सम्प्रेषण का अर्थ एवं परिभाषाएं | सम्प्रेषण प्रक्रिया के तत्व या घटक | meaning and definition of communication in hindi

सम्प्रेषण का अर्थ एवं परिभाषाएं | सम्प्रेषण प्रक्रिया के तत्व या घटक | meaning and definition of communication in hindi – दोस्तों सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा में शिक्षण कौशल 10 अंक का पूछा जाता है। शिक्षण कौशल के अंतर्गत ही एक विषय शामिल है जिसका नाम शिक्षण अधिगम के सिद्धांत है। यह विषय बीटीसी बीएड में भी शामिल है। आज हम इसी विषय के समस्त टॉपिक को पढ़ेगे।  बीटीसी, बीएड,यूपीटेट, सुपरटेट की परीक्षाओं में इस टॉपिक से जरूर प्रश्न आता है।

अतः इसकी महत्ता को देखते हुए hindiamrit.com आपके लिए सम्प्रेषण का अर्थ एवं परिभाषाएं | सम्प्रेषण प्रक्रिया के तत्व या घटक | meaning and definition of communication in hindi लेकर आया है।

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सम्प्रेषण का अर्थ एवं परिभाषाएं | सम्प्रेषण प्रक्रिया के तत्व या घटक | meaning and definition of communication in hindi

सम्प्रेषण का अर्थ एवं परिभाषाएं | सम्प्रेषण प्रक्रिया के तत्व या घटक | meaning and definition of communication in hindi
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सम्प्रेषण का अर्थ (Meaning of Communication)

शिक्षण की सारी प्रक्रिया विभिन्न प्रकार से ज्ञान, बोध एवं समझ विकसित करने के लिए की जाती है। शिक्षण प्रणाली में शिक्षक और शिक्षार्थी दोनों ही सक्रिय रहकर अतः प्रक्रिया करते हैं । इस प्रक्रिया में संचार माध्यमों की आवश्यकता होती है । इस प्रकार सम्प्रेषण शिक्षा की रीढ़’ है। बिना सम्प्रेषण के शिक्षा और शिक्षण दोनों ही अस्तित्वहीन हैं।

सम्प्रेषण शब्द अंग्रेजी के कम्यूनीकेशन (Communication) का हिन्दी रूपान्तरण है । इस शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के ‘कम्यूनीस’ शब्द से हुई है जिसका अर्थ है – ‘सामान्य’ या ‘कॉमन’ ।

अतः सम्प्रेषण एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें व्यक्ति परमार सामान्य अवबोध माध्यम से ‘आदान-प्रदान करने का प्रयास करते हैं । अतः सम्प्रेषण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति अपने ज्ञान, हाव-भाव, मुख मुद्रा तथा विचारों आदि का परस्पर आदान-प्रदान करते हैं ।तथा इस प्रकार से प्राप्त विचारों अथवा सन्देशों को समान तथा सही अर्थों में समझने और प्रेषण करने में उपयोग करते हैं।


इस प्रकार सम्प्रेषण, प्रेषण करने की, विचार-विनिमय करने की अपनी बात दूसरों तक, पहुँचाने की और दूसरों की बातें सुनने की, विचारों, अभिवृत्तियों, संवेदनाओं तथा सूचनाओं एवं ज्ञान के विनिमय करने की एक प्रक्रिया है।


सम्प्रेषण की परिभाषाएँ (Definitions of Communication )

(1) पॉल लीगन्स के अनुसार-

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“सम्प्रेषण वह प्रक्रिया है, जिसके द्वारा दो या अधिक लोग विचारों, तथ्यों, भावनाओं, प्रभावों आदि का इस प्रकार परस्पर विनिमय करते हैं कि सभी लोग प्राप्त सन्देशों को समझ जाते हैं । सम्प्रेषण में सन्देश देने वाले तथा सन्देश ग्रहण करने वाले के मध्य सन्देशों के माध्यम से समन्वय स्थापित किया जाता है।”

(2) एण्डरसन के अनुसार-

“सम्प्रेषण एक गत्यात्मक प्रक्रिया है, जिसमें व्यक्ति चेतनता अथवा अचेतनतया, दूसरों के संज्ञानात्मक ढाँचे को सांकेतिक (हाव-भाव आदि) रूप में उपकरणों या साधनों द्वारा प्रभावित करता है।”

(3) लूगीस एवं वीगल के अनुसार

“सम्प्रेषण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा सामाजिक व्यवस्था के अन्तर्गत सूचनाओं, निर्देशों तथा निर्णयों द्वारा लोगों के विचारों, मतों तथा अभिवृत्तियों में परिवर्तन लाया जाता है।”

(4) एडगर डेल (Eder Dale) के अनुसार

“सम्प्रेषण विचार-विनिमय के मूड (Mood) में विचारों तथा भावनाओं को परस्पर जानने तथा समझने की प्रक्रिया है।”

“सम्प्रेषण का अर्थ होता है परस्पर विचारों एवं भावनाओं की साझेदारी करना ।”

“Communication means sharing of ideas and feelings in a mood of mutuality.”

