बोली एवं उसके प्रकार | उपभाषा एवं बोली | boli in hindi

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बोली एवं उसके प्रकार | उपभाषा एवं बोली | boli in hindi

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बोली एवं उसके प्रकार | उपभाषा एवं बोली | boli in hindi

हमने आपको इस टॉपिक में क्या क्या पढ़ाया है?

(1) बोली की परिभाषा
(2) विभाषा के अंतर्गत सम्मिलित बोलियाँ
(3) बोली के प्रकार
(4) प्रमुख बोलियों का परिचय
(5) बोली और भाषा में अंतर
(6) परीक्षा उपयोगी प्रश्न

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बोली की परिभाषा | boli in hindi

बोली भाषा का प्रारंभिक रूप कहलाती है। यह एक सीमित क्षेत्र तक बोली जाती है। अर्थात भाषा के क्षेत्रीय रूप को बोली कहते हैं। जब एक ही भाषा अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग तरह से बोली जाती है तो उसे बोली कहते हैं। हिंदी भाषा हरियाणा, राजस्थान, पूर्वी तथा पश्चिमी आंध्र प्रदेश तथा बिहार में भी बोली जाती है।  परंतु हर जगह उसका स्वरूप थोड़ा परिवर्तित हो जाता है। जैसे ब्रज, अवधी, मगही, बुंदेलखंडी, पहाड़ी, हिंद,मारवाड़ी, हरियाणवी, राजस्थानी, भोजपुरिया हिंदी की बोलियां हैं।  बोलियों में लोकगीत तथा लोक कथाओं की रचना होती है। वर्तमान में केवल खड़ी बोली प्रयोग में आई जो आगे चलकर हिंदी के नाम से जानी जाती है।

विभाषा की परिभाषा || विभाषा के अंतर्गत आने वाली बोलियाँ

भाषा का छोटा रूप विभाषा है। बोली के प्रकार समझने के लिए हमे विभाषा को जानना होगा। क्योंकि विभाषा के अंतर्गत ही बोलियां आती हैं।

विभाषा के प्रकार | vibhasha ke prakar

(1) पूर्वी हिंदी – इसके अंतर्गत 3 बोलियाँ आती हैं।

(2) पश्चिमी हिंदी – इसके अंतर्गत 6 बोलियाँ आती हैं।

(3) बिहारी हिंदी – इसके अंतर्गत 3 बोलियाँ आती हैं।

(4) राजस्थानी हिंदी – इसके अंतर्गत 4 बोलियां आती हैं।

(5)  पहाड़ी हिंदी – इसके अंतर्गत 2 बोलियाँ आती हैं।

बोली से सम्बंधित महत्वपूर्ण बिंदु

(1) इस प्रकार हिंदी में कुल 18 बोलियाँ होती हैं।

(2) प्रयोग के आधार पर बोलियों की संख्या 19 होती है। क्योंकि इसमे नेपाली जुड़ जाती है।

(3) विश्व में हिंदी की सबसे अधिक बोले जाने वाली बोली भोजपुरी है।

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बोली के प्रकार | boli ke prakar

(1) पूर्वी हिंदी – इसके अंतर्गत 3 बोलियाँ आती हैं – (A) अवधी (B) बघेली (C) छत्तीसगढी

(2) पश्चिमी हिंदी – इसके अंतर्गत 6 बोलियाँ आती हैं – (A) ब्रज बोली (B) बुंदेली (C)  कन्नौजी (D) हरियाणवी (E) कौरवी (F) दक्खिनी

(3) बिहारी हिंदी – इसके अंतर्गत 3 बोलियाँ आती हैं – (A) भोजपुरी (B) मगही (C)  मैथिली

(4) राजस्थानी हिंदी – इसके अंतर्गत 4 बोलियां आती हैं – (A) मालवी (B)  मालवाड़ी (C)  मेवाती (D) जयपुरी

(5)  पहाड़ी हिंदी – इसके अंतर्गत 2 बोलियाँ आती हैं – (A) गढ़वाली (B) कुमाउँनी

बोली के प्रकार | boli ke prakar

बोली के कुल 18 प्रकार हैं – (1) अवधी (2) बघेली (3) छत्तीसगढी (4) ब्रज बोली (5) बुंदेली (6)  कन्नौजी (7) हरियाणवी (8) कौरवी (9) दक्खिनी (10) भोजपुरी (11) मगही (12)  मैथिली (13) मालवी (14)  मालवाड़ी (15)  मेवाती (16) जयपुरी (17) गढ़वाली (18) कुमाउँनी

