकपाइन एवं टेण्डलर

(6) शब्द साहचर्य परीक्षण (word associative test) || डब्ल्यू०ए०टी० परीक्षण || W.A.T. personality test

प्रतिपादकगॉल्टन

(7) चित्रपूर्ती परीक्षण (picture completion test) || पी०सी०टी० परीक्षण || P.C.T. personality test

(8) 16 P-F परीक्षण

प्रतिपादककैटेल

(9) मोजेक परीक्षण

प्रतिपादककैटेल

(2) अप्रक्षेपण विधियां (non-projective method)

इनके दो भाग होते हैं– आत्मनिष्ठ विधि तथा वस्तुनिष्ठ विधि

(1) आत्मनिष्ठ विधि –

इसके अंतर्गत निम्न विधियां आती हैं–

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(A) आत्मकथा (autobiography)

(B) व्यक्ति इतिहास विधि (case history)

(C) साक्षात्कार विधि (interview method)

(D) प्रश्नोत्तरी विधि या सूची विधि (inventory method or questionnaire method)

(2) वस्तुनिष्ठ विधि (objective methods)– इसके अंतर्गत निम्न विधियां आती हैं-

(A) नियंत्रित निरीक्षण (controlled observation)

(B) क्रम निर्धारण मापनी (ratting scale)

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व्यक्तित्व परीक्षण की विधियों का वर्णन / व्यक्तित्व मापन की विधियां का वर्णन

(1) प्रासंगिक अंतर्बोध परीक्षण / विषय संप्रत्यय परीक्षण (thermatic apperception test) || टी०ए०टी० परीक्षण || T.A.T. personality test

इस परीक्षण को संक्षेप में T.A.T. के नाम से जाना जाता है। इसका निर्माण सन 1935 में मरे तथा मार्गन ने किया था। इस परीक्षण का प्रयोग उतना ही प्रसिद्ध है जितना की रोशार्क परीक्षण। इसमें विभिन्न चित्रों का प्रयोग किया जाता है। इसमें कुल 30 चित्रों का प्रयोग किया जाता है। यह चित्र एक दूसरे से भिन्न होते हैं। इनमें सिर्फ एक कार्ड ऐसा होता है जिस पर कोई भी चित्र नहीं बना होता। इन कार्डों का प्रयोग परीक्षार्थी की आयु और लिंग के आधार पर किया जाता है। पूरे परीक्षण में सिर्फ 20 चित्रों का प्रयोग किया जाता है। पूरा परीक्षण दो भागों में बांट कर प्रस्तुत किया जाता है। प्रत्येक कार्ड के पीछे संकेत लिखे होते हैं। ताकि उनका प्रयोग सही रूप से किया जा सके।

जैसे – BM = boys and men

GF= girls and females

इस प्रकार छात्रों को चित्र को दिखाकर एक कहानी लिखने को कहा जाता है।इसमें कोई समय का बंधन नहीं होता है।
इस प्रकार उनके द्वारा लिखी गई कहानी बताई गई कहानी के द्वारा व्यक्तित्व का निर्धारण किया जाता है।

(2) रोशार्क स्याही धब्बा परीक्षण (Rorschach ink test) || आर०आई०टी० परीक्षण || R.I.T. personality test

इस परीक्षण का निर्माण मनोचिकित्सक हरमन रोशार्क के ने किया था। यह स्विट्जरलैंड के रहने वाले थे। इस परीक्षण को स्याही धब्बा परीक्षण के नाम से पुकारते हैं। इसमें 10 स्याही के धब्बों का प्रयोग किया जाता है ।यह सभी धब्बे कार्डों पर बने होते है। इसमे काले तथा घूसर रंग के के 5 धब्बे, काले तथा लाल रंग के 2 धब्बे तथा 2 धब्बे पूर्णरूपेण रंगदार होते हैं। सभी धब्बे रचना रहित होते है। रचना रहित से तात्पर्य है उनमें स्पष्ट तथा समाज द्वारा निर्धारित सार्थक वस्तुओं का निरूपण नहीं होता है। वे इतने अस्पष्ट होते हैं कि उनका वर्णन अनेक प्रकार से किया जा सकता है। बच्चों को इन धब्बों को दिखाकर उनसे पूछा जा सकता है किस-किस का चित्र हो सकता है? अथवा यह आपको किस किसकी स्मृति याद दिलाता है?
इस प्रकार वह धब्बे को देखकर अलग-अलग चित्र बताते हैं और उनका विश्लेषण कर उनके व्यक्तित्व का पता लगाया जाता है।

(3) शब्द साहचर्य परीक्षण (word associative test) || डब्ल्यू०ए०टी० परीक्षण || W.A.T. personality test

