इंटरनेट की शुरुआत / इंटरनेट की सेवाएं / services of internet in hindi

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इंटरनेट की शुरुआत / इंटरनेट की सेवाएं / services of internet in hindi

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इन्टरनेट की सेवाएँ (Internet Services)

इंटरनेट की शुरुआत / इंटरनेट की सेवाएं / services of internet in hindi) के लिए इन्टरनेट सबसे उपयुक्त साधन है, आज के परिवेश में शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र अछूता हो जहाँ इन्टरनेट का प्रयोग नहीं हो रहा हो। इन्टरनेट के माध्यम से किसी भी क्षेत्र; जैसे सरकारी संस्थान, बैंकिंग, वित्त, प्रिन्ट-मीडिया,शिक्षा, कृषि, चिकित्सा, फिल्मी जगत्, बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ एवं अन्य व्यावसायिक संस्थानों से सम्बन्धित सूचना एवं आँकड़ों को आसानी से प्राप्त किया जा सकता है।

आज इन्टरनेट के सर्वव्यापी उपयोग से ही विश्वव्यापी दूरियाँ सिमट गई हैं। इन्टरनेट का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इससे किसी भी समय किसी भी विषय पर सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इन्टरनेट के द्वारा बैंक से प्रत्यक्ष सम्पर्क, वस्तुओं का क्रय-विक्रय, विशेष सूचनाओं का आदान-प्रदान तथा विशेषज्ञों को सरकारी सूचनाओं को उपलब्धता सम्भव हो सकी है। यही कारण है कि वर्तमान में इन्टरनेट अधिक लोकप्रिय है। वस्तुतः इन्टरनेट भिन्न-भिन्न नेटवर्क्स का एक ऐसा नेटवर्क है, जिसमें प्रत्येक नेटवर्क एक ऐसे माध्यम से जुड़ा होता है, जो अन्य नेटवर्क्स से सूचनाओं एवं आँकड़ों का आदान-प्रदान करता है। ये माध्यम इन्टरनेट सेवा प्रदाता के स्वमित्व में हैं।

विश्व के प्रमुख इन्टनेट सेवा प्रदाता हैं-GTI, MCI, स्प्रिन्ट यूजनेट और अमेरिका ऑनलाइन का ANS | इन माध्यमों को रीढ़ की हड्डी (Backbone) कहा जाता है। वाइड एरिया नेटवर्क, इन्टरनेट का उदाहरण है। इन्टरनेट विश्वव्यापी एवं देशव्यापी कम्प्यूटरों के नेटवर्क का जाल Mesh है।

इंटरनेट का इतिहास

सन् 1969 में अमेरिका के सैन्य विभाग द्वारा वैज्ञानिक प्रयोग एवं खोज के लिए प्रथम संचार नेटवर्क ARPANET (Advance Research Project Agency) को विकसित किया गया। ARPANET इंटरनेट का पुराना नाम है। वास्तव में यह प्रथम बार प्रयोग में लाया गया Internet था। बाद में इस नेटवर्क प्रणाली में अन्य शिक्षण संस्थानों तथा धीरे-धीरे व्यावसायिक संगठन से जुड़ने से यह इन्टरनेट (Internet) में परिवर्तित हो गया।

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परिभाषा (Definition)-इन्टरनेट को निम्न प्रकार से परिभाषित कर सकते हैं-

“विश्वव्यापी कम्प्यूटरों का अन्तर सामंजस्य समूह जिसमें वे सूचना एवं आँकड़ों का आदान-प्रदान करते हैं।”
“ऐसा विस्तृत एरिया नेटवर्क जिसमें कम्प्यूटरों के मध्य संचार टेलीफोन के माध्यम से (दो शहरों के मध्य) एवं कृत्रिम उपग्रहों के माध्यम से (एक देश से दूसरे देश के मध्य होता है।”
“इन्टरनेट, सूचना एवं आँकड़ों के आवागमन के लिए सुपर हाइवे के समान है।”
“असीमित दायरे में फैले हुए एकाकी कम्प्यूटरों का जाल इन्टरनेट कहलाता है।”

इन्टरनेट के सम्बन्ध में प्रोटोकॉल

इन्टरनेट पर सूचनाओं एवं आँकड़ों के आदान-प्रदान के लिए पूर्व परिभाषित नियम, प्रक्रियाएँ एवं सन्धियाँ हैं, जिन्हें प्रोटोकॉल कहा जाता है। वर्तमान लागू प्रोटोकॉल, संचारण नियन्त्रण  प्रोटोकॉल (Transmission Control Protocol-TCP) या इन्टरनेट प्रोटोकॉल (Internet Protocol-IP) ये दोनों मिलकर इन्टरनेट की भाषा का निर्माण करते हैं जिसे एस्पेरेटो (Experanto) कहते हैं। इन्टरनेट से जुड़ने वाला प्रत्येक कम्प्यूटर इन दोनों प्रोटोकॉलों को समझता है और नेटवर्क से जुड़े दूसरे कम्प्यूटरों से सूचनाएँ एवं आँकड़े प्राप्त करने अथवा भेजने के लिए इनका प्रयोग करता है। टी.सी.पी. का कार्य प्रत्येक सूचना एवं आँकड़ों को छोटे टुकड़ों में आँट देना है, ये टुकड़े पैकेट कहलाते हैं। प्रत्येक पैकेट पर भेजने वाले का नाम व पता लिखा होता है। आई. पी. इन पैकेट को विभिन्न सम्भावित रास्तों में से किसी रास्ते द्वारा उसके लक्ष्य तक पहुँचाता है।