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NOTE – यदि बोली के प्रकार प्रयोग के आधार पर पूछे जाए तो 19 बोलियाँ होती है। इसमें 18 ये और एक अतिरिक्त नेपाली जुड़ जाती है।

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कुछ प्रमुख बोलियों का परिचय | kuchh pramukh boliyan

(1) अवधी बोली का परिचय | avdhi boli

यह अवध प्रान्त की बोली रही है । जिसका पूर्वी बोलियों में प्रमुख
स्थान है। अवध का अर्थ प्रायः लोग अयोध्या  से मान लेते है।जो सही नही है। क्योंकि अयोध्या ‘नगरवाची शब्द है। जबकि अवध प्रान्त वाची शब्द है। अवध क्षेत्र की बोली को अवधी के नाम से जाना जाता है। अवधी को कोसली (कोसल राज्य की बोली) और बैसवाड़ी  नाम से भी जानते है।अवधि को सहित्यिक भाषा का अस्तित्व दिलाने में तुलसीदास और जायसी का विशेष योगदान रहा है। रामचरितमानस अवधी भाषा में लिखी गयी रचना है। इसीप्रकार पद्मावत भी अवधी भाषा में लिखी गयी रचना है।

(2) ब्रज भाषा का परिचय | braj bhasha

पश्चिमी हिन्दी की प्रमुख बोलियों में ब्रजभाषा का महत्वपूर्ण स्थान है। ब्रज का एक नाम अन्तवेदी भी है। राजस्थान में ब्रजी को ‘पिंगल’ नाम से भी जाना जाता है। साहित्य सृजन की दृष्टि से ब्रज भाषा सबसे समृद्ध है ।ब्रज भाषा में रचना करने वाले कवि सूरदास, नन्ददास, केशव, सेनापाति, बिहारी, घनानन्द एवम् पदमाकर, अदि अनेक कवि है।

(3) खड़ी बोली का परिचय | khadi boli

ध्वनियों की कर्कशता एवम् खड़खड़ाहट के कारण इसका नाम खड़ीबोली है। खड़ी को हिंदुस्तानी, कौरवी (कुरू जनपद की बोली), सरहिन्दी आदि नामों से भी जाना जाता है। संभवतः खडी बोली शब्द का प्रयोग सबसे पहले सदल मिश्र एवम् लल्लू लाल के लेखों में मिलता है।

(4) भोजपुरी का परिचय | bhojpuri boli

बिहार में स्थित शाहाबाद जिले के भोजपुर कस्बे में प्रमुख रूप से
बोली जाने वाली भाषा को भोजपुरी के नाम से जाना जाता है। भोजपुरी के सन्दर्भ में एक ऐतिहासिक प्रमाण भी मिलता है। कहाँ जाता है कि राजा भोज के वंशज मल्ल मल्ल जनपद में आकर बस गये और वही पर नये राज्य का निर्माण किया और उस राज्य की राजधानी का नाम भोजपुर रखा।

अतः भोजपुर में बोली जाने वाली भाषा भोजपुरी कहलाई। भोजपुरी की लिपि देवनागरी ही है। भोजपुर में पुराना साहित्य तो कम है। लेकिन अब भोजपुरी में भी अच्छे सहित्य लिखे जा रहे है । आकाशवाणी और दूरदर्शन एवम् कुछ प्रमुख टी.वी चैनलो ने इसे अधिक प्रशय दिया है। पूर्वाचंल के लोकगीत जैसे कजरी, सोहर बिरहा, फगुआ अदि इसके धरोहर है। भोजपुरी क्षेत्र में प्रचलित नौटकीं एवम् रामलीला में अच्छे एवं अधीवान शब्दो के प्रयोग मिलते है।

(5) कन्नौजी बोली

सस्कृत के कान्यकुब्ज से व्युत्पन्न शब्द “कन्नौज” हुआ जो
वर्तमान में उ. प्र. का एक जिला है । कन्नौज के आस-पास बोली जाने वाली बोली को कन्नौजी के नाम से जानते हैं। वास्तव में कन्नौजी को अवधी एवं ब्रजभाषा के मध्य की उपभाषा कही जाती है।

