हमारी सामाजिक समस्याएँ पर निबंध | essay on our social problems in hindi

समय समय पर हमें छोटी कक्षाओं में या बड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं में निबंध लिखने को दिए जाते हैं। निबंध हमारे जीवन के विचारों एवं क्रियाकलापों से जुड़े होते है। आज hindiamrit.com  आपको निबंध की श्रृंखला में  हमारी सामाजिक समस्याएँ पर निबंध | essay on our social problems in hindi  पर निबंध प्रस्तुत करता है।

Contents

हमारी सामाजिक समस्याएँ पर निबंध | essay on our social problems in hindi

इस निबंध के अन्य शीर्षक / नाम

(1) आधुनिक जीवन की समस्याएं पर निबंध
(2) भारत की सामाजिक समस्याओं पर निबंध
(3) आधुनिक युग की देश की ज्वलंत समस्याएं पर निबंध
(4) समाज सुधार पर निबंध

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हमारी सामाजिक समस्याएँ पर निबंध | essay on our social problems in hindi

पहले जान लेते है हमारी सामाजिक समस्याएँ पर निबंध | essay on our social problems in hindi  पर निबंध की रूपरेखा ।

निबंध की रूपरेखा

(1) प्रस्तावना

(2) भारत की सामाजिक समस्याएं

(क) अशिक्षा  (ख) अस्वास्थ्य   (ग) निर्धनता   (घ) अपृश्यता  
(ङ) कृषि      (च) बेरोजगारी    

(3) नारी उत्थान की समस्या

(4) उपसंहार

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हमारी सामाजिक समस्याएँ पर निबंध | essay on our social problems in hindi

प्रस्तावना

आज भारत स्वतन्त्र है, किन्तु दीर्घकाल की पराधीनता ने इसे पंगु और लूला बना दिया है।

ठीक है कि हम आज अपने भाग्य बिधाता स्वयं हैं किन्तु हमारा सामाजिक पतन इतना हो गया है कि हमें अपने पैरों के बल खड़ा होना कठिन हो रहा है।

आर्थिक, धार्मिक तथा राजनैतिक आदि समस्याएँ हमें उलझाये जा रही हैं। हमारा सामाजिक जीवन अस्त-व्यस्त और दुःखमय होता जा रहा है।

जब तक सामाजिक समस्याओं को सुलझाया नहीं जायेगा तब तक सामाजिक विकास हो पाना सम्भव नहीं है और सामाजिक विकास के अभाव में अन्य समस्याओं का हल होना भी एक कठिन काम है।

सजा स्वार्थ की बन्दनवारें,
जब तक सुख बीणा भायेगी।
तब तक निर्धनता भारत से,
नहीं टलाये टल पायेगी ।
नारी का उत्थान न तब तक,
शिक्षा अपना रंग लायेगी।
सुख-दुःख मिलकर बाँटेंगे जब,
प्रीति किरण तब मुस्कायेगी।









मुख्य-सामाजिक समस्याएँ

अपने देश की सामाजिक समस्याओं को समझना, और उन पर बिचार करना समाज के प्रत्येक व्यक्ति का कर्तब्य है। हमारे देश में अनेक सामाजिक समस्याएँ मुँह बाये खड़ी है।

जिनमें से मुख्य-मुख्य पर हम दृष्टिपात करने का प्रयत्न करेंगे। मुख्य सामाजिक समस्याएँ अशिक्षा, अस्वास्थ्य, निर्धनता, अस्पृश्यता, बेकारी तथा नारी के उत्थान की हैं। आओ, हम तनिक इन पर विचार तो करें!

