सार्थक अंक निकालने के नियम या विधि | method to find significant figures in hindi

दोस्तों विज्ञान की श्रृंखला में आज हमारी वेबसाइट hindiamrit.com का टॉपिक सार्थक अंक निकालने के नियम या विधि | method to find significant figures in hindi है। हम आशा करते हैं कि इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपकी इस टॉपिक से जुड़ी सभी समस्याएं खत्म हो जाएगी ।

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सार्थक अंक निकालने के नियम या विधि | method to find significant figures in hindi

सार्थक अंक निकालने के नियम या विधि | method to find significant figures in hindi
सार्थक अंक निकालने के नियम या विधि | method to find significant figures in hindi

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सार्थक अंक क्या है | Significant Figures

किसी राशि की माप में ऐसे अंक जो मापक यन्त्र की यथार्थता के अन्तर्गत राशि के मान को व्यक्त करते हैं, सार्थक अंक कहलाते हैं।अथवा

उन अंकों की संख्या, जिनके द्वारा किसी राशि को निश्चित रूप से व्यक्त किया जाता है, सार्थक अंक कहलाते हैं।

सार्थक अंक की विशेषताएँ Characteristics of Significant Figures

सार्थक अंक के गुण या विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

(1) किसी मापी गई राशि में सार्थक अंकों की संख्या मापक यन्त्र की अल्पतमांक पर निर्भर करती है  –

माना किसी रेखा की लम्बाई मीटर पैमाने से 3.7 सेमी, वर्नियर कैलिपर्स से 3.74 सेमी तथा पेंचमापी से 3.742 सेमी मापी जाती है, तो इनमें सार्थक अंकों की संख्याएँ क्रमश: 2,3 तथा 4 है। स्पष्ट है कि सार्थक अंकों की संख्या मापक यन्त्र की अल्पतमांक पर निर्भर करती है। मीटर पैमाने की अल्पतमांक 0.1 सेमी, वर्नियर कैलिपर्स की 0.01 सेमी तथा पेंचमापी की 0.001 सेमी है।

(2) दशमलव बिन्दु की स्थिति का सार्थक अंकों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता –

3.74 सेमी माप को 37.4 मिमी अथवा 0.0374 मीटर भी लिखा जा सकता है। यद्यपि इनमें दशमलव बिन्दु की स्थिति बदल गई है परन्तु प्रत्येक में सार्थक अंक तीन ही हैं। इसके आधार पर हम कह सकते हैं कि मात्रक बदलने से माप में सार्थक अंकों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

(3) किसी माप में सार्थक अंकों की संख्या जितनी अधिक होगी, वह माप उतनी ही अधिक यथार्थ होगी।

(4) किसी माप में सार्थक अंक जितने अधिक होंगे उसकी माप में प्रतिशत त्रुटि उतनी ही कम होगी –

माना किसी छड़ की लम्बाई मीटर पैमाने तथा वर्नियर कैलिपर्स से 2.5 सेमी तथा 2.52 सेमी है, तो 2.5 सेमी माप में अधिकतम प्रतिशत त्रुटि 0.1×100 /2.5 = 4% तथा 2.52 सेमी माप मे अधिकतम प्रतिशत त्रुटि 0.01 x100 / 2.52= 0.4% (लगभग) है, अत: इससे स्पष्ट होता है कि सार्थक अंक जितने अधिक होंगे, प्रतिशत त्रुटि उतनी ही कम होगी।

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सार्थक अंक ज्ञात करने के नियम | Rules to Determine Significant Figures

सार्थक अंक ज्ञात करने के निम्नलिखित नियम हैं

(i) सभी अशून्य अंक सार्थक अंक होते हैं। उदाहरण-0.3964 में चार सार्थक अंक हैं।

(ii) दो अशून्य अंकों के मध्य आने वाले सभी शून्य सार्थक अंक होते हैं। उदाहरण-2.0032 में 5 सार्थक अंक हैं।

(iii) दशमलव बिन्दु से पहले यदि कोई अशून्य अंक न हो, तो दशमलव बिन्दु के दाहिने ओर शून्य को छोड़कर उपस्थित समस्त अंक सार्थक अंक होते हैं। उदाहरण– 0.0034 में केवल 2 सार्थक अंक हैं।

