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अलंकार – परिभाषा,प्रकार, उदाहरण | alankar in hindi
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हमने इस टॉपिक में क्या क्या पढ़ाया है?
(1) अलंकार किसे कहते हैं
(2) अलंकार के प्रकार
(3) शब्दालंकार के भेद
(4) अर्थालंकार के भेद
(5) आधुनिक अलंकार के भेद
(6) शब्दालंकार के 5 भेदों का वर्णन
(7) अर्थालंकार के प्रमुख 25 भेदों का वर्णन
(8) आधुनिक अलंकार के 3 भेदों का वर्णन
(9) महत्वपूर्ण प्रश्न
अलंकार की परिभाषा | अलंकार किसे कहते हैं
दोस्तों अलंकार का शाब्दिक अर्थ है – “आभूषण “
साहित्य में इसका प्रयोग काव्य सौंदर्य के लिए होता है । जिस
प्रकार आभूषण पहनने से व्यक्ति का शारीरिक सौंदर्य और
आकर्षण बढ़ जाता है, उसी प्रकार काव्य में अलंकारों के
प्रयोग से उसके सौंदर्य में वृद्धि होती है।
संस्कृत के अलंकार सम्प्रदाय के प्रतिष्ठापक आचार्य दण्डी के शब्दों में “काव्यशोभाकारान् धर्मान अलंकारान् प्रचक्षते ”
अर्थात काव्य के शोभा कारक घर्म ( गुण) अलंकार कहलाते हैं।
अलंकार के प्रकार | अलंकार के भेद
(1) शब्दालंकार
(2) अर्थालंकार
(3) उभयालंकार
(4) आधुनिक या पाश्चात्य अलंकार
अलकारों के इन दो मुख्य भेदों के साथ ही उभयालंकार तथा
आधुनिक या पाश्चात्य अलंकारों का भी प्रयोग होता है।
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शब्दालंकार की परिभाषा | शब्दालंकार किसे कहते हैं
जहां शब्दों के कारण कविता में सौंदर्य या चमत्कार आ जाता है वहां शब्दालंकार होता है।
अर्थालंकार की परिभाषा | अर्थालंकार किसे कहते हैं
जहां अर्थ के कारण कविता में सौंदर्य या चमत्कार जाता है वहां अर्थालंकार होता है।
उभयालंकार की परिभाषा | उभयालंकार किसे कहते हैं
जहां शब्द और अर्थ दोनों में ही विशेषता आ जाने से कविता में सौंदर्य या चमत्कार आ जाता है वहां उभयालंकार होता है।
आधुनिक या पाश्चात्य अलंकार की परिभाषा
आंग्ल साहित्य से प्रभावित होकर भारतीय साहित्य में तीन नए अलंकारों (मानवीकरण,ध्वन्यर्थ व्यंजना,विशेषण विपर्यय) की चर्चा हुई,जिन्हें आधुनिक व पाश्चात्य अलंकार नाम दिया गया।
शब्दालंकार के प्रकार | शब्दालंकार के भेद
शब्दालंकार के पांच भेद होते हैं।
(1) अनुप्रास अलंकार
(2) यमक अलंकार
(3) श्लेष अलंकार
(4) वक्रोक्ति अलंकार
(5) वीप्सा अलंकार
अर्थालंकार के प्रकार | अर्थालंकार के भेद
अर्थालंकार के 100 से अधिक भेद हैं किंतु कुछ प्रमुख भेद निम्नलिखित हैं।
(1) उपमा अलंकार
(2) रूपक अलंकार
(3) उत्प्रेक्षा अलंकार
(4) अतिशयोक्ति अलंकार
(5) भ्रांतिमान अलंकार
(6) विरोधाभास अलंकार
(7) विभावना अलंकार
(8) प्रतीप अलंकार
(9) संदेह अलंकार
(10) अपन्हुति अलंकार
(11) उल्लेख अलंकार
(12) दीपक अलंकार
(13) दृष्टांत अलंकार
(14) व्यतिरेक अलंकार
(15) निदर्शना अलंकार