“सम्प्रेषण अनुभवों के साझेदारी की प्रक्रिया है जब तक यह अनुभव सभी को प्राप्त न हो जाये।”

“Communication is a process of sharing experiences till it becomes common of possession.”





शिक्षण अधिगम में सम्प्रेषण की आवश्यकता (Need of Communication in Teaching Learning)

(1) प्रभावशाली शिक्षण-

अधिगम प्रक्रिया के लिए प्रभावशाली सम्प्रेषण आवश्यक है। प्रभावशाली शिक्षण में शिक्षक एवं शिक्षार्थी मिल-जुल कर प्रभावशाली सम्प्रेषण के लिए प्रयास करते हैं।

हरबर्ट के अनुसार, “शिक्षण का प्रमुख कार्य, विचारों, तथ्यों एवं सूचनाओं को शिक्षार्थियों तक पहुँचाना है।”

शिक्षक इस हेतु जितने प्रभावशाली ढंग से इनका सम्प्रेषण करता है वह उतना ही सफल शिक्षक कहलाता है। शिक्षण व प्रशिक्षण के क्षेत्र में शिक्षार्थियों, छात्राध्यापकों को जटिल नियमों, विधियों, पद्धतियों तथा शिक्षण व्यूह रचनाओं (नीतियों) के विषय में ज्ञान प्रदान करने के लिए अनेक सम्प्रेषण तकनीकों का प्रयोग किया जाता है।



सम्प्रेषण का महत्व ( importance of communication )

शिक्षा एक विकास की प्रक्रिया है जिसका सम्पादन कक्षा शिक्षण में किया जाता है। शिक्षा प्रक्रिया की इकाई कक्षा है। शिक्षण की क्रिया का संचालन सम्प्रेषण प्रवाह से किया जाता है। शिक्षण को अन्तः प्रक्रिया मानते हैं और सम्प्रेषण प्रवाह भी अन्त:क्रिया प्रक्रिया को प्रोत्साहित करता है ।

कक्षा के सम्प्रेषण में शाब्दिक सम्प्रेषण, अशाब्दिक सम्प्रेषण तथा लिखित सम्प्रेषण, तीनों प्रवाहों को प्रयुक्त किया जाता है । इसके अतिरिक्त अशाब्दिक सम्प्रेषण अथवा हाव-भाव से शिक्षक अपनी भावनाओं एवं अनुभूतियों की अभिव्यक्ति करता है ।

इस प्रकार कक्षा सम्प्रेषण में शाब्दिक तथा अशाब्दिक अन्त:
प्रक्रिया का सम्पादन किया जाता है । जिससे कक्षा में सामाजिक-भावात्मक वातावरण का सृजन किया जाता है । और शिक्षार्थी उसमें सीखने के अनुभव प्राप्त करते हैं, जिससे शिक्षार्थियों के व्यवहारों में अपेक्षित परिवर्तन किये जाते हैं।



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सम्प्रेषण की विशेषताएँ (Characteristics of-Communication)

सम्प्रेषण की मुख्य विशेषताएँ अग्र प्रकार हैं-

(1) परस्पर विचारों एवं भावनाओं का आदान-प्रदान किया जाता है । यह शिक्षण प्रक्रिया का एक महत्त्वपूर्ण घटक है।

(2) सम्प्रेषण एक पारस्परिक सम्बन्ध स्थापित करने की एक प्रक्रिया है।

(3) यह द्विवाही (Two way) प्रक्रिया है । इसमें दो पक्ष होते हैं-एक सन्देश देने वाला, तथा दूसरा सन्देश ग्रहण करने वाला।

(4) सम्प्रेषण में अन्तःप्रक्रिया निहित होती है एवं दोनों पक्षों का विकास होता है। दोनों ही पक्ष क्रियाशील रहते हैं।

(5) सम्प्रेषण प्रक्रिया एक उद्देश्यपूर्ण प्रक्रिया होती है।

(6) विचारों एवं भावनाओं के आदान-प्रदान को प्रोत्साहन दिया जाता का सम्प्रेषण की प्रक्रिया में अनुभवों की साझेदारी होती है ।

(8) सम्प्रेषण की प्रक्रिया में परस्पर अन्तः प्रक्रिया पृष्ठपोषण होना आवश्यक होता है।

(9) इसमें आदान-प्रदान की प्रक्रिया को पृष्ठपोषण दिया जाता है

(10) सम्प्रेषण प्रक्रिया में प्रत्यक्षीकरण (Preception) समावेशित होता है।

(11) सम्प्रेषण में व्यक्ति या व्यक्तियों के व्यक्तिगत प्रत्यक्षीकरण की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।

(12) सम्प्रेषण, मानवीय तथा सामाजिक वातावरण को बनाये (maintain) रखने का कार्य करता है।

