अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धांत(Povlov’s theory of classical conditioning)

अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धांत,पावलव का सिद्धांत, शास्त्रीय अनुबंधन का सिद्धांत,Povlov’s theory of classical conditioning -दोस्तों जब हम बात मनोविज्ञान की करते हैं तो मनोविज्ञान में सबसे महत्वपूर्ण टॉपिक अधिगम का सिद्धांत पाया जाता है।

इसमें पावलव का अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धांत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। आज हमारी वेबसाइट हिंदी hindiamrit.com का टॉपिक यह सिद्धांत ही है। जिसके अंतर्गत आज हम पावलव का प्रयोग, पावलव का सिद्धांत के बारे में विस्तृत रूप से पढ़ेंगे।


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अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धांत (Povlov’s theory of classical conditioning)

आई पी पावलव एक रूसी शारीरिक मनोवैज्ञानिक थे। इन्होंने पाचन क्रिया के द्वारा दही क्रिया का विश्लेषण कर अपना सिद्धांत दिया। इनका सिद्धांत इतना लोकप्रिय हुआ कि 1940 में में इन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया । पावलव ने इस सिद्धांत का नाम अनुकूलित अनुबंधित अनुक्रिया सिद्धांत बताया। पावलव ने अपना प्रयोग एक कुत्ते पर किया।


अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धांत के अन्य नाम-

(1) शास्त्रीय अनुबंधन का सिद्धांत

(2) संबंध प्रतिक्रिया का सिद्धांत

(3) संबंध प्रत्यावर्तन का सिद्धांत

(4) क्लासिकी अनुबंधन का सिद्धांत

(5) पावलव का सिद्धांत

(6) C R theory || condition response theory


उपयोगी लिंक-

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अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धांत की विशेषता-

पावलव को अनुबंधन का जनक कहा जाता है। यह मनोवैज्ञानिक के साथ-साथ एक चिकित्सक भी थे। पावलव ने कुत्ते की पेरोटिड  ग्रंथि को निकालकर लार का एकत्रीकरण किया। पावलव ने अपना प्रयोग कुत्ते पर तीन चरणों में किया था। उन्होंने एक सिद्धांत दिया जिसका नाम उन्होंने अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धांत या शास्त्रीय अनुबंधन का सिद्धांत दिया। इस सिद्धांत के अनुसार उन्होंने कहा कि “सीखना एक अनुकूलित अनुक्रिया है।”

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बर्नार्ड के अनुसार- “अनुकूलित अनुक्रिया उत्तेजना की पुनरावृति द्वारा व्यवहार का संचालन है जिसमें उत्तेजना पहले किसी विशेष अनुक्रिया के साथ लगी रहती और अंत में वह किसी व्यवहार का कारण बन जाती है जो पहले मात्र रूप से साथ लगी हुई थी।”

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पावलव का प्रयोग-

पावलव ने अपना प्रयोग एक कुत्ते पर किया। और इस प्रयोग को उन्होंने तीन चरणों में किया। पहले चरण में उन्होंने कुत्ते के सामने भोजन रखा जिसे कुत्ते की लार टपकने लगी दूसरे चरण में उन्होंने घंटी बजाई तथा उसके बाद भोजन दिया तीसरे चरण में उन्होंने देखा की घंटी बजाते हैं कुत्ते के मुंह से लार टपकने लगी।अर्थात कुत्ता यह समझ चुका था कि घंटी बजाने के बाद उसे भोजन मिलता है यह सब अनुबंधन के कारण ही हुआ।


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UCR – Unconditioned Response
CR – Conditioned response
UCS – Unconditioned stimulus
CS – Conditined stimulus


प्रथम चरण-

भोजन————————————–लार का टपकना
(स्वाभाविक उत्तेजक)                  ( स्वाभाविक अनुक्रिया)

द्वितीय चरण-

घण्टी बजाना + भोजन  ————-लार का टपकना (अस्वाभाविक      (स्वाभविक                        (स्वाभाविकअनुक्रिया)
उत्तेजक)               उत्तेजक)

तृतीय चरण-

घण्टी बजाना—————————————-लार का टपकना
(परंतु भोजन नही दिया)                               (स्वाभाविकअनुक्रिया) (अस्वाभाविक उत्तेजक)                            


