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स्वर की परिभाषा | स्वर के प्रकार | swar in hindi
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स्वर की परिभाषा | स्वर के प्रकार | swar in hindi
हमने इस टॉपिक में क्या क्या सम्मिलित किया है?
(1) वर्ण की परिभाषा
(2) स्वर की परिभाषा,स्वर किसे कहते हैं
(3) स्वर के प्रकार,स्वर के भेद
(4) मात्रा या उच्चारण काल के आधार पर स्वरों के प्रकार
(5) योग या रचना के आधार पर स्वरों के प्रकार
(6) जिह्वा की उत्थापित भाग या जिह्वा की आड़ी स्थिति के आधार पर स्वरों के प्रकार
(7) जिह्वा की खड़ी स्थिति या मुख द्वार खुलने – बन्द होने के आधार पर स्वरों के प्रकार
(8) ओष्ठों की स्थिति के आधार पर स्वरों के प्रकार
(9) जिह्वा पेशियों के तनाव के आधार पर,उच्चारण स्थान के आधार पर स्वरों के प्रकार
(10) स्वर तंत्रियों के कंपन / घोष के आधार पर स्वरों के प्रकार
(11) महत्त्वपूर्ण परीक्षा उपयोगी प्रश्न
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वर्ण की परिभाषा
यह भाषा की वह छोटी इकाई है, जिसके खंड नहीं किए जा सकते हैं। वर्ण को अक्षर भी कहा जाता है। और अक्षर का अर्थ होता है – अनाशवान । अतः वर्ण को खंड खंड नहीं किया जा सकता है।
वर्ण के प्रकार
(1) स्वर
(2) व्यंजन
(3) अयोगवाह
हमने पिछले पोस्ट में वर्णों के बारे में पढ़ा था। आज हम स्वरों के बारे में विस्तार से पढ़ेगे।
स्वर किसे कहते हैं || स्वर की परिभाषा | hindi me swar
ऐसे वर्ण जिनका उच्चारण करते समय हमें किसी अन्य वर्ण की सहायता नहीं लेनी पड़ती है। अर्थात जिन का उच्चारण स्वतंत्र रूप से होता है, स्वर कहलाते हैं।
हिंदी में स्वरों की संख्या 11 है।
Important note–
NOTE -1– हिंदी में लेखन के आधार पर स्वरों की संख्या 13 मानी गई है।
NOTE-2– हिंदी में उच्चारण के आधार पर स्वरों की संख्या 10 मानी गई है।
NOTE-3– हिंदी वर्णमाला में विलुप्त स्वर भी है। जिसकी संख्या 1 है और वह लृ है। मतलब लृ को स्वर की संज्ञा नहीं दी गयी है।
स्वर के प्रकार | स्वरों का वर्गीकरण | swar ke prakar
दोस्तों स्वरों का वर्गीकरण, स्वर के प्रकार अलग अलग प्रकार के आधार पर विभाजित किये गए है। स्वरों के विभाजन,स्वरों के वर्गीकरण के कुल 6 आधार हैं,जो निम्नलिखित हैं।
(1) मात्रा या उच्चारण काल के आधार पर स्वरों के प्रकार
(i) ह्रस्व स्वर
(ii) दीर्घ स्वर
(iii) प्लुत स्वर
(2) योग या रचना के आधार पर स्वरों के प्रकार
(i) मूल स्वर
(ii) संयुक्त स्वर / संहित स्वर
(3) जिह्वा की उत्थापित भाग या जिह्वा की आड़ी स्थिति के आधार पर स्वरों के प्रकार
(i) अग्र स्वर
(ii) मध्य या केंद्रीय स्वर
(iii) पश्च स्वर
(4) जिह्वा की खड़ी स्थिति या मुख द्वार खुलने – बन्द होने के आधार पर स्वरों के प्रकार
(i) विवृत
(ii) अर्ध विवृत
(iii) संवृत
(iv) अर्ध संवृत
(5) ओष्ठों की स्थिति के आधार पर स्वरों के प्रकार
(i) वर्तुल या वृत्तमुखी
(ii) अवर्तुल या प्रसृत या आवृतमुखी
(iii) अर्द्धवर्तुल
(6) जिह्वा पेशियों के तनाव के आधार पर
(i) शिथिल
(ii) कठोर
(7) उच्चारण स्थान के आधार पर स्वरों के प्रकार