(iv) ऐसी संख्या जिसमें दशमलव बिन्दु हो तथा दशमलव बिन्दु के अन्तिम अशून्य अंक के पश्चात् दाहिनी ओर आने वाले सभी शून्य सार्थक अंक होते हैं। उदाहरण– 0.0550 में 5,5,0 तीन सार्थक अंक हैं, परन्तु 5 से पहले वाला अंक (शून्य) सार्थक अंक नहीं होगा।

(v) ऐसी संख्या जिसमें दशमलव नहीं हो, तब अशून्य अंक के दाहिनी ओर स्थित सभी शून्य सार्थक अंक नहीं होते हैं। उदाहरण-4000 में केवल 1 सार्थक अंक है।

(vi) दशमलव बिन्दु के दाईं ओर किसी अशून्य अंक के बाद का शून्य सार्थक अंक होता है। उदाहरण– किसी कार का वेग 0.2010 मी/से है, तो इसमें सार्थक अंकों की संख्या 4 होगी।

(vii) किसी संख्या में 10 की घातों को सार्थक अंकों में नहीं गिना जाता है। उदाहरण1.76 x 10-20 में केवल तीन (1, 7, 6) ही सार्थक अंक हैं।

(viii) दशमलव की स्थिति बदलने से सार्थक अंकों की संख्याएँ नहीं
बदलती हैं। उदाहरण-26.5 और 2.65 दोनों में समान (तीन) सार्थक अंक होंगे।

मापन में सार्थक अंकों का महत्त्व | Importance of Significant Figures in Measurement

भौतिकी में मापन में प्रत्येक अंक की यथार्थ माप मापक यन्त्र की अल्पतमांक पर निर्भर करती है। किसी मापन में अल्पतमांक से कम अंक सार्थक अंक व्यक्त नहीं करते हैं। किसी मापन की यथार्थता बढ़ाने के लिए सार्थक अंकों की संख्या बढ़ाना आवश्यक है तथा किसी यन्त्र द्वारा मापी गयी राशियों को अन्य राशियाँ प्राप्त करने में प्रयुक्त किया जाता है। इसमें अंकगणितीय क्रियाएँ (जोड़ना, घटाना, गुणा तथा भाग) करनी पड़ती हैं। इनसे प्राप्त राशि को  सार्थक अंक में व्यक्त करना आवश्यक है।

उदाहरण 1. निम्नलिखित राशियों के लिए सार्थक अंक ज्ञात कीजिए।
(i) 4.200 किग्रा
(ii) 0.02340 न्यूटन/मी
हल (i) दशमलव बिन्दु के दाईं ओर किसी अशून्य अंक के बाद का शून्य सार्थक अंक होता है। अत: 4,200 किग्रा में चार सार्थक अंक हैं।
(ii) दशमलव बिन्दु के दाहिने तथा अशून्य अंक के बाईं ओर उपस्थित सभी शून्य सार्थक अंक नहीं होंगे। अत: 0.02340 न्यूटन/मीटर में भी चार सार्थक अंक हैं।

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उदाहरण 2. – 25, 36.00, 0.99, 0.004, 3.34×10^5 तथा 1.554×10^7 में सार्थक अंक की संख्या ज्ञात कीजिए।

हल (i) 25 में सार्थक अंकों की संख्या -2
(ii) 36.00 में सार्थक अंकों की संख्या – 4
(ii) सभी अशून्य अंक सार्थक अंक होंगे। अत: 0.99 में सार्थक अंकों की संख्या 2 होगी।
(iv) दशमलव बिन्दु के दाहिने ओर उपस्थित सभी शून्य सार्थक अंक नहीं होंगे। अत: 0.004 में सार्थक अंकों की संख्या 1 होगी।

नोट – 3.34×10^5 तथा 1.564×10^7के प्रकार की राशियों में 10 की घात वाली राशि पर ध्यान नहीं देते तथा शेष राशि से सार्थक अंक ज्ञात करते हैं। अत: 3.34 तथा 1.554 में सार्थक अंकों की संख्या क्रमश: 304 होगी।

