अन्तर्दृष्टि या सूझ का सिद्धांत,कोहलर का सिद्धान्त,अन्तर्दृष्टि का सिद्धान्त,सूझ का सिद्धान्त,गेस्टाल्टवादियों का सिद्धान्त-दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम आज इसी सिद्धांत के बारे में पढ़ेंगे।इसमें हम कि गेस्टाल्टवाद क्या है,अंतर्दृष्टि क्या है, गेस्टाल्टवादियों का प्रयोग, गेस्टाल्टवादियों का सिद्धांत आदि के बारे में विस्तृत चर्चा करेंगे। तो चलिए हमारी वेबसाइट hindiamrit.com के माध्यम से इस टॉपिक को विधिवत पढ़ते हैं।
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अंतर्दृष्टि या सूझ का सिद्धांत|| Insight learning theory in hindi
सन 1920 ईस्वी में जर्मनी में गेस्टाल्ट संप्रदाय का उदय हुआ इस संप्रदाय से संबंधित तीन व्यक्ति थे पहले थे मैक्स वर्दीमर जो प्रवर्तक थे तथा दूसरे थे कोहलर जो प्रयोगकर्ता थे तथा तीसरे थे कोफ़्फ़ा जो सहयोगकर्ता थे।
ये तीनों गेस्टाल्ट वादी कहलाए तथा इन्होंने जो सिद्धांत दिया उसे गेस्टाल्ट सिद्धांत के नाम से जाना जाता है। यह सिद्धांत गेस्टाल्टवादियों का सिद्धान्त के नाम से प्रसिद्ध हुआ ।
गेस्टाल्टवाद का अर्थ-
गेस्टाल्टवाद का जन्म उद्दीपन अनुक्रिया सिद्धांत के विरुद्ध हुआ था। गेस्टाल्टवाद को मानने वाले उद्दीपन अनुक्रिया सिद्धांत के विरोध में थे इन्होंने अपना खुद का सिद्धांत दिया जिसे अंतर्दृष्टि या सूझ का सिद्धांत कहते हैं।
गेस्टाल्ट एक जर्मन भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है “समग्र आकृति या संपूर्ण आकार”
अन्तर्दृष्टि या सूझ का सिद्धान्त का अर्थ-
इस संप्रदाय के अनुसार कोई भी व्यक्ति समस्या के संपूर्ण आकार को देखता है।अर्थात वह समस्या की परिस्थिति के विभिन्न अंगों को समझता है एवं पूरी समस्या के संपूर्ण आकृति को देखते हुए उसके आधार पर मानसिक शक्तियों का प्रयोग करते हुए अधिगम या कोई प्रतिक्रिया करता है।
गेस्टाल्टवादियों ने सुल्तान नामक चिंपैंजी पर प्रयोग करते हुए सिद्धांत पर प्रयोग किया।
अन्तर्दृष्टि या सूझ का सिद्धान्त के अन्य नाम
(1) अंतर्दृष्टि या सूझ का सिद्धांत
(2) गेस्टाल्ट सिद्धांत
(3) समग्राकार या संपूर्णाकार सिद्धांत
(4) कोहलर का सिद्धांत
(5) पूर्णांश का सिद्धांत
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कोहलर का पहला प्रयोग-
कोहलर ने एक भूखे चिंपैंजी को एक कमरे में बंद कर दिया। उसे खाने के लिए कमरे की छत में कुछ खेलें इस प्रकार टांग दिए कि वे चिंपैंजी की पहुंच के बाहर थे।
कमरे की कुछ दूरी पर कोहलर ने तीन-चार खाली बक्से भी रख दिए।
चिंपैंजी ने उछल कर केले लेने का प्रयास किया पर वह सफल नहीं हो पाया।
कुछ समय बाद फर्श पर रखे खाली बक्सों को देखकर उन्हें केले के नीचे ले गया।
उन बक्सों पर चढ़कर केलों को प्राप्त कर लिया।यह उसकी सूझ ही है जिसने उसे केले प्राप्त करने में सफलता दी।
चिंपैंजी के समान बालक एवं व्यक्ति भी सूझ द्वारा सीखते हैं।
कोहलर का दूसरा प्रयोग-
कोहलर अपने दूसरे प्रयोग में सुल्तान को ही लिया और उसमें इन्होंने सुल्तान को एक बॉक्स में बंद कर दिया।
और उस बॉक्स में थोड़ी दूरी पर दो छड़ियाँ डाल दी जो आपस में जुड़ सकती थी। तथा थोड़ी और दूरी पर केले रख दिए सुल्तान केले प्राप्त करने के लिए बहुत प्रयत्न किया परंतु सफल ना हो सका।
फिर उसने परिस्थिति की सम्पूर्णाकार को देखकर दोनों छडियों को जोड़कर केले को प्राप्त कर लिया पिंजड़े के बाहर रखे केले से उसने समग्राकार का निरीक्षण किया।
इस प्रयोग द्वारा गेस्टाल्ट वादियों ने स्पष्ट किया कि कोई भी व्यक्ति अधिगम हेतु प्रयास स्वयं नहीं करता है ,अपितु मानसिक शक्तियों का प्रयोग करते हुए अधिगम करता है।
