दोस्तों विज्ञान की श्रृंखला में आज हमारी वेबसाइट hindiamrit.com का टॉपिक संघ मोलस्का : सामान्य लक्षण एवं इसके प्रमुख जंतु / information of mellusca phylum in hindi है। हम आशा करते हैं कि इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपकी इस टॉपिक से जुड़ी सभी समस्याएं खत्म हो जाएगी ।
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संघ मोलस्का : सामान्य लक्षण एवं इसके प्रमुख जंतु
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संघ-मोलस्का Mollusca
मोलिस या मोलस्कम (Molluscum) का अर्थ है ‘कोमल’ अर्थात् कोमल शरीर वाले जन्तु। इस संघ में वे जन्तु आते हैं, जिनका शरीर कोमल होता है तथा एक कवच जैसी संरचना से ढ़का रहता है। यह संघ सबसे बड़े अकशेरुकी जन्तुओं के लिए भी जाना जाता है।
मोलस्का के सामान्य लक्षण / General Characteristics of Mollusca in hindi
(i) इस संघ के जन्तु मुख्यतया समुद्री होते हैं, परन्तु कुछ स्वच्छ जल एवं धरती पर भी पाए जाते हैं।
(ii) ये कोमल शरीर वाले जन्तु होते हैं, जिन पर प्रावार (Mantle) की एक पतली झिल्ली पाई जाती है। प्रावार के चारों तरफ CaCOg का एक कठोर खोल या कवच (Shell) होता है।
(iii) इनमें चलन हेतु पेशीय पाद पाया जाता है।
(iv) इनमें पूर्ण पाचन तन्त्र पाया जाता है, जिसमें यकृत तथा दाँत भी शामिल हैं।
(v) इनमें श्वसन क्लोमों (Ctenidia) अथवा प्रावार द्वारा होता है।
(vi) इनके रुधिर में हीमोसायनिन नामक वर्णक पाया जाता है, जिसके कारण इनका रुधिर हल्का -सा दिखाई देता है।
(vii) इनमें उत्सर्जी तन्त्र में वृक्क पाए जाते हैं। इनका उत्सर्जी पदार्थ अमोनिया या यूरिक अम्ल होता है
(viii) ये मुख्यतया एकलिंगी होते हैं। इनमें निषेचन आन्तरिक एवं बाह्य दोनों प्रकार का हो सकता है।
उदाहरण-घोंघा, सीपी, लोलिगो, सीपिया,ऑक्टोपस, आदि। इनमें से लोलिगो और सीपिया सबसे बड़े अकशेरुकी जन्तुओं में आते हैं।
मोलस्का संघ के मुख्य सदस्य / मोलस्का संघ के मुख्य जीव
घोंघा Pila globosa
यह शाकाहारी जन्तु है, जो पोखरों, तालाबों तथा धान के खेतों में पाया जाता है। इसके शरीर पर एक घुमावदार कवच उपस्थित होता है, जो इसकी सुरक्षा करता है। इस कवच का अन्तिम भाग बड़ा व एक छिद्र द्वारा खुला रहता है, जो ऑपरकुलम नामक ढ़क्कन से बन्द रहता है। नर का कवच अपेक्षाकृत छोटा होता है।
सीपी unio
यह सामान्यतया नदी, झरनों, तालाबों एवं झीलों के किनारे की रेत में पाए जाते है। इसका शरीर कोमल होता है तथा दो कैल्शियम युक्त कपाटों से ढका रहता है। ये कपाट एक कब्जे समान जोड़ पर खुलते व बन्द होते हैं। इनमें नर व मादा पृथक् होते हैं, परन्तु इनके बीच पहचान करना मुश्किल होता है। मांसल पाद द्वारा इसमें चलन सम्पन्न होता है। जीवन चक्र में ग्लोकीडियम लार्वा (Glochidium larva) अवस्था पाई जाती है, जो परजीवी होती है।
नोट – जोहन्सटन (Johnston; 1650) ने मोलस्का संघ की खोज की। कवच विज्ञान की वह शाखा, जिसमें मोलस्कस जीवों का अध्ययन किया जाता है। मोलस्क विज्ञान (Malacology) या शंख विज्ञान (Conchology) कहलाती है।
◆◆◆ निवेदन ◆◆◆
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