(16) अन्योक्ति अलंकार
(17) समासोक्ति अलंकार
(18) असंगति अलंकार
(19) उदाहरण अलंकार
(20) लोकोक्ति अलंकार
(21) अर्थान्तरन्यास अलंकार
(22) अत्युक्ति अलंकार
(23) व्याजस्तुति अलंकार
(24) व्याजनिंदा अलंकार
(25) तद्गुण अलंकार
आधुनिक या पाश्चात्य अलंकार के प्रकार
(1) मानवीकरण अलंकार
(2) ध्वन्यार्थ व्यंजना अलंकार
(3) विशेषण विपर्यय अलंकार
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अलंकार के प्रकारों का वर्णन | शब्दालंकार के प्रकारों का वर्णन | alankar in hindi
अनुप्रास अलंकार
जहां किसी पंक्ति के शब्दों में एक ही वर्ण एक से अधिक बार आता है, वहां अनुप्रास अलंकार होता है।
अनुप्रास अलंकार के उदाहरण :–
मुदित महिपति मंदिर आए,
सेवक सचिव सुमंत्र बुलाए।
यहाँ पर ‘स’ और ‘म’ वर्ण की आवृत्ति बार बार हो रही है। अतः यहाँ अनुप्रास अलंकार होगा।
अनुप्रास अलंकार के प्रकार | अनुप्रास अलंकार के भेद
(1) छेकानुप्रास
(2) वृत्यानुप्रास
(3) लाटानुप्रास
(4) अन्त्यानुप्रास
(5) श्रुत्यानुप्रास
छेकानुप्रास अलंकार
जहाँ कोई वर्ण दो बार (लगातार) आए वहाँ छेकानुप्रास अलंकार होता है।
छेकानुप्रास अलंकार केे उदाहरण :–
(क) इस करुणा कलित हटप में
अब निकल रागिनी वजती ।
करूणा- कलित’ में छेकानुप्रास अलंकार है।
वृत्यानुप्रास अलंकार
जहाँ किसी पद में स्क वर्ण की आवृत्ति दो या दो से अधिक बार हो वहाँ वृत्यानुप्रास अलंकार होता है ।
वृत्यानुप्रास अलंकार केे उदाहरण :–
(क) “चारू चंद्र की चंचल किरणे
खेल रही हैं जल थल में ।”
यहाँ ‘च’ वर्ण की आवृत्ति से वृत्यानुप्रास अलंकार है।
(ख) “चरन चोट चटकन चकोट
अरि उप सिर वज्जत ।”
यहाँ च’ वर्ण की आवृत्ति से वृत्यानुप्रास अलंकार है।
लाटानुप्रास अलंकार
अनुप्रास के लाटानुप्रास अलंकार में ऐसे शब्द या वाक्य दुबारा आते हैं, जिनका सामान्य अर्थ तो एक ही होता है , किन्तु अन्वय करने से पूरी उक्ति का अर्थ बदल जाता है।
लाटानुप्रास अलंंकार के उदाहरण
(क) “तेगबहादुर,हाँ वे ही थे गुरु पदवी के पात्र समर्थ,
तेगबहादुर,हाँ वे ही थे गुरु पदवी थी जिनके अर्थ |”
(ख) “पराधीन जो जन, नहीं, स्वर्ग, नरक ता हेतु
“पराधीन जो जन नहीं, स्वर्ग नरक ता हेतु ।”
(ग) “लड़का तो लड़का ही है।”
उपर्युक्त उदाहरणों में आप देख चुके होंगे की पहली और दूसरी पंक्ति में शब्द या वाक्य वही आये है पर अर्थ उनका दोनो पंक्ति में अलग अलग है।
अन्त्यानुप्रास अलंकार
जहाँ किसी वर्ण या शब्द की मैत्री पंक्ति या पद के अंत में हो वहाँ अन्त्यानुप्रास अलंकार होता है।
अन्त्यानुप्रास अलंकार के उदाहरण :–
(क) “जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
जय कपीस तिहु लोक उजागर।”
यहाँ ‘सागर’ और ‘उजागर’ में पद मैत्री हीने से अन्त्यानुप्रास अलंकार है।
श्रुत्यानुप्रास अलंकार
