बल किसे कहते हैं , बल के प्रकार / definition and types of force in hindi

दोस्तों विज्ञान की श्रृंखला में आज हमारी वेबसाइट hindiamrit.com का टॉपिक बल किसे कहते हैं , बल के प्रकार / definition and types of force in hindi है। हम आशा करते हैं कि इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपकी इस टॉपिक से जुड़ी सभी समस्याएं खत्म हो जाएगी ।

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बल की परिभाषा / बल किसे कहते हैं

वह बाह्य कारक (धक्का/खिंचाव) जो किसी पिण्ड के रूप व आकार या स्थिति में परिवर्तन कर सकता है, बल कहलाता है। दैनिक जीवन में बलों का उपयोग किसी पिण्ड या वस्तु को एक स्थान से उठाकर दूसरे स्थान तक ले जाने में किया जाता है। “साधारणतया बल वह धक्का अथवा खिंचाव होता है, जो किसी वस्तु में गति या विराम की अवस्था में परिवर्तन करता है। या परिवर्तन करने का प्रयास करता है।”

नोट –  बल लगाने की क्रिया दो वस्तुओं के बीच होती है। एक वस्तु जो बल लगाती है तथा दूसरी जिस पर वह बल लगाया जाता है। एक ही वस्तु के लिए बल का कोई अर्थ नहीं है।

बल एक सदिश राशि है और इसका SI मात्रक न्यूटन (Newton) तथा CGS मात्रक डाइन (Dyne) होता है।
1 न्यूटन = 1 किग्रा-मी/से^2
1 न्यूटन = 10^5 डाइन
बल का एक अन्य मात्रक किलोग्राम- भार भी है।
1 किग्रा भार बल = 1 किग्रा x 9.81 मी/से^2
= 9.81 किग्रा मी/से^2
= 9.81 न्यूटन

1 न्यूटन = 1/9.81 किग्रा भार

बल के प्रभाव Effects of Force

किसी वस्तु पर बल लगाने के कारण उत्पन्न होने वाले प्रभाव निम्नलिखित हैं

(i) बल लगाने से किसी वस्तु के आकार या आयतन में परिवर्तन किया जा सकता है, जैसे-जस्ते की चादर को मोड़कर उसका आकार बदला जा सकता है।
(ii) किसी स्थिर वस्तु पर बल लगाने से वस्तु गतिमान हो जाती है, जैसे-रोलर को धक्का देकर गतिशील किया जा सकता है। इसी प्रकार गतिमान वस्तु पर गति की विपरीत दिशा में बल लगाने पर उसे विरामावस्था में लाया जा सकता है। अतः बल लगाने से वेग में परिवर्तन किया जा सकता है।

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(iii) बल किसी वस्तु की गति की दिशा बदल सकता जैसे- फुटबॉल पर ठोकर मारकर उसकी गति की दिशा को बदला जा सकता है।

बलों के प्रकार Types of Forces

बल निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं।

(i) संतुलित बल (Balanced Forces) – यदि किसी वस्तु पर एक साथ दो या दो से अधिक बल कार्य कर रहे हों तथा बलों का परिणामी प्रभाव शून्य हो, तो वे बल संतुलित बल कहलाते हैं। संतुलित बलों के प्रभाव में वस्तु की स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं होता है, परन्तु वस्तु की आकृति बदल जाती है। उदाहरण- यदि एक गुटके को दोनों ओर समान बल लगाकर परस्पर विपरीत दिशा में ले जाया जाता है, तब गुटके में कोई गति नहीं होती है। अतः गुटके पर लगा बल संतुलित बल कहलाता है।

(ii) असंतुलित बल (Unbalanced Forces) – यदि किसी वस्तु अथवा निकाय पर लगे हुए बलों का परिणामी बल शून्य नहीं है, तो वे बल असंतुलित बल कहलाते हैं। असंतुलित बल द्वारा किसी स्थिर वस्तु को गति प्रदान की जा सकती है तथा किसी गतिमान वस्तु को रोका जा सकता है। उदाहरण- रस्साकसी में यदि एक टीम दूसरी टीम से अधिक शक्तिशाली है, तो वह रस्से तथा कमजोर टीम दोनों को अपनी ओर खींच लेती है। इस दशा में रस्से पर लगने वाला बल, असंतुलित बल है।

गैलीलियो का जड़त्व का नियम
Gallileo’s Rule of Inertia

किसी वस्तु का वह गुण जो उसकी विराम या गति की अवस्था में परिवर्तन का विरोध करता है, जड़त्व कहलाता है अर्थात् यदि वस्तु विराम अवस्था में है, तो वह विराम अवस्था में रहेगी और यदि वह किसी दिशा में एकसमान वेग से गतिशील है तो वह उसी दिशा में समान वेग से गति करती रहेगी। किसी वस्तु का जड़त्व उस वस्तु का प्राकृतिक गुण होता है। किसी वस्तु का जड़त्व उसके द्रव्यमान के अनुक्रमानुपाती होता है। अतः जिस वस्तु का द्रव्यमान अधिक होगा उसका जड़त्व भी अधिक होगा।