यह विधि व्यक्तित्व निर्धारण की पुरानी विधि है। और वर्तमान समय में इसको प्रक्षेपण प्रविधि माना जाता है। इसमें उद्दीपक एवं अनुक्रिया के संबंध का मूल्यांकन किया जाता है। फिर अनुक्रिया का विश्लेषण करके व्यक्तित्व की असमान्यताओं का पता लगाया जाता है। विषयी को सामने बैठाकर एक-एक शब्द को बोला जाता है। और वह सही शब्द को सुनकर फौरन एक शब्द बोलता है। उस उत्तर को नोट कर लिया जाता है। यह विधि अनेक प्रकार की अचेतनात्मक ग्रंथियों की सार्थकता तथा स्वरूप पर प्रकाश डालने के लिए उपयोग में लाई जाती है। इसके द्वारा चिंताओं का स्रोत तथा महत्वपूर्ण अभिवृत्तियों का आसानी से पता लग जाता है।

(4) आत्मकथा (autobiography)

इस विधि के द्वारा अध्ययन किए जाने वाले व्यक्ति के व्यक्तित्व के गुणों को कुछ प्रमुख शीर्षकों में बांट दिया जाता है। जिनके द्वारा वह अपने अनुभवों, उद्देश्य, प्रयोजनों,रुचियों और अभिवृत्तियों का विवरण के आधार पर निश्चित मनोवैज्ञानिक निष्कर्ष निकालता है।

(5) व्यक्ति इतिहास विधि (case history)

इस विधि के अंतर्गत हम वंशानुक्रम एवं वातावरण संबंधी तत्वों का अध्ययन करते हैं। जो व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करते हैं। यह विधि मुख्य तौर पर आत्मकथा पर निर्भर होती है। इसमें विषयी के द्वारा बताए गए वृतांत के अतिरिक्त परिवार, इतिहास, आय, चिकित्सा पद्धति, पर्यावरण एवं सामाजिक स्थिति आदि से भी सूचना एकत्र की जाती है। यह विधि प्रायः असामान्य व्यक्तियों के अध्ययन में प्रयुक्त की जाती है। सामाजिक कार्यकर्ता तथा मनः चिकित्सक भी इस विधि का उपयोग करते हैं।

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(6) साक्षात्कार विधि (interview method)

व्यक्तित्व के अध्ययन के लिए साक्षात्कार एक महत्वपूर्ण क्रियाविधि है। इसमें साक्षात्कारकर्ता विषयी के आमने-सामने बैठकर बातचीत करते हैं। इसमें साक्षात्कार लेने वाले मनोवैज्ञानिक विषय के प्रेरकों अभिवृत्तियों तथा लक्षणों का मूल्यांकन करते हैं। साक्षात्कारकर्ता में विषयी को प्रभावित ,सम्मोहित, गुमराह करके उसकी वास्तविकता का पता लगाने का गुण होना चाहिए। साक्षात्कार का प्रयोग विभिन्न प्रकार से होता है। इस प्रकार से साक्षात्कारकर्ता प्रश्नों को निर्धारित करके पूछता है। और विषयी उसका उत्तर देता है। इसके अंतर्गत मनोवैज्ञानिक अनेक बातों पर ध्यान देता है। जैसे विचारों का प्रकटीकरण,अन्य लोगों के बारे में ज्ञान, अनुभव का अध्ययन, शब्दावली तथा संदर्भों का प्रयोग। इन सभी बातों के अध्ययन से उसका व्यक्तित्व उद्देश्य विशेष के लिए उपयुक्त है या नहीं,साक्षात् करता स्पष्ट कर लेता है।

(7) प्रश्नोत्तरी विधि या सूची विधि (inventory method or questionnaire method)

यह विधि व्यक्तित्व निर्धारण में सबसे अधिक उपयोगी है। इसमें विषय के सामने प्रश्नावली प्रस्तुत की जाती है। जिसमें 100 प्रश्नों से लेकर 500 प्रश्न तक होते हैं। इनके उत्तर हां अथवा नहीं में दिए जाते हैं। विषयी प्रश्नावली को पढ़ता जाता है। और उनके उत्तरों को स्पष्ट करता जाता है। इनका प्रयोग व्यक्तिगत एवं सामूहिक दो ही रूपों में किया जा सकता है।

(8) नियंत्रित निरीक्षण (controlled observation)

इस विधि का प्रयोग मनोवैज्ञानिक प्रयोगशाला में ही संभव है। क्योंकि पर्यावरण एवं विषयी को नियंत्रण में लेकर कार्य करना कठिन है। विषयी को कमरे में अकेला बैठा दिया जाता है। उसको कोई कार्य करने के लिए दे दिया जाता है। इसके बाद उसकी क्रियाओं हाव-भाव और प्रक्रिया आदि का अवलोकन किया जाता है। इसमे ध्यान रखा जाता है की विषयी निरीक्षणकर्ता को ना देख सके और निरीक्षणकर्ता उसको देखता रहे। इस प्रकार उसके संपूर्ण व्यक्तित्व का मूल्यांकन किया जाता है।

(9) क्रम निर्धारण मापनी (ratting scale)

प्रत्येक व्यक्ति अन्य व्यक्तियों के बारे में राय का निर्धारण करता है। हम मित्रों का चुनाव करते हैं। मालिक एक कर्मचारी का चुनाव करता है। न्यायधीश एक अपराधी को दंड देने के लिए दोष का निर्धारण करता है। अतः क्रम निर्धारण मापनी में गुणात्मक व्यवहार का अवलोकन किया जाता है।

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