संघ पोरीफेरा : सामान्य लक्षण एवं इसके प्रमुख जंतु / information of porifera phylum in hindi

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संघ पोरीफेरा : सामान्य लक्षण एवं इसके प्रमुख जंतु / information of porifera phylum in hindi

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संघ – पोरीफेरा Phylum—Porifera (Poros-छिद्र; Ferre-धारण करना)

यह निम्न कोटि के बहुकोशिकीय जीव हैं। लैमार्क (Lamarck; 1801) ने इन्हें ‘जूफाइटा’ (Zoophyta) व रॉबर्ट ग्राण्ट (Robert Grant; 1825) ने इन्हें ‘पोरीफेरा’ नाम दिया। यह पादपों की भाँति स्थिर व शाखित होते हैं। इन्हें छिद्रों के कारण स्पंज (Sponges) भी कहते हैं।

पोरीफेरा संघ के सामान्य लक्षण

(i) ये प्रायः सभी जलीय जीव हैं, जो समुद्र तथा जलाशयों में पाए जाते हैं तथा उभयलिंगी होते हैं।

(ii) इनका शारीरिक संगठन कोशिका स्तर (Cellular grade) का होता है। अतः इनमें ऊतक व अंग अनुपस्थित होते हैं।

(iii) इनमें नाल तन्त्र (Canal system) पाया जाता, जो शरीर की सभी महत्त्वपूर्ण प्रक्रियाओं में सहायक है। यह तीन प्रकार का हो सकता है;जैसे-एस्कॉन, साइकॉन व ल्यूकॉना

(iv) इनका शरीर असममित, देहगुहाहीन व द्विस्तरीय (Diploblastic) होता है। शरीर में उपस्थित दो स्तर निम्न हैं
(a) बाह्य त्वचीय स्तर (External epidermis)
(b) आन्तरिक जठरीय स्तर (Internal gestrodermis)

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(v) बाह्य त्वचीय स्तर पिनेकोसाइट कोशिकाओं तथा आन्तरिक जठरीय स्तर कीप अथवा कॉलर (Collar) कोशिकाओं का बना होता है।

(vi) इन दोनों स्तरों के मध्य जेलीनुमा मीसेनकाइमा (Mesenchyma) पाया जाता है।

(vii) इन जन्तुओं में पुनरुद्भवन (Regeneration) की अपार क्षमता पाई जाती है, जिसका कारण आर्कियोसाइट (Archaeocytes) कोशिकाएँ हैं।

(viii) इनका अन्तःकंकाल CaCO3, सिलिका व स्पाँजीन (Spongin) प्रोटीन के तन्तुओं की कोशिकाओं का बना होता है।

(ix) इसमें पूरे शरीर पर छोटे-छोटे छिद्र पाए जाते हैं, जिन्हें चर्म रन्ध या ऑस्टिया (Ostia) तथा अग्रभाग के एक बड़े छिद्र को अपवाही रन्ध या ऑस्कुलम (Osculum) कहते हैं।

(x) इनमें अन्तः कोशिकीय (Intracellular) पाचन पाया जाता है।

(xi) इनमें अलैंगिक जनन मुकुलन, जैम्यूल या विखण्डन द्वारा व लैंगिक जनन आन्तरिक परनिषेचन द्वारा होता है।

(xii) इनका परिवर्धन अप्रत्यक्ष ( लार्वा अवस्था उपस्थित) होता है;
उदाहरण- साइकॉन, यूप्लैक्टेला, ल्यूकोसोलीनिया, स्पाँजिला, आदि।

पोरीफेरा संघ के मुख्य सदस्य / पोरीफेरा संघ के मुख्य जीव

साइकॉन Sycon

ये छिछले समुद्र में पत्थरों, चट्टानों (एकल या झुण्ड में) पर चिपके रहते हैं। शरीर कटीला, भूरा-पीला, फूलदाननुमा, 2.5-10 सेमी लम्बा व द्विस्तरीय।(Diploblastic) तथा कैल्शियम की कंटिकाओं का बना होता है। मुख के चारों ओर ऑस्कुलम झालर (Osculum fringe) पाई जाती है।

यूप्लैक्टेला Euplectella

इसकी देह चमकीली, डालीनुमा या कंकालनुमा व बेलनाकार होती है। यह गहरे समुद्रतल में एकाकी पाया जाता है। इसमें देहभित्ति पतली, ल्यूकॉन नाल प्रणाली तथा ढ़का हुआ ऑस्कुलम पाया जाता है। इसकी गुहा में स्पंजीकोला नामक झींगे का जोड़ा रहता है। जिसके कारण यह सहजीविता में पारस्परिक लाभोस्थिति अर्थात् अन्योन्य श्रियता का अच्छा उदाहरण है।


                             ◆◆◆ निवेदन ◆◆◆

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