जो सुनने में अच्छा लगे अर्थात जिस पंक्ति में ऐसे वर्णों का प्रयोग अधिक हो जिनका उच्चारण स्थान एक हो तो वहाँ श्रुत्यानुप्रास अलंकार होता है।
श्रुत्यानुप्रास अलंकार केे उदाहरण :–
(क) छोरटी है गोरटी या चोरटी अहीर की ।
यहाँ पर आये वर्ण छ,च,ट का उच्चारण स्थान तालु तथा क, ग,ह,अ का उच्चारण स्थान कंठ है। इस प्रकार अधिकतर आये वर्ण का उच्चारण स्थान एक है अतः यहाँ श्रुत्यानुप्रास अलंकार होगा।
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यमक अलंकार
जहां कोई शब्द एक से अधिक बार आए और प्रत्येक स्थान पर भिन्न-भिन्न अर्थ दे, वहां यमक अलंकार होता है।
यमक अलंकार के उदाहरण :–
(क) “काली घटा का घमण्ड घटा |”
यहां घटा शब्द दो बार है। पहले घटा का अर्थ है – मेघ (बादल) तथा दूसरे घटा का अर्थ है – कम होना । अतः यहाँ यमक अलंकार है।
(ख) “कनक कनक ते सौ, गुनी मादकता अघिकाय,
उहि खाये बौरात नर, इहि पाये बौराय |”
यहाँ कनक शब्द दो बार आया है। पहले कनक का अर्थ सोना (एक धातु) है जबकि दूसरे कनक का अर्थ धतूरा (विषैला फल) है। अतः यहाँ यमक अलंकार है।
यमक अलंकार के अन्य उदाहरण :–
(ग) “तो पे वारौ उरबसी , सुनि राधिके सुजान,
तू मोहन के उरबसी , हवै उरबसी समान ।”
(घ) “हरिनी के नैना नूते , हरिनी के ये नैन ।”
श्लेष अलंकार
श्लेष का अर्थ होता है – चिपका हुआ ।
अर्थात जिस शब्द में एक से अधिक अर्थ चिपके हैं श्लेष अलंकार कहलाता है।
अथवा
जहां किसी शब्द के एक से अधिक अर्थ निकले वहां श्लेष अलंकार होता है।
श्लेष अलंकार के उदाहरण :–
(क) “चरन धरत चिंता करत , चितवत चारों ओर ओर।
सुबरन को खोजत फिरत, कवि व्यभिचारी चोर ।।”
यहाँ सुबरन शब्द के तीन अर्थ है –
(i) सुवर्ण – कवि के लिए
(ii) सु वर्ण – रंग (सुंदर स्त्री के लिए)
(iii) स्वर्ण – सोना ( एक धातु)
अतः यहाँ श्लेष अलंकार होगा।
(ख) “रहिमन पानी राखिये , बिन पानी सब सून ।
पानी गये न ऊबरे , मोती मानुस चून || “
यहाँ पानी शब्द के तीन अर्थ है –
(i) चमक – मोती के लिए
(ii) इज्जत – मनुष्य के लिए
(iii) जल – सामान्य अर्थ
अतः यहाँ श्लेष अलंकार होगा।
वक्रोक्ति अलंकार
जहां बात किसी एक आशय से कहीं जाए और सुनने वाला उससे भिन्न दूसरा अर्थ लगा दे, वहां वक्रोक्ति अलंकार होता है।
वक्रोक्ति अलंकार के उदाहरण :–
(क) “को तुम हो? इत आए कहां ?
घनश्याम हैं; तो कितहूं बरसौ ।”
नोट – इस अलंकार में को,कब,कहाँ,कैसे आदि शब्द आते है।
वक्रोक्ति अलंकार के प्रकार
(i) श्लेष वक्रोक्ति
(ii) काकु वक्रोक्ति
श्लेष वक्रोक्ति
जहाँ उक्ति (कथन) की वक्रता का आधार श्लेष हो,वहाँ श्लेष वक्रोक्ति होती है,इसमें श्लेष के दो अर्थों में से वक्ता एक अर्थ ग्रहण करता है और स्रोता दूसरा । अर्थात यहाँ पर एक शब्द के दो अर्थ होने के कारण श्रोता को सुनने में गलतफहमी हो जाती है और वो कुछ और समझ लेता है।
श्लेष वक्रोक्ति के उदाहरण :–
(क) “को तुम हो? इत आए कहां ?
