हिंदी में कारक – परिभाषा,प्रकार,उदाहरण | karak in hindi

नमस्कार साथियों 🙏 आपका स्वागत है। आज हम आपको हिंदी विषय के अति महत्वपूर्ण पाठ हिंदी में हिंदी में कारक – परिभाषा,प्रकार,उदाहरण | karak in hindi से परिचित कराएंगे।

दोस्तोंआपUPTET,CTET,HTET,BTC,DELED,SUPERTET, या अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते होंगे। आप जानते है की परीक्षाओं में हिंदी विषय का उतना ही स्थान है जितना अन्य विषयो का है।

इसीलिए हिंदी की महत्ता को देखते हुए हम आपके लिए अपनी वेबसाइट hindiamrit.com पर हिंदी के हिंदी में हिंदी में कारक – परिभाषा,प्रकार,उदाहरण | karak in hindi पाठ का विस्तृत रूप से अध्ययन प्रदान कर रहे हैं। आप हमारी वेबसाइट पर हिंदी के समस्त पाठ का विस्तृत अधिगम प्राप्त कर सकेंगे।


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हिंदी में कारक – परिभाषा,प्रकार,उदाहरण | karak in hindi

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हिंदी में कारक – परिभाषा,प्रकार,उदाहरण | karak in hindi

हमने आपको इस टॉपिक में क्या क्या पढ़ाया है :–

(1) संज्ञा के विकारक तत्व
(2) कारक की परिभाषा
(3) कारक के प्रकार
(4) कर्ता कारक की परिभाषा,नियम,उदाहरण
(5) कर्म कारक की परिभाषा,नियम,उदाहरण
(6) करण कारक की परिभाषा,नियम,उदाहरण
(7) सम्प्रदान कारक की परिभाषा,नियम,उदाहरण
(8) अपादान कारक की परिभाषा,नियम,उदाहरण
(9) संबंध कारक की परिभाषा,नियम,उदाहरण
(10) अधिकरण कारक की परिभाषा,नियम,उदाहरण
(11) संबोधन कारक की परिभाषा,नियम,उदाहरण
(12) महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर



संज्ञा के विकारक तत्व

संज्ञा में तीन प्रकार से विकार उत्पन्न होते हैं जिन तत्वों के आधार पर संज्ञा (संज्ञा,सर्वनाम,विशेषण) का रूपांतर होता है, वे विकारक तत्व कहलाते हैं।  यह विकार लिंग वचन और कारक के कारण ही होता है।

अतः संज्ञा के तीन विकारक तत्व होते है :–
(1) लिंग
(2) वचन
(3) कारक

दोस्तों पिछले आर्टिकलो में हमने लिंग,वचन को पढ़ लिया था। आज संज्ञा के विकारक तत्व में हम कारक को पढ़ेगे।

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कारक की परिभाषा | कारक किसे कहते हैं | hindi me karak

(क) वह मैं घर आना था।
उसे मेरे घर आना था।

(ख) पेड़ कोयल बैठी है।
पेड़ पर कोयल बैठी है।

(ग) अध्यापक हम गृह-कार्य दिया है।
अध्यापक ने हमें गृह-कार्य दिया है।

ऊपर दिए पहली पंक्ति के वाक्यों में संज्ञा या सर्वनाम का संबंध क्रिया तथा वाक्य के अन्य शब्दों से स्पष्ट न होने के कारण अर्थ ग्रहण करने में कठिनाई हो रही है, जबकि दूसरी पंक्ति के वाक्यों में यह संबंध स्पष्ट है,इसलिए अर्थ ग्रहण करना सरल है।

पहली पंक्ति के वाक्यों में कारक चिह्नों तथा कारक के अनुसार शब्दों का रूप नहीं बदला है।

इन उदाहरणों से आप यह तो जान ही गए हैं कि वाक्य-रचना में कारक अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।

जिस रूप से संज्ञा या सर्वनाम का संबंध क्रिया तथा वाक्य के अन्य शब्दों से जाना जाए, उसे कारक  कहते हैं।

कारक को इंग्लिश में क्या कहते हैं? कारक को इंग्लिश में case कहते हैं।

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परसर्ग किसे कहते हैं || कारक चिन्ह क्या हैं

कारकीय संबंध प्रकट करने वाले चिह्नों को परसर्ग, विभक्ति अथवा कारक चिह्न कहते हैं। परसर्ग शब्द संज्ञा के साथ अलग लिखे जाते हैं जिन्हें विश्लिष्ट कहते हैं तथा सर्वनाम के साथ जोड़कर साथ में ही लिखे जाते हैं जिन्हें संश्लिष्ट कहते हैं।