इसे नीचे विस्तार से पढ़ेगे।
(8) स्वर तंत्रियों के कंपन / घोष के आधार पर स्वरों के प्रकार
सभी स्वर घोष वर्ण है। इसे नीचे विस्तार से पढ़ेगे।
स्वर कितने प्रकार के होते है || स्वरों के प्रकार | hindi me swar ke prakar
वैदिक काल में ध्वनि मापन की इकाई मात्रा थी इसी मापन के आधार पर ही स्वरों का विभाजन किया गया था।
आइए जानते हैं वर्तमान में निर्धारित विभिन्न आधारों के आधार पर स्वरों के प्रकार।
मात्रा या उच्चारण काल के आधार पर स्वरों के प्रकार
उच्चारण काल या मात्रा के आधार पर स्वरों की संख्या 11 है। इनको तीन भागों में बांटा गया है :–
(i) ह्रस्व स्वर
ऐसे स्वर जिनका उच्चारण करने में बहुत ही कम समय लगभग एक मात्रा का लगता है, ह्रस्व स्वर कहलाते हैं।
इनकी संख्या 4 है – अ,इ,उ,ऋ ।
(ii) दीर्घ स्वर
ऐसे स्वर जिनका उच्चारण करने में हृस्य स्वर से अधिक समय लगभग दो गुना लगता है, दीर्घ स्वर कहलाते हैं।
इनकी संख्या 7 है – आ,ई,ऊ,ए,ऐ,ओ,औ ।
(iii) प्लुत स्वर
ऐसे स्वर जिनका उच्चारण करने में सबसे अधिक समय अर्थात 2 से अधिक मात्राओं का लगता है,प्लुत स्वर कहलाते हैं।
प्लुत स्वर को उल्टा एस या हिंदी के 3 से प्रदर्शित करते हैं।
जैसे- ओ३म, रो३म, भै३या आदि।
योग या रचना के आधार पर स्वरों के प्रकार
बनावट या रचना के आधार पर स्वरों की संख्या 11 है। इनको दो भागों में बांटा गया है :–
(i) मूल स्वर
वे स्वर जिनकी रचना स्वयं से हुई है अर्थात ये किसी अन्य स्वरो के मिलाने से नहीं बने हैं,मूल स्वर कहलाते हैं।
इनकी संख्या 4 है – अ,इ,उ,ऋ । अर्थात मूल स्वर हृस्व स्वर हैं।
(ii) संयुक्त स्वर / संहित स्वर
वे स्वर जिनकी रचना दूसरों स्वरों से हुई है अर्थात यह किसी अन्य स्वरों के मिलाने से बने हैं, संयुक्त स्वर या संहित स्वर कहलाते हैं।
इनकी संख्या 4 है –ए,ऐ,ओ,औ ।
जिह्वा की उत्थापित भाग या जिह्वा की आड़ी स्थिति के आधार पर स्वरों के प्रकार
जीभ की आड़ी स्थिति यह जीभ के प्रयोग के आधार पर स्वरों को तीन भागों में बांटा गया है।
(i) अग्र स्वर
जिन स्वरों के उच्चारण में जीभ का आगे का हिस्सा उठता है,अग्र स्वर कहलाते हैं।
इनकी संख्या 4 है – इ,ई,ए,ऐ ।
(ii) मध्य या केंद्रीय स्वर
जिन स्वरों के उच्चारण में जीभ के बीच का हिस्सा उठता है,मध्य या केंद्रीय स्वर कहलाते हैं।
इनकी संख्या 1 है – अ ।
(iii) पश्च स्वर
जिन स्वरों के उच्चारण में जीभ के पीछे का हिस्सा उठता है,पश्च स्वर कहलाते हैं।
इनकी संख्या 5 है – आ,उ,ऊ,ओ,औ ।
जीभ की खड़ी स्थिति या मुख द्वार खुलने – बन्द होने के आधार पर स्वरों के प्रकार
मुख्य द्वार के खुलने बंद होने के आधार पर या जीभ की खड़ी स्थिति के आधार पर स्वरों को चार भागों में बांटा गया है :–
(i) विवृत
जिन स्वरों के उच्चारण में मुख द्वार सबसे अधिक खुला होता है, विवृत स्वर कहलाते हैं।
इनकी संख्या 1 है– आ
(ii) अर्ध विवृत
जिन स्वरों के उच्चारण में मुख द्वार विवृत के तुलना में कम खुला होता है, अर्ध विवृत कहलाते हैं।
इनकी संख्या 4 है – अ,ऐ,ओ,औ ।
(iii) संवृत
जिन स्वरों के उच्चारण में मुख द्वार सबसे कम खुलता है,संवृत स्वर कहलाते हैं।
इनकी संख्या 4 है – इ,ई,उ,ऊ ।