इंटरनेट की कार्य प्रणाली (Working of internet )

इन्टरनेट की नेटवर्किंग प्रणाली में एक या एक से अधिक केन्द्रीय कम्प्यूटर होते हैं जिन्हें सर्वर (Server) कहते हैं। सर्वर में सम्पूर्ण सूचनाएँ एवं आँकड़े स्थायी रूप से संग्रहित होते हैं। सर्वर के माध्यम से सूचना एवं आँकड़ों का स्थानान्तरण भी किया जाता है। सर्वर के रूप में मुख्यत: मेनफ्रेम (Mainframe) कम्प्यूटर का प्रयोग किया जाता है। इन्टरनेट एक अत्यधिक बलशाली एवं गतिशील संचार माध्यम है। इन्टरनेट की विश्व में शुरुआत 1969 में तथा देश में वर्ष 1990 के तकरीबन हुई। उस समय इसका प्रयोग केवल शैक्षिक या रक्षा सम्बन्धी कार्यों में किया जाता था। इन्टरनेट को मौटे तौर पर कम्प्यूटरों के विश्वव्यापी नेटवर्क के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। जो एक प्रॉटोकोल के जरिए संचार करता है।

इन्टरनेट की अन्य सेवाएँ
(Other Services of Internet)

(1) ई-मेल (E-Mail)

इसका पूरा नाम इलेक्ट्रॉनिक मेल (Electronic mail) है। ई-मेल (E-mail) का स्थानान्तरण इलेक्ट्रॉनिक रूप में एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर में होता है। जिस प्रकार डाक द्वारा संदेश (पत्र) भेजने के लिए हमें उस व्यक्ति का पता ज्ञात होना चाहिए जहाँ सन्देश भेजना है, ठीक उसी प्रकार ई. मेल द्वारा संदेश भेजने हेतु हमें उस व्यक्ति का ई-मेल पता (Address) ज्ञात होना चाहिए। ई-मेल पते (E-mail Address) का प्रारूप निम्न प्रकार होता है-

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User name @Host.Subdomain.Comain
उदाहरण-Abhishek @rediffmail.com.
Deepak @ Vsnl.net.in

यूजर नेम (User Name)- यूजर नेम इन्टरनेट पर एकाउण्ट का नाम कहलाता है।

होस्ट (Host) होस्ट, इन्टरनेट प्रदाय मशीन का नाम होता है।

सबडोमेन नेम (Subdomain Name)-यह सम्बन्धित संगठन का प्रकार निर्धारित करता है।

कोड (Code)                       संगठन का प्रकार

.com/.co                           व्यवसायिक
net                                     नेटवर्क
.gov                                   सरकारी
.edu                                   शिक्षा
.mil                                     सैन्य
.org                                   गैर-सरकारी संगठन

डोमेन नेम (Domain Name) यह इन्टरनेट सेवा प्रदाय (ISP) देश का कोड होता है।

कोड (Code)                                देश (Country)

.au                                                    आस्ट्रेलिया
.cn                                                      चीन
.in                                                      भारत
.je                                                      जर्मनी
.jp                                                      जापान
.uk                                                      ब्रिटेन
.us                                                   अमेरिका

इन्टरनेट पर मुफ्त ई-मेल (Free E-mail) की सुविधा प्रदान करने वाली कुछ सर्वर अथवा वेबवाइट इस प्रकार हैं-
www.yahoo.com
www.rediffmail.com
www.indiatimes.com
www.webdunia.com
www.123india.com
www.hotmail.com

(2) टेलनेट (Tel Net)-यह सुविधा भौगोलिक दृष्टि से अलग-अलग स्थानों पर रखे कम्प्यूटरों के मध्य सम्पर्क स्थापित करने की सुविधा प्रदान करता है। इस सुविधा के कारण पृथक् स्थानों पर रखे कम्प्यूटर पर उपलब्ध दस्तावेजों व सॉफ्टवेयर इत्यादि का प्रयोग कर सकते हैं।

(3) गोफर (Gopher)—यह सुविधा विश्व की अनेकों लाइब्रेरी तथा सर्वरों से सूचना उपलब्ध कराने का सरतम माध्यम है।

(4) आर्ची (Archie)-आर्ची सर्वर एक समूह है जिसके माध्यम से सूचनाओं को ढूँढा जा सकता है।