ध्यान रहे, कारक का प्रयोग वाक्य में प्रयुक्त प्रत्येक संज्ञा और सर्वनाम शब्दों में होता है, किंतु किसी शब्द के साथ विभक्ति-चिह्न लगता है तथा किसी में नहीं लगता।

कारक को पहचानने के लिए कारक के स्वरूप को जानना आवश्यक है, विभक्ति चिह्न केवल सहायक होते हैं।

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कारक के प्रकार || कारक के भेद || परसर्ग के प्रकार

हिंदी में कारक 8 प्रकार के होते हैं।

कारककारक चिन्ह या परसर्ग
कर्ता कारकने
कर्म कारकको
करण कारकसे , के द्वारा
सम्प्रदान कारकके लिए
अपादान कारक से (अलग होने के अर्थ में)
सम्बन्ध कारकका,की,के,रा, री,रे,ना,नी, ने
अधिकरण कारकमें,पर,पे
संबोधन कारकहे,अरे,भो

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हिंदी में कारक कितने प्रकार के होते हैं | हिंदी में कारक का वर्णन


कर्ता कारक

क्रिया को करने वाला कर्ता होता है।

कर्ता कारक की क्रिया यदि सकर्मक भूतकाल में है तो ने परसर्ग का प्रयोग होता है।
वर्तमान तथा भविष्यत्काल में ‘ने’ परसर्ग का प्रयोग नहीं होता।

कभी-कभी को परसर्ग का प्रयोग भी कर्ता के लिए होता है।

आइए जानते हैं कर्ता कारक के उदाहरण

(क) वन्या ने खाना खा लिया। / वन्या को खाना खिला दिया। (भूतकाल)

(ख) वन्या खाना खा रही है। / वन्या को खाना खिला दो। (वर्तमानकाल)

(ग) वन्या खाना खाएगी। / वन्या को खाना खाना है। (भविष्यत्काल)

वाक्य (ग) को इस प्रकार कहें- रमा वन्या को खाना खिलाएगी।

इसमें वन्या कर्ता न होकर रमा कर्ता हो जाएगी, क्योंकि खाना खिलाने की क्रिया अब रमा कर रही है।

NOTE -1 – यदि वाक्य कर्मवाच्य का हो, जब कर्ता किसी कार्य को करने में समर्थ न हो। तो कर्ता कारक में  “ने” तथा “को” परसर्ग के अतिरिक्त “से” अथवा “द्वारा” परसर्गों का प्रयोग हो सकता है। जैसे- (i) राम से खाया नहीं गया। (ii) अतिथि द्वारा पुरस्कार दिए गए। इन वाक्यों में राम तथा अतिथि कर्ता हैं। किंतु इनके साथ करण कारक की विभक्तियाँ लगी है।

कर्ता पहचानने की ट्रिक || कर्ता कारक पहचानने का तरीका

क्रिया का कर्ता कौन है यह जानने के लिए क्रिया से पूर्व कौन, किसने, किससे लगा कर देखिए- उत्तर में जो शब्द होगा वह कर्ता होगा।

जैसे-

(1) विराट घर गया। कौन गया?
उत्तर- विराट (कर्ता)

(2) माँ ने खाना पकाया। किसने पकाया?
उत्तर- माँ ने (कर्ता)

(3) पुलाश से पढ़ नहीं जाता। किससे पढ़ नहीं जाता?
उत्तर- पलाश से (कर्ता)


कर्म कारक

क्रिया का प्रभाव या फल जिस संज्ञा या सर्वनाम शब्द पर पड़ता है, वह उस वाक्य का कर्म होता है। इसमें को परसर्ग का प्रयोग होता है।

आइये जानते हैं कर्म कारक के उदाहरण

(क) सुष्मिता ने पुस्तक पढ़ ली।
(ख) आपको विद्यालय जाना है ?
(ग) मैं सीमा को अपने साथ ले जाऊँगी।

उपर्युक्त वाक्यों में पुस्तक,विद्यालय,सीमा को, शब्द कर्म हैं, क्योंकि क्रिया का प्रभाव इन शब्दों पर पड़ रहा है।


कर्म पहचानने की ट्रिक || कर्म कारक पहचानने का तरीका

कर्म को पहचानने के लिए क्रिया से पूर्व ‘क्या’, ‘कहाँ’ अथवा ‘किसे ‘ प्रश्न कर सकते हैं,जो शब्द इसका उत्तर हो, वही कर्म है।

जैसे – उपर्युक्त उदाहरणों से ही समझते हैं

(क) सुष्मिता ने क्या पढ़ लिया?
उत्तर – पुस्तक को (कर्म)