घनश्याम हैं; तो कितहूं बरसौ ।”
उपर्युक्त वाक्य में घनश्याम के दो अर्थ है – श्री कृष्ण और काले बादल
जिसके कारण श्रोता श्री कृष्ण को काले बादल समझ बैठा है।
काकु वक्रोक्ति
जहाँ कहे हुए वाक्य का कंठ की ध्वनि के कारण दूसरा अर्थ निकले,अर्थात उच्चारण के कारण दूसरा अर्थ निकले, वहाँ काकु वक्रोक्ति अलंकार होता है।
काकु वक्रोक्ति केे उदाहरण :–
(क) उसने कहा जाओ मत,बैठो यहाँ
मैंने सुना जाओ,मत बैठो यहाँ ।
वीप्सा अलंकार
जहाँ पर मनोभावों (आश्चर्य, घृणा, हर्ष, शोक) प्रकट करने के लिए शब्दों को दुहराना पड़े, वहाँ वीप्सा अलंकार होता है। वीप्सा अलंकार में अरे-अरे,छी-छी,राम-राम,ओह-ओह,शिव-शिव आदि शब्द आते हैं।
वीप्सा अलंकार के उदाहरण :–
(क) शिव-शिव शिव कहते हो ये क्या
ऐसा फिर मत कहना ।
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अलंकारो का वर्णन | अर्थालंकार के भेदों का वर्णन
उपमा अलंकार
जहाँ एक वस्तु की समता दूसरी वस्तु से की जाय, वहाँ उपमा अलंकार होता है ।
उपमा दो शब्दो से मिलकर बना है – उप + मा ।
उप का अर्थ है – समीप तथा मा का अर्थ है – भापना या तौलना।
अत: उपमा का शाब्दिक अर्थ है – दो वस्तुओं को एक दूसरे के समीप रखकर तौलना ।
अतः जहाँ उपमेय में उपमान की तुलना की जाए वहां उपमा अलंकार होता है।
उपमा अलंकार के अंग
(1) उपमेय – उपमा अलंकार में जिसकी तुलना की जाए वह उपमेय होता है।
(2) उपमान – उपमा अलंकार में जिससे तुलना की जाए वह उपमान होता है।
(3) वाचक शब्द – समानता प्रकट करने वाले शब्द वाचक शब्द
कहलाते हैं। समान,अस,जस,सा,सी,ज्यों,सम
आदि शब्द वाचक शब्द हैं।
(4) समान धर्म – उपमेय और उपमान के बीच गुण बताने वाले शब्द समान धर्म कहलाते हैं।
उपमा अलंकार के उदाहरण एवं स्पष्टीकरण
(क) पीपर पात सरिस मन डोला ।
उपमेय – मन
उपमान – पीपर पात
वाचक शब्द – सरिस
समान धर्म – डोला
उपर्युक्त वाक्य में मन के डोलने की तुलना पीपल के पत्ते से की गयी है अतः यहाँ यमक अलंकार है।
(ख) हरिपद कोमल कमल से ।
उपमेय – हरिपद
उपमान – कमल
वाचक शब्द – से
समान धर्म – कोमल
उपर्युक्त वाक्य में हरि (भगवान विष्णु) के पैरों की तुलना कमल से की गयी है अतः यहाँ यमक अलंकार है।
Note – उपमा अलंकार में सदैव सा,सी,से,सरिस, जैसा,ते, समान, जैसी आदि शब्द आते हैं।
रूपक अलंकार
जहाँ उपमेय में उपमान का भेद रहित आरोप हो। या जहां उपमेय को उपमान के रूप में दिखाया जाए अर्थात उपमेय को उपमान की ही समानता दे दी जाए, वहाँ रूपक अलंकार होता है।
Note – रूपक अलंकार में उपमेय और उपमान के बीच योजक चिन्ह (-) पाया जाता है।
रूपक अलंकार के उदाहरण :–
(क) चरण-कमल बंदौ हरि राई ।
यहाँ पर चरण उपमेय और कमल उपमान है। इसमें चरण को कमल ही मान लिया गया है इसका मतलब हुआ की प्रभु के चरण कमल ही है, अतः यहाँ रूपक अलंकार है।
(ख) मैया मैं तो चंद्र-खिलौना लैहों ।
यहाँ पर चंद्र उपमेय और खिलौना उपमान है। इसमें चंद्रमा को खिलौना ही मान लिया गया है इसका मतलब हुआ की श्री कृष्ण चंद्रमा को खिलौना की जगह मांग रहे है,मतलब उनको चंद्रमा ही चाहिए खिलौने के रूप में , अतः यहाँ रूपक अलंकार है।
