दोस्तों हमारा आज का टॉपिक श्रृंगार रस की परिभाषा,भेद और उदाहरण | श्रृंगार रस के भेद और उदाहरण | shringar ras in hindi है। हमे अनेक परीक्षाओं में रसों से संबंधित प्रश्न आते हैं,जिनमे रस के उदाहरण या उदाहरण देकर रस का नाम पूछा जाता है। इसलिए hindiamrit.com आज आपको इस टॉपिक की विधिवत जानकारी देगा।
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श्रृंगार रस की परिभाषा,भेद और उदाहरण | shringar ras in hindi
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श्रृंगार रस की परिभाषा,भेद और उदाहरण | shringar ras in hindi
हमने आपको इस टॉपिक में क्या क्या पढ़ाया है?
(1) श्रृंगार रस की परिभाषा
(2) श्रृंगार रस के भेद
(3) श्रृंगार रस के उदाहरण स्पष्टीकरण सहित
(4) श्रृंगार रस के अन्य उदाहरण
(5) श्रृंगार रस के परीक्षा उपयोगी प्रश्न
श्रृंगार रस की परिभाषा | श्रृंगार रस किसे कहते हैं
जब विभाव, अनुभाव और व्यभिचारी के संयोग से रति नामक स्थायी भाव रस रूप में परिणत हो, तो उसे श्रृंगार रस कहते हैं।
श्रृंगार रस के दो पक्ष होते है-
(1) संयोग श्रृंगार रस
(2) वियोग श्रृंगार रस
श्रृंगार रस के भेद | श्रृंगार रस के प्रकार व उदाहरण
1. संयोग श्रृंगार रस
जहाँ प्रेमी प्रेमिका की संयोग दशा में प्रेम का चित्रण, मधुर वातावरण, दर्शन, स्पर्श आदि का वर्णन हो, उसे सयोग श्रृंगार रस कहते है ।
उदाहरण-
कर मुंदरी की आरसी, प्रतिबिम्बित प्यौ पाइ।
पीठ दिये निधरक लखै, इकटक दीठि लगाइ॥
स्पष्टीकरण –
प्रस्तुत उदाहरण में संयोग श्रृंगार रस है।
स्थायी भाव – रति
आश्रय – नवोढ़ा बधू
आलम्बन – प्रियतम (नायक)
उद्दीपन – प्रियतम का प्रतिधिम्ब
अनुभाव – एक टंक से प्रतिविम्ब को देखना
व्यभिचारी भाव – हर्ष, औत्सुक्य
2. विप्रलम्भ (वियोग) श्रृंगार रस
जहाँ प्रेमी और प्रेमिका की वियोग दशा में प्रेम का चित्रण तथा विरह
बेदना का रसमय वर्णन हो, उसे विप्रलम्भ श्रृंगार कहते हैं।
उदाहरण –
हौं ही बोरी बिरह बरा, कैे बोरों सब गाउँ।
कहा जानिए कहत है, समिहि सीतकर नाउँ ॥।
स्पष्टीकरण-प्रस्तुत उदाहरण में विप्रलम्भ श्रृंगार रस है।
स्थायीभाव – रति
आश्रय – विरहिणी नायिका
उद्दीपन – चन्द्रमा, चाँदनी
व्यभिचारी भाव – विषाद, आवेग, देन्य आदि
आलम्बन – प्रियतम (नायक)
अनुभाव – अश्रु , स्वेद आदि
आप अन्य रस भी पढ़िये
(A) श्रृंगार रस (B) शांत रस ( c) हास्य रस (D) करुण रस (E) रौद्र रस (F) भयानक रस (G) वीभत्स रस (H) वीर रस (i) अद्भुत रस ( J) भक्त्ति रस
श्रृंगार रस के अन्य उदाहरण | श्रृंगार रस के आसान उदाहरण
संयोग श्रृंगार रस के अन्य उदाहरण
(1) मकराकृति गोपाल कैं सोहत कुंडल कान।
धरथौ मनौ हिय-गढ़ समरु ड्यौढ़ी लसत निसान॥
(2) बतरस लालच लाल की मुरली धरी लुकाय ।
सौंह करे भौंहनि हँसै, दैन कहै नटि जाय ।।
(3) कहत नटत रीझत खिझत मिलत खिलत लजियात।
भरे भौन मैं करत हैं नैननु ही सब बात॥
वियोग श्रृंगार रस के अन्य उदाहरण | श्रृंगार रस के सरल उदाहरण
(1) बैठी खिन्ना यक दिवस वे गेह में थीं अकेली ।
आके आसू दृग-युगल में थे धरा को भिगोते ।।
आई धीरे इस सदन में पुष्प सद्गंध को ले ।
वाली सुपवन इसी प्रात: काल वातायनों से।।
(2) सतापों को विपुल बढ़ता देख के दुःखिता हा ।
घार बोली स-दुःख उससे श्रीमति राधिका यों ।।
प्यारी प्रात: पवन इतना क्यों मुझे है सताती।
क्या तू भी है कलुषित हुई काल की क्रूरता से ।।
(3) मेरे प्यारे नव जलद से कंज से नेत्रवाले।
जाके आये न मधुबन से औ न भेजा सँदेसा ॥
मैं रो-रो के प्रिय-विरह से बावली हो रही हूँ ।
जा के मेरी सब दुःख-कथा श्याम को तू सुना दे।।
★ रस के अंग – विभाव,अनुभाव,संचारी भाव,स्थायी भाव आदि पढ़िये इसे टच करके।।
श्रृंगार रस के परीक्षा उपयोगी प्रश्न
(1) कंज नयनि मंजनु किये बैठी व्यौरति बार।
कच अँगुरी बिच दीठि दै चितवति नन्दकुमार॥ – संयोग श्रृंगार
(2) औंधाई सीसी सुलखि विरह बरनि बिललात।
बिचहीं सूखि गुलाब गौ छींटौं छुई न गात॥ – संयोग श्रृंगार
(3) जाते-जाते अगर पथ में क्लान्त कोई दिखावे|।
तो जा के सन्निकट उसकी क्लान्तियों के मिटाना ।।
धीरे-धीरे परस करके गात उत्ताप खोना।
सदगंधों से श्रमित जन को हर्षितों सा बनाना ।। – वियोग श्रृंगार
(4) लज्जाशीला पथिक महिला जो कहीं दृष्टि आये ।
होने देना विकृत-वसना तो न तू सुन्दरी को ॥
जो थोड़ी भी श्रमित बह हौ गोद ले श्रान्ति खोना।
होठों की ओ कमल-मुख की म्लानतायें मिटाना।। – वियोग श्रृंगार
(5) ज्यों ही मेरा भवन तंज तू अल्प आगे बढ़ेगी।
शोभावाली सुखद कितनी मंजु कुंजें मिलेंगी।।
प्यारी छाया मृदुल स्वर से मोह लेंगी तुझे वे।
तो भी मेरा दु:ख लख वहाँ जा न विश्राम लेना।। – वियोग श्रृंगार
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