उत्तम अधिगम सामग्री की विशेषताएँ | अधिगम सामग्री का रख रखाव,निर्माण एवं सावधानियां | teaching learning materials

उत्तम अधिगम सामग्री की विशेषताएँ | अधिगम सामग्री का रख रखाव,निर्माण एवं सावधानियां | teaching learning materials  – दोस्तों सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा में शिक्षण कौशल 10 अंक का पूछा जाता है। शिक्षण कौशल के अंतर्गत ही एक विषय शामिल है जिसका नाम शिक्षण अधिगम के सिद्धांत है। यह विषय बीटीसी बीएड में भी शामिल है। आज हम इसी विषय के समस्त टॉपिक को पढ़ेगे।  बीटीसी, बीएड,यूपीटेट, सुपरटेट की परीक्षाओं में इस टॉपिक से जरूर प्रश्न आता है।

अतः इसकी महत्ता को देखते हुए hindiamrit.com आपके लिए उत्तम अधिगम सामग्री की विशेषताएँ | अधिगम सामग्री का रख रखाव,निर्माण एवं सावधानियां | teaching learning materials  लेकर आया है।

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उत्तम अधिगम सामग्री की विशेषताएँ | अधिगम सामग्री का रख रखाव,निर्माण एवं सावधानियां | teaching learning materials

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उत्तम अधिगम सामग्री की विशेषताएँ

एक उत्तम अधिगम सामग्री में कुछ विशेषताएँ भी होनी चाहिए। जैसे – वह बिना लागत की हो, अल्प लागत की हो, बहुउद्देशीय हो, एक से अधिक कक्षाओं में प्रयोग हो सके, एक से अधिक पाठों में प्रयोग हो सके, उसकी शैक्षिक उपयोगिता हो, सरलता से उपयोग करने योग्य हो, कक्षा व्यवस्था के अनुरूप हो, बालकों की रुचि, आयु एवं मानसिक स्तर के अनुरूप हो। तभी वह उत्तम अधिगम सामग्री कही जायेगी।
उत्तम अधिगम सामग्री की विशेषताएँ इस प्रकार हैं–

1. बिना लागत के प्राप्त सामग्री

बिना लागत के प्राप्त सामग्रियों का प्रयोग व्यापक रूप से किया जा सकता है। इनके लिए हमें धन की आवश्यकता नहीं होती। इसके अन्तर्गत प्रकृति प्रदत्त वस्तुएँ एवं प्रयोग रहित सामग्री आती है। वर्णमाला के प्रत्येक अक्षर को लिखने के लिए दो विकल्प होते
हैं। प्रथम विकल्प के अन्तर्गत हम बाजार से गत्ता खरीदें और उसके चौकोर टुकड़े बनाकर लिखें। द्वितीय विकल्प के अन्तर्गत किताब, कॉपी एवं रजिस्टरों के फटे-टूटे गत्तों में से चौकोर टुकडे काटकर उस पर अक्षर लिखें। इसमें द्वितीय विकल्प को ही सर्वोत्तम माना जायेगा क्योंकि इसमें किसी प्रकार की लागत नहीं है तथा यह सरलता से
प्राप्त एवं निर्मित की जा सकती है।

(2) अल्प लागत की सामग्री

इसके निर्माण में कम से कम लागत होनी चाहिए। यह सामग्री भारतीय परिस्थिति में सर्वोच्च मानी जाती है क्योंकि सरकार आर्थिक रूप से पूर्णतः सक्षम नहीं है कि प्रत्येक विद्यालय को धन उपलब्ध करा सके। अत: भारतीय विद्यालयों में उन शिक्षण अधिगम सामग्रियों का
प्रयोग करना चाहिए जिनके निर्माण में कम लागत आये। इस प्रकार की शिक्षण अधि गम सामग्री का उपयोग व्यापक स्तर पर किया जा सकता है।