उत्प्रेक्षा अलंकार
जहाँ उपमेय में उपमान की संभावना की जाती है,वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
उत्प्रेक्षा अलंकार में संभावना व्यक्त करने वाले शब्द जनु,जानो,
जानहुँ,मनु,मानौ,मनहुँ,मानहुँ,इव,निश्चय आदि शब्द आते हैं।
उत्प्रेक्षा अलंकार के उदाहरण
(क) सोहत ओढ़े पीत पट, श्याम सलोने गात ।
मनहुँ नील मनि सैल पर, आतप परयो प्रभात ।।
(ख) चमचमात चंचल नयन बिच घूंघट पट झीन ।
मानहुँ सुरसरिता विमल जल उछरत युग मीन ।।
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प्रतीप अलंकार
जहां उपमान को उपमेय के समान कहा जाए अथवा उपमेय को उपमान से श्रेष्ठ बताया जाए, वहां प्रतीप अलंकार होता है।
यह उपमा से थोड़ा भिन्न होता है। उपमा में उपमेय की तुलना या समानता उपमान से करते हैं जबकि प्रतीप अलंकार में उपमेय उपमान से श्रेष्ठ मानते है।
प्रतीप अलंकार के उदाहरण :–
(क) सीता के मुख के समान चंद्रमा है। (प्रतीप अलंकार)
सीता का मुख चंद्रमा के समान है। ( उपमा अलंकार)
(ख) विष्णु भगवान के पैर के समान कमल है। (प्रतीप अलंकार)
विष्णु भगवान के पैर कमल के समान है। (उपमा अलंकार)
दीपक अलंकार
जहाँ उपमेय और उपमान दोनों को एक धर्म कहा जाए,वहाँ दीपक अलंकार होता है।
दीपक अलंकार के उदाहरण :–
(क) मुख और चंद्र शोभते हैं।
व्यतिरेक अलंकार
जहां उपमेय को उपमान से श्रेष्ठ बताया जाए और उसका कारण भी दिया जाए वहाँ व्यतिरेक अलंकार होता है।
व्यतिरेक अलंकार के उदाहरण :–
(क) चंद्र सकलंक,मुख निष्कलंक, दोनों में समता कैसी ?
IMPORTANT NOTICE
(1) जहाँ उपमेय और उपमान की समानता या तुलना प्रकट हो वहाँ उपमा अलंकार होता है।
(2) जहाँ उपमेय को श्रेष्ठ बताया जाए और उपमान को निम्न तो वहां प्रतीप अलंकार होता है।
(3) जहां उपमेय को श्रेष्ठ बताया जाए और उसकी श्रेष्ठता का कारण भी दिया जाए वहां व्यतिरेक अलंकार होता है।
(4) जहाँ उपमेय और उपमान दोनों को श्रेष्ठ बताया जाए वहां दीपक अलंकार होता है।
अतिशयोक्ति अलंकार
जहां किसी बात का बढ़ा चढ़ाकर वर्णन किया जाए अथवा सीमा के बाहर की बात की जाए वहां अतिशयोक्ति अलंकार होता है।
अतिशयोक्ति अलंकार के उदाहरण :–
(क) पानी परात को हाथ छुयो नहीं ।
नैनन के जल सो पग धोयो ।।
(ख) देख लो साकेत नगरी है यही ।
स्वर्ग से मिलने गगन में जा रही ।।
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भ्रांतिमान अलंकार
जहां समता के कारण किसी वस्तु में अन्य वस्तु का भ्रम हो जाए वहाँ भ्रांतिमान अलंकार होता है।
भ्रांतिमान अलंकार के उदाहरण :–
(क) नांग का मोती अधर की कांति से,
बीज दाड़िम का समझकर भ्रांति से,
देख उसको ही हुआ शुक मौन है,
सोचता है अन्य शुक यह कौन है ।।
उपर्युक्त वाक्य में नग के मोती और अनार के दाने में समानता होने के कारण भ्रांति उत्पन्न हो गयी अतः यहाँ भ्रांतिमान अलंकार है।
संदेह अलंकार
यहां किसी वस्तु को देखकर संशय बना रहे निश्चय ना हो पाए वह संदेह अलंकार होता है।
संदेह अलंकार के उदाहरण