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(6) बुन्देली बोली

बुन्देल खण्ड के निवासियों द्वारा व्यवहार में प्रयोग किये जाने वाली बोली को बुन्देली के नाम से जाना जाता है।

(7) बघेली बोली

यह अर्घमागधी से उत्पन्न बोली है। हालांकि कुछ भाषाविदों ने इसे अवधी की ही उपबोली मानते हैं। बघेली अथवा बाधेली बोली बघेलखण्ड क्षेत्र में बोली जाती है। इसको केवात्ती, मन्नाडी, रिवाई, गंगाई एवं नागपुरी आदि नामों से भी जानते हैं।

बोली और भाषा में अंतर

भाषा और बोली में निम्न अंतर हैं-

1. भाषा का क्षेत्र विस्तृत होता है जबकि बोली, जो भाषा का स्थानीय रूप होता है, का क्षेत्र सीमित होता है।

2. भाषा में साहित्य की रचना होती है जबकि बोली में साहित्य नहीं लिखा जाता। जिस बोली में साहित्य रचनाएँ की जाती हैं वह उपभाषा का रूप ले लेती है।

3. भाषा का प्रयोग सरकारी काम-काज में किया जाता है जबकि बोली का सरकारी काम-काज में कोई प्रयोग नहीं होता।

बोली और भाषा में अंतर टेबल फॉर्म में

आधारबोलीभाषा
परिभाषाबोली किसी विशेष क्षेत्र, समुदाय या समाज द्वारा बोली जाने वाली संचार प्रणाली है।भाषा एक सुव्यवस्थित और व्याकरणिक रूप से विकसित संचार प्रणाली होती है।
व्याकरणिक संरचनाइसमें निश्चित व्याकरणिक नियमों की कमी होती है।इसमें निश्चित व्याकरण और लिपि होती है।
लिखित रूपआमतौर पर बोली का कोई लिखित रूप नहीं होता।भाषा का एक निश्चित लिखित रूप होता है।
उदाहरणभोजपुरी, अवधी, ब्रज, राजस्थानी, बुंदेली आदि।हिंदी, अंग्रेज़ी, संस्कृत, मराठी, तमिल आदि।
प्रयोग क्षेत्रयह सीमित क्षेत्र और समुदाय तक सीमित होती है।भाषा व्यापक रूप से प्रयुक्त होती है और साहित्य, शिक्षा, प्रशासन आदि में प्रयोग होती है।
आधिकारिक मान्यताआमतौर पर बोली को आधिकारिक मान्यता नहीं मिलती।भाषा को आधिकारिक मान्यता प्राप्त होती है।
परिवर्तनशीलतायह अधिक लचीली और बोलचाल के अनुसार बदलती रहती है।भाषा अधिक स्थिर होती है और उसमें मानकीकरण किया जाता है।

निष्कर्ष:
हर भाषा की शुरुआत किसी न किसी बोली से होती है, लेकिन जब वह बोली व्यवस्थित रूप से विकसित होकर लिखित रूप प्राप्त कर लेती है, तो वह भाषा कहलाती है। उदाहरण के लिए, हिंदी भाषा अनेक बोलियों (ब्रज, अवधी, भोजपुरी आदि) के आधार पर विकसित हुई है।

बोली एवं उसके प्रकार से जुड़े परीक्षा उपयोगी प्रश्न

प्रश्न-1- हिंदी में कुल कितनी बोलियाँ है?
उत्तर- 18

प्रश्न-2- प्रयोग के आधार पर बोलियों की संख्या कितनी है?
उत्तर- 19 (अतिरिक्त नेपाली जुड़ जाती है)

प्रश्न-3- हिंदी की सबसे ज्यादा बोले जाने वाली बोली कौन सी है?
उत्तर- भोजपुरी

प्रश्न-4- विभाषा का छोटा रूप क्या है?
उत्तर- भाषा का छोटा रूप विभाषा है और विभाषा का छोटा रूप बोली है।

प्रश्न-5- पश्चिमी हिंदी के अन्तर्गत आने वाली बोलियाँ कौन सी है?
उत्तर- ब्रज,बुंदेली,कन्नौजी,हरियाणवी,कौरवी,दक्खिनी आदि बोलियाँ पूर्वी हिंदी में आती हैं।

प्रश्न-6- बिहारी हिंदी के अन्तर्गत आने वाली बोलियाँ कौन सी है?
उत्तर- भोजपुरी,मगही,मैथिली आदि बोलियाँ पूर्वी हिंदी में आती हैं।