(3) बहुउद्देशीय सामग्री

इसके अन्तर्गत उन शिक्षण अधिगम सामग्रियों की गणना की जाती हैं जो अनेक उद्देश्यों की पूर्ति करती है। जैसे मानचित्र या किसी चार्ट को छात्रों के समक्ष प्रस्तुत करने से पहले हमें उसके आकार, रंग कलात्मकता पर पूर्ण रूप से विचार करना चाहिए क्योंकि उस
शिक्षण अधिगम सामग्री का प्रत्येक पक्ष छात्रों को अनिवार्य रूप से सूचना प्रदान करता है। इसमें छात्रों को रंग भरने, कला बनाने एवं आकार आदि का ज्ञान होगा जिसका प्रयोग वह आवश्यकता के अनुरूप कर सकता है। शिक्षण सामग्री इस प्रकार की होनी चाहिए जो छात्रों को शारीरिक एवं मानसिक रूप से क्रियाशील रखे तथा छात्रों में
विभिन्न प्रकार की दक्षताओं का विकास करे। अतः शिक्षा अधिगम सामग्री का बहुउद्देशीय होना इसकी मुख्य विशेषता है।

(4) एक से अधिक कक्षाओं में प्रयोग

इस सामग्री का निर्माण करते समय यह तथ्य ध्यान में रखना चाहिए कि उसका प्रयोग एक से अधिक कक्षाओं में किया जा सके क्योंकि प्रत्येक कक्षा के लिए पृथक रूप से शिक्षण अधिगम सामग्री निर्मित करने पर धन एवं समय का अपव्यय होगा। विभाग से उपलब्ध विज्ञान किट एवं गणित किट दोनों ही इस प्रकार की सामग्री का उदाहरण हैं,
विज्ञान किट एवं गणित किट में उपलब्ध सामग्री का प्रयोग कक्षा 1 से लेकर 5 तक किया जा सकता है। इसका मुख्य कारण यह है कि विभिन्न कक्षाओं की पाठ्य-वस्तु में सह-सम्बन्ध पाया जाता है। यह वस्तुएँ एक दूसरे से सह सम्बन्ध रखती हैं। अत: इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि शिक्षण अधिगम सामग्री का निर्माण इस प्रकार किया जाना चाहिए जिससे कि उसका प्रयोग एक कक्षा तक सीमित न हो वरन् एक से अधिक कक्षाओं में प्रयोग सम्भव हो।

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(5) एक से अधिक पाठों में प्रयोग

उत्तम शिक्षण अधिगम सामग्री उसे कहते हैं जो कि एक से अधिक पाठों में प्रयुक्त किया जाना चाहिए, जिससे कि वह प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र, गेहूँ उत्पादक क्षेत्र, चावल उत्पादक क्षेत्र, एवं नदियों को प्रदर्शित कर सके। इसके लिए हमें विभिन्न रंग एवं संकेतों का प्रयोग एक ही मानचित्र में करके भिन्न वस्तुओं को प्रदर्शित करना चाहिए।
जिस पाठ को हम छात्रों को पढ़ा रहे हैं उसमें उस मानचित्र का प्रयोग किया जा सके। इसी प्रकार अन्य विषयों की शिक्षण अधिगम सामग्री का निर्माण करना चाहिए। इसमें रख-रखाव की समस्या उत्पन्न नहीं होती है तथा धन और समय की बचत होती है।

6. विषयवार पाठ के अनुरूप

शिक्षण सामग्री का निर्माण करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि वह पाठ के अनुरूप तथा विषय से सम्बन्धित होनी चाहिए। इसके लिए यह आवश्यक है कि शिक्षक को सम्पूर्ण पाठ का अध्ययन करने के पश्चात् यह निश्चय करना चाहिए कि इस पाठ में प्रमुख रूप से किस प्रकार की शिक्षण अधिगम सामग्री का प्रयोग आवश्यक है? इसके पश्चात् ही शिक्षण अधिगम सामग्री का निर्माण करना चाहिए।
शिक्षण सामग्री का मुख्य उद्देश्य उस पाठ की अवधारणा से छात्रों को अवगत कराना है जिसके लिए उसका निर्माण किया गया है। इसलिए हमारा पूर्ण ध्यान उस पाठ के अनुसार ही शिक्षण सामग्री निर्मित करने पर होना चाहिए।

