शिक्षण के प्रकार | types of teaching in hindi | प्रभावशाली शिक्षण की विशेषताएं | characteristics of teaching in hindi – दोस्तों सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा में शिक्षण कौशल 10 अंक का पूछा जाता है।
शिक्षण कौशल के अंतर्गत ही एक विषय शामिल है जिसका नाम शिक्षण अधिगम के सिद्धांत है। यह विषय बीटीसी बीएड में भी शामिल है।
आज हम इसी विषय के समस्त टॉपिक को पढ़ेगे। बीटीसी, बीएड,यूपीटेट, सुपरटेट की परीक्षाओं में इस टॉपिक से जरूर प्रश्न आता है। जिसमें आज हम एक टॉपिक पढ़ेगे । अतः इसकी महत्ता को देखते हुए hindiamrit.com आपके लिए शिक्षण के प्रकार | types of teaching in hindi | प्रभावशाली शिक्षण की विशेषताएं | characteristics of teaching in hindi लेकर आया है।
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शिक्षण के प्रकार | types of teaching in hindi | प्रभावशाली शिक्षण की विशेषताएं
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शिक्षण के प्रकार | types of teaching
शिक्षण एक सतत् प्रक्रिया है जो प्रशिक्षण से लेकर अनुदेशन तक चलती है। विभिन्न आधारों पर शिक्षण को निम्नलिखित भागों में वर्गीकृत किया जाता है
(1) शासन प्रणाली के आधार पर
शासन प्रणाली के आधार पर शिक्षण या को तीन भागों में विभाजित किया जाता है-
(i) एकतन्त्रीय शिक्षण (Autocratic Teaching),
(ii) लोकतन्त्रीय शिक्षण (Democratic Teaching),
(iii) हस्तक्षेप रहित शिक्षण (Laisses Faire Teaching)
(2) शैक्षिक क्रियाओं के आधार पर
शिक्षण की विभिन्न क्रियाओं के आधार पर शिक्षण को निम्नांकित तीन भागों में विभाजित कर सकते हैं-
(i) प्रस्तुतीकरण (Presentation),
(ii) प्रदर्शन (Demonstration),
(iii) कार्य करना (Action)
(3) शिक्षण के स्वरूप के आधार पर
शिक्षण के स्वरूप के आधार पर शिक्षण को सामान्यत: निम्नांकित तीन वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है-
(i) वर्णनात्मक शिक्षण (Descriptive Teaching),
(ii) निदानात्मक शिक्षण (Diagriostic Teaching),
(iii) उपचारात्मक शिक्षण (Remmedial Teaching)।
(4) शैक्षिक व्यवस्था के आधार पर
शैक्षिक व्यवस्था के आधार पर शिक्षण का निम्नांकित तीन वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है-
(i) औपचारिक शिक्षण (Formal Teaching),
(ii) अनौपचारिक शिक्षण (Non-formal Teaching),
(iii) नि:चारिक शिक्षण (Informal Teaching)
(5) शिक्षण के उद्देश्यों के आधार पर
शिक्षण के उद्देश्यों के आधार पर शिक्षण को निम्नांकित तीन भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है-
(i) ज्ञानात्मक शिक्षण (Cognitive Teaching),
(ii) भावात्मक शिक्षण (Affective Teaching),
(iii) मनोगत्यात्मक शिक्षण (Psychomotor Teaching)|
प्रभावशाली शिक्षण की विशेषताएं | characteristics of teaching
एक अच्छे शिक्षण की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं, इनमें से अनेक का वर्णन योकम तथा सिम्पसन ने अपनी पुस्तक Modern and techniques of teaching में किया है-
(1) वांछनीय सूचना देना (Provision of desirable information)
सभ्यता के विकास के साथ-साथ मानव का ज्ञान भी निरन्तर बढ़ता जा रहा है। यह सबकुछ उसने प्रयास और त्रुटि (Trail and error), सूझ (Insight) तथा अनुकरण (Imitation) द्वारा सीखा है। हमें चाहिये कि इसके ज्ञान के भण्डार के सम्बन्ध में बालकों को सुव्यवस्थित रूप से आवश्यक सूचनाएँ दें।
(2) अच्छा शिक्षण सिखाना है (Good teaching is causing to learn)
शिक्षण से तात्पर्य है-पथ-प्रदर्शन। अच्छा शिक्षण वही है जो बालकों को सीखने में उचित मार्ग दिखाये। शिक्षक को चाहिये कि वह बालक की रुचियों, क्षमताओं, योग्यताओं तथा आवश्यकताओं का पता लगाये तथा उन्हीं के अनुसार मार्गदर्शन करे। मॉण्टेसरी (Montessori),किण्डरगार्टेन (Kindergarten), प्रोजेक्ट (Project) तथा डाल्टन (Dalton) एवं बेसिक (Basic) आदि शिक्षण विधियों का निर्माण इसी सिद्धान्त के आधार पर हुआ है।
(3) चुने हुए तथ्यों का ज्ञान (Knowledge of selective facts)
जब से मानव इस पृथ्वी पर आया है, उसी समय से बह प्रकृति (Nature) से संघर्ष करता आ रहा है। इस संघर्ष के परिणामस्वरूप उसका ज्ञान भण्डार दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। इतने अधिक बढ़ते हुए ज्ञान को बालक इतने कम समय में नहीं सीख सकता। अत: शिक्षण द्वारा बालक को चुने हुए शैक्षिक एवं लाभप्रद तथ्य बताने चाहिये।