(13) सम्प्रेषण में व्यक्ति उन्हीं विचारों का प्रयत्क्षीकरण करते हैं, जिनकी उन्हें अपनी व्यक्तिगत आवश्यकताओं, मूल्यों, प्रेरकों, परिस्थितियों या पृष्ठभूमि के अनुसार चाह/आकांक्षा (Expectation) या प्रत्याशा होती है।

(14) सम्प्रेषण में विचारों या सूचनाओं को मौखिक (बोलकर), लिखित (लिखकर) अथवा सांकेतिक (संकेतों) के रूप में प्रेषित एवं ग्रहण किया जाता है।

(15) सम्प्रेषण सदैव गत्यात्मक प्रक्रिया होती है।

(16) सम्प्रेषण के मुख्य चार कार्य हैं-

(i) सूचना प्रत्यक्ष करना ।
(ii) निर्देश, आदेश अथवा सन्देश प्रसारित (प्रेषित) करना ।
(iii) परस्पर विश्वास जाग्रत करना ।
(iv) समन्वय स्थापित करना ।




सम्प्रेषण प्रक्रिया के तत्व (Elements of Communication)

सम्प्रेषण प्रक्रिया में निम्नांकित तत्वों का होना आवश्यक होता है-

(1) सम्प्रेषण का सम्बन्ध (Communication Context)

(i) भौतिक सन्दर्भ-स्कूल, शिक्षा-कक्ष आदि ।
(ii) सामाजिक सन्दर्भ-कक्षा अथवा विद्यालय का वातावरण ।
(iii) मनोवैज्ञानिक सन्दर्भ-औपचारिकता/अनौपचारिक ।
(iv) समय सन्दर्भ-दिन का समय तथा समय की अवधि ।


(2) सन्देश का स्रोत (Source of Message)

व्यक्ति, शिक्षक, घटना जो शाब्दिक या अशाब्दिक संकेत प्रदान करते हैं, सन्देश स्रोत कहलाते हैं । जब यह स्रोत व्यक्ति होता है तो इसे सन्देश भेजने वाला कहते हैं । सम्प्रेषण-प्रक्रिया सन्देश स्रोत से ही प्रारम्भ होती है जो सन्देश की विषय-वस्तु निर्धारित करता है उनकी कोडिंग भी करता है तथा प्रसारण भी करता है । सन्देश का वांछित प्रभाव डालने के लिए सन्देश भेजने वाला सन्देश को अच्छी तरह से तैयार करता है तथा उचित माध्यम से उसका सम्प्रेषण करता है।


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(3) सन्देश (Message)

यह एक उद्दीपक (Stimulus) होता है जो सन्देश भेजने वाला प्रेषित करता है । सन्देश मौखिक रूप , लिखित रूप में तथा व्यक्ति की मुख मुद्रा अथवा हाव-भाव के रूप हो सकता है । यह किसी संकेत; जैसे-पोस्टर, चार्ट, पैम्पलेट या सूचना पैकेज में भी प्रेषित किया जा सकता है



(4) सम्प्रेषण का माध्यम (Medium of Communication)

वह साधन जिसके द्वारा कोई सन्देश, सन्देश स्रोत से सन्देश प्राप्त करने वाले तक पहुँचता है । सम्प्रेषण का माध्यम कहलाता है । सन्देश का माध्यम वह पथ है जिसमें सन्देश भौतिक रूप से प्रेषित किया जाता है । तार, रेडियो, समाचार-पत्र, पत्रिकाएँ, पुस्तकें, पत्र, स्टूडियो आदि सम्प्रेषण के माध्यम हैं।



(5) संकेत (Symbol)

संकेत अथवा प्रतीक वे हैं जो किसी अन्य वस्तु का प्रतिनिधित्व करते हैं।
“A symbol is something that stand for something else.”
ये संकेत शाब्दिक या अशाब्दिक हो सकते हैं।


(6) एनकोडिंग (Encoding)

यह वह प्रक्रिया है जिसमें किसी विचार या भावना की अभिव्यक्ति के लिए संकेतों या प्रतीकों का प्रयोग किया जाता है।



(7) डिकोडिंग (Decoding)

यह वह प्रक्रिया है जिसमें सन्देश प्राप्त करने वाला व्यक्ति सन्देश स्रोत से प्राप्त संकेतों या प्रतीकों का अनुवाद कर सन्देश ग्रहण करता



(8) पृष्ठपोषण (Feedback)

यह वह प्रत्युत्तर होता है जो सन्देश प्राप्त करने वाला व्यक्ति सन्देश प्राप्त करने के पश्चात् भेजता है; जैसे—सन्देश प्राप्ति की सूचना,
सन्देश पढ़कर अपना मत प्रकट करना आदि ।


(9) सन्देश ग्रहणकर्ता (Receiver)

सन्देश ग्रहणकर्ता वह व्यक्ति है जो सम्प्रेषण की प्रक्रिया में सन्देश प्राप्त करता है। जैसे—श्रोता, शिक्षार्थी, दर्शक,पत्र-पत्रिकाओं के पाठक आदि ।



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