(ख) कहाँ जाना है?
उत्तर – विद्यालय(कर्म)

(ग) मैं किसे अपने साथ ले जाऊँगी? –
उत्तर – सीमा को(कर्म)

NOTE – कई वाक्यों में दो कर्म भी होते हैं, जैसे- पंडित जी हमें संस्कृत पढ़ाते हैं। इस वाक्य में ‘हमें तथा ‘संस्कृत’ दोनों में कर्म कारक है।

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करण कारक

करण से तात्पर्य है-साधन।

वाक्य में होने वाली क्रिया जिस साधन से हो रही है, वह करण कारक है। इसके परसर्ग “से” या “के द्वारा”  है।

आइये जानते करण कारक के उदाहरण

(क) राम ब्रुश से रंग भर रहा है। (रंग भरने का साधन- ब्रुश)
(ख) वत्सला बस से घर आती है। (घर जाने का साधन-बस)
(ग)  मेरे द्वारा हुई भूल क्षमा करें। (भूल होने का साधन – मैं)

अतः उपर्युक्त वाक्यो में ब्रश,बस,मेरे द्वारा में करण कारक है।

करण कारक की जानने की ट्रिक || करण कारक कैसे पहचाने

वाक्य में करण कारक पहचानने के लिए  ‘किससे’  प्रश्न कर सकते हैं आपका उत्तर जो आएगा वही करण कारक है।

जैसे – उपर्युक्त उदाहरणों से समझते हैं

(क) शांतायन किससे रंग भर रहा है।
उत्तर – ब्रुश से  (करण कारक)

(ख) वत्सला किससे घर आती है।
उत्तर – बस से  (करण कारक)

(ग)  किससे हुई भूल क्षमा करें।
उत्तर – मेरे द्वारा (करण कारक)

NOTE –साधन या माध्यम के अतिरिक्त कार्य के ‘कारण’ का बोध कराने वाला शब्द भी करण कारक होता है।

जैसे-
 
रोगी वैद्य की दवा से ठीक हुआ।  (ठीक होने का कारण-दवा)
वह बीमारी से परेशान है। (पूरेशानी का कारण- बीमारी)

अतः दवा और बीमारी में करण कारक है।


संप्रदान कारक

कर्ता जिसके लिए कुछ करता है या जिसे कुछ देता है, वहाँ  संप्रदान कारक होता है।

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आइये जानते है सम्प्रदान कारक के उदाहरण

(क) मैं उसके लिए पुस्तकें लाया हूँ।
(ख) बच्चों को मिठाई दे दो।

पहले वाक्य  में ‘मैं’ (कर्ता) पुस्तकें किसके लिए लाया है?’उसके लिए’। इसी प्रकार मिठाई किसके लिए या किसे देनी है? बच्चों को’ । अत: ‘उसके लिए’ तथा ‘बच्चों को’ में संप्रदान कारक हैं।

सम्प्रदान कारक पहचानने की ट्रिक || सम्प्रदान कारक कैसे जाने

वाक्य में सम्प्रदान कारक जानने के लिए ‘किसको’ या ‘किसके’ से प्रश्न करते है जो उत्तर मिलता है वह सम्प्रदान कारक होता है।

जैसे – उपर्युक्त उदाहरण से समझते हैं

(क) मैं किसको पुस्तकें लाया हूँ।
उत्तर- उसके लिए (सम्प्रदान कारक)

(ख) किसको मिठाई दे दो।
उत्तर – बच्चों को (सम्प्रदान कारक)

NOTE – 1–

संप्रदान कारक में ‘के लिए’ तथा ‘को’ परसर्ग के अतिरिक्त कभी- कभी ‘हेतु’ शब्द का भी प्रयोग होता है।

जैसे- देश की रक्षा हेतु हम जान देने को भी तैयार हैं।
इस वाक्य में ‘रक्षा’ संप्रदान कारक है।

NOTE -2 –

जिस वाक्य में ‘देना’ क्रिया हो उसमें प्राणीवाचक संज्ञा / सर्वनाम में संप्रदान तथा अप्राणीवाचक में ‘कर्म’ कारक होता है।

जैसे- गरीबों को भोजन दे दो।

इस वाक्य में ‘गरीबों को’ में संप्रदान तथा भोजन’ में कर्म कारक है।

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अपादान कारक

संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से अलग होने, डरने, दूर होने, तुलना करने, ले जाने अथवा सीखने के भाव का बोध हो, वह अपादान कारक होता है।