(4) सहानुभूतिपूर्ण (Sympathetic)
अच्छे शिक्षण के लिये यह आवश्यक है कि शिक्षक द्वारा बालकों के साथ परस्पर मित्रता तथा सहानुभूति का व्यवहार किया जाय। वह शिक्षण जिसमें अध्यापक एक जल्लाद का रूप ले लेता है या जहाँ अध्यापक अपने को एक न्यायाधीश समझने लगता है,। जिसे प्रत्येक अपराध के लिये लिखित नियमों के अनुसार दण्ड देनी है।कदापि अच्छा शिक्षण प्रदान नहीं कर सकता। बालकों की त्रुटियों पर केवल दण्ड देना शिक्षक का कार्य नहीं है बल्कि उनको सुधारना भी उसका कार्य है। अत: शिक्षण दया पर आधारित होना चाहिये न कि क्रूरता पर।
(5) सहयोग पर आधारित (Based on co-operation)
शिक्षण एक मार्गीय नहीं होता, उसके लिये अध्यापक तथा विद्यार्थियों के बीच सहयोग होना अनिवार्य है। यदि विद्यार्थियों का सहयोग अध्यापक को प्राप्त नहीं होगा तो कभी भी सफल शिक्षण नहीं हो सकता। विद्यार्थियों के सहयोग के लिये अध्यापक को चाहिये कि वह उनके लिये अच्छी क्रियाओं का आयोजन करे।
(6) प्रजातन्त्रीय (Democratic)
वर्तमान युग प्रजातन्त्र का युग है। कक्षा के प्रत्येक विद्यार्थी को शिक्षण प्रक्रिया में समान अधिकार प्रदान किये जाने चाहिये। वास्तव में अच्छा शिक्षण वही है जो बालकों में प्रजातन्त्रात्मक मनोवृत्ति को उत्पन्न कर दे और वह अपने प्रतिदिन के व्यवहार तथा आचरण में प्रजातन्त्रीय भावनाओं द्वारा प्रेरणा ग्रहण करे तथा उनमें प्रजातन्त्रीय विचारों को जीवन में उतारने की भावना का विकास करे।
(7) प्रगतिशील (Progressive)
बालक की सच्ची शिक्षा उसके निजी अनुभवों पर आधारित होनी चाहिये। अच्छा शिक्षण बालक के पूर्व अनुभवों को ध्यान में रखते हुए नवीन ज्ञान प्रस्तुत करना है। इससे बालक के व्यवहार में परिवर्तन तथा सुधार होता है। अत: हम कह सकते हैं कि अच्छा शिक्षण प्रगतिशील होता है।
(8) गुणकारी योजना पर आधारित (Depends on effecient planning)
अच्छा शिक्षण देने के लिये सबसे पहले शिक्षण देने की अच्छी योजना बनाना आवश्यक है। यदि योजना न बनायी जाय तो शिक्षण में क्या पढ़ायें और कैसे पढ़ायें तथा कब पढ़ायें ? इन सभी प्रश्नों के उत्तर के सम्बन्ध में अस्पष्ट विचार रहेंगे।
(9) निर्देशात्मक (Directional)
अच्छे शिक्षण में बालक को निर्देश दिया जाता है कि कक्षा का वातावरण निर्देशात्मक होना चाहिये। वहाँ कठोर अनुशासन को अच्छा नहीं समझा जाता। अध्यापक ऐसी स्थिति उत्पन्न कर देता है, जिनमें कार्य करके बालक अनेक गुण ग्रहण कर लेता है।
(10) निदानात्मक एवं उपचारात्मक (Diagnostic and remedial)
आज हम वस्तुनिष्ठ परीक्षणों के द्वारा बालक की योग्यताओं, क्षमताओं एवं संवेगात्मक विशेषताओं का पता भी सरलतापूर्वक लगा सकते हैं।उक्त साधनों के द्वारा हम शिक्षण को निदानात्मक बना सकते हैं। साथ ही व्यक्तिगत भिन्नता, शिक्षण की नवीन पद्धतियों तथा पिछड़ेपन के कारणों का ज्ञान प्राप्त करके हम शिक्षण को उपचारात्मक भी बना सकते हैं।
संक्षेप में अच्छा शिक्षण क्रियाशील रहने के अवसर प्रदान करता है। अच्छा शिक्षण सीखने का संगठन करता है। अच्छा शिक्षण बालक को अपने वातावरण से अनुकूलन करने में सहायता देता है। अच्छा शिक्षण तैयारी का एक साधन है। अच्छा शिक्षण बालक को सन्तुष्टि प्रदान करता है।
(11) शिक्षण दया एवं सहानुभूतिपूर्ण होता है (Teaching is kindly and Sympathitic)
सफल शिक्षक के लिए यह परम आवश्यक होता है कि वह दया एवं सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार छात्रों के साथ करें क्योंकि छात्रों की जो मूल समस्याएँ हैं । उनकी जानकारी प्राप्त हो सकेंगी तथा अध्यापकों के द्वारा इन समस्याओं को जानने के बाद उनका समाधान किया जायेगा तथा छात्रों को उत्तम ज्ञान तो प्राप्त होता ही लेकिन इसके अतिरिक्त
उनमें कोई ग्रन्थि पैदा नहीं होती है।
(12) अच्छा शिक्षण प्रेरणादायक होता है (Good teaching is Stimulation)
अच्छा शिक्षण वह कहलाता है जिसमें शिक्षक के द्वारा ऐसा वातावरण तैयार किया जाता है । जिसमें बालक स्वयं क्रिया करने को तत्पर होता है और उससे कुछ सीखता है। शिक्षक को चाहिए कि वह बालक को अधिक-से-अधिक प्रेरित कर सके क्योंकि बालक को सीखने की जितनी रुचि होती है बालक उतना ही अधिक सीखने का प्रयास करेगा।
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