(क) नारी बीच सारी है , कि सारी बीच नारी है।
कि सारी ही की नारी है , कि नारी ही की सारी है।।
विरोधाभास अलंकार
जब दो विरोधी पदार्थों का संयोग एक साथ किया जाए वहां विरोधाभास अलंकार होता है।
विरोधाभास अलंकार के उदाहरण :–
(क) सुलगी अनुराग की आग वहाँ ।
जल से भरपूर तड़ाग जहाँ ।।
उपर्युक्त वाक्य में जल और आग दो विरोधी पदार्थों का संयोग एक साथ दिखाया गया है। अतः यहाँ विरोधाभास अलंकार है।
पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार
जहां एक ही शब्द की बार-बार आवृत्ति हो वहां पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार होता है।
पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार के उदाहरण
(क) बार-बार तोरी विनती करत हौ ।
(ख) मेघमय आसमान से
उतर रही वह संध्या सुंदरी
धीरे – धीरे – धीरे ।।
विभावना अलंकार
जहाँ बिना कारण के ही कार्य हो जाए वहाँ विभावना अलंकार होता है।
विभावना अलंकार के उदाहरण :–
(क) बिनु पद चले सुने बिनु काना ।
कर बिनु करम करें विधि नाना ।।
(ख) आनन रहित सकल रस भोगी ।
बिनु वाणी वकता बड़ जोगी ।।
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दृष्टांत अलंकार
जहां पहले कोई बात कह कर उससे मिलती-जुलती बात द्वारा दृष्टांत दिया जाए, लेकिन समानता किसी शब्द द्वारा प्रकट ना हो वहां दृष्टांत अलंकार होता है।
दृष्टांत अलंकार के उदाहरण
(क) सठ सुधरहिं सत संगति पाई ।
पारस परस कुधात सुहाई ।।
(ख) सुख – दुख के मधुर मिलन से ,
यह जीवन हो परि – पूरन ।
फिर धन में ओझल हो शशि
फिर शशि में ओझल हो धन ।।
लोकोक्ति अलंकार
किसी भी पद में लोकोक्ति के प्रयोग से काव्य का सौंदर्य बढ़ जाने से वहां लोकोक्ति अलंकार होता है। अर्थात इस अलंकार में लोकोक्ति का प्रयोग होता है।
लोकोक्ति अलंकार के उदाहरण
(क) आछे दिन पाछे गए , हरि से किया न हेत ।
अब पछताए होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत ।।
अन्योक्ति अलंकार
जहां अप्रस्तुत के माध्यम से प्रस्तुत का विधान हो अर्थात जहां कोई बात किसी के लिए सीधी सीधी ना कह कर अप्रत्यक्ष रूप से कही जाए वहां अन्योक्ति अलंकार होता है।
अन्योक्ति अलंकार के उदाहरण
(क) नहीं पराग नहीं मधुर मधु नहिं विकास इहि काल ।
अली कली ही सौ बिंध्यौ आगे कौन हवाल ।।
समासोक्ति अलंकार
जहां प्रस्तुत के माध्यम से अप्रस्तुत का विधान हो वहां समासोक्ति अलंकार होता है।
समासोक्ति अलंकार के उदाहरण
(क) चंप लता सुकुमार तू , धन तुव भाग्य विशाल ।
तेरे ढीग सोहत सुखद , सुंदर श्याम तमाल ।।
असंगति अलंकार
जहाँ कारण कहीं हो और उसका कार्य कहीं, वहाँ असंगति अलंकार होता है।
असंगति अलंकार के उदाहरण :–
(क) दृग उरझत,टूटत कुटुम,जुरत चतुर चित प्रीति ।
परति गांठ दुरजन हिये , दई नई यह रीति ।।
उदाहरण अलंकार
जहां किसी वाक्य के समर्थन में उदाहरण वाचक शब्द के साथ दिया जाए वहां उदाहरण आकार होता है।
अथवा
एक वाक्य कहकर उसके उदाहरण के रूप में दूसरा वाक्य कहा जाए वहां उदाहरण अलंकार होता है।
उदाहरण अलंकार के उदाहरण
(क) वे रहीम नर धन्य हैं , पर उपकारी अंग ।