सार्थक अंकों की अंकगणितीय क्रियाएँ

सार्थक अंकों की गणनाएँ करने में निम्न दो नियमों का पालन करना आवश्यक है –

(i) जोड़ने घटाने में सार्थक अंको के नियम

विभिन्न मापों को जोड़ते अथवा घटाते समय प्रत्येक माप में दशमलव के बाद उतने ही अंक रखने चाहिए जितने कि दशमलव के बाद सबसे कम अंकों वाली माप में हैं।
उदाहरण के लिए, माना हमारे पास लम्बाइयों की तीन मापें हैं; 27.8 सेमी, 1.324 सेमी तथा 0.66 सेमी। इन्हें जोड़ना है।
साधारण रूप से हम इन्हें इस प्रकार जोड़ेंगे-

27.8 सेमी
1.324 सेमी
+ 0.66 सेमी
योगफल 29.784 सेमी

चूँकि उपर्युक्त मापों में पहली लम्बाई (27.8 सेमी) में दशमलव के बाद केवल एक ही अंक ज्ञात है, इसलिए सार्थक अंकों की दृष्टि से दशमलव के बाद एक अंक तक ही शुद्धतम माप होगी। अत: सार्थक अंकों की दृष्टि से उत्तर 29.8 सेमी होगा।

उदाहरण – 74.1 मीटर में से 2.574 मीटर घटाइए।
हल –
   74.1 मीटर
–2.574 मीटर
   71.526 मीटर

चूँकि प्रथम लम्बाई (74.1 मीटर) में दशमलव के बाद केवल एक ही सार्थक अंक है, इसलिए सार्थक अंकों की दृष्टि से उत्तर 71.5 मीटर होगा।

(ii) गुणा या भाग में सार्थक अंको के नियम

विभिन्न मापों को गुणा अथवा भाग करने पर प्राप्त गुणनफल
अथवा भागफल में केवल उतने ही सार्थक अंक रखने चाहिए जितने
कि सबसे कम सार्थक अंकों वाली माप में हैं।

उदाहरण के लिए,

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माना किसी पट्टी की नापी गई लम्बाई 4.3 सेमी तथा चौड़ाई 3.12 सेमी है। हमें इसका क्षेत्रफल ज्ञात करना है-

क्षेत्रफल = लम्बाई x चौड़ाई
=4.3 सेमी x 3.12 सेमी
= 18.416 सेमी।

इस प्रकार क्षेत्रफल में पाँच अंक आते हैं। परन्तु लम्बाई में केवल दो ही सार्थक अंक हैं। स्पष्ट है कि क्षेत्रफल में भी केवल दो ही अंक सार्थक अंक होंगे, दो के बाद वाले सभी अंक अनिश्चित होंगे। अत: हम क्षेत्रफल को 13 सेमी लिखेंगे (13.416 सेमी नहीं)।

इसी प्रकार यदि कोई पिण्ड 3.0 सेकण्ड में 11.5 सेमी चलता है, तो
हमें पिण्ड की चाल ज्ञात करनी है।
11.5 सेमी
30 सेकण्ड
=8.833 सेमी/सेकण्ड

पिण्ड की चाल =
चूंकि समय के मान में सबसे कम दो सार्थक अंक है, इसलिए चाल के मान में दो ही सार्थक अंक होंगे। अत: पिण्ड की चाल 3.8 सेमी/ सेकण्ड होगी।

नोट –  सार्थक अंकों के बाद संदिग्ध अंकों को विलुप्त करने की विधि में सबसे पहले दाएँ वाले अंक को विलुप्त किया जाता है। यदि अंक 4 या 4 से कम है, तो उससे पहले के अंक को यथावत् रखते हैं। यदि वह 5 या 5 से अधिक है, तो उससे बाएँ वाले अंक को एक बढ़ाकर लिखते हैं। यह क्रिया सबसे दाएँ वाले अंक से प्रारम्भ करते हैं और बाएँ ओर बढ़ते हुए तब तक करते हैं जब तक कि वास्तविक सार्थक अंक नहीं प्राप्त हो जाते।

संदिग्ध अंक Doubtful Figure

किसी भी मापन में प्रेक्षण का अन्तिम अंक उस राशि के यथार्थ मान को व्यक्त नहीं करता, यही अंक संदिग्ध अंक कहलाता है। उदाहरण- मोमबत्ती की लम्बाई 6.24 एवं 6.34 के बीच होने पर, उसे 6.3 ही लेंगे। अत: इस माप में अंक 3 संदिग्ध अंक कहलाएगा।

नोट –  प्रत्येक माप का अन्तिम अंक सदैव संदिग्ध अंक होता है।



Final words

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