इस प्रयोग द्वारा पावलव ने यह निष्कर्ष निकाला कि यदि लंबे समय तक अस्वाभाविक उद्दीपन तथा स्वभाविक उद्दीपन को एक साथ प्रस्तुत किया जाए तो व्यक्ति अस्वाभाविक उद्दीपन के प्रति भी स्वभाविक जैसी अनुक्रिया करने लगता है।

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इसे ही अनुकूलित अनुक्रिया या अनुबंधित अनुक्रिया कहते हैं।

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वाटसन का प्रयोग (पावलव के समर्थन में)

वाटसन ने अपना प्रयोग पावलव के समर्थन में किया था। वाटसन ने अपनी पत्नी रैनर के साथ मिलकर 1920 में यह प्रयोग अपने 11 माह के पुत्र अल्बर्ट पर किया।

उन्होंने अल्बर्ट के सम्मुख एक बालों वाला खिलौना प्रस्तुत किया। तथा उस खिलौने के साथ विचित्र प्रकार की ध्वनि को भी जोड़ा ।

जैसे ही बच्चे के समक्ष वह ध्वनि प्रस्तुत होती वैसे ही बच्चा डर जाता है।और जब कभी भी बच्चे के सामने बालों वाला खिलौना प्रस्तुत किया जाता वैसे ही अल्बर्ट रोने लगता यह सब अनुबंधन के कारण ही हुआ।


अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धांत की कक्षा शिक्षण में उपयोगिता-

(1) इस सिद्धांत से बालक में भय,प्रेम, घृणा के भावों को आसानी से उत्पन्न किया जाता है। 

(2) इस सिद्धान्त के द्वारा बालक को वातावरण से सामंजस्य स्थापित करने में सहायता प्राप्त होती है।

(3) यह सिद्धान्त बालक में  विभिन्न प्रकार की अभिवृत्तियों के विकास में सहायता करता है।

(4) इसके द्वारा बालक में अच्छा व्यवहार एवं अनुशासन की भावना का विकास किया जाता है।

(5) यह सिद्धान्त मानसिक अथवा संवेगात्मक रूप से अस्थिर बालकों के उपचार में भी सर्वाधिक उपयोगी होता है।

महत्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न – 1 – अनुकूलित अनुक्रिया का सिद्धांत किसने दिया ?

उत्तर – पावलव

प्रश्न – 2 – अनुकूलित अनुक्रिया का सिद्धांत को किस नाम से जानते है?

उत्तर – संबंध प्रतिक्रिया का सिद्धांत , शास्त्रीय अनुबंधन का सिद्धांत

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प्रश्न – 3 – पावलव ने अपना प्रयोग किस पर किया ?

उत्तर – कुत्ते पर

प्रश्न – 4 – CR थ्योरी के नाम से कौन सा सिद्धांत जाना जाता है?

उत्तर – पावलव का अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धांत

प्रश्न – 5 – किस मनोवैज्ञानिक ने कुत्ते पर प्रयोग किया?

उत्तर – पावलव ने

प्रश्न – 6 – पावलव को नोबेल पुरस्कार कब दिया गया?

उत्तर – पावलव को अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धान्त के लिए 1904 में नोबल पुरस्कार प्रदान किया गया

प्रश्न – 7 – पावलव का पूरा नाम क्या है?

उत्तर – पावलव रूस के निवासी और प्रसिद्ध शरीर वैज्ञानिक थे। इन्होने अपना प्रयोग कुत्ते पर किया था इनका पूरा नाम Ivan Petrovich Pavlo था।

प्रश्न – 8 – मनोविज्ञान में क्लासिकल कंडीशनिंग क्या है?

उत्तर – यह सीखने की एक विधि है जिसमें जैविक दृष्टि से शक्तिशाली उद्दीपक को सामान्य उद्दीपक के साथ युग्मित किया जाता है।

प्रश्न – 9 – शास्त्रीय अनुबंधन सिद्धांत के प्रतिपादक कौन थे?

उत्तर – पावलव ने

प्रश्न – 10 – पाव लाओ कहाँ के निवासी थे?

उत्तर – सोवियत संघ




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