7. शैक्षिक उपयोगिता

शिक्षण अधिगम सामग्री का निर्माण उनकी शैक्षिक उपयोगिता को ध्यान में रखकर करना चाहिए। अर्थात् इन सामाग्रियों का मुख्य उद्देश्य विषयवस्तु को स्पष्ट रूप से छात्रों के लिए बोधगम्य रूप में प्रस्तुत करना है। हमें यह मानकर शिक्षण अधिगम सामग्री का निर्माण एवं प्रयोग नहीं करना है कि यह अनिवार्य है वरन् उसकी आवश्यकता एवं उपयोगिता को ध्यान में रखकर उसका उपयोग एवं निर्माण करना है। अनेक पाठ ऐसे होते हैं, जिनमें शिक्षण अधिगम सामग्री की विशेष आवश्यकता नहीं होती। इसलिए शिक्षण अधिगम सामग्री
उस अवस्था में सर्वोच्च मानी जायेगी जिस अवस्था में उसकी शैक्षिक उपयोगिता सिद्ध हो।

8, बालकों में रुचि, आयु एवं मानसिक स्तर के अनुरूप

शिक्षण अधिगम सामग्री की उत्तमता के लिए यह आवश्यक है कि यह छात्रों की रुचि, आयु एवं मानसिक स्तर के अनुकूल होनी चाहिए शिक्षण अधिगम सामग्री छात्रों को प्रिय लगनी चाहिए तथा आकर्षक होनी चाहिए। छात्र शिक्षण सामग्री के प्रति रुचि प्रदर्शित करे तथा विषय-वस्तु को समझने में उस सामग्री की आवश्यकता अनुभव करे।
आयु के संदर्भ में भी प्रमुख रूप से शिक्षण अधिगम सामग्री के स्वरूप की चर्चा की जाती है। छात्र की आयु 6 वर्ष से 8 वर्ष है तो शिक्षण सामग्री का स्वरूप खेल प्रधान गतिविधियों से सम्बन्धित होना चाहिए। बालकों को गिनती तथा पहाड़े सिखाने के लिए कंकड़ों तथा चाटों का प्रयोग करना चाहिए। छात्र 8 से 14 वर्ष के मध्य के हैं तो उसके लिए शिक्षण सामग्री के रूप में प्रतिरूप चार्ट, प्रोजेक्टर, टेपरिकॉर्डर एवं
दूरदर्शन के शैक्षिक कार्यक्रम को प्रस्तुत किया जा सकता है। इसी क्रम में छात्रों की मानसिकता तथा आयु को ध्यान में रखकर शिक्षण अधिगम सामग्री निर्मित करनी चाहिए। बहुत छात्रों का स्तर आयु स्तर से अधिक होता है तथा बहुत से छात्रों का स्तर आयु के स्तर से कम होता है। मानसिक स्तर ज्ञात करके ही शिक्षण सामग्री का निर्माण करना चाहिए जैसे प्रोजेक्टर का प्रयोग, आँकड़ों का चार्ट एवं वीडियो टेप आदि। यदि छात्र का मानसिक स्तर निम्न है तो शिक्षण सामग्री का स्तर भी निम्न होना चाहिए जैसे फ्लैश कार्ड, जड़, पत्ती एवं पौधों की टहनी आदि।