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(1) अशिक्षा

हमारे देश की अधिकांश जनता अशिक्षित है। एक समय था कि जब ऋषियों की इस भूमि में ज्ञान का सूर्य चमचमाता था। इसके प्रकाश में सारा संसार जीवन का मार्ग खोजता था।

बेदों का प्रकाश इसी देश में हुआ था। किन्तु आज अशिक्षा की अन्धेरी कोठरी में चारों तरफ घूमती हुई भारत की जनता अपने लक्ष्य रूपी दरवाजे को नहीं खोज पा रही है। ऐसा प्रतीत होता है कि ज्ञान का सुर्य पूर्व में उदय होकर अब पश्चिम को ओर ढल गया है।

हमें अपने इस देश की इस महती समस्या का शीघ्र समाधान करना होगा। शिक्षा के अभाव में हमारी जनता एवं देणा का उद्घार होना कदापि सम्भव नहीं है। हर्ष की बात है कि स्वतन्त्र भारत का सरकार इस ओर ठोस कदम उठा रही है।





(2) अस्वास्थ्य

हमारे समाज की दूसरी महत्त्वपूर्ण समस्या अस्वास्थ्य की है। किसी संस्कृत के कवि ने ठीक कहा-“शरीरमाद्यंखलुधर्म-साधनम्”; अतः स्पष्ट है कि शरीर की रक्षा मानव का आदि-परम धर्म है।

रोगों से जर्जर व्यक्ति जीवन का कुछ भी आनन्द नहीं ले पाता है। इस समस्या के मूल में एक ओर आर्थिक कठिनाई है और दूसरी ओर नैतिक पतन। धन के अभाव में जनता को वे खाद्य नहीं मिल पाते जो शरीर का पुष्ट तथा बलवान् बनाते हैं।

इसके अतिरिक्त हमारा इतना नैतिक पतन हो गया है कि हम सदाचार को बिल्कुल भूल ही बैठे हैं। हमारी मानसिक भावनाएँ विकृत हो गयी हैं। इनसे मानसिक और शारीरिक दोनों प्रकार के रोग बढ़ते जा रहे हैं; अतः इस समस्या को हल करने के लिए आर्थिक और मानसिक विकास करना आवश्यक है।

पर यह समय-साध्य कार्य है, रोगों को एकदम निर्मूल कर पाना सम्भव नहीं है; अत: तत्काल रोगों की रोकथाम करना आवश्यक है। हमारे देश में चिकित्सा के साधनों की भारी कमी है। बहुत-से मनुष्य ऐसे हैं कि जो अपनी निर्धनता के कारण रोगों की उचित चिकित्सा तक नहीं करा पाते हैं और इस संसार से चल बसते हैं।

हमारे गाँवों में अस्पताल तथा औषधालय खुलने आवश्यक हैं। सरकार इस दिशा में काफी सतर्क है। जनता को भी इस कार्य में सरकार को सहयोग देना चाहिए। छुआछूत की बीमारियों के लिए और तेज कदम उठाए जाने चाहिए।





(3) निर्धनता

निर्धनता की समस्या हमारे देश की सबसे बड़ी समस्या है। इस एक समस्या के सुलझ जाने से यहाँ की कई समस्याएँ आप से आप सुलझ सकती हैं।

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समाज में इतनी निर्धनता है कि अनेक लोगों को भरपेट भोजन नहीं मिलता, शरीर ढाँपने को कपड़ा नहीं मिलता -और वस्तुओं का तो कहना ही क्या? निर्धनता के कारण ही रोग तथा चोरी आदि दोष समाज में जोर पकड़ते जा रहे हैं ।

यह ऐसी भयंकर समस्या है जिससे छुटकारा पाना टेढ़ी खीर हो रहा है। उद्योग तथा कृषि आदि के विकास के बिना आर्थिक विकास सम्भव नहीं है और धन के अभाव में इन व्यवसायों के विकास के लिए प्रयत्न करना कोरी कल्पना है।

जनता तथा सरकार दोनों के परस्पर सहयोग से ही इस समस्या को सुलझाया जा सकता है।



(4) अस्पृश्यता

अस्पृश्यता की समस्या भी कुछ कम महत्त्व नहीं रखती है। देश के लाखों लोगों को भूत-प्रेतों के समान अस्पृश्य तथा हेय समझा जाता है। राष्ट्रपिता बापू ने छुआछूत को समाप्त करने के लिए भरसक प्रयत्न किया था।

