संघ एस्केल्मिन्थीज : सामान्य लक्षण एवं इसके प्रमुख जंतु / information of aschelminthes phylum in hindi

दोस्तों विज्ञान की श्रृंखला में आज हमारी वेबसाइट hindiamrit.com का टॉपिक संघ एस्केल्मिन्थीज : सामान्य लक्षण एवं इसके प्रमुख जंतु / information of aschelminthes phylum in hindi है। हम आशा करते हैं कि इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपकी इस टॉपिक से जुड़ी सभी समस्याएं खत्म हो जाएगी ।

Contents

संघ एस्केल्मिन्थीज : सामान्य लक्षण एवं इसके प्रमुख जंतु

संघ एस्केल्मिन्थीज : सामान्य लक्षण एवं इसके प्रमुख जंतु / information of aschelminthes phylum in hindi
संघ एस्केल्मिन्थीज : सामान्य लक्षण एवं इसके प्रमुख जंतु / information of aschelminthes phylum in hindi

information of aschelminthes phylum in hindi

Tags – संघ एस्केल्मिन्थीज के लक्षण,संघ एस्केल्मिन्थीज की विशेषताएं,संघ एस्केल्मिन्थीज के प्रमुख जंतु, एस्केल्मिन्थीज संघ के प्रमुख लक्षण,एस्केल्मिन्थीज के जंतुओं के लक्षण,एस्केल्मिन्थीज के जंतुओं की विशेषताएं,Characteristics of aschelminthes in hindi,संघ एस्केल्मिन्थीज : सामान्य लक्षण एवं इसके प्रमुख जंतु / information of aschelminthes phylum in hindi


संघ-एस्कैहेल्मिन्थीज या निमैटोडा
Phylum-Aschelminthes or Nematoda

निमै (Nema) का अर्थ ‘धागा’ तथा एडोस (eidos) का अर्थ ‘आकार’ है अर्थात् धागेनुमा आकार वाले जीव। इसलिए इन्हें सूत्रकृमि (Thread worm) भी कहते हैं। ठीक इसी प्रकार एस्कॉस (Askos) का अर्थ है ‘गोल’ तथा हेल्मिन्थीज (helminthes) का अर्थ ‘कृमि’ है। अत: इन्हें गोलकृमि (Round worm) भी कहते हैं। गैगेनवॉर (Gegenbaur) ने 1859 में निमैटहेल्मिन्थीज (Nemathelminthes) शब्द का प्रयोग किया। सन् 1910 में ग्रोपन (Gropen) ने ‘एस्कैहेल्मिन्थीज’ शब्द का प्रयोग किया।

एस्केल्मिन्थीज या निमैटोडा संघ के सामान्य लक्षण

(i) इस संघ के जीव स्वतन्त्र जीवी या परजीवी प्रकार के होते हैं।

(ii) इनका शरीर कृमिनुमा, नुकीले सिरे युक्त तथा त्रिस्तरीय, द्विपार्श्व सममित व कूटगुहीय (Pseudocoelomate) होता है।

(iii) शरीर पर खण्ड अनुपस्थित होते हैं तथा यह उपचर्म (Cuticle) से आस्तरित होता है।

(iv) इनके शरीर के अग्र सिरे पर मुख व पश्च सिरे पर गुदाद्वार पाया जाता है।

ये भी पढ़ें-  कवक की खोज,लक्षण,संरचना एवं महत्व / कवक जनित रोग

(v) यह ऐसा प्रथम संघ है, जिसके जन्तुओं के मुख से लेकर गुदाद्वार तक सीधी आहारनाल (Alimentary canal) अर्थात् सम्पूर्ण आहारनाल उपस्थित होती है।

(vi) इनमें श्वसन व परिसंचरण तन्त्र अनुपस्थित होता है।

(vii) इनमें रेनेट कोशिका (Rennet cell) द्वारा उत्सर्जन सम्पन्न होता है।

(viii) इनमें तन्त्रिका तन्त्र विकसित होता है।

(ix) इनमें परिवर्धन प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष हो सकता है।

(x) ये एकलिंगी (Unisexual) होते हैं अर्थात् नर व मादा पृथक्-पृथक् होते हैं तथा इनमें लैंगिक द्विरूपता (Sexual dimorphism) पाई जाती है। अर्थात् नर व मादा के शरीर की बाहरी बनावट व आकार भिन्न-भिन्न होते हैं, जिससे नर एवं मादा को पहचाना जा सकता है। उदाहरण-ऐस्कैरिस, हुकवर्म, फाइलेरिया कृमि, आदि।

एस्केल्मिन्थीज संघ के मुख्य सदस्य / एस्केल्मिन्थीज संघ के मुख्य जीव

गोलकृमि Ascaris

इसका शरीर बेलनाकार व पतला होता है। मादा (7-10 सेमी) व नर (4.6 सेमी) तक का होते हैं। अतः मादा का आकार नर की तुलना ज्यादा होता है। इसके शरीर पर लम्बाई में धारियाँ उपस्थित होती हैं। दूषित जल व कच्ची सब्जी के खाने से शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। मानव शरीर में यह अन्तः परजीवी एनीमिया, बुखार, कब्ज, पेटदर्द, आदि रोग उत्पन्न कर देता है।


                             ◆◆◆ निवेदन ◆◆◆

दोस्तों आपको हमारा यह आर्टिकल कैसा लगा हमे कॉमेंट करके जरूर बताएं ताकि हम आगे आपके लिए ऐसे ही आर्टिकल लाते रहे। अगर आपको संघ एस्केल्मिन्थीज : सामान्य लक्षण एवं इसके प्रमुख जंतु / information of aschelminthes phylum in hindi पसंद आया हो तो इसे शेयर भी कर दे ।

Tags – संघ एस्केल्मिन्थीज के प्रमुख जंतु, एस्केल्मिन्थीज संघ के प्रमुख लक्षण,एस्केल्मिन्थीज के जंतुओं के लक्षण,एस्केल्मिन्थीज के जंतुओं की विशेषताएं,Characteristics of aschelminthes in hindi,संघ एस्केल्मिन्थीज : सामान्य लक्षण एवं इसके प्रमुख जंतु / information of aschelminthes phylum in hindi

Leave a Comment