बाटन वारे को लगे, ज्यों मेहंदी को रंग ।।
(ख) बूंद आघात सहै गिरी कैसे ।
खल के वचन संत सह जैसे ।।
(ग) छुद्र नदी भरि चलि उतराई।
जस थोरेहुँ धन खल बौराई।।
(घ) ससि सम्पन्न सोह महि कैसी ।
उपकारी कै संपति जैसी ।।
Note – उदाहरण अलंकार की पहचान – उदाहरण अलंकार की मुख्य पहचान है कि इसमें उपमेय वाक्य देने के बाद जैसे का प्रयोग होता है।
अत्युक्ति अलंकार
जहां किसी वस्तु का बढ़ा चढ़ाकर किया गया वर्णन झूठा प्रतीत हो वहां अत्युक्ति अलंकार होता है।
अत्युक्ति अलंकार के उदाहरण
(क) लखन सकोप वचन जब बोले ।
डगमगानि महि दिग्गज डोले ।।
(ख) बांधा था विधु को किसने इन काली जंजीरों से ।
मणि वाले फणियो का मुख क्यों भरा हुआ हीरो से ।।
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व्याजस्तुति अलंकार
जहां देखने और सुनने में तो निंदा प्रतीत हो पर वास्तव में प्रशंसा हो वहां व्याज स्तुति अलंकार होता है।
व्याजस्तुति अलंकार के उदाहरण
(क) काशी पुरी की कुरीति महा,
जहाँ देख देय पुनि देह न पाइए ।
उपर्युक्त वाक्य में बात तो देह त्यागने की अर्थात मरने की की गई है तो यह एक तरह से निंदा हुई परंतु वास्तव में काशी नगरी की यह प्रशंसा है क्योंकि वहां देह त्यागने पर मुक्ति मिलती है। अतः यहाँ व्याजस्तुति अलंकार है।
(ख) उधव तुम अति चतुर सुजान,
जे पहिले रंग रंगी श्याम रंग,
तिन्ह न चढ़ै रंग आन ।।
व्याजनिंदा अलंकार
यह व्याजस्तुति अलंकार के विपरीत होता है।
यहां देखने और सुनने में तो प्रशंसा प्रतीत होती है, किंतु वास्तव में निंदा होती है, व्याजनिंदा अलंकार कहलाता है।
व्याजनिंदा अलंकार के उदाहरण
(क) नाक कान बिन मगिनि बिहारी ।
क्षमा कीन्ह धरम – बिचारी ।।
उपर्युक्त वाक्य में देखने में तो रावण की प्रशंसा है परंतु वास्तव में उसकी निंदा की गई है आता यहां व्याजनिंदा अलंकार है।
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तद्गुण अलंकार
जब कोई वस्तु अपना गुण त्याग कर अपने पास के किसी दूसरी वस्तु का गुण ग्रहण कर लेती है तब तद्गुण अलंकार होता है।
तद्गुण अलंकार के उदाहरण
(क) अधर धरत,हरि के परत,
ओठ , दीठि , पट ज्योति ।
हरित बांस की बाँसुरी,
इंद्रधनुष रंग होति ।।
उपर्युक्त श्री कृष्ण के होठों पर रखिए बांसुरी होंठ , दृष्टि तथा वस्त्र की ज्योति पड़ने के कारण अपने असली रंग को छोड़कर इंद्रधनुष के रंग को ले लेती है अतः रंग ग्रहण करने के कारण तद्गुण अलंकार है।
अपन्हुति अलंकार
जहां सत्य बात का निषेध कर मिथ्या वस्तु का आरोप किया जाए वहां अपन्हुति अलंकार होता है।
अपन्हुति अलंकार के उदाहरण
(क) खाया – पीया दे गया बुत्त ।
ए सखि साजन? ना सखि कुत्ता ।।
अर्थान्तरन्यास अलंकार
जहां किसी सामान्य बात का विशेष बात से तथा विशेष बात का सामान्य बात से समर्थन किया जाए वहां अर्थ अर्थान्तरन्यास अलंकार होता है।
अर्थान्तरन्यास अलंकार के उदाहरण
(क) जो रहीम उत्तम प्रकृति का करि सकत कुसंग ।
चंदन विष व्यापत नहीं लिपटे रहत भुजंग ।।
सामान्य अर्थ – दोहे का पहला चरण – कुसंगति अच्छी प्रकृति वालो का कुछ नहीं बिगाड़ सकती।