9. कक्षा व्यवस्था के अनुसार सामग्री का आकार-प्रकार

शिक्षण अधिगम सामग्री के निर्माण हेतु यह अति आवश्यक है कि उसके तैयार करने से पूर्व जिस कक्षा में उसे प्रस्तुत किया जाना है जिससे उसके आकार एवं छात्र संख्या पर विचार कर लिया जाय। इस
विषय में कक्षा-कक्ष का आकार एवं छात्र संख्या दो मुख्य बिन्दु होते हैं। यदि छात्र संख्या कम तथा कक्षा-कक्ष का आकार छोटा है तो शिक्षण अधिगम सामग्री का आकार छोटा भी हो सकता है किन्तु अधिक छात्र संख्या एवं बड़े कक्षा-कक्ष के लिए शिक्षण अधिगम सामग्री का आकार भी बड़ा होना चाहिए। इस व्यवस्था का मुख्य आशय यह है कि शिक्षण अधिगम सामग्री का आकार इस प्रकार का होना चाहिए कि सभी छात्रों को स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर हो। पीछे के छात्रों को उसे देखने में किसी प्रकार की असुविधा न हो।

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10. शिक्षण में सरलता उपयोग में लाये जाने योग्य

शिक्षण अधिगम सामग्री का निर्माण करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि उसका प्रयोग कक्षा-कक्ष में सरल रूप में किया जा सके। शिक्षण अधिगम सामग्री के प्रयोग में अधिक समय एवं धन का अपव्यय नहीं होना चाहिए और उसके निर्माण में किसी विशेष व्यवस्था का आयोजन नहीं करना चाहिए। उत्तम शिक्षण अधिगम सामग्री
उसे कहा जाता है जो प्रयोग एवं निर्माण में सरल होती है। जैसे- चार्ट, पोस्टर, मॉडल एवं प्रकृति प्रदत्त वस्तुएँ आदि।

शिक्षण अधिगम सामग्री के निर्माण, प्रयोग एवं रख-रखाव में सावधानियाँ

शिक्षण अधिगम सामग्री के निर्माण में सावधानियाँ (Precautions) शिक्षण अधिगम सामग्री के निर्माण में निम्नलिखित सावधानियों को ध्यान में रखना त चाहिए-

(1) उद्देश्य की पूर्ति (Completion of Aims) शिक्षण अधिगम सामग्री का निर्माण करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिए सामग्री का निर्माण किया जा रहा है उससे उस उद्देश्य की पूर्ति होनी चाहिए।

(2) लागत मूल्य (Cost) शिक्षण अधिगम सामग्री का निर्माण प्रक्रिया में इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उत्पादन लागत मूल्य से कम आवे ।

(3) आकार (Size)-शिक्षण अधिगम सामग्री का आकार कक्षा-कक्ष के आकार एवं छात्र संख्या के अनुसार होना चाहिए । इसका आकार ऐसा हो कि उसे बड़ी एवं छोटी दोनों ही कक्षाओं में प्रयोग किया जा सके ।

(4) प्रमुख बिन्दुओं का प्रदर्शन (Presentation of main Points) शिक्षण अधिगम सामग्री के निर्माण में प्रमुख बिन्दुओं का समावेश आवश्यक रूप से होना चाहिए । शिक्षण सामग्री पर महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं को दर्शाने से उसके महत्त्व एवं उपयोगिता में वृद्धि होती है । इससे शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को प्रभावशाली बनाया जा सकता है।
शिक्षण अधिगम सामग्री के प्रयोग में सावधानियाँ यहाँ शिक्षण सामग्रियों की उपयोगिता तथा उनके प्रयोग की दृष्टि से व्यावहारिक
सुझाव प्रस्तुत किये जा रहे हैं जिससे शिक्षक एवं छात्राध्यापक दोनों ही समान रूप से लाभान्वित होंगे-

1. यह कहना शत-प्रतिशत सत्य है कि सहायक सामग्रियों की सहायता से विद्यार्थियों को सीखने में सहायता मिलती है । दृश्य सामग्री से संज्ञानात्मक उद्देश्य, श्रव्य सामग्री से संज्ञानात्मक एवं भावात्मक उद्देश्य तथा दृश्य-श्रव्य सामग्री से संज्ञानात्मक, भावात्मक तथा कौशलात्मक तीनों क्षेत्रों के उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायता मिलती है।

2. विद्यार्थियों के सीखने की गति एवं मात्रा इस बात पर निर्भर होगी कि कौन-सी सहायक सामग्री प्रस्तुत की जाती है और क्या यह शिक्षण के प्राप्य उद्देश्य, पाठ्य-वस्तु और विद्यार्थियों के मानसिक विकास के अनुकूल है ?