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अंतर्दृष्टि या सूझ का सिद्धांत के संप्रत्यय-
यह सिद्धांत 5 संपत्तियों पर कार्य करता है जो निम्न है-
(1) लक्ष्य (aim)
(2) बाधा (obstraction)
(3) तनाव (tension)
(4) संगठन (organisation)
(5) पुनरुत्थान (re organisation)
अन्तर्दृष्टि या सूझ का सिद्धान्त की विशेषताएं-
इस सिद्धान्त की निम्न विशेषतायें हैं-
(1) अधिगम संज्ञानात्मक होता है।
(2) अधिगम अचानक होता है।
(3) अधिगम की प्रक्रिया यंत्रवत नहीं होती।
(4) अधिगम की प्रकृति स्थाई होती है।
(5) अधिगम की प्रक्रिया में अंतर्दृष्टि या सूझ अचानक होती है।
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अंतर्दृष्टि का सूझ पर प्रभाव डालने वाले कारक-
अंतर्दृष्टि या सूझ पर प्रभाव डालने वाले निम्न कारण हैं-
(1) प्रत्यक्षीकरण-
प्रत्यक्षीकरण अंतर्दृष्टि का मुख्य आधार है। यदि हम किसी समस्या का पूर्ण रूप से प्रत्यक्षीकरण नहीं करेंगे तो अंतर्दृष्टि विकास पूर्ण रूप से संभव नहीं हो पाएगा।
(2) बुद्धि-
बुद्धि भी अंतर्दृष्टि पर प्रभाव डालती है क्योंकि जो उच्च बुद्धि वाले इंसान होते हैं। वे अपनी अंतर्दृष्टि विकास जल्दी प्राप्त कर लेते हैं जबकि निम्न बुद्धि वाले इंसान को अधिक समय लगता है।
(3) समस्या की पहचान-
समस्या की पहचान होना अंतर्दृष्टि विकास में अधिक उपयोगी है। क्योंकि यदि हम समस्या की पहचान ही अच्छी तरह से नहीं कर सकते तो अंतर्दृष्टि विकास में बाधा आएगी।
(4) अनुभव-
अनुभव अंतरराष्ट्रीय विकास को बढ़ा देता है। किसी समस्या का हल ढूंढने में अनुभव का योगदान कुछ अलग ही होता है।आप देखते होंगे कि अनुभवी इंसान किसी समस्या का हल जल्दी ढूंढ लेते हैं।
अंतर्दृष्टि सिद्धांत की देन-
(1) इस सिद्धांत के द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में पूर्ण से अंश की ओर शिक्षण सूत्र का जन्म हुआ।
(2) इस सिद्धांत से समस्या समाधान विधि एवं विश्लेषण विधि का जन्म हुआ।
अंतर्दृष्टि या सूझ का सिद्धांत की कमियां-
इस सिद्धान्त की सबसे बड़ी कमी यह है कि यह अभ्यास को कोई स्थान नहीं देता।
इस सिद्धांत के अनुसार सूझ अचानक होती है परंतु व्यवहारिक जीवन में ऐसा नहीं होता है।
अंतर्दृष्टि सिद्धांत की कक्षा शिक्षण में उपयोगिता-
(1) छोटे बालकों में जिनकी बुद्धि का पूर्ण विकास नहीं होता वे प्रयास एवं त्रुटि के सिद्धांत से सीखते हैं।
लेकिन किशोर जिनकी बुद्धि का पूर्ण विकास हो जाता है वे सूझ व अंतर्दृष्टि के सिद्धांत से सीखते हैं
(2) शिक्षा जगत में अध्यापक को चाहिए कि वह बालक को समस्या का पूर्ण ज्ञान कराएं क्योंकि यदि समस्या का ज्ञान अपूर्ण रहेगा तो बालक में अंतर्दृष्टि उत्पन्न नहीं होगी।
(3) कोहलर ने अपने सिद्धांत के माध्यम से पूर्ण से अंश की ओर शिक्षण सूत्र का प्रतिपादन किया।
इसके द्वारा कठिन समस्या को कई भागों में बांट कर आसानी से हल किया जा सकता है।
महत्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न – 1 – अंतर्दृष्टि सिद्धांत का प्रतिपादक कौन है?
उत्तर – कोहलर
प्रश्न – 2 – अंतर्दृष्टि का सिद्धांत को किस नाम से जानते है?
उत्तर – सूझ का सिद्धांत , गेस्टाल्टवादियों का सिद्धांत
प्रश्न – 3 – कोहलर ने अपना प्रयोग किस पर किया ?
उत्तर – सुल्तान नामक चिम्पांजी पर
प्रश्न – 4 – कोहलर कहाँ के वैज्ञानिक थे?
उत्तर – जर्मनी
प्रश्न – 5 – गेस्टाल्ट वाद का जनक कौन है ?
उत्तर – गेस्टाल्टवाद सिद्धांत के प्रवर्तक मैक्स वर्दीमर, कोफ्का तथा कोहलर है। इनको गेस्टाल्टवादी (Gestalt psychologists) कहते है।
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