विशेष अर्थ – दोहे का दूसरा चरण – चंदन के वृक्ष में सर्प लिपटे रहते हैं पर चंदन में कभी विष व्याप्त नहीं होता है।
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अलंकार के भेदों का वर्णन || आधुनिक या पाश्चत्य अलंकारों के प्रकारों का वर्णन
मानवीकरण अलंकार
पद्य में आए हुए प्रकृति पशु पक्षी अथवा निर्जीव पदार्थ में मानवीय गुणों के आरोपण से मानवीकरण अलंकार होता है।
मानवीकरण अलंकार के उदाहरण
(क) मेघमय आसमान से उतर रही
वह संध्या सुंदरी धीरे – धीरे ।।
(ख) जगीं वनस्पतियाँ अलसाई,
मुख धोती शीतल जल से ।।
ध्वन्यार्थ व्यंजना अलंकार
पद्य में ऐसे शब्दों का प्रयोग जिनसे वर्णित वस्तु प्रसंग का ध्वनि चित्र अंकित हो जाए , वहां ध्वन्यार्थ व्यंजना अलंकार होता है।
ध्वन्यार्थ व्यंजना अलंकार के उदाहरण
(क) चरमर चरमर चूँ चरर मरर।
चली जा रही भैंसागाड़ी ।।
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अलंकार अलग अलग विस्तार से पढ़िये
» अनुप्रास अलंकार » यमक अलंकार » श्लेष अलंकार
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अलंकार – परिभाषा,प्रकार,उदाहरण | alankar in hindi के परीक्षा उपयोगी प्रश्न
प्रश्न – 1 – चारु चंद्र की चंचल किरणें पंक्ति में कौनसा अलंकार है? उत्तर – अनुप्रास अलंकार
प्रश्न-2- काव्य में अलंकार की भूमिका क्या है?
उत्तर- काव्य की शोभा और सुंदरता बढ़ाना ।
प्रश्न-3- काली घटा का घमंड घटा पंक्ति में कौन सा अलंकार है?
उत्तर- यमक अलंकार
प्रश्न-4- सुबरन को खोजत फिरत कवि व्यभिचारी चोर पंक्ति में कौन सा अलंकार है?
उत्तर- श्लेष अलंकार
प्रश्न-5- एक शब्द के कई अर्थ होने के कारण कौन सा वक्रोक्ति अलंकार होता है?
उत्तर- श्लेष वक्रोक्ति
प्रश्न-6- उच्चारण के कारण से उत्पन्न भ्रम में कौन सा वक्रोक्ति अलंकार होता है?
उत्तर- काकु वक्रोक्ति
प्रश्न-7- पीपर पात सरिस मन डोला पंक्ति में कौन सा अलंकार है?
उत्तर- उपमा अलंकार
प्रश्न-8- उपमा अलंकार के कितने भेद होते हैं?
उत्तर- 3
प्रश्न-9- हरिपद कोमल कमल से पंक्ति में कौन सा अलंकार है?
उत्तर- उपमा अलंकार
प्रश्न-10- चरण कमल बंदौ हरि राई पंक्ति में कौन सा अलंकार है?
उत्तर- रूपक अलंकार
प्रश्न-11- उत्प्रेक्षा अलंकार में किन वाचक शब्दों का प्रयोग होता है?
उत्तर- मनु,मानहुँ,जनु,जानहुँ आदि।
प्रश्न-12- मनो नीलमणि सैल पर, आतप पर्यौ प्रभात पंक्ति में कौन सा अलंकार है?
उत्तर- उत्प्रेक्षा अलंकार
प्रश्न-13- जहाँ समानता के कारण भ्रम हो जाए वहां कौन सा अलंकार होता है?
उत्तर- भ्रांतिमान अलंकार
प्रश्न-14- हनुमान की पूँछ में लगन न पाई आग,लंका सगरी जल गई, गए निशाचर भाग पंक्ति में कौन सा अलंकार है?
उत्तर- अतिशयोक्ति अलंकार
प्रश्न-15- वह पूर्ण चन्द्र उगा है या सिकी सुन्दरी का मुखड़ा पंक्ति में कौन सा अलंकार है?
उत्तर- संदेह अलंकार
👉 सम्पूर्ण हिंदी व्याकरण पढ़िये ।
बाल मनोविज्ञान चैप्टरवाइज पढ़िये uptet / ctet / supertet
Uptet हिंदी विषय का सिलेबस विस्तार से
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