3. सामग्री कैसे प्रस्तुत की जा रही है अथवा शिक्षक उसका कैसे प्रयोग कर रहा है, भी सहायक सामग्री की उपयोगिता का निर्धारण करती है।
शिक्षक सहायक सामग्री का कैसे प्रयोग करें इस सम्बन्ध में निम्नांकित बिन्दुओं पर ध्यान दिया जाना चाहिए-

1. उचित गुणों अथवा विशेषताओं वाली सहायक सामग्री को ही कक्षा शिक्षण की दृष्टि से प्रयोग करना चाहिए । शिक्षक को इस सन्दर्भ में शिक्षण के प्राप्य उद्देश्यों को अवश्य ध्यान में रखना चाहिए।

2. सहायक सामग्री के प्रयोग के पूर्व विद्यार्थियों को उसके प्रयोजन को स्पष्ट कर देना चाहिए । विद्यार्थियों को पता हो जाये कि उन्हें नमूने, मॉडल, चित्र, मानचित्र, फिल्म आदि में किन बातों को देखना है और कैसे देखना है, आदि ।

3. सहायक सामग्री का प्रयोग करते समय विद्यार्थी को सक्रिय रूप से भाग ग्रहण हेतु प्रेरित करते रहना चाहिए । बिना उसकी सार्थक सहभागिता के उसकी सक्रियता व रुचि पाठ में नहीं विकसित हो सकेगी। इसके लिए प्रश्न, परिचर्चा, श्यामपट्ट पर रेखांकन आदि
कार्य आवश्यकतानुसार शिक्षक को करना चाहिए।

4. शिक्षक को आत्म-विश्वास के साथ सहायक सामग्री कक्षा में प्रस्तुत करना चाहिए।

5. शिक्षक को विद्यार्थियों के सहायक सामग्री सम्बन्धी प्रश्न एवं जिज्ञासा को पूरी तरह शान्त करना चाहिए।

शिक्षण अधिगम सामग्री के निर्माण, प्रयोग एवं रख-रखाव
में सावधानियाँ

शिक्षण अधिगम सामग्री वस्तुतः दृश्य-श्रव्य सामग्री ही है । इनमें से कुछ को स्व-स्तर पर निर्मित किया जा सकता है, जबकि अन्य को बाजार से ही खरीदना पड़ता है। वैसे अधिकांश सामग्री का निर्माण किया जा सकता है।

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अधिकांश मॉडल जो विद्युत विषय पर आधारित होते हैं स्व-स्तर पर निर्मित किये जा सकते हैं किन्तु उन्हें बनाने में अत्यन्त सावधान रहना चाहिए; जैसे-
(1) मॉडल का भली-भाँति अध्ययन कर लेना चाहिए।
(2) मॉडल में कनेक्शन भली-भाँति लगाने चाहिए।
(3) नंगे तारों को छूना नहीं चाहिए।
(4) रबर की चप्पलें या जूते पहनकर कार्य करना चाहिए।
(5) किसी अध्यापक की सहायता से कार्य करना चाहिए।
(6) घर की बिजली की बजाए सैल (Cells) का प्रयोग करना चाहिए।

इसी प्रकार अन्य प्रकार के यन्त्र हैं; जैसे—सरल सूक्ष्मदर्शी, सरल खगोलदर्शी, रेडियो आदि का निर्माण करते समय अत्यन्त सावधान रहना चाहिए । पेड़-पौधों का एकत्रीकरण करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि कहीं कोई विषैला जीव काट न ले। प्रयोग घातक हो सकता है। इसी प्रकार रसायन का प्रयोग करते समय अत्यन्त सावधान रहना चाहिए ।