यद्यपि यह समस्या कुछ सीमा तक हल हो गयी है परन्तु अभी भी इस दिशा में बहुत आगे बढ़ने की आवश्यकता है। अभी बहुत-से लोगों के मन में छुआ-छूत की भावना जीवित है ।

हमें जनता के विचार बदलने होंगे तथा उनके मन से इन दूषित भावों को दूर करना होगा । यह हमारे समाज का कलंक है, इसे जल्दी से जल्दी दूर कर दिया जाना चाहिए।





(5) कृषि

हमारा देश कृषि-प्रधान है। किन्तु खेद इस बात का है कि कृषि-प्रधान देश होने पर भी कृषि का पूर्ण विकास यहाँ नहीं हो पाया है। हमें दूसरे देशों से अन्न मंगाना पड़ता है।

छोटे किसानों की दशा अत्यन्त शोचनीय है। उनके सामने बीज, खाद तथा ऋण आदि की जटिल समस्याएँ हैं। सिंचाई के साधन तथा आधुनिक वैज्ञानिक यन्त्र उन्हें सुलभ नहीं।

भारत सरकार ने अब इस ओर पर्याप्त ध्यान दिया है। सिंचाई,
बीज, खाद तथा वैज्ञानिक औजारों की सुविधाएँ सरकार ने सुलभ करायी हैं। स्थान – स्थान पर कृषि के स्कूल खोलकर किसानों को कृषि की शिक्षा देने की जहाँ-तहाँ व्यवस्था की गयी है तथा की जा रही है।





(6) बेकारी

बेकारी हमारे समाज का ऐसा रोग है जो अन्दर ही अन्दर संमाज को खोखला बना रहा है। साधारण लोगों का तो कहना ही क्या? कितने ही उच्च शिक्षित मनुष्य भी बेकारी से पीड़ित हैं ।

कितने ही तो पीड़ित होकर आत्महत्या जैसे घृणित कार्य करने तक को तैयार हो जाते हैं । कुटीर उद्योगों का विकास इस समस्या को हल करने में काफी सहायता कर सकता है ।






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(7) नारी-उत्थान की समस्या

नारी का पतन हमारे सामाजिक विकास में एक बड़ी बाधा है। नारी समाज की गन्दी प्रथाएँ समाप्त होनी चाहिए। उन्हें शिक्षा प्राप्त करने तथा जीवन का विकास करने की अन्य सुविधाएँ प्राप्त होनी चाहिए।

स्वतन्त्र भारत के संविधान में नारी को पुरुषों के समान अधिकार देकर महत्त्वपूर्ण कार्य किया गया है। वास्तव में नारी का समाज में पूरुष से कम महत्त्व नहीं है।

पुरुष और स्त्री समाज रूपी गाड़ी के दो पहिए हैं, जिनमें से किसी एक के अभाव में जीवन की गाड़ी ही नहीं चल सकती। नारी का शिक्षित और विकसित होना पुरुष से पहले आवश्यक है।

नारी समाज के विकसित होने पर ही देश में श्रेष्ठ तथा योग्य
नागरिक पैदा हो सकते हैं ।





उपसंहार

इस प्रकार हमारे समाज में अनेक समस्याएँ भयानक रूप धारण किये खड़ी हैं। इन समस्याओं के कारण समाज का विकास तेजी से नहीं हो पा रहा है।

इन समस्याओं को सुलझाने के लिए हमारी सरकार
ठोस कदम उठा रही है किन्तु इनको सुलझाने के लिए समाज का सहयोग आवश्यक है।

हमें चाहिए कि इन समस्याओं को सुलझाने का पूर्ण प्रयत्न करें।



दोस्तों हमें आशा है की आपको यह निबंध अत्यधिक पसन्द आया होगा। हमें कमेंट करके जरूर बताइयेगा आपको हमारी सामाजिक समस्याएँ पर निबंध | essay on our social problems in hindi  पर निबंध कैसा लगा ।

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