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जड़त्व के प्रकार Types of Inertia

जड़त्व निम्नलिखित दो प्रकार का होता है।

(i) विराम का जड़त्व (Inertia of Rest) – यदि कोई वस्तु स्थिर अवस्था में है, तो वह सदैव स्थिर ही रहेगी, जब तक कि उसकी अवस्था परिवर्तन के लिए बाह्य बल न लगाया जाए। यह विराम का जड़त्व कहलाता है।

(ii) गति का जड़त्व (Inertia of Motion) – यदि कोई वस्तु एक नियत चाल से सरल रेखा में गतिमान है, तो उसकी अवस्था परिवर्तन के लिए बाह्य बल आरोपित करना होगा। यह गति जड़त्व कहलाता है।

दैनिक जीवन में जड़त्व के उदाहरण
Examples of Inertia in Daily Life

वस्तु के जड़त्व के अनेक उदाहरण हमें दैनिक जीवन में मिलते हैं, जो निम्नलिखित हैं –

(i) बस अथवा कार की विरामावस्था से गति दैनिक जीवन में प्राय: हम देखते हैं कि बस जैसे ही विरामावस्था से तेजी से गति करती है, तो उसमें बैठे सभी यात्रीगण पीछे की ओर गतिमान हो जाते हैं, क्योंकि यात्रियों का नीचे वाला भाग जो बस के सम्पर्क में है, आगे की ओर गतिमान हो जाता है, जबकि ऊपर वाला भाग जड़त्व के कारण पीछे की ओर विस्थापित हो जाता है।

(ii) बस अथवा कार का गतिमान अवस्था से अचानक रुकना – यदि तेजी से गतिमान बस अथवा कार अचानक रुक जाती है, तो सभी यात्रियों का नीचे वाला भाग बस के साथ स्थिर हो जाता है। जबकि ऊपर वाला भाग गतिशील ही रहता है। अतः यात्री आगे की ओर झुक जाते हैं।

(iii) कम्बल को तेजी से झाड़ने पर धूल के कणों का अलग होना – जब किसी कम्बल को तेजी से झाड़ते हैं, तो जड़त्व के कारण धूल के कण अपने स्थान पर ही रहते हैं और कम्बल से अलग होकर नीचे गिर जाते हैं।

(iv) पेड़ की शाखा को जोर से हिलाने पर फलों और पत्तियों का झड़ना –  जब पेड़ की शाखा को जोर हिलाया जाता है, तो जड़त्व के कारण पत्तियाँ व फल अपने स्थान पर ही रहना चाहते हैं और नीचे गिर पड़ते हैं।

(v) काँच की खिड़की पर बन्दूक से दागी गई गोली द्वारा छोटा छिद्र बनाना –  बन्दूक से दागी गई गोली जब अति तीव्र वेग से काँच से टकराती है, तो जिस छिद्र से गोली काँच से बाहर जाती है। उसके समीप काँच जड़त्व के कारण स्थिर रहता है। अतः गोली अपने आकार के अनुसार छोटा छिद्र बनाती है। जबकि यदि काँच पर कोई पत्थर फेंका जाए, तो सम्पूर्ण काँच की खिड़की चटक जाती है, क्योंकि पत्थर को शीशे से पार करने में अधिक समय लगता है। इस कारण शीशे का शेष भाग भी गतिमान हो जाता है और शीशा चटख जाता है।

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(vi) लम्बी कूद के खिलाड़ी का कूदने से पहले तेज दौड़ना खिलाड़ी कूदने से पहले तेज दौड़कर अपने शरीर को गतिशील कर लेता है और गतिशील अवस्था में जब वह कूदता है, तो लम्बी दूरी तय कर लेता है।

(vii) बोतल पर रखे गत्ते को अचानक हटा देने पर उस पर रखे सिक्के का बोतल में गिर जाना काँच की बोतल पर एक गत्ता रखते हैं जिस पर एक सिक्का रखा हुआ है। जब गत्ते को अचानक अंगुली से टक्कर मारकर हटा देते हैं, तो सिक्का बोतल में गिर जाता है। इसका कारण यह है कि प्रारम्भ में गत्ता और सिक्का दोनों विरामावस्था में हैं। अंगुली से टकराने पर गत्ते में गति उत्पन्न हो जाती है। जबकि सिक्का जड़त्व के कारण उस स्थान पर ठहरा रहता है। अत: गत्ता हटकर आगे बढ़ जाता है तथा सिक्का बोतल में गिर जाता है।


Final words

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