इसके अतिरिक्त जहाँ शर्म, प्रेम, घृणा या ईर्ष्या का भाव हो वहाँ भी अपादान कारक होता है।

आइये जानते है अपादान कारक के उदाहरण

(क) पेड़ से हरसिंगार के फूल झर रहे हैं। (फूल किससे अलग हुए -पेड़ से)

(ख) बच्चे अँधेरे से डरते हैं। (बच्चे किससे डरते हैं  -अँधेरे से)

(ग) जंगल शहर से दूर है। (जंगल किससे दूर है-शहर से)

(घ) रूमा से वैशाली का उत्तर श्रेष्ठ है । (रूमा की तुलना में किसका उत्तर श्रेष्ठ है  -वैशाली का)

(ङ) वह शर्म से पानी-पानी हो रही थी। (किससे – शर्म अर्थात् लज्जा से)

(च) मैं पिता जी से गाना सीखती हूँ। (किससे सीखती हूँ-पिता जी से)

(छ) दोनों बहनें प्रेम से रहती हैं। (किससे- प्रेम से)

(ज) लड़ाई-झगड़े से मुझे नफ़रत है। (किससे घृणा है – लड़ाई-झगड़े से)

(झ) तुम्हें नीरजा से ईष्ष्या नहीं करनी चाहिए। (किससे ईर्ष्या – नीरजा से)

अतः उपर्युक्त उदाहरणों में पेड़ से, अंधेरे से, शहर से,रूमा से,शर्म से,पिताजी से,प्रेम से,लड़ाई झगड़े से,नीरजा से आदि शब्दो में अपादान कारक है।


अपादान कारक पहचानने की ट्रिक || अपादान कारक कैसे पहचाने

वाक्य में अपादान कारक पहचानने के लिए किससे प्रश्न करे प्राप्त उत्तर में ही अपादान कारक होगा।

जैसे – उपर्युक्त उदाहरणों से समझते हैं

(क) किससे हरसिंगार के फूल झर रहे हैं।
उत्तर – पेड़ से (अपादान कारक)

(ख) बच्चे किससे डरते हैं।
उत्तर – अँधेरे से (अपादान कारक)

(ग) जंगल किससे दूर है।
उत्तर – शहर से (अपादान कारक)

NOTE –1–अलग होने या पृथकृता के बोध से ही अपादान कारक को नूहीं जोड़़ें। अन्य स्थितियों जैसे शर्म, प्रेम,डरने, घृणा या ईर्ष्या का भाव  का भी ध्यान रखें।

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करण एवं अपादान कारक में क्या अंतर है

‘करण’ एवं ‘अपादान’ कारक दोनों में ‘से’ उपसर्ग होता है, अत: यह देखना चाहिए कि जिस शब्द के साथ ‘से’ परसर्ग लगा है, वह कार्य का साधन है, तब वह ‘करण कारक’ होगा, अन्यथा अपादान कारक’।

आइये उदाहरण से समझते हैं

(क) मृत्युंजय युद्धभूमि से लौट आया है।
(ख) मृत्युंजय ने युद्ध में बंदूक से शत्रुओं को मारा।

पहले वाक्य में युद्धभूमि से अलग या डर हो जाने का भाव है, जबकि दूसरे वाक्य में ‘बंदूक’ वह साधन है, जिससे उसने शत्रुओं को मारा।इसलिए ‘युद्धभूमि से’ में अपादान तथा ‘बंदूक से’ में करण कारक है।

संबंध कारक

एक संज्ञा या सर्वनाम शब्द का जब दूसरे संज्ञा या सर्वनाम शब्द से संबंध प्रकट हो, तो ‘संबंध कारक’ होता है।

संज्ञाओं तथा ‘आप’ सर्वनाम के साथ का, के, की तथा अन्य सर्वनामों के साथ रा, रे, री या ‘ना’, ‘ने’, ‘नी’ परसर्ग प्रयोग किए जाते हैं।

आइये जानते है संबंध कारक के उदाहरण

(क) समीर की किताबें मेरे पास हैं।
(ख) हरीश के बगीचे में सुंदर फूल लगे हैं।
(ग) रोहित का घर बहुत बड़ा है।
(घ) मेरा विश्वास कभी मत तोड़ना।
(ङ) मेरे मामा जी सेना में मेजर हैं।
(च) मेरी किताब कहाँ रखी तुमने ?
(छ) अपना घर साफ़ रखो।
(ज) अपने भाई को भी साथ लाना।
(झ) अपनी बात खुलकर बताओ।

उपर्युक्त वाक्यों में समीर,हरीश,रोहित,मेरा,मेरी,मेरे,अपना,अपने,
अपनी आदि शब्दों में  संबंध कारक है।