प्रश्न 7- पूर्वी हिंदी के अन्तर्गत आने वाली बोलियाँ कौन सी है?
उत्तर- अवधी,बघेली,छत्तीसगढी आदि बोलियाँ पूर्वी हिंदी में आती हैं।

प्रश्न-8- राजस्थानी हिंदी के अन्तर्गत आने वाली बोलियाँ कौन सी है?
उत्तर- मालवी,मलवाड़ी,मेवाती,जयपुरी आदि बोलियाँ पूर्वी हिंदी में आती हैं।

प्रश्न-9-पहाड़ी हिंदी के अन्तर्गत आने वाली बोलियाँ कौन सी है?
उत्तर- गढ़वाली,कुमाउँनी आदि बोलियाँ पूर्वी हिंदी में आती हैं।

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बोली एवं उसके प्रकार से जुड़े 20 FAQS

1.बोली क्या होती है?

उत्तर: किसी क्षेत्र या समुदाय द्वारा बोली जाने वाली स्थानीय भाषा-रूप को बोली कहते हैं।

2.बोली और भाषा में क्या अंतर है?

उत्तर: बोली का कोई निश्चित व्याकरण और लिपि नहीं होती, जबकि भाषा सुव्यवस्थित और मानकीकृत होती है।

3.भारत में कुल कितनी बोलियाँ पाई जाती हैं?

उत्तर: लगभग 1950 से अधिक बोलियाँ पाई जाती हैं।

4.बोली का मुख्य उपयोग कहाँ होता है?

उत्तर: बोली मुख्यतः मौखिक संचार के लिए उपयोग होती है।

5.क्या हर बोली एक भाषा बन सकती है?

उत्तर: हाँ, यदि उसे व्याकरणिक मान्यता और लिखित रूप मिल जाए।

6.भारत की सबसे अधिक बोली जाने वाली बोली कौन-सी है?

उत्तर: भोजपुरी।

7.कौन-सी बोली हिंदी भाषा के विकास में सहायक रही है?

उत्तर: अवधी, ब्रज, खड़ी बोली।

8.बोली के अध्ययन को क्या कहा जाता है?

उत्तर: बोली विज्ञान (Dialectology)।

9.बोली किस प्रकार बदलती है?

उत्तर: भौगोलिक, सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभावों के कारण।

10.क्या सभी बोलियाँ हिंदी भाषा से संबंधित हैं?

उत्तर: नहीं, भारत में अन्य भाषाओं की भी बोलियाँ पाई जाती हैं।

11.बोली कितने प्रकार की होती है?

उत्तर: मुख्यतः दो प्रकार की – क्षेत्रीय बोली और सामाजिक बोली।

12.क्षेत्रीय बोली क्या होती है?

उत्तर: जो किसी विशेष भौगोलिक क्षेत्र में बोली जाती है, जैसे – राजस्थानी, मैथिली।

13.सामाजिक बोली किसे कहते हैं?

उत्तर: जो किसी विशेष सामाजिक वर्ग या समूह द्वारा बोली जाती है, जैसे – किन्नर समुदाय की “हिजड़ा बोली”।

14.हिंदी भाषा की प्रमुख बोलियाँ कौन-कौन सी हैं?

उत्तर: अवधी, ब्रज, भोजपुरी, मैथिली, राजस्थानी, बुंदेली, हरियाणवी आदि।

15.ब्रज भाषा कहाँ बोली जाती है?

उत्तर: उत्तर प्रदेश के मथुरा, आगरा, अलीगढ़ आदि क्षेत्रों में।

16.अवधी बोली किस राज्य में प्रमुख रूप से बोली जाती है?

उत्तर: उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कुछ भागों में।

17.भोजपुरी किस क्षेत्र की बोली है?

उत्तर: बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड के कुछ भागों में।

18.राजस्थानी बोली के कितने उपभेद होते हैं?

उत्तर: प्रमुख रूप से पाँच – मारवाड़ी, मेवाड़ी, जयपुरी, शेखावटी, हाड़ौती।

19.मैथिली बोली को कब भाषा का दर्जा मिला?

उत्तर: 2003 में, जब इसे भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया।

20.क्या खड़ी बोली हिंदी की आधारशिला है?

उत्तर: हाँ, आधुनिक हिंदी का विकास खड़ी बोली से हुआ है।

फाइनल वर्ड

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