(5) इलेक्ट्रॉनिक बुलेटिन बोर्ड (Electronic Bulletin Board)-इसके द्वारा किसी समाचार अथवा सूचना को सार्वजनिक रूप में उपलब्ध कराया जा सकता है। यह इन्टरनेट समाचार सेवा है। यह सुविधा नि:शुल्क (Paid) दोनों प्रकार से प्रदान की जाती है।

(6) ई-कॉमर्स (E-Commerce)-दूर स्थित व्यक्तियों तथा संस्थानों के द्वारा इन्टरनेट के माध्यम से वस्तुओं तथा सेवाओं की खरीद-बिक्री या लेन-देन किया जाता है। इस सुविधा को ई-कॉमर्स कहते हैं।
(i) व्यापार बनाम व्यापार (Business to Business-B2B)
(ii) व्यापार बनाम ग्राहक (Business to Customer-B2C)
(iii) ग्राहक बनाम व्यापार (Customer to Business-C2B)
(iv) ग्राहक बनाम ग्राहक (Customer toCustomer-C2C)

(7) ऑनलाइन संचार (Online Communication)-इस संचार व्यवस्था में सन्देश भेजने वाला व्यक्ति (user) एवं सन्देश प्राप्त करने वाला व्यक्ति एक ही समय में इन्टरनेट से जुड़े होते हैं। अत: सन्देश भेजने वाला व्यक्ति जो संदेश अपने कम्प्यूटर के मैसेज बॉक्स (Message Box) में टाइप करता है। वह सन्देश प्राप्तकर्ता के मॉनीटर पर प्रदर्शित होता है। इस प्रकार की इन्टरनेट सुविधा को कम्प्यूटर की भाषा में चैटिंग (Chatting) कहते हैं। चैटिंग का प्रयोग विभिन्न व्यापारिक संगठन द्वारा अलग-अलग जगह पर उपस्थित अपने प्रबन्धों की मीटिंग अथवा कान्फ्रेंस को आयोजित करने में होता है। इसी कारण वीडियो कान्फ्रेंसिंग एवं नेटवर्किंग का प्रचलन बढ़ रहा है।

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(8) ऑनलाइन बैंकिंग (Online Banking)-इन्टरनेट की सहायता से कभी भी मुद्रा का लेन-देन (Transaction) कर सकते हैं। इसी कारण ऑटोमेटिक टेलर मशीन (Automatic Teller Machine-ATM) का प्रचलन बढ़ रहा है। उदाहरण बैंकों में ए.टी.एम. कार्ड (Credit Card) का निरन्तर प्रयोग हो रहा है।

(9) इन्टरनेट का सर्वाधिक प्रयोग कम्पनियों द्वारा अपने उत्पाद से सम्बन्धित जानकारी को न केवल उपभोक्ताओं तक पहुँचाना है अपितु घर बैठे खरीददारी (Shoping) करने का मौका भी प्रदान करना है। यह प्रक्रिया ई-कॉमर्स (E-Commerce) कहलाती है।

(10) इन्टरनेट पर ऐसी सूचनाएँ, जो व्यक्ति विशेष को देने के बजाए सभी इन्टरनेट यूजर को प्रदान करनी होती हैं। ऐसी सूचनाओं को ई-मेल करने के स्थान पर बुलेटिन-बोर्ड मैं स्थापित कर दिया जाता है। बुलेटिन-बोर्ड सेवा (BBS) से प्राप्त सूचनाओं को न सिर्फ पढ़ सकता है बल्कि उसके सम्बन्ध में अपने विचार भी रख सकता है।

(11) इन्टरनेट पर अनेक कम्पनियों के एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर को मुफ्त में डाउनलोड (Download) कर सकते हैं। उदाहरण-संगीत, मूवी, एनीमेशन, गेम, ग्राफिक्स इत्यादि को कम्प्यूटर की डिस्क में संग्रहित किया जा सकता है।

(12) इन्टरनेट का शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक उपयोग हो रहा है। आज दूरगामी शिक्षा, ऑनलाइन परीक्षा, परीक्षा परिणाम की प्राप्ति, प्रवेश पत्र भरने की सुविधा, शिक्षा सम्बन्धी सूचना पलक झपकते ही कम्प्यूटर पर प्रदर्शित की जा सकती है।

(13) इन्टरनेट पर किसी भी व्यवसाय, संस्था आदि की सम्पूर्ण जानकारी को एक Site के रूप में प्रदर्शित की जा सकती है।

(14) इन्टरनेट पर देश-विदेश सम्बन्धी रोचक नवीन समाचार (Latest News) तुरन्त प्राप्त किये जा सकते हैं अर्थात् विश्व के किसी भी कोने में घटित घटनाएँ इन्टरनेट पर अतिशीघ्र उपलब्ध हो जाती हैं। इन्टरनेट के सर्वव्यापक प्रयोग से ही आज के परिवेश में स्थानीय स्तर की सम्पूर्ण जानकारी भी उपलब्ध है।



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