संबंध कारक पहचानने की ट्रिक || संबंध कारक कैसे पहचाने

वाक्य में संबंध कारक पहचानने के लिए किसका,किसकी,किसके से प्रश्न करे प्राप्त उत्तर ही संबंध कारक को बताएगा।

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जैसे – समझते है उपर्युक्त उदाहरणों से

(क) किसकी किताबें मेरे पास हैं।
उत्तर – हरीश की (संबंध कारक)

(ख) किसकी बात खुलकर बताओ।
उत्तर – अपनी (संबंध कारक)

(ग) किसका घर बहुत बड़ा है।
उत्तर – रोहित का (संबंध कारक)

NOTE –

संबंध कारक की एक विशेषता यह है कि उसका जिस शब्द से संबंध होता है, उसका लिंग और वचन उसके अनुसार बदल जाता है।

जैसे- समीर की किताबें मेरे पास है ।

इस वाक्य में किताबें शब्द स्त्रीलिंग है, इसलिए समीर के साथ ‘की’ परसर्ग का प्रयोग हुआ।


अधिकरण कारक

अधिकरण का अर्थ है-‘आश्रय’ या ‘आधार’।

शब्द के जिस रूप से किसी संज्ञा या सर्वनाम शब्द के आधार का पता चले, उसे ‘अधिकरण कारक’ कहते हैं। इसमें में ‘पर’ या ‘के ऊपर’ परसर्गों का प्रयोग होता है।

आइये जानते हैं अधिकरण कारक के उदाहरण

(क) पुस्तकें मेज के ऊपर रख दो।
(ख) दूध का पतीला चूल्हे पर रख दो।
(ग) कपड़े अलमारी में रख दो।
(घ) छिपकली दीवार पर है।
(ङ) चावल पतीले में पक रहे हैं।

उपर्युक्त वाक्यों में मेंज,चूल्हे,अलमारी,दीवार,पतीले आदि शब्दों में अधिकरण कारक है।

NOTE – 1–

समय, अवसर, तुलना या स्थान में भी अधिकरण कारक का प्रयोग होता है।

(क) इस दोपहर में कहाँ जा रहे हो ? (दोपहर – समय)
(ख) उसके विवाह में हम सुब गए थे। (विवाह –अवसर)
(ग) इन लड़कियों में रेहाना तेज है । (लड़कियों – तुलना)
(घ) बच्चे छत पर खेल रहे हैं।(छत –स्थान)

NOTE -2 –

कर्ता, कर्म के अतिरिक्त कभी-कभी अधिकरण कारक में भी परसर्ग नहीं लगता।

जैसे-

(क) घर-घर जाकर उसने माल बेचा।
(ख) इस जगह बहुत गंदगी है।
(ग) घर जाकर सामान् लाना है।

उपर्युक्त वाक्यों में घर घर,जगह,घर  शब्दों में कोई परसर्ग नहीं लगा है, इन सभी शब्दों में अधिकरण कारक हैं।

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संबोधन कारक

शब्द के जिस रूप से किसी को संबोधित किया जाए या पुकारकर बुलाया जाए, उसे संबोधन कारक’ कहते हैं। इसका प्रयोग वाक्य के प्रारंभ में होता है।

आइये जानते है संबोधन कारक के उदाहरण

(क) बच्चो! चुपचाप बैठ जाओ ।
(ख) उपस्थित महानुभावो! आप सबका स्वागत है।

NOTE –

संबोधन शब्दों से पहले कभी-कभी ‘अरे’, ‘अजी’ जैसे अव्यय शब्दों का भी प्रयोग होता है।

जैसे-
(क) अरे संजय! तुम कब आए?
(ख) अजी बहन जी! जरा हमारी बात भी सुन लो।


हिंदी में कारक – परिभाषा,प्रकार,उदाहरण | karak in hindi से जुड़े परीक्षा उपयोगी प्रश्न

प्रश्न-1- हिंदी में कारकों की संख्या कितनी है?
उत्तर- 8

प्रश्न-2- संस्कृत में कारकों की संख्या कितनी है?
उत्तर- 6 (संबंध और संबोधन को कारक नही माना गया है)

प्रश्न-3- परसर्ग क्या होते हैं?
उत्तर- कारक के चिन्हों को परसर्ग कहा जाता है।

प्रश्न-4- पेड़ से पत्ते गिरते हैं में कौन सा कारक है?
उत्तर- अपादान कारक

प्रश्न-5- यह राम का भाई है में परसर्ग बताइये ?
उत्तर- का


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