शिक्षण अधिगम सामग्री के प्रयोग में सावधानियां

(1) अध्यापक को यह भली-भांति समझ लेना चाहिए कि श्रव्य-श्रव्य सामग्री शिक्षण के लिए सहायक सामग्री है न कि शिक्षण का
(2) श्रव्य-दृश्य सामग्री के चयन से पूर्व यह निश्चित कर लिया जाता है कि इसका उपयोग करना उचित है अथवा नहीं। बिना आवश्यकता के इस सामग्री का उपयोग करना पाठ को प्राणहीन तथा अरोचक बनाता है।
(3) अधिक महँगी सामग्री का उपयोग यथासम्भव कम किया जाय । अध्यापक को चाहिए कि उपलब्ध साधनों का उपयोग करते समय उचित सामग्री प्रस्तुत करे ।
(4) सामग्री के उपयोग में अधिक समय नष्ट नहीं
करना चाहिए । उपयोग के तुरन्त बाद उसे हटा देना चाहिए अन्यथा लड़को का ध्यान पाठ से अधिक उस सामग्री में हो जायेगा।
(5) इस सामग्री का उपयोग पाठ के उद्देश्यानुसार योजनाबद्ध विधि से करना चाहिए।
(6) इस सामग्री का उपयोग प्रसंगानुकूल ही किया जाय ।
(7) यह सामग्री ऐसी हो कि प्रत्येक छात्र को दिखाई न जा सके।
(8) शिक्षण सामग्री के उपयोग बाद अध्यापक को शैक्षिक प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहिए।
(9) सामग्री का चयन इस प्रकार हो कि अध्यापक उसके प्रयोग करने में पूर्ण समर्थ हो।





शिक्षण सामग्री का रख-रखाव
(Maintenance of Teaching Aids)

शिक्षण सामग्री के निर्माण के पश्चात् उसका प्रयोग लम्बे समय तक होता है । अत: उसे अधिक समय तक सुरक्षित एवं प्रयोग के लिए उपयुक्त रहना चाहिए । इन सामग्रियों को दीर्घ समय तक सुरक्षित रखने के अग्र सावधानियाँ रखनी चाहिए-

(1) उचित स्थान (Proper Place)-शिक्षण सामग्री को ऐसे स्थान पर रखना चाहिए जहाँ सीलन एवं दीमक न हो। ऐसे स्थान पर रखने से सामग्री नष्ट होने का खतरा बन रहता है । अतः शिक्षण सामग्री रखने के लिए स्वच्छ एवं सूखा स्थान होना चाहिए ।

(2) कीड़ों से बचाव (Protection from Insects) शिक्षण सामग्री; जैसे- चार्ट, चित्र, पोस्टर, प्रतिमान आदि को झींगुर, चीपा तथा अन्य कीड़ों से बचाना चाहिए । ये कीड़े बॉक्स में आसानी से प्रवेश कर जाते हैं । दीमक एवं कीड़ों को नष्ट करने हेतु किसी कीटनाशक; जैसे—एलड्रिन आदि दवा का प्रयोग किया जाना चाहिए।

(3) अच्छी वस्तुओं का प्रयोग (Use of Good Materials)-शिक्षण सामग्री के निर्माण में अच्छी गुणवत्ता वाली वस्तुओं का प्रयोग करना चाहिए, जिससे कि सामग्री अधिक समय तक सुरक्षित रखी जा सके।

(4) सफाई (Cleanliness)-जिस स्थान पर शिक्षण अधिगम सामग्री को रखा जाये उस स्थान की सफाई अति आवश्यक है। अतः शिक्षण अधिगम सामग्री के अधिक समय तक संरक्षण के लिए एक निश्चित समय के बाद उस स्थान की सफाई करते रहना चाहिए। क्योंकि गन्दी होने पर विभिन्न प्रकार के कीड़े-मकोड़े जन्म ले लेते हैं । जिसमें
शिक्षण अधिगम सामग्री के नष्ट होने का खतरा बना रहता है।

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