(iv) अर्ध संवृत
जिन स्वरों के उच्चारण में मुख द्वार संवृत की तुलना में अधिक खुलता है, अर्ध संवृत कहलाते हैं।
इनकी संख्या 2 है – ए,ओ ।
NOTE – ओ को अर्ध विवृत और अर्ध संवृत दोनो में सम्मिलित किया गया है।
ओष्ठों की स्थिति के आधार पर स्वरों के प्रकार
ओष्ठ की स्थिति के आधार पर स्वरों को दो भागों में बांटा गया है :–
(i) वर्तुल या वृत्तमुखी स्वर
जिन स्वरों के उच्चारण में ओष्ठों की स्थिति वर्तुलाकार लगभग वृत्त के समान हो जाती है,वर्तुल या वृत्तमुखी स्वर कहलाते हैं।
इनकी संख्या 4 है – उ,ऊ,ओ,औ ।
(ii) अवर्तुल या प्रसृत या आवृतमुखी स्वर
जिन स्वरों के उच्चारण में ओष्ठों की स्थिति दीर्घवृत्त के समान हो अर्थात वर्तुल आकर न बने ,अवर्तुल या आवृत्तमुखी स्वर कहलाते हैं।
इनकी संख्या 4 है – इ,ई,ए,ऐ ।
(iii) अर्द्धवर्तुल स्वर
जिन स्वरों के उच्चारण में ओष्ठों की स्थिति अर्द्ध वर्तुलाकार हो, वृत्तमुखी स्वर कहलाते हैं।
इनकी संख्या 1 है–आ ।
जिह्वा पेशियों के तनाव के आधार पर
(i) शिथिल स्वर
ऐसे स्वर जिनके उच्चारण में जीभ की पेशियों में तनाव नहीं पड़ता है,अर्थात उच्चारण करने में जिह्वा को कोई मेहनत नहीं पड़ती,शिथिल स्वर कहलाते हैं।
इनकी संख्या 3 है – अ,इ,उ ।
(ii) कठोर स्वर
ऐसे स्वर जिनके उच्चारण में जीभ की पेशियों में तनाव पड़ता है,अर्थात उच्चारण करने में जिह्वा को मेहनत अधिक पड़ती,कठोर स्वर कहलाते हैं।
इनकी संख्या 3 है – आ,ई,ऊ ।
उच्चारण स्थान के आधार पर स्वरों के प्रकार
इसके आधार पर स्वरों को निम्न प्रकार से उनके उच्चारण स्थान बांटा गया है :–
उच्चारण स्थान | स्वर |
कंठ | अ,आ,अः |
तालु | इ,ई |
मूर्धा | ऋ |
ओष्ठ | उ,ऊ |
नासिका | अं |
कंठ + तालु | ए,ऐ |
कंठ + ओष्ठ | ओ,औ |
स्वर तंत्रियों के कंपन / घोष के आधार पर स्वरों के प्रकार
स्वर तंत्रियों के कंपन के आधार पर वर्णों को दो भागों में बांटा जाता है घोष वर्ण एवं अघोष वर्ण। किंतु,
सभी स्वर घोष वर्ण के अंतर्गत आते हैं। इन्हें मृदु या कोमल स्वर कहते हैं।
अतः स्वर तंत्रियों के कंपन के आधार पर स्वरों का एक ही प्रकार है।
कोमल या मृदु स्वर –
सभी स्वर घोष वर्ण के अंतर्गत आते हैं। इन्हें कोमल स्वर या मृदु स्वर कहते हैं।
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प्रश्न-1- उच्चारण काल के आधार पर स्वर कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर- तीन – ह्रस्व,दीर्घ और प्लुत स्वर
प्रश्न-2- विसर्ग का उच्चारण स्थान क्या है?
उत्तर- कंठ
प्रश्न-3- अग्र स्वर कौन से है?
उत्तर- इ,ई,ए,ऐ ।
प्रश्न-4- स्वर किसे कहते हैं?
उत्तर- जिनके उच्चारण में किसी अन्य वर्ण की आवश्कयता न पड़े,स्वर कहलाते है।
प्रश्न-5- हिंदी में स्वरों की संख्या कितनी है?
उत्तर- 11
👉 सम्पूर्ण हिंदी व्याकरण पढ़िये टच करके
👉 यूपीटेट बाल मनोविज्ञान चैप्टर वाइज पढ़िये टच करके
यूपीटेट हिंदी का विस्तार से सिलेबस
हमारा चैनल सब्सक्राइब करके हमसे जुड़िये नीचे दी गयी लिंक को टच कीजिये ।
https://www.youtube.com/channel/UCybBX_v6s9-o8-3CItfA7Vg
final words
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