संघ आर्थोपोडा : सामान्य लक्षण एवं इसके प्रमुख जंतु / information of arthopoda phylum in hindi

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संघ आर्थोपोडा : सामान्य लक्षण एवं इसके प्रमुख जंतु

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संघ-आर्थ्रोपोडा Phylum-Arthropoda : (Arthron-जोड़ या जोड़दार; poda-पाद)

यह जन्तु जगत का सबसे बड़ा संघ है। इस संघ के जन्तुओं का शरीर त्रिस्तरीय एवं द्विपाश्र्वीय सममित होता है तथा खण्डों में विभाजित होता है। इसके लगभग 9 लाख जन्तु पाए जाते हैं। इस संघ की खोज वॉन सीबोल्ड (Von Siebold) ने की थी।

आर्थोपोडा संघ के सामान्य लक्षण General Characteristics of arthopoda in hindi

(i) इनका शारीरिक संगठन अंगतन्त्र स्तर का होता है।

(ii) इनमें जुड़े हुए उपाँग (Jointed appendages) पाए जाते हैं, जो शरीर के विभिन्न खण्ड़ों से निकलते हैं तथा गमन, भोजन ग्रहण, श्वसन, उत्सर्जन व जनन, आदि में सहायक होते हैं।

(iii) इनके शरीर पर काइटिन (Chitin) नामक पदार्थ का दृढ़ आवरण होता है, जिसके कारण इनको दबाकर मारना अत्यन्त कठिन होता है।

(iv) इनकी देहगुहा रक्तगुहा (Haemocoel) कहलाती है, देहगुहा में रुधिर लसीका (Haemolymph) भरा होता है।

(v) इनमें पाचन तन्त्र पूर्ण होता है, जिसमें मुख से गुदा तक सभी अंग पाए जाते हैं तथा मुख सभी प्रकार के भोजन के लिए अनुकूलित होता है।

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(vi) इनमें श्वसन शारीरिक सतह, क्लोम (Clome), ट्रेकिया (Trachea) अथवा बुक-फेफड़ों (Book lungs) द्वारा होता है।

(vii) इनके उत्सर्जी तन्त्र में ग्रीन ग्रन्थियाँ (Green glands) या मैल्पीधियन नलिकाएँ (Malpighian tubules) पाई जाती हैं।

(viii) इनमें तन्त्रिका तन्त्र पूर्ण विकसित होता है, जिनमें तन्त्रिका घेरा (Nerve ring) पाया जाता है। साथ ही समन्वयन के लिए हॉर्मोन का भी स्रावण होता है।

(ix) इनमें ग्राही अंग भी भिन्न प्रकार के तथा पूर्ण विकसित होते हैं।

(x) ये एकलिंगी होते हैं तथा लैंगिक द्विरूपता पूर्णरूपेण विकसित होती है। विकास प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष दोनों प्रकार का होता है;

उदाहरण-मधुमक्खी, रेशम का कीट, मच्छर (Anopheles, Culex, Aedes), बिच्छू, मकड़ी, झींगा, केकड़ा, तिलचट्टा, कनखजूरा, आदि।

इस संघ के सदस्यों को तीन बड़े समूहों में विभक्त कर सकते हैं। प्रथम वे जबड़े वाले आर्थ्रोपोड जन्तु, जिनमें जीवन की किसी न किसी प्रावस्था में पंख (Wings) उपस्थित होते हैं, इन्हें हम कीट (Insects) कहते हैं; जैसे-मच्छर, मक्खी, तिलचट्टा, आदि।
द्वितीय वे जो जबड़े वाले एवं बिना पंख वाले आर्थ्रोपोड हैं, इन्हें क्रस्टेशियन कहते हैं; जैसे-झींगा मछली, केकड़ा आदि। तृतीय समूह इन आर्थ्रोपोड जन्तुओं का है, जिनमें वास्तविक जबड़े एवं पंख दोनों ही नहीं होते हैं, इन्हें अरेक्निड कहते हैं; जैसे-बिच्छू, मकड़ी, आदि।

आर्थोपोडा संघ के मुख्य सदस्य / आर्थोपोडा संघ के मुख्य जीव

झींगा मछली Palaemon

इसका शरीर 6-19 सेमी लम्बा व खण्डों में विभाजित होता है। शरीर के मुख्य खण्ड़ों में सिर, वक्ष (Thorax) एवं उदर (Abdomen) होते हैं। वक्ष भागों में गमन हेतु 5 जोड़ी पाद तथा तैरने के लिए उदर भाग में 6 जोड़ी तरणपाद होते हैं। उदर खण्ड के अन्तिम भाग पर पुच्छ दण्ड (टेल्सन) होता है।

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तिलचट्ठा Periplaneta americana

यह रात्रिचर जन्तु होता है। यह अधिकांशतया सीवर, शौचालय, रसोईघर, किराने (दुकानों), आदि स्थानों पर पाया जाता है। कत्थई रंग के इस जन्तु का शरीर सिर, वक्ष तथा उदर में विभाजित होता है। शरीर पर मोटी व दृढ़ काइटिन का बाह्य कंकाल पाया जाता है। नर में एक जोड़ी गुदालूम (Anal cerci) पाई जाती हैं, जिसकी अनुपस्थिति से मादा को पहचाना जा सकता है।


                             ◆◆◆